Pages

Saturday, July 10, 2021

बात बिहार के बहार की



आज दुनिया में वो पॉलिटिशियन जिसमें मेरी सबसे ज्यादा रूचि हो, वो हैं प्रशांत किशोर। अब क्या करेंगे, अगला कदम क्या लेंगे, कौतुहल सी रहती है। मेरे गुगल न्युज पेज पर मैंने उनके नाम से एक सेक्शन दर्ज किया है, कि गुगल भैया समाचार मिलते रहने चाहिए। 

मैं पैदा हुवा बिहार में। दरभंगा। मिथिला वासी। मिथिला की राजधानी मेरा गृहनगर। अंग्रेजो ने बंगाल, पंजाब और काश्मीर के तरह मिथिला के भो दो टुकड़े कर दिए। मेरा मानना है युरोपियन युनियन के तर्ज पर नेपाल और भारत का भी एकीकरण हो जाए और मिथिला फिर से एक हो जाए। 

बिहार एक चुनौती भी है और एक मौका भी। १८९० में ब्रिटेन और अमेरिका को १०% आर्थिक वृद्धि दर उपलब्ध नहीं था जो चीन को १९९० में उपलब्ध हुवा। आज बिहार को २०% आर्थिक वृद्धि दर उपलब्ध है जो चीन में संभव नहीं। कर सके तो मिशाल बन जाएगी। प्रशांत को नई पार्टी खोलनी होगी। जो कि कर तो रहे हैं। स्वीप कर देंगे ये। 

बिहार मेरे लिए न पहले कभी विदेश था और न आज है। 


पार्टी का नाम हम सुझाव देना चाहेंगे: नयी दिशा। और बाद में राष्ट्रिय स्तर पर निर्माण करिए अपने नेतृत्व में नया मोर्चा। लेकिन उससे पहले नयी दिशा को कमसेकम तीन चार राज्यों में सत्ता में पहुंचाइए। बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश कमसेकम। पहली चुनाव में बिहार स्वीप कर सके वही बहुत है। उसके बाद के चुनाव से पसरना शुरू किजिए। 

बिहार में २०% आर्थिक वृद्धि दर देने का फोर्मुला ढूंढ़िए। उसके बाद उसको और जगह भी ले जाइए। 


No comments: