Tuesday, June 29, 2021

India 2024: किशोर, केजरीवाल और अन्य

सत्ता में न भी आ सके तो भी लोकतंत्र में एक सशक्त विपक्ष की अहं भुमिका होती है। १९९० में चीन को १०% का आर्थिक वृद्धि दर उपलब्ध था जो कि १८९० में अमेरिका और ब्रिटेन को उपलब्ध नहीं था। आज भारत को २०% का आर्थिक वृद्धि दर उपलब्ध है। लेकिन उसके लिए जो राजनीतिक धरातल चाहिए वो उपलब्ध नहीं है। क्योंकि विपक्ष बिखरी हुइ है। 

चेहरा चाहिए। और वो चेहरा एक ही हो सकती है। प्रधान मंत्री पद एक तो चेहरे कितने? चुनाव के बाद एक कोइ ढूंढ लेंगे कहने से नहीं होगा। और वो एक प्रमाणित चेहरा ही हो सकता है। कोइ ऐसा सक्क्ष जिसने अपने आप को मुख्य मंत्री के रूप में अच्छा काम कर के प्रमाणित कर दिया हो। नया चेहरा। बार बार हारा हुवा चेहरा नहीं। कभी हारा, कभी जिता कर के जिंदगी गुजार चुका थका चेहरा नहीं। 

स्पष्ट है वो चेहरा केजरीवाल का ही है। लेकिन उस चेहरे के पास अभी प्रयाप्त संख्या नहीं है। संख्या तो उत्तर प्रदेश से पैदा करनी होती है। २०१४ में मोदी ने भी वही किया। अमित शाह ने युपी को स्वीप किया। नहीं किया होता तो मोदी प्रधान मंत्री ना बनते। तो केजरीवाल को वही करना होगा। अभी तो युपी से सपा, बसपा और कांग्रेस का सफाया बीजेपी ने कर ही दिया है। केजरीवाल के आम आदमी पार्टी को २०२४ में उसी तरह क्लीन स्वीप करना होगा। जो २०१७ में प्रशांत करना चाहते थे लेकिन नहीं कर पाए, अब २०२४ में वो कर दिखाना होगा। केजरीवाल को उत्तर प्रदेश प्रशांत को सौंप देनी होगी। उत्तर प्रदेश से ६०-७० सीट और बाँकी भारत से ३०-४० सीट ले के आ जाती है आम आदमी पार्टी तो वो एक नए नाम वाली नए मोर्चे की मेरुदंड बन सकती है। नाम क्या हो सकता है? पुराने सभी नामों को रफादफा किया जाए। आम मोर्चा? 

मोदी को योगी चैलेंज कर रहे हैं। केजरी चैलेंज करे वो ज्यादा बेहतर होगा। 

केंद्रीय संसद के चुनाव में एक पद एक उम्मेदवार को मानने वाले प्रत्येक पार्टी को सदस्यता दिया जा सकता है। कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा १०० सीट। आम आदमी को पुरा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित १५० सीट। फिर भी औरो के लिए लगभग ३०० सीट बनते हैं। बहुत हुवे। 

समाजिक मुद्दों पर गाँधी का आदर्श। अम्बेडकर का आदर्श। मोदी ने Ease Of Doing Business पर अच्छा काम किया है। Infrastructure पर भी अच्छा काम किया है। लेकिन केजरी ने शिक्षा और स्वास्थ पर क्रांतिकारी काम किया है। 


सत्ता में आने के बाद पीके को बिना विभागीय मंत्री बनना होगा और पहले से ऐसी समझदारी रहेगी कि वो सरकारी यंत्र में जितना चाहे लैटरल एंट्री करा सकते हैं। 

बहुत ऐसे राज्य है जहाँ सत्ता में क्षेत्रीय पार्टी है। वैसे राज्यों में उस पार्टी को शत प्रतिशत सीट छोड़ दिए जाएंगे। 

कोआर्डिनेशन कमिटी की अध्यक्षता खुद प्रशांत करें। सभी सदस्य पार्टी के सभी सांसदो की एक निर्वाचक मंडल रहेगी। अगर जरूरत पड़ी तो मतदान कर के प्रधान मंत्री चुनें। लेकिन प्रयास रहना चाहिए चुनाव पहले ही सर्वसम्मत से सब केजरी को मान लें। कोआर्डिनेशन कमिटी में प्रत्येक सदस्य पार्टी का मत वजन उतना ही होगा जितना उसके पास सांसद होंगे। 

भिजन और प्रोग्राम जबरजस्त होने चाहिए। २०% आर्थिक वृद्धि दर कैसे दिजिएगा, उस प्रश्नका जवाब दिजिए। 


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