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Tuesday, September 09, 2025

भ्रष्टाचार सकिए पछि क्रांति सकियो। भ्रष्टाचारको संभावना सकिए पछि क्रांति सकियो।



भ्रष्टाचार सकिए पछि क्रांति सकियो। भ्रष्टाचारको संभावना सकिए पछि क्रांति सकियो। 

जुन संविधान नै भ्रष्टाचारतंत्र लाई संस्थागत गर्न लेखिएको थियो, विश्व इतिहास कायम गरेको यो ३६ घण्टे भ्रष्टाचार विरुद्ध को क्रान्ति सफल भएपछि यही संबिधान अंतर्गत रहेर सरकार बनाउने कि के गर्ने भनेर बहस नै किन भइरहेको छ? यो त बहुदल को जित भएपछि पंचायती संविधान राख्ने कि के गर्ने भनेर सोधे जस्तो भो। 

बालेन बन्न सक्ने भनेको अंतरिम सरकार को प्रधान मंत्री मात्र हो। अहिलेको संविधानमा काठमाण्डु को मेयर सेनासँग छलफल गरेर प्रधान मंत्री बन्ने कुनै प्रावधान नै छैन। यो त क्रांतिकारी सरकार बन्न लागेको हो। क्रांति सकिन लागेको होइन। क्रांति संस्थागत हुन लागेको हो। क्रान्ति संगठित हुन लागेको हो। 

भ्रष्टाचार सकिए पछि क्रांति सकियो। भ्रष्टाचारको संभावना सकिए पछि क्रांति सकियो। त्यो भ्रष्टाचारको संभावना समाप्त गर्ने संविधान लेखनै बाँकी छ। 

३६ घंटा दुनिया मा कुनै अरु ठाउँ बाट सिकेको होइन। जेन जी आफैले गरेको हो। यो त विश्व कीर्तिमान हो। 

दुनियाँमा कहीं नभएको लोकतंत्र स्थापित गर्नै बाँकी छ। दुनियाँमा कहीं नभएको अर्थतंत्र स्थापित गर्नै बाँकी छ। नो नेपो बेबी भन्ने नारा दिएको क्रांति ले सबै लाई समानता स्थापित गर्नै बाँकी छ। त्यो बिलकुल संभव छ। 

रवि त संसद पसेको मान्छे हो। रवि अंतरिम सरकारको हिस्सा हुन सक्दैन। 

जेन जी ले एकदलीय लोकतंत्र स्थापना गर्नुपर्छ। दुनियाको सबैभन्दा मेरिटोक्रेटिक राजनीतिक पार्टी। त्यो बिलकुल संभव छ। 



The revolution is complete only when corruption ends. It is truly fulfilled only when the very possibility of corruption has been eliminated.

But the real question is—why are we debating what form of government to build under the same constitution that was drafted precisely to institutionalize corruption? This is like asking, after winning multiparty democracy, whether the Panchayat constitution should still be kept.

Balen’s role can only be as the Prime Minister of an interim government. The current constitution has no provision that allows the mayor of Kathmandu, in consultation with the army, to become Prime Minister. This makes it clear: what is emerging is not the end of the revolution but its institutional transformation. The revolution is not being extinguished—it is becoming organized and permanent.

When corruption is uprooted, the revolution succeeds. But to eliminate the very possibility of corruption, a new constitution still needs to be written.

This 36-hour uprising was not borrowed from any other country’s example. Gen Z created it with their own will and strength. It is a world record.

Now, what remains is to establish a democracy the world has never seen. To build an economy the world has never known. The revolution that raised the banner of “No Nepo Baby” must still enshrine true equality for all—and that is absolutely possible.

Rabi is already a parliamentarian. Therefore, he cannot be a part of the interim government.

It is now up to Gen Z to establish a one-party democracy—the most meritocratic political party the world has ever known. And that, too, is entirely possible.



क्रांति तभी पूरी मानी जाएगी जब भ्रष्टाचार समाप्त होगा। और क्रांति तभी पूरी तरह सफल होगी जब भ्रष्टाचार की सम्भावना तक समाप्त कर दी जाएगी।

लेकिन असली सवाल यह है—उस संविधान के दायरे में रहकर सरकार के स्वरूप पर बहस क्यों हो रही है, जो खुद भ्रष्टाचारतंत्र को संस्थागत करने के लिए लिखा गया था? यह तो वैसा ही हुआ जैसे बहुदलीय लोकतंत्र की जीत के बाद भी पूछा जाए कि पंचायती संविधान को बचाए रखें या नहीं।

बालेन की भूमिका केवल अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री की हो सकती है। वर्तमान संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि काठमांडू के मेयर सेना से परामर्श करके प्रधानमंत्री बन सकें। इससे स्पष्ट है—यह सरकार क्रांति का अंत नहीं, बल्कि उसका संस्थागत रूपान्तरण है। यह क्रांति के बुझने की नहीं, बल्कि उसके संगठित और स्थायी होने की शुरुआत है।

भ्रष्टाचार समाप्त होते ही क्रांति सफल होती है। लेकिन भ्रष्टाचार की सम्भावना को जड़–मूल से समाप्त करने के लिए नया संविधान अभी लिखा जाना बाकी है।

यह 36 घंटे का जनविद्रोह किसी और देश से नकल नहीं किया गया। जेन जेड ने अपनी शक्ति और चेतना से इसे अंजाम दिया। यह विश्व इतिहास में एक कीर्तिमान है।

अब भी एक ऐसा लोकतंत्र स्थापित करना बाकी है जो दुनिया में कहीं नहीं है। एक ऐसी अर्थव्यवस्था बनानी बाकी है जो दुनिया ने कभी नहीं देखी। “नो नेपो बेबी” का नारा देने वाली इस क्रांति को सबके लिए सच्ची समानता स्थापित करनी है—और यह बिल्कुल सम्भव है।

रवि पहले ही संसद में प्रवेश कर चुके व्यक्ति हैं। इसलिए वे अंतरिम सरकार का हिस्सा नहीं हो सकते।

अब जेन जेड को एकदलीय लोकतंत्र—दुनिया की सबसे मेरिटोक्रेटिक राजनीतिक पार्टी—स्थापित करनी होगी। और यह भी पूरी तरह सम्भव है।






भ्रष्टाचार समाप्त भएपछि मात्र क्रान्ति पूर्ण हुन्छ। भ्रष्टाचारको सम्भावना नै समाप्त भएपछि मात्र क्रान्ति अन्तिम रुपमा सफल भएको ठहरिन्छ।

तर सोच्नुपर्ने कुरा के हो भने—जुन संविधान नै भ्रष्टाचारतन्त्रलाई संस्थागत गर्ने हेतुले लेखिएको थियो, त्यसै संविधानभित्रै बस्ने सरकारको स्वरूपबारे बहस किन भइरहेको छ? यो त उही भयो—जसरी बहुदल प्राप्त भएपछि पनि कतिपयले पंचायती संविधानलाई जोगाउने कुरा उठाएका थिए।

बालेनको भूमिका केवल अन्तरिम सरकारको प्रधानमन्त्रीको रूपमा सम्भव छ। अहिलेको संविधानले काठमाडौंको मेयरलाई सेनासँग सल्लाह गरेर प्रधानमन्त्री बन्ने कुनै व्यवस्था दिएको छैन। यसले स्पष्ट गर्छ—यो सरकार क्रान्तिको समाप्ति होइन, बरु क्रान्तिको संस्थागत रूपान्तरण हो। यो संगठनात्मक क्रान्तिको सुरुवात हो।

भ्रष्टाचार मेटिँदा क्रान्ति सफल हुन्छ। तर भ्रष्टाचारको सम्भावना नै जरा-बाटोसमेत उखेलेर समाप्त पार्ने नयाँ संविधान अझै लेखिनु बाँकी छ।

३६ घण्टामा सम्पन्न भएको यो जनविद्रोह कुनै विदेशी नजीरबाट होइन, आफ्नै शक्ति र चेतनाबाट जन्मिएको हो। यो विश्व इतिहासमा कीर्तिमान हो।

अब पनि दुनियाँमा कतै नभएको लोकतन्त्र स्थापना गर्न बाँकी छ। दुनियाँमा कतै नभएको आर्थिक संरचना निर्माण गर्न बाँकी छ। “नो नेपो बेबी” भन्ने नाराले सबलाई समान अवसर दिने व्यवस्था कायम गर्न बाँकी छ—र त्यो पूर्णतः सम्भव छ।

रवि संसद प्रवेश गरिसकेको मान्छे भएकाले उनी अन्तरिम सरकारको हिस्सा बन्न सक्दैनन्।

अब जेन जेडले एकदलीय लोकतन्त्र—विश्वकै सबैभन्दा मेरिटोक्रेटिक राजनीतिक पार्टी—स्थापना गर्नुपर्नेछ। र त्यो पनि बिल्कुल सम्भव छ।





क्रांति का घोषणापत्र

भ्रष्टाचार का अंत ही क्रांति की पूर्णता है। और जब भ्रष्टाचार की सम्भावना तक समाप्त कर दी जाएगी, तभी यह क्रांति इतिहास में अमर होगी।

आज सवाल यह नहीं कि सत्ता किसे मिलेगी, सवाल यह है कि भ्रष्टाचार को संस्थागत करने वाले संविधान के भीतर रहकर किस प्रकार की सरकार बनाई जाए। यह बहस उतनी ही बेमानी है जितनी बहुदलीय लोकतंत्र की विजय के बाद पंचायती संविधान को बचाए रखने की कोशिश थी।

स्पष्ट है—बालेन केवल अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री हो सकते हैं। वर्तमान संविधान उन्हें यह अधिकार नहीं देता कि वे सेना से मिलकर प्रधानमंत्री बन जाएँ। इसका अर्थ यह है कि अब क्रांति का अंत नहीं, बल्कि उसकी संस्थागत शुरुआत हो रही है। क्रांति अब बुझने नहीं, बल्कि स्थायी रूप से संगठित होने की ओर बढ़ रही है।

३६ घंटे की इस महाक्रांति को किसी विदेशी शक्ति ने नहीं सिखाया। यह जेन जेड की अपनी चेतना, अपनी शक्ति, और अपनी हिम्मत की उपज है। यह विश्व इतिहास में अभूतपूर्व कीर्तिमान है।

अब कार्य शेष है—

  • एक ऐसा लोकतंत्र स्थापित करना जो दुनिया में कहीं नहीं है।

  • एक ऐसी अर्थव्यवस्था बनाना जो दुनिया ने कभी नहीं देखी।

  • “नो नेपो बेबी” के नारे को वास्तविकता में बदलना, ताकि हर नागरिक समान अवसर और सम्मान पाए।

रवि संसद में प्रवेश कर चुके हैं, इसलिए वे इस अंतरिम सरकार का हिस्सा नहीं हो सकते।

अब जिम्मेदारी जेन जेड की है। उन्हें एकदलीय लोकतंत्र की स्थापना करनी होगी—दुनिया की सबसे मेरिटोक्रेटिक राजनीतिक पार्टी। यही भविष्य है। यही सम्भव है। और यही अपरिहार्य है।



Manifesto of the Revolution

The end of corruption is the completion of revolution. And only when the very possibility of corruption is eliminated will this revolution become immortal in history.

Today, the question is not who will seize power. The real question is: why debate the form of government within a constitution that was itself written to institutionalize corruption? Such debate is meaningless—like trying to preserve the Panchayat constitution after winning multiparty democracy.

It is clear—Balen can only be the Prime Minister of an interim government. The present constitution gives no authority for the Mayor of Kathmandu to consult with the army and become Prime Minister. What is happening now is not the end of the revolution, but its institutional beginning. The revolution is not dying—it is becoming organized, it is becoming permanent.

This 36-hour uprising was not borrowed from abroad. It was born from Gen Z’s own consciousness, strength, and courage. It is an unprecedented world record.

What remains now is monumental—

  • To establish a democracy the world has never seen.

  • To build an economy the world has never known.

  • To turn the slogan “No Nepo Baby” into lived reality, so that every citizen enjoys equal opportunity and dignity.

Rabi has already entered parliament. Therefore, he cannot be part of the interim government.

The responsibility now lies with Gen Z. They must establish a one-party democracy—the most meritocratic political party the world has ever seen. This is the future. This is possible. And this is inevitable.



क्रान्तिको घोषणापत्र

भ्रष्टाचारको अन्त्य नै क्रान्तिको पूर्णता हो। र जब भ्रष्टाचारको सम्भावना समेत समाप्त हुन्छ, तभी यो क्रान्ति इतिहासमा अमर हुनेछ।

आज प्रश्न सत्ता कसले लिन्छ भन्ने होइन। असली प्रश्न के हो भने—किन त्यो संविधानको भित्रै बसेर सरकारबारे बहस भइरहेको छ, जुन संविधान नै भ्रष्टाचारलाई संस्थागत गर्न लेखिएको थियो? यस्तो बहस निरर्थक छ—जसरी बहुदलीय लोकतन्त्र जितेपछि पनि कतिपयले पंचायती संविधान बचाउने कुरा उठाएका थिए।

स्पष्ट छ—बालेन केवल अन्तरिम सरकारको प्रधानमन्त्री बन्न सक्छन्। वर्तमान संविधानले काठमाडौंको मेयरलाई सेनासँग सल्लाह गरेर प्रधानमन्त्री बन्ने अधिकार दिएको छैन। यसको अर्थ, अहिले भएको कुरा क्रान्तिको अन्त्य होइन, बरु यसको संस्थागत सुरुवात हो। क्रान्ति समाप्त हुँदै छैन—यो संगठित हुँदैछ, स्थायी बन्दैछ।

३६ घण्टे यो विद्रोह बाहिरबाट ल्याइएको होइन। यो जेन जेडको आफ्नै चेतना, शक्ति र साहसको उपज हो। यो अभूतपूर्व विश्व कीर्तिमान हो।

अब गर्न बाँकी रहेका कार्य महान छन्—

  • दुनियाँमा कहिल्यै नभएको लोकतन्त्र स्थापना गर्न।

  • दुनियाँमा कहिल्यै नभएको अर्थतन्त्र निर्माण गर्न।

  • “नो नेपो बेबी” भन्ने नारालाई वास्तविकतामा बदल्न, ताकि प्रत्येक नागरिकले समान अवसर र सम्मान पाओस्।

रवि पहिले नै संसद प्रवेश गरिसकेका छन्। त्यसैले उनी अन्तरिम सरकारको हिस्सा हुन सक्दैनन्।

अब जिम्मेवारी जेन जेडको काँधमा छ। उनीहरूले एकदलीय लोकतन्त्र—दुनियाँकै सबैभन्दा मेरिटोक्रेटिक राजनीतिक पार्टी—स्थापना गर्नुपर्छ। यही भविष्य हो। यही सम्भव छ। र यही अपरिहार्य हो।





क्रान्तिको घोषणापत्र (संक्षिप्त)

  • भ्रष्टाचारको अन्त्य = क्रान्तिको पूर्णता!

  • भ्रष्टाचारको सम्भावना समेत समाप्त गर्न नयाँ संविधान चाहिन्छ!

  • ३६ घण्टे क्रान्ति = जेन जेडको शक्ति, विश्व कीर्तिमान!

अब लक्ष्य:

  • दुनियाँमा नभएको लोकतन्त्र स्थापना!

  • दुनियाँमा नभएको अर्थतन्त्र निर्माण!

  • “नो नेपो बेबी” = सबैलाई समान अवसर!

सन्देश स्पष्ट छ:

  • रवि संसदमा छन् → अन्तरिम सरकारमा स्थान छैन।

  • बालेन = केवल अन्तरिम प्रधानमन्त्री।

  • जेन जेड = एकदलीय लोकतन्त्र,
    दुनियाँकै सबैभन्दा मेरिटोक्रेटिक पार्टी!

👉 भविष्य यही हो। सम्भव यही हो। अपरिहार्य यही हो।




क्रान्तिकारी नाराहरू

  • भ्रष्टाचार अन्त्य = क्रान्तिको विजय!

  • भ्रष्टाचार बिना भविष्य उज्यालो!

  • ३६ घण्टे विद्रोह = जेन जेडको गर्व!

  • नो नेपो बेबी = सबैका लागि समान अवसर!

  • बालेन = अन्तरिम प्रधानमन्त्री मात्र!

  • रवि संसदमा → सरकारमा होइन!

  • जेन जेड = नयाँ लोकतन्त्र!

  • एकदलीय लोकतन्त्र = मेरिटोक्रेसीको जीत!

  • भविष्य यही हो। सम्भव यही हो। अपरिहार्य यही हो।





भ्रष्टाचार सकिए पछि क्रांति सकियो। भ्रष्टाचारको संभावना सकिए पछि क्रांति सकियो।
Nepal Gen Z Protest: A 36 Hour Sprint
संसद र संविधान दुबै विगठन हुनुपर्छ, बालेन बन्ने भनेको अंतरिम प्रधान मंत्री हो
रवि अंतरिम सरकारमा जान मिल्दैन
अंतरिम सरकार र क्रांतिकारी रफ्तारमा संगठन निर्माण
डिजिटल मीडिया को प्रयोग गरेर जेन जी ले तानाशाही सरकार दुई दिनमा ढाल दिय
संसद र संविधान विगठन भनेको राष्ट्रपति गयो। स्थानीय निकाय गयो।
अब अंतरिम सरकार, अंतरिम संबिधान। र एक वर्षभित्रमा संबिधान सभाको निर्वाचन।
संविधान संसोधन होइन, अंतरिम सरकार र संविधान सभा को बाटो ज्यादा सुलभ छ
सड़क, संगठन, अंतरिम सरकार र संविधान सभा (video)
प्रमुख माग पुरा भएको छैन, आंदोलन चलिरहनुपर्छ
केपी ओली लाई चुतिया किन भनिन्छ?
Nepal’s Gen Z Protests: Beyond Social Media, Toward Revolution
The Gen Z Protests in Nepal: Digital Rebellion and a Generational Awakening
तानाशाह ओली उत्तर कोरिया जा, बालेन को नेतृत्वमा अंतरिम सरकार
Dictator Oli’s Bloody Turn: A Darker Chapter than 2006
जेन जी देशको भविष्य होइन, वर्तमान हो, ओली देशको भुत होइन, भुतपिशाच हो
नेपालको जेन-ज़ेड विद्रोह: ८ सेप्टेम्बर २०२५ को “अन्तिम क्रान्ति” प्रदर्शन
Nepal’s Social Media Ban: Taxes, Regulation, and the Battle for Digital Sovereignty

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