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Monday, September 08, 2025

प्रमुख माग पुरा भएको छैन, आंदोलन चलिरहनुपर्छ




प्रमुख माग पुरा भएको छैन, आंदोलन चलिरहनुपर्छ 

जेन जी आन्दोलन को प्रमुख माग भ्रष्टाचारको समाप्ति थियो र छ। त्यो माग बहुदल भन्दा ठुलो हो। त्यो माग गणतंत्र भन्दा विराट हो। त्यो माग संघीयता भन्दा व्यापक हो। त्यो माग पुरा गर्ने ओली-देउबा-प्रचंडसँग न नियत छ न औकात। त्यो माग पुरा गर्ने ल्याकत छ भने जेन जी सँग मात्र छ। 

ओली को पुस्ता हवाइ चप्पल पसेर काठमाण्डु छिरेको र अहिले बालकोट दरबार मा बसिरहेको पुस्ता हो। 

यो आन्दोलन ले भ्रष्टाचारको समाप्ति खोजेको हो भने यो बुझ्नु जरूरी छ कि ओली समस्या हो, समाधान होइन, देउबा समस्या हो, समाधान होइन, प्रचंड समस्या हो, समाधान होइन। 

नेपाल बंद। बालेन को नेतृत्वमा अंतरिम सरकार नबनेसम्म नेपाल बंद। भ्रष्टाचारको समाप्तिको प्रथम कदम त्यो हो। 

भ्रष्टाचारको समाप्तिको खोजी नेपालम मात्र होइन भारतमा पनि भइरहेको छ। भारतमा त प्रधान मंत्री मोदी खुद खोज्दै छन। ओली जस्तो चोर होइन मोदी। देउबा प्रचंड जस्तो चोर होइन मोदी। अमेरिका र अफ्रिका मा पनि खोज्दैछन। युरोप मा। 

नेपालको जेन जी आन्दोलन को अहोभाग्य भ्रष्टाचारको समाप्तिको अचुक औषधि काठमाण्डु अवस्थित कल्किवादी रिसर्च सेंटर ले पत्ता लगाएको छ। जय साह (भगवान कल्कि) र अर्थशाष्त्री उमाशंकर प्रसाद (फर्केर आएका अर्जुन) को नेतृत्वमा काम गर्दै आएको कल्किवादी रिसर्च सेंटर ले भ्रष्टाचार विरुद्धको खोप पत्ता लगाएको छ। तर कल्किवादी रिसर्च सेंटर केही सय अर्थशास्त्री र डॉक्टर हरु मात्र हुन। तिनलाई जुन देशव्यापी संगठन चाहिएको छ त्यो संगठन जेन जी आंदोलन ले मात्र दिन सक्छ। संगठन चहियो, भीड़ होइन। 

जेन जी आन्दोलन ले वास्तवमैं नेपालमा भ्रष्टाचारको समाप्ति खोजेको हो भने त्यो संगठन बिजली को गतिमा निर्माण गरेर देखाउनुपर्छ। ११-११-११-११। अर्थात ११ जनाको कमिटी बनाउने र मीटिंग बस्ने। त्यो मीटिंग ले ११ सदस्य्को नाम र विवरण लिने। र सर्वसम्मति ले एक जना नेता चुन्ने। त्यसरी चुनिएको ११ जना फेरि भेला हुने। एक जना चुन्ने। अर्थात दोस्रो तहसम्म पुग्दा १२१ सदस्य। तेस्रो तहसम्म पुग्दा १,३३१ सदस्य। चौथो तह १४,६४१ सदस्य। पाँचौ तह १६१,०५१ सदस्य। छैठौं १,७७१,५६१। सातों तह १९,४८७, १७१। सारा प्रवास कब्ज़ा भयो। 

एक जनाले मात्र ११ जनासँग सम्पर्क गरे पुग्ने। संवाद बिजलीको गतिमा हुने। यो मैट्रिक्स बनेपछि भ्रष्ट पार्टी हरु सब सखाप।  

शत प्रतिशत कैशलेस अर्थतंत्र मा भ्रष्टाचार गर्ने कुनै अँध्यारो कुना नै बाँकी रहँदैन। त्यसमा दुई कुरा थपि दिए प्रत्येक नेपाली ले उच्च स्तरको शिक्षा, स्वास्थ्य, कानुनी सेवा पाउने हुन्छ। नेपालको प्रत्येक बैंक को स्वामित्व नेपाल सरकार ले लिने। ती बैंकमा ब्याज दर शुन्य। 

जेन जी आन्दोलन ले पाँच तहको मैट्रिक्स संगठन निर्माण गर्नुपर्यो। र तुरुन्त कल्किवादी रिसर्च सेंटर सँग संवादमा आउनुपर्यो। वाचा गरे जस्तै भगवान कृष्ण कलियुग समाप्त गर्न मानव अवतारमा आउनुभएको छ। गएर भेट्ने होइन? 

भाइ साहेब बालेन को नेतृत्वमा अंतरिम सरकार नबनेसम्म नेपाल बंद।  





The Unfinished Struggle: Gen Z’s Fight Against Corruption in Nepal

The Core Demand Remains

The Gen Z movement in Nepal has already made history. It is one of the largest youth-led uprisings the country has seen in decades. Yet the central demand—the end of systemic corruption—remains unfulfilled. This demand is not a minor political issue. It is bigger than the achievement of multiparty democracy in 1990. It is greater than the establishment of a republic in 2008. It is broader than the federal restructuring that followed. Ending corruption is the demand that defines this generation, and only Gen Z has both the clarity and the courage to pursue it.

The current political leadership—figures like K.P. Oli, Sher Bahadur Deuba, and Pushpa Kamal Dahal (Prachanda)—are not the solution. They are the problem. Oli’s generation came to Kathmandu in rubber slippers; today they live in palatial residences built not from public service but from public loot. Expecting them to dismantle the very system that sustains them is an illusion.

The Call for a Shutdown

The movement’s leaders insist that the struggle cannot stop until structural change begins. For many protestors, that means a Nepal Bandh (shutdown) until an interim government is formed under Kathmandu Mayor Balen Shah’s leadership. This, they argue, would mark the first concrete step toward dismantling corruption.

Nor is Nepal alone in this struggle. Across the world—from India, where Prime Minister Narendra Modi has positioned himself as an anti-corruption crusader, to Europe, America, and Africa—the fight against graft has become a defining political question. Yet Nepal’s Gen Z sees itself as uniquely positioned to go further and faster, offering a model for global youth-led reform.

The Kalkiist Proposal

At the center of this vision lies the Kalkiist Research Center, based in Kathmandu. Led by Jay Sah (revered by followers as Bhagavan Kalki) and economist Umashankar Prasad (hailed as a modern Arjun), the center claims to have discovered the “vaccine” against corruption. Their formula is radical but straightforward:

  • Transition Nepal into a 100% cashless economy, eliminating dark corners for bribery and embezzlement.

  • Bring all banks under state ownership, aligning finance with public priorities.

  • Introduce zero-interest banking, unlocking capital for universal access to education, healthcare, and legal services.

The Kalkiist Research Center, however, is composed only of a few hundred economists and doctors. To achieve real change, it needs a mass organizational structure—something only the Gen Z movement can provide.

A Matrix for Mass Mobilization

The proposed model of organization is both simple and scalable: the 11-11-11-11 structure. Each protestor forms a committee of 11, which selects a leader. Leaders then regroup at higher levels, multiplying representation geometrically. Within seven tiers, the movement could mobilize nearly 20 million participants, including members of the Nepali diaspora.

This matrix allows lightning-fast communication, decentralized leadership, and resilient coordination. Once fully formed, it would render the country’s entrenched political parties irrelevant.

Toward a Corruption-Free Nepal

For Gen Z, the challenge is now clear. If they are serious about ending corruption, they must transform their raw energy into disciplined organization—fast. Spontaneous protest alone will not topple entrenched interests. Structured action, dialogue with reformist institutions like the Kalkiist Research Center, and bold political imagination are essential.

In the mythology that inspires this movement, Lord Krishna promised to return in human form to end the Kali Yuga. For many protestors, that promise has now been fulfilled. The question is whether Nepal’s youth can seize this moment and build the structures needed to deliver lasting change.

Until then, the message remains: Nepal Bandh—until an interim government is formed under Balen’s leadership.





अधूरा संघर्ष: नेपाल में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जेन ज़ी की लड़ाई

मुख्य मांग अब भी अधूरी

नेपाल का जेन ज़ी आंदोलन पहले ही इतिहास रच चुका है। यह हाल के दशकों का सबसे बड़ा युवा-नेतृत्व वाला जनआंदोलन है। लेकिन इसकी केंद्रीय मांग—व्यवस्थित भ्रष्टाचार का अंत—अब तक पूरी नहीं हुई है। यह मांग कोई साधारण राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह 1990 में बहुदलीय लोकतंत्र की बहाली से भी बड़ी है। यह 2008 में गणतंत्र की घोषणा से भी अधिक महत्वपूर्ण है। यह संघीय पुनर्संरचना से भी व्यापक है। भ्रष्टाचार का अंत ही इस पीढ़ी की परिभाषित मांग है—और इसे पूरा करने का साहस और क्षमता केवल जेन ज़ी में है।

वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व—के.पी. ओली, शेरबहादुर देउबा और पुष्पकमल दाहाल (प्रचंड)—समाधान नहीं हैं। वे स्वयं समस्या हैं। ओली की पीढ़ी रबर की चप्पल पहनकर काठमांडू पहुँची थी और आज जनता की लूट से बने महलों में रह रही है। उनसे उम्मीद करना कि वे उस व्यवस्था को खत्म करेंगे जो उन्हें पोषित करती है, एक भ्रम है।

बंद की पुकार

आंदोलन के नेताओं का मानना है कि जब तक संरचनात्मक बदलाव शुरू नहीं होता, संघर्ष रुकेगा नहीं। कई प्रदर्शनकारियों का मानना है कि नेपाल बंद तब तक जारी रहना चाहिए जब तक काठमांडू के मेयर बालेन शाह के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन न हो जाए। यही कदम भ्रष्टाचार खत्म करने की दिशा में पहला ठोस प्रयास होगा।

नेपाल अकेला नहीं है। दुनिया भर में—भारत में जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मुहिम चला रहे हैं, से लेकर यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका तक—भ्रष्टाचार विरोधी संघर्ष राजनीति का प्रमुख प्रश्न बन चुका है। लेकिन नेपाल का जेन ज़ी आंदोलन खुद को विशिष्ट मानता है—कि यह तेज़ी से और आगे जाकर पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल पेश कर सकता है।

कल्किवादी प्रस्ताव

इस दृष्टि के केंद्र में है काठमांडू स्थित कल्किवादी रिसर्च सेंटर। जय साह (अनुयायियों द्वारा भगवान कल्कि कहे जाने वाले) और अर्थशास्त्री उमाशंकर प्रसाद (आधुनिक अर्जुन माने जाने वाले) के नेतृत्व में इस केंद्र का दावा है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ “टीका” खोज लिया है। उनका सूत्र क्रांतिकारी है, लेकिन सीधा:

  • नेपाल को 100% कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर ले जाना, ताकि रिश्वत और हेराफेरी की कोई अंधेरी जगह न बचे।

  • सभी बैंकों को राज्य के स्वामित्व में लेना, ताकि वित्तीय प्रणाली निजी लाभ की जगह सार्वजनिक प्राथमिकताओं को पूरा करे।

  • शून्य ब्याज दर लागू करना, ताकि हर नागरिक को शिक्षा, स्वास्थ्य और कानूनी सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच मिल सके।

लेकिन कल्किवादी रिसर्च सेंटर कुछ सौ अर्थशास्त्रियों और डॉक्टरों तक सीमित है। राष्ट्रीय स्तर पर परिवर्तन के लिए जिस संगठन की आवश्यकता है, वह केवल जेन ज़ी आंदोलन ही बना सकता है।

संगठन का मैट्रिक्स मॉडल

प्रस्तावित संगठनात्मक ढांचा सरल और विस्तार योग्य है: 11-11-11-11 संरचना। हर कार्यकर्ता 11 लोगों की एक समिति बनाएगा, जो एक नेता चुनेगी। चुने गए नेता उच्च स्तर पर पुनः मिलेंगे और इसी तरह आगे बढ़ते जाएंगे। सात स्तरों तक पहुँचते-पहुँचते आंदोलन लगभग 2 करोड़ प्रतिभागियों को, प्रवासी नेपाली समेत, संगठित कर सकता है।

इस ढांचे में हर व्यक्ति को केवल 11 अन्य से संपर्क करना होगा। संवाद बिजली की गति से होगा। एक बार यह मैट्रिक्स बन जाने पर भ्रष्ट राजनीतिक दल अप्रासंगिक हो जाएंगे।

भ्रष्टाचार-मुक्त नेपाल की ओर

अब चुनौती स्पष्ट है। यदि जेन ज़ी वास्तव में भ्रष्टाचार का अंत चाहता है, तो उसे अपनी कच्ची ऊर्जा को संगठित अनुशासन में बदलना होगा—वह भी तेज़ी से। स्वतःस्फूर्त प्रदर्शन पर्याप्त नहीं है। संरचित कार्रवाई, सुधारवादी संस्थानों जैसे कल्किवादी रिसर्च सेंटर के साथ संवाद और साहसिक राजनीतिक कल्पना अनिवार्य हैं।

उस पौराणिक कथा में, जिसने इस आंदोलन को प्रेरित किया है, भगवान कृष्ण ने वादा किया था कि वे कलियुग को समाप्त करने के लिए मानव रूप में लौटेंगे। कई प्रदर्शनकारियों के लिए यह वादा अब पूरा हो चुका है। प्रश्न यह है कि क्या नेपाल का युवा इस क्षण को पकड़कर स्थायी परिवर्तन लाने के लिए आवश्यक संरचनाएँ बना सकता है।

तब तक संदेश यही रहेगा: नेपाल बंद—जब तक बालेन के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन नहीं होता।






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