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Sunday, September 24, 2023

It Will Start In Nepal: Shankaracharya



Bill Gates gets real about climate change: Planting trees is ‘complete nonsense’ but the end of the oil and gas era is finally in sight

Bill Gates: Planting Trees to Solve Climate Crisis Is ‘Nonsense’ his money only goes to climate solutions proven by technology, not untested approaches such as planting trees. ....... I don’t use some of the less proven approaches. I don’t plant trees,” Gates said ........ many people believe, if we just plant enough trees, it will take care of the climate issue altogether. ......... After a brief, awkward silence, Gelles quipped he was going to call his friend, Salesforce CEO Marc Benioff, and ask what he thinks. In 2020, Benioff and his wife, Lynne, started an initiative to plant a trillion trees on Earth by 2030 as part of his solution to the climate crisis. ............ Climate scientists have found that simply planting a lot of trees would have a minimal effect on halting global warming because it takes a long time for trees to reach maturity and absorb enough carbon to make a difference. An analysis earlier this year by MIT and the nonprofit Climate Interactive found planting a trillion trees would prevent only 0.15 degrees Celsius (0.27 Fahrenheit) of warming by 2100. ........... Climeworks’s carbon capture plant can capture up to 4,000 tons of CO₂ from the air annually on a 0.42-acre land; that’s almost 1,000 times more effective than trees on the same land ......... Gates argued for a tech-driven approach to tackle climate change. .......... “I’m the person who is doing the most on climate in terms of the innovation and how we can square multiple goals,” Gates said. ........... “I believe we should spend a lot of money on climate change. I believe we should have very high carbon taxes. But the political realities are such that, without innovation, it’s unlikely, particularly in middle-income countries, that the brute-force approach will be successful,” Gates said.

Bill Gates gets real about climate change: Planting trees is ‘complete nonsense’ but the end of the oil and gas era is finally in sight The threats, while severe and acute, have solutions and therefore won’t lead to the end of the world, he says. “There’s a lot of climate exaggeration,” he said earlier this week at a separate event, the Earthshot Prize Innovation Summit, which he attended with billionaire Michael Bloomberg and Prince William of the UK. “Climate is not the end of the planet. So the planet is going to be fine.” ......... “There are effects on humanity, the planet less so,” Gates said. “It’s a fairly resilient thing. But the reason I'm engaged is because it affects human welfare.” .......... “It’s pretty clear we’re not going to go to extreme scenarios,” Gates said. “Emissions will peak and then start to go down. They won’t go down as fast as we want them to and so the temperature will continue to rise and once the temperature has risen it doesn’t go down very quickly, unless you do massive carbon removal.”

Thursday, September 21, 2023

नया जातीय व्यवस्था



Special session: Modi introduces women's bill in new India parliament The Indian government has introduced a bill guaranteeing a third of seats for women in the lower house of parliament and state assemblies........ The contentious bill, first proposed in 1996, has been pending for decades ........ Its revival is expected to boost the governing Bharatiya Janata Party's fortunes in general elections next May. .........

Sunday, September 10, 2023

अधर्म से धर्म की ओर: हिन्दु राष्ट्र



भगवान कल्कि द्वारा किया गया नेपाल को हिन्दु राष्ट्र बनाने की घोषणा विश्व में धर्म की पुनर्स्थापना करने की घोषणा है। ये नेपाल को अधर्म से धर्म की ओर ले जाने की घोषणा है। 

हिन्दु गैर हिन्दु की बात ही नहीं उठती। यहुदी को जिस मसीहा का इन्तजार है वे हैं भगवान कल्कि। दुनिया के प्रत्येक चर्च में प्रत्येक रविवार को प्रार्थना करते हैं। २,००० साल से करते आ रहे हैं। कि हे ईश्वर, धरती पर तेरा प्रत्यक्ष शासन चाहिए। वो भगवान कल्कि को ही सम्बोधन कर रहे हैं। पैगम्बर मुहम्मद फिर से आए हैं और इमाम मेहंदी हैं। वे भगवान कल्कि का प्रत्यक्ष नेतृत्व मानेंगे। दुनिया भर के बौद्ध धर्मावलम्बी जानते हैं कहानी कि बालक सिद्धार्थ के बारे में कहा गया या तो ये सारे पृथ्वी का राजा बनेगा या जोगी। तभी जोगी बने। अब राजा बनेंगे। किसी से छुपी बात नहीं रहेगी। 

भगवान श्रीकृष्ण ने राजनीति को धर्म से जोड़ने के लिए ढेर सारा काम किया। भगवान राम तो अयोध्या के राजा ही थे। 

अधर्म से धर्म की ओर जाना है। नेपाल को हिन्दु राष्ट्र  बनाना है। 


Monday, September 04, 2023

हमेशा के लिए समाधान की जरूरत



हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे बुद्ध हरे बुद्ध
बुद्ध बुद्ध हरे हरे
हरे कल्कि हरे कल्कि
कल्कि कल्कि हरे हरे

क्या हमारा समाज जो हिंदु, मुस्लिम, बड़ी जातियों और छोटी जातियों में बंटा हुआ है इसे हमेशा के लिए समाधान की जरूरत नहीं?



ईसाई खुलकर हिंदु धर्म का विरोध करने लगे, मुलवासी मंगोल खुलेआम धर्म का विरोध करने लगे, कौन गारंटी दे सकता है कि कलको मुसलमान यह नहीं कहेगा कि मैं जानकी मंदिर के पिछे गाय मार कर खाऊंगा? हम हर तरफ से हिंदु विरोधी लोगों से घिरे हुए हैं। हमारे देश के नेताओं में एकता नहीं है, सभी नेता पैसों के लिए हिंदु विरोधी हैं और देश को कभी भी हिंदु राष्ट्र न बनने देने के लिए लगे हुए हैं। धर्मनिरपेक्ष। कब तक हम इसी तरह हिंदु जातियों में बंटे रहेंगे? आज तक जितने भी लोग मुसलमान बने हैं, जब वे हिन्दु थे तो उन्हें निचली जातियों में रखा गया था। समाज की जाति व्यवस्था से क्षुब्ध होकर उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया। आज नेपाल में चाहे कितने भी ईसाई बन गए हों, वे सभी हिंदु समाज की जाति व्यवस्था के कारण हिंदु धर्म छोड़कर ईसाई बन रहे हैं। हमारे धर्मकी जाति व्यवस्था जो मछली, मांस, शराब और सिगरेट खाता है उसे ब्राह्मण बना देता है और जो मछली, मांस, शराब नहीं खाता उसे कहता है कि तुम दलित और शूद्र हो क्योंकि एकका जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ है और दुसरेका दलित कुलमें हुआ है। जन्म पर आधारित यह जाति व्यवस्था समाजको तोड़ रही है। हम इस 4000 साल पुरानी जाति व्यवस्थाको कब तक बरकरार रखेंगे? यदि समाजमें जन्मके आधार पर नहीं बल्कि कर्मके आधार पर जाति व्यवस्था लागु कर दिया जाए तो नेपाल में जल्द ही हिंदु धर्म पुनः स्थापित हो जाएगा और नेपाल एक वैदिक हिंदु राष्ट्र बन जाएगा और जो लोग नाराज होकर वहां से चले गए वे सभी हिंदु धर्म में वापस आ जाएंगे। अब बदलाव लाना ही होगा, नहीं तो जल्द ही हम नेपाल में गोमांस खाने वाले रावणों से चारों ओर से घिर जायेंगे। मछली, मांस, शराब, सिगरेट, गुटखा खानेवाले सभी परिवारोंको ब्राह्मण जाति से बाहर करना है और जो परिवार नहीं खाते हैं उन्हें ब्राह्मण जाति में रखना है। जब तक हम अपने घर की गंदगी साफ नहीं करेंगे, बाहर के सभी लोग हमारी ओर देखेंगे, जो लोग उन्हें पसंद नहीं करेंगे वे घर छोड़ देंगे और बाहर से हमला भी करेंगे। जिस दिन हमारा घर साफ-सुथरा होगा, हर कोई हमारा सम्मान करेगा और हमारे साथ इसी घर में रहनेको अनुरोध करेगा।

उन लोगों के लिए जो नेपाल में गोमांस खाना चाहते हैं: आपको जो चाहें खाने का पुरा अधिकार है। लेकिन गोमांस खाने की आपकी इच्छा हमें चुनौती देने के लिए आती है, न कि अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करने के लिए। आप जो चाहें अपने कमरे में खाएं, न कि सार्वजनिक रूप से और न ही सोशल मीडिया पर। धार्मिक भावनाओंको ठेस पहुंचाना और सामाजिक खानपानके व्यवहार को चुनौती देना दो अलग-अलग चीजें हैं। गाय हमारे लिए पवित्र है। आपने जो किया है वह निंदनीय है। यह उचित होता अगर आप कुत्तों और गधों के मांस से शुरुआत करते, जो हम नहीं खाते। तुरंत गाय से शुरुआत करना हमारी धार्मिक भावनाओं पर सीधा हमला है, न कि आपकी खाने की आज़ादी का प्रयोग। इसका मतलब यह है कि अब हमें आपकी ईशनिंदा गतिविधियों पर उचित प्रतिक्रिया देने के लिए आपकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार है। यदि आपने कुत्तों और गधों का मांस खाया होता, तो हम आपके धर्म को आंकने का प्रयास नहीं करते। अगर कानुन आपको सजा नहीं देगा तो यह हम हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा। या तो कुत्तों और गधों को खाना शुरू करें या गोमांस खाने से पहले हिंदुओं द्वारा गाय की पुजा करने की प्रथा को बदलने के लिए एक आंदोलन शुरू करें। अन्यथा हम बहुसंख्यक होने के नाते अपने अधिकारों की रक्षा के लिए नेपाल में एक हिंदु संविधान चाहते हैं।

प्रश्न: क्या आप मांस खाने वाले पुजारी को पुजा करने की अनुमति देते हैं?



त्रेता युग में भारत के एकमात्र ब्राह्मण रावण का परिवार मांस खाता था, शराब पीता था और तम्बाकु सेवन करता था। लेकिन आजके घोर कलियुग में ९९% ब्राह्मण परिवार मांस खाते हैं, शराब पीते हैं और तम्बाकुका सेवन करते हैं। त्रेता युगमें १००% ब्राह्मण वेदोंकी पद्धति का पालन करनेवाले थे, लेकिन अब घोर कलियुगमें एक भी ब्राह्मण वेदोंकी पद्धति का पालन करने वाला नहीं है।

एक धार्मिक परंपरा है कि यदि ब्राह्मण वेदों के नियमों में विश्वास करते हैं तो वे मछली, मांस, शराब, सिगरेट आदि का सेवन नहीं कर सकते। आज हमारे हिन्दु धर्म के पतनका सबसे बड़ा कारण यह नकली ब्राह्मण है जो मछली और मांस खाता है। आज के समाज में बहुत से लोग ब्राह्मण जाति को हिंदु धर्मका चेहरा मानकर ब्राह्मणोंके बजाय संपुर्ण हिंदु धर्मका विरोध करने लगे हैं। हमारे समाज में हिंदु धर्मकी पुनर्स्थापनाके लिए हमें वास्तविक ब्राह्मणों की आवश्यकता है जो वेदों की प्रणाली में वर्तमान से कहीं अधिक विश्वास रखते हों। जिसे समाज की अन्य सभी जातियां सर्वसम्मति से मान-सम्मान देंगी। इस नकली, वेदों को न मानने वाले ब्राह्मण के रहते हमारा देश नेपाल कभी भी हिन्दु राष्ट्र नहीं बन सकता। जिस दिन नेपाल का समाज और सरकार सभी ब्राह्मणों को ब्रह्मचर्य का पालन करायेगी, उस दिन न केवल हिन्दू राष्ट्र बल्कि हिन्दु जगत की भी नींव पड़ेगी। और नेपाल विश्व गुरु बनेगा।

अब समाज में दो तरह के लोग हैं. जिसके हृदय में ईश्वर है वह हिंदु धार्मिक वेदों का सम्मान करेगा। उनका स्वागत नमस्ते से करें। वेदोंका पालन करनेवाले लोग कलियुगके अंतमें धर्मके संस्थापकके रूपमें जाने जाते हैं। जिनके हृदय में शैतान है वे हिंदु धार्मिक वेदोंके नियमों का विरोध करेंगे। उनका अभिवादन नमशैतान कह के किया जाना चाहिए, नमस्ते कहके नहीं। जो लोग वेदोंका पालन नहीं करते उन्हें कलियुग के अंत में रावण की सेना के रूप में जाना जाएगा। अब वह दिन आ गया है जब समाज में वेदों को न मानने वाले रावणों को उजागर किया जायेगा।

अधिनायकवादी शासन में: उत्तर कोरिया के किम जोंग उन जनरल हैं और सेना के बाकी सभी लोग सैन्य वर्दी में हैं, लोगों का कोई मुल्य नहीं है। यदि हम भारत में सामाजिक संगठन की संरचना पर नजर डालें तो आरएसएस, बजरंग दल जैसे धार्मिक संगठनों में संगठन का प्रमुख सेनापति होता है, संगठन के अन्य सभी सदस्य सेना होते हैं और जनता धन का स्रोत होती है और वे होते हैं नंगे हाथों से लड़नेवाले सेना।

लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में: सत्ययुग समाज पार्टी के लिए, लोग धर्म के रक्षक/धर्म के संस्थापक हैं, प्रधानमंत्री कल्कि सेनाके कमांडर हैं। राजनीतिक नेता, नेपाल पुलिस, नेपाली सेना सभी राम/कृष्ण/कल्कि सेना की उपाधि से जाने जाते हैं। यदि धर्म की स्थापना करने वाले लोग नहीं चाहते कि आप वोट डालें तो ये तीन प्रकार की कल्कि सेना देश और धर्म को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकती।

आप कल्कि सेना को आदेश दें कि आप कैसा देश चाहते हैं और वे आपके लिए उसी के अनुसार देश का निर्माण करेंगे। आप केवल एक दिन: मतदान के दौरान ऑर्डर दे सकते हैं। वोट के दौरान रावण सेना भी आपसे वोट मांगने/लेने आयेगी जो हमारे धर्म के खिलाफ हैं। चाहे आप नेपाल के नेता, पुलिस, सेना का नियंत्रण रावण सेनापति के हाथ में दें या कल्कि सेनापति के हाथ में, यह निर्णय आपको ही करना होगा। चाहे आपको रावण की व्यवस्था चाहिए या राम की व्यवस्था चाहिए, आपको उस चुनाव के बारे में केवल एक दिन सोचने का अधिकार है। तो वह अधिकार ५ वर्षके लिए निरस्त कर दिया जाता है।

मैं जनकपुरमें नामशैतान आंदोलनका नेतृत्व करनेके लिए जनकपुर के प्रत्येक वार्ड में कुछ धर्म संस्थापक स्वयंसेवकों की तलाश कर रहा हुँ। इस आंदोलनका उद्देश्य हिंदुओं की सुशुप्त भावनाको जागृत करना है और नेपाल सरकारसे वास्तविक ब्राह्मणों की मांग की जाएगी। आज ९९% से अधिक ब्राह्मण मांस खाते और शराब पिते हैं जो वेदोंके विपरीत है। हमें वेदोंका समर्थक ब्राह्मण चाहिए, वेदोंका विरोधी ब्राह्मण नहीं। यह आंदोलन समाजको दो गुटोंमें बांट देगा: एक जो कहता है कि ब्राह्मण परिवारके किसी भी व्यक्तिको मांस खाने और शराब पिनेकी अनुमति नहीं दि जानी चाहिए। वे लोग धर्म संस्थापक कल्कि सेना कहलायेंगे। दुसरे गुटको धर्म विरोधी रावण सेना कहा जाएगा, जो कहता है कि ब्राह्मणों और उनके परिवारके सदस्योंको रावण की तरह मांस खाने और शराब पिने, सिगरेट पिनेकी अनुमति दि जानी चाहिए, जैसा कि त्रेता युगमें रावण ने किया था।

जनकपुर से शुरू होकर यह आंदोलन पुरे देश में फैल जाएगा और फिर नेपालके आंदोलनके समर्थन से पुरे भारतमें फैलेगा। यह "नमशैतान महाअभियान" तैयार किया गया है, जो अन्ना हजारे के जन लोकपाल आंदोलन से हजारों गुना बड़ा होगा। नेपालका झंडा हर धर्मके संस्थापकके घरके सामने लगाया जाना चाहिए। जनकपुर में झंडेवाले या बिना झंडेवाले घर ज्यादा हैं? उसके आधार पर आप बता सकते हैं कि जनकपुर धर्म संस्थापकों की नगरी है या रावण की सेना की नगरी। जनकपुरके लोगों और बाँकी नेपाली लोगोंकी आत्मा पुरी तरह से जागृत होकर, राष्ट्र में धर्म या रावण की सेना के संस्थापक होने का निश्चय करने के बाद, यह निर्धारित करने के बाद कि धर्म संस्थापक अधिक है या रावण की सेना अधिक है, हम आंदोलन के अगले चरण में प्रवेश का निर्धारण करेंगे।

यदि धर्म संस्थापक बहुमत में हैं तो हम सरकार से कलियुग के अंत के लिए एक शोध दल बनाने की मांग करेंगे। यदि रावण की सेना बहुमत में है, तो हम मांग करेंगे कि वे फलों और मिठाइयों के बदले मंदिरों में मुर्गे की टांगें चढ़ाना शुरू करें। अंत में, धर्म के संस्थापक रावण की सेना के साथ युद्ध करने के लिए कल्कि की सेना का नेतृत्व करेंगे। लेकिन यह लड़ाई गोलियों से नहीं बल्कि मतपत्रों से लड़ी जाएगी।

आगामी चुनाव में यदि धर्म संस्थापक अपनी सरकार बनाते हैं तो नेपाल विश्व गुरु बनेगा। यदि रावण की सेना जित गई तो नेपालको घोर कलियुगमें धकेल दिया जाएगा। हमेशाके लिए।

प्राचीन जाति व्यवस्था पेशेके आधार पर बनी थी लेकिन अब इसे जन्मके आधार पर संशोधित कर दिया गया है। जाति प्रथाके कारण विवाह सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। शाकाहारी माता-पिता अपने बच्चों की शादी मांस खानेवाले परिवारोंमें करना पसंद नहीं करते। भले ही वे मांसाहारी हों, कुछ लोग अपने समुदाय की भावनाओं और रीति-रिवाजों के अनुसार गाय, सुअर या अन्य जानवरों का मांस खाना पसंद नहीं करते हैं। इसके समाधान हेतु जाति व्यवस्थाकी एक सर्वथा नवीन प्रथा का यह रूप होगा।

1. ब्राह्मण: जिस परिवार में कोई मछली, मांस, तम्बाकु नहीं खाता तथा शराब नहीं पीता।
2. सोलकन: एक परिवार जो सुअर और गाय के अलावा अन्य मांस खाता है और शराब और निकोटीनका सेवन करता है। इस समुहको आगे विभाजित किया गया है:
समुह क: शराब और सिगरेट का सेवन करना लेकिन मछली और मांस नहीं खाना।
समुह ख: मछली, मांस खाता है लेकिन शराब नहीं पिता और तंबाकुका सेवन नहीं करता।
समुह ग: सभी मांस, शराब और तंबाकु खाएं।
3. दलित: वह परिवार जो सुअर या उसके समान मांस खाता है।
4. शुद्र: वह परिवार जो गाय या उसके समान जानवर खाता है।

इस जाति व्यवस्थाकी निगरानी एक आईडी प्रणालीसे कि जाएगी ताकि लोगोंको उनकी वास्तविक जातिके अलावा अन्य जातियों से भोजन चुराने से रोका जा सके। सभी मांस, शराब, सिगरेटको शहरके बाहर नेपाली विचारधाराके अमेज़ॅन सेंटर जैसे बड़े प्रवर्धन केन्द्रमें एकत्र किया जाएगा और केवल आईडी और अनुरोध के साथ घर-घर पहुंचाया जाएगा। जो व्यक्ति जीवन भर दुसरेके धार्मिक कार्योंके लिए मांस और मछलीका त्याग करता है, वह हमारे समाजके लिए सदैव सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इसीलिए ब्राह्मण सदैव हिंदु धर्ममें सर्वोत्तम जाति रही है और रहेगी। हालाँकि, मछली, मांस, शराब और सिगरेटका सेवन करने वाले परिवारको हम कभी ब्राह्मण नहीं मान सकते। मछली और मांस खाने वाला ब्राह्मण को कोई मुर्ख ही सर्वोत्तम जातिका मान सकता है। एक बुद्धिमान हिंदु इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता। मछली-मांस, शराब, सिगरेटका सेवन करनेवाले परिवारको हम कभी ब्राह्मण नहीं मान सकते। मछली, मांस, शराब और सिगरेटका सेवन करने वाले परिवारोंको ब्राह्मण जाति से निकाल कर दलित वर्गमें रखा जाना चाहिए और वैष्णवोंको ब्राह्मण वर्णमें आनेका मौका दिया जाना चाहिए। नई जाति व्यवस्था काम पर आधारित होनी चाहिए, जन्म के आधार पर नहीं। दलितों और मुसलमानोंको भी ब्राह्मण बननेका मौका मिलना चाहिए।

इस व्यवस्थाके आनेके बाद ही सभीका हिंदु धर्मके प्रति सम्मान बढ़ेगा। जिस दिन धर्मकी पुनर्स्थापना होती है, उसके अगले दिनसे अधर्म और अधर्मीका विनाश प्रारम्भ हो जाता है। जब तक सभी हिंदु ब्राह्मणोंको श्रेष्ठ जाति के रूप में मान्यता नहीं देते, तब तक हिंदु धर्मकी बहाली नहीं हो सकती। भारत ने चार हजार साल पहले जाति व्यवस्था की प्रथा शुरू करके समाज को संघर्ष में धकेल दिया था। अब समय आ गया है कि नेपाल इस प्रथाको दुर करे और नई समयबद्ध व्यवस्था लागु कर विश्वगुरु बने।

नई जाति व्यवस्था के उदयके साथ, एक धनहीन समाज का निर्माण करते हुए, सत्ययुग समाज पार्टी ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक वयस्क को सरकारी नौकरी देने और देश में अन्य सभी प्रकार के काम, व्यवसाय या निवेश के अवसर देने का कानुन बनाएगी। पुरे देश में केवल एक ही नौकरी देनेवाला होगा: सरकार। साथ ही, चुँकि सभी उत्पादों की कीमत घंटों, मिनटों और सेकंडों में होगी, इसलिए भुगतान समय के युनिट में होगा, न कि रुपये में। मुकेश अंबानी, शाहरुख खान जैसे अमीर लोग, भिखारी जैसे गरीब लोग, किसान, गृहिणियां, पुजारी और कॉलेज के छात्र, कॉलेज में पढ़ाई के दौरान बुढ़े लोग सभी को सरकारी प्रणाली के तहत सरकारी नौकरियां मिलेंगी। म्लेच्छ और दहेज प्रथा को खत्म करने और कलियुग को समाप्त करने के लिए सरकार ठोस कदम उठाएगी। जिस प्रकार राम को रामसेना की आवश्यकता थी और कृष्ण को नारायणसेना की आवश्यकता थी, उसी प्रकार कलियुग को समाप्त करने के लिए कल्कि को कल्किसेना की आवश्यकता होगी। नई जाति व्यवस्था का दुसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि हर लड़की सरकारके साथ यह डेटा (रिकॉर्ड) निकालकर तय कर सकती है कि एक लड़का प्रतिदिन कितनी शराब, गुटखा, सिगरेट पिता है कि उसे उस लड़केसे शादी करनी है या नहीं। और फिर कल्किवादके सहयोग से दहेज प्रथा भी दुर हो जायेगी।

धर्म संस्थापक कोई सामाजिक या धार्मिक संगठन नहीं है। भविष्यमें कोई भी धर्म संस्थापक यह दिखावा नहीं कर सकेगा कि मैं इस या उस संगठन का सदस्य हुँ। धर्म संस्थापकके नाम पर कोई भी संस्था पंजीकृत नहीं होगी। धर्म संस्थापक एक प्रबुद्ध चिंतनशील आत्माका प्रतीक है। प्रत्येक परिवार धर्म संस्थापक तो हो सकता है, परन्तु धर्म संस्थापक संगठनका निर्माण नहीं कर सकता। हम हिंदु सेना, बजरंग दल, आरएसएस जैसे धर्म संस्थापक हिंदु संगठन नहीं बनाना चाहते। धर्म संस्थापककी सबसे बड़ी कानुनी संस्था सतयुग समाज पार्टी होगी। यह पार्टी कल्कि सेना के माध्यम से "धर्म संस्थापक" की हर मांग को पुरा करेगी।

यदि आप मानते हैं कि आपकी आत्मा जागृत हो गई है, यदि आप मानते हैं कि मंदिर में फल और मिठाइयाँ चढ़ाना मुर्गी के पैरों से बेहतर है, यदि आप चाहते हैं कि कलियुग अब समाप्त हो जाए, तो अपने घर के सामने एक नेपाली झंडा लगाएँ। जिस घरके सामने नेपाली झंडा नहीं होगा उसे रावण सेना का घर कहा जाएगा। उन दानदाताओं को खोजने का प्रयास किया जाएगा जो उन गरीबों के लिए नेपाली झंडे खरीदेंगे जिनके पास पैसे नहीं हैं और वे अपने घरों में नेपाली झंडे लगाना चाहते हैं।

नारदजी ने एक बार लक्ष्मी माता से पूछा, पृथ्वी पर ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि कलियुग की आयु पाँच हजार, पचास हजार, पाँच लाख और पचास लाख साल है। इस दुविधा से उबरने के लिए मनुष्य अपनी बुद्धि से कैसे जान सकता है कि कलियुग के अंत का समय आ गया है? और लक्ष्मीजी ने कहा कि जब सभी मंदिरों पर ताले लगे हैं और सभी शराब की दुकानों पर कतार लगी हुई है, तो भगवान हमें यह समझने का संकेत दे रहे हैं कि कलियुग के अंत का समय आ गया है।

मौजुदा कोरोना महामारीके दौरान यही हुआ है। सभी मंदिरों पर ताला लगा दिया गया और सभी शराब की दुकानों पर हफ्तों तक कतारें लगी रहीं। वह स्थिति भगवान द्वारा हम मानव जातिको यह संकेत देनेके लिए बनाई गई थी कि कलियुगके अंत का समय आ गया है। मटिहानीके जय साहने उसी लॉकडाउन के दौरान अमेरिका में बैठकर बिना पैसे और सोने के समाजका निर्माण करके कलियुगको कैसे समाप्त किया जाए, इस पर किताब लिखी। जिसकी पढ़ाई जल्द ही दुनिया के सभी विश्वविद्यालयों में होगी।

कुछ लोग कहते हैं कि परमाणु युद्धके बाद कल्कि घोड़े पर सवार होकर हमारे समाज में बचे हुए पापीयोंको मारनेके लिए आकाशसे आएंगे। एक बार कल्कि पापियोंका संहार करना शुरू कर दे तो उसे कोई नहीं रोक सकता।

यह सतयुग और त्रेतायुग नहीं है। यह कानुनका युग है। यह कलियुग है। कलियुगमें कल्किको भी समाजके नियम और अनुशासनका पालन करना होगा। और वर्तमान कानूनके अनुसार, केवल अदालतें और पुलिस ही मौतकी सज़ा दे सकती हैं। अगर कोई आदमी अचानक घोड़े पर चढ़कर लोगोंको तलवारसे काटनेकी कोशिश करता है तो मौजुदा कानुनके मुताबिक उसे एक ही दिन में जेल भेज दिया जाएगा। और दुसरी बात यह है कि इस कलियुगमें कल्कि कोई जादुई शक्ति लेकर नहीं आनेवाले है। वह बिल्कुल सामान्य इंसान के रूप में आएंगे।

आजके समाजमें यदि कोई कल्कि जैसा बनना चाहता है तो उसके लिए प्रावधान है। समाजके इस प्रावधानको सभी को पुरा करना होगा। वह १००% सामान्य व्यक्ति होगा जो कलियुगको समाप्त करनेके लिए सबसे पहले अपने विचार लाएगा। उन्हें एक घोषणापत्र पेश करना होगा। अनुयायियोंका एक बड़ा आधार बनाना होगा। लोकतांत्रिक तरिकेसे सत्ता हासिल करनी होगी। चुनावमें अन्य ताकतवर पार्टियोंको चुनौती देनी होगी। चुनाव जितना होगा और संविधानमें संशोधन करना होगा। फिर वैदिक नियम लागु करने होंगे। और तभी कानून और अनुशासन अंततः वेदोंके कानुनका उल्लंघन करनेवाले पापियोंको दंडित करेंगे।

एक शिक्षित व्यक्ति के रूप में, मुझे नहीं लगता कि कल्कि अवतार कानुन तोड़ेंगे, अलौकिक जादु दिखाएंगे और सड़क पर घोड़े पर चढ़कर कार में बैठने वाले पापी का सिर काट देंगे। कानुनके माध्यमसे पापियोंको नष्ट करनेका एकमात्र तरिका राजनीतिके माध्यमसे समाजकी व्यवस्थाको बदलना है। इसलिए कल्किको एक राजनीतिक नेताके तौर पर ही खोजा जा सकता है। कोई अन्य रास्ता खोजना असंभव है।

'अगर नेपाली जनता चाहेगी तो अगले चुनाव में धर्म संस्थापक कल्कि सेना और रावण सेना के बीच युद्ध होगा।' यदि जनकपुर के लोग नामशैतान अभियान शुरू करेंगे तो मैं आने वाले चुनाव में कल्कि सेना और रावण सेना के बीच युद्ध का नेतृत्व करूंगा। और आगामी चुनाव में रावण सेना के नेता शेर बहादुर देउबा, केपी शर्मा ओली, प्रचंड, रवि लामिछाने, चंद्रा राउत, उपेंद्र यादव, महंत ठाकुर होंगे.''

------ जय साह

यह अभियान कब शुरू होगा? जिस दिन जनकपुरके आधे से अधिक लोगोंके घरों पर कल्कि सेना के टैग के साथ नेपाल का झंडा होगा, उस दिन जय साहजी अमेरिका से आएंगे और इस महान अभियानकी शुरुआत करेंगे। तब तक नई जाति व्यवस्थाके सारे नियम उनकी लिखी किताबसे पढ़े जा सकते हैं। आप उनके बनाए वीडियो देखकर सारी व्यवस्थाएं जान सकते हैं।

नेपाल एक विश्वगुरु
पुरे नेपाल के लिए जनकपुरधाम मार्गदर्शक



नामशैतान महाभियानके शुभारंभके तुरंत बाद, दुनियाकी सबसे शिक्षित, अनुभवी, उद्यमशील राजनीतिक पार्टी - सत्ययुग समाज पार्टी - का गठन किया जाएगा। जिसमें हर नगरपालिका मेयर बलेन शाह जैसे इंजिनियर और डिप्टी मेयर जैसे कॉरपोरेट जगत की जानकारी रखने वाले एमबीए डिग्रीधारी युवाओं को जगह देगी।

मेरे प्यारे जनकपुर के मुल निवासियों, पुरा नेपाल आपके साथ इस आंदोलनकी शुरुआत करेगा। पुरे नेपाल ही नहीं, भारतके कोने-कोनेसे यहां तक ​​कि भारत के लाल किले से भी इस आंदोलन के समर्थन में नेपाल का झंडा फहराया जाएगा। आप आगे बढ़ें, कलियुगको समाप्त करनेके लिए आगे बढ़नेके लिए पुरी दुनिया हम जनकपुरवालोंको नमन करेगी। केवल जाति व्यवस्था बदलने से कलियुग का अंत नहीं होगा।

दुनिया भरके किसी शहरको कलियुग को समाप्त करने का प्रयास करने का एक शानदार अवसर मिलना चाहिए। कानुनका नियम तो यही है कि यह अभियान एक शहर से शुरू होकर पु रे विश्वमें फैलना चाहिए। यह सौभाग्य जानकीजीने जनकपुरधामको प्रदान किया है। कलियुगके समापनके लिए पवित्र और महान अभियान, नेपालके वैदिक राष्ट्रकी स्थापनाके लिए युगांत अभियान - "नमशैतान महाअभियान" जनकपुरधामसे शुरू होगा। जाति व्यवस्थामें परिवर्तन, दहेज प्रथाका अंत, गरीबीका अंत और अमीरोंका अंत नेपाल से शुरू होगा।

प्रिय ब्राह्मणों, मैंने अपने सर्कलमें आपके लिए लिखा है। नई जाति व्यवस्थाका मेरा प्रस्ताव किसी जातिके ख़िलाफ़ नहीं है। मैंने जातिको मृत पुराने अधिनायकवादी से नई, भविष्यवादी और लोकतांत्रिक ढाँचेमें बदलने का प्रस्ताव रखा है। नए प्रस्ताव में, ब्राह्मणों को सर्वोच्च पद दिया गया है, क्षत्रियों और वैश्यों को सभी पहचान खोनी पड़ी क्योंकि वे नई जाति व्यवस्था में सामुहिक रूप से मौजुद नहीं हैं। नई व्यवस्थामें दलित और शु द्र विद्यमान हैं। क्या केवल नामके लिए बड़ी जाति बनना बेहतर है या वास्तव में बड़ी जाति बनना?

अब ब्राह्मण नाम मात्रकी बड़ी जाति है जिसका देश के हर वार्ड, ग्रामपालिका और नगरपालिकामें अन्य जातियों के लोग अपमान करते हैं। यदि आपको यह कहना है कि आप बड़ी जातिके हैं तो आप केवल अपने चार रिश्तेदारोंके बीच ही अहंकार कर सकते हैं। समाजमें यदि आप और जातिके बीच खुलकर बात करते हैं तो आपको अपमानित भी होना पड़ता है और पिटाई भी खानी पड़ती है।

यदि समाजमें कोई नया ब्राह्मण सामने आये तो सब मिलकर उसका सम्मान करेंगे।

हमारे समाज में जिनके पास बहुत पैसा है उनके लिए एक शब्द है "अमीर" और जिनके पास बहुत कम पैसा है उनके लिए "गरीब" शब्द है। हमारे पास मध्यम वर्ग के लोगों के लिए एक शब्द की भी कमी है। अब हमें एक मिल गया - कलित्म। सतयुग समाज पार्टी सभी को कलित्म बनाती है। ऐसे लोगों का समाज जो भगवान कल्कि की आत्मा का हिस्सा हैं - कलित्म का समाज। न अमीरों का समाज, न गरीबों का समाज।

माता सीताकी जन्मस्थली
अब होगा सारा विश्व में महान





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Sunday, July 02, 2023

Prompt: A Rainbow Colored Giant Mushroom Enjoying The Monsoon Rain

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प्रचण्ड र सीके राउतबीच भेटवार्ता, के भयो कुराकानी ?
एलन मस्कको ठुलो घोषणा, ट्विटरमा पढ्न सकिने पोस्टहरूको सङ्ख्या सीमित
के बेलारुसमा सैन्य क्याम्प खडा गर्दैछ वाग्नर समूह ?
संसद्‍बाट बजेट पास प्रकरणले झन् बढ्यो उपेन्द्र र सिकेबीचको दुरी
माेदी सरकारले खोस्यो आदिपुरुषका लेखकलाई दिइएका प्रोजेक्ट


कांग्रेस–एमाले समीकरण बन्ने ‘त्रास’ले एकीकृत समाजवादी र जसपा ‘बजेटमा ब्याक’ !
मेयर बालेनसँग सर्वोच्च अदालतले माग्यो लिखित जवाफ
माफी माग्दै आदिपुरुषको निर्माता कम्पनीले पठायो मेयर बालेनलाई पत्र
मेलम्चीलाई दिगो बनाएर लार्के र याङ्ग्रीको काम सुरु गर्दैछौँ : खानेपानीमन्त्री यादव

'के भैंसी चराउनका लागि निजगढ अन्तर्राष्ट्रिय विमानस्थल बनाउन लागिएको हो ?'
‘बजेट नसच्याए सरकारलाई समर्थन फिर्ता लिन्छौं’ ‘मधेशमा अझै औपनिवेशिक शासन छ भन्ने बजेट विनियोजनबाटै देखिन्छ’ ..... ‘बजेटमाथि बिहान ११ देखि ६ बजेसम्म झन्डै १ महिना छलफल हुन्छ तर कमा र फुलस्टप परिवर्तन हुँदैन, संसद् कसरी सार्वभौम सत्ता सम्पन्न भयो ?’ ‘नेपाली जनता कसैसँग आशा देख्यो भने तुरुन्तै सराहना गर्ने र एउटा त्रुटि भयो भने तुरुन्तै नकार्ने स्वभावका छन्’ ...... मुख्यमन्त्रीलाई प्रमुख जिल्ला अधिकारीले टेर्दैन । उसलाई आफ्नो प्रहरी बनाउन दिँदैनन् । ........ बिहार, यूपीमा प्रदेश सरकार पावरफुल छ, आफ्नै प्रहरी हुन्छ । सबै कुरा आफैंले गरिराखेको हुन्छ । त्यस्तो खालको संघीयताको उदाहरण छिमेकमा हुँदा पनि हामीले भोग्न पाएका छैनौं । ....... नेपालमा सबैभन्दा ठूलो समस्या भनेको भ्रष्टाचार हो । हामीले यो एजेन्डालाई पनि लिएका छौं । मुख्य रूपमा सेवाप्रवाहलाई प्राथमिकता दिएका छौं । शिक्षा हुनुपर्‍यो, स्वास्थ्य सेवा हुनुपर्‍यो, रोजगारी हुनुपर्‍यो, युवा विदेशिनुभएन भन्ने मुद्दा मधेशका लागि मात्रै बोलेका होइनौं, सबैका लागि बोलेका हौं । किसानको समस्या समाधान हुनुपर्‍यो, हिमाल पहाड तराई सबैका समस्या समाधान हुनुपर्‍यो । यी मुद्दाको स्वामित्व लिएपछि र अहिलेको आवश्यकता टड्कारो रूपमा यही भएपछि आकर्षण हामीप्रति देखिएको छ । ......... राजनीतिक आन्दोलन जति हुनुपर्ने थियो त्यो भयो, व्यवस्थाहरू आए, संघीयता, गणतन्त्र आए । अब आर्थिक क्रान्ति विशाल रूपमा जानुपर्‍यो । जनताको अपेक्षा पनि त्यही छ । हाम्रो पनि एजेन्डा त्यही भएकाले आकर्षण देखिएको हो । उदाउँदै गरेका केही अरू पार्टी छन्, त्यहीं संयोग भएको हो । अहिलेको प्रणाली भ्रष्ट भयो, डेलिभर गर्न सकेन, हामी गर्छौं भनेर उहाँहरूसँग पनि आकर्षण भएको हो । ........ हामीले समावेशिताको कुरा गर्‍यौं तर मधेश प्रदेशमा दलितलाई मन्त्री बनाउन सकिएन । महिलालाई मन्त्री बनाउन सकिएन । आफैं समावेशिताको नारा दिने तर आफ्नै धरातल एकदम कमजोर भयो । ठेट भाषामा जंगलराज भन्छौं, यसलाई कुशासन भन्दा पनि भयो, सुशासनको अभाव मात्रै भन्दा पनि भयो । आफ्नो प्रतिनिधित्वमाथि पनि भरोसा तोड्ने काम भयो । त्यही कारण पनि जनमत पार्टीको उदय भयो । सामाजिक न्यायको कुरा गर्छौं तर सामाजिक अन्याय लादियो । त्यो महसुस गर्छौं । त्यो अर्थमा पक्कै पनि मधेशकै पात्र र नेतृत्व दोषी छन् । जितेका पार्टीहरूको हरेक कार्यालय, हरेक स्तरसम्मै ठूलो दमन छ । जुन पार्टीहरू सत्तामा छन्, तिनीहरूको ठूलो दमन र सास्ती त्यहाँका जनताले भोग्नुपरेको छ । न्याय व्यवस्थाले सामाजिक न्यायलाई धरापमा पारेर अन्याय नै सिर्जना गरेको देखिन्छ । ......... अंकगणित नभएकाले हामीसँग संख्या कम छ । संख्या कम भएपछि स्वाभाविक रूपमा मधेश प्रदेशमै वा लुम्बिनी प्रदेशमा सरकार बनाउँदा अर्कोसँग मिल्ने बाध्यता हुन्छ । त्यो सरकार बनाउने बाध्यता भए पनि काम गर्दा प्रतिबिम्बित नहोस् भन्ने चाहन्छौं । त्यो जनमत पार्टीले गरेको काम हो भनेर स्वच्छ रूपले देखियोस् भन्ने चाहन्छौं । ........ मधेश प्रदेशमा कृषि मन्त्रालय र शिक्षा मन्त्रालय सम्हालेका थियौं । कृषि मन्त्रालयमा हामीले नयाँ भिजनअनुसार गर्दै गयौं, मुख्यमन्त्रीले रुचाइदिनुभएन । हामीलाई बिनाविभागीय बनाएर एक महिनादेखि राखिएको छ । हामीलाई किनारा लगाइयो । अरूभन्दा फरक तरिकाले सुशासन र भ्रष्टाचाररहित ढंगले काम गर्न खोज्दा ठाउँठाउँमा समस्या झेल्नुपर्‍यो । ........ जतिसुकै आदर्शका कुरा गरे पनि अन्ततः अंकगणितले अर्थ राख्छ । एउटा सिट पनि नजितेको भए हामी सिनमै हुने थिएनौं । मान्छेलाई बाहिरबाट भित्र्याएर भए पनि केही सिट जित्यौं, मधेश प्रदेश सरकारमा पनि सहभागी हुन पायो, त्यसपछि बल्ल हामी आफ्नो भिजन लगाउने चरणमा छौं । कालान्तरमा आफैंले नेतृत्व विकास गर्न लागेका छौं । त्यसका लागि समय लाग्छ । त्यो भएपछि हामीले टेकओभर गर्ने हो । .......... जितेर आएपछि पनि पटकपटक भेटें । अग्रजका हिसाबले मार्गदर्शन गर्नुस्, मधेशको एजेन्डामा हामी छौं, लाग्छौं, संसद्मा तपाईंले भनेअनुसार चल्छौं भनेको हो । ......... हामी छुट्टै पार्टी भइसकेपछि बाराको उपनिर्वाचनमा आफ्नो उम्मेदवार उठाउनैपर्‍यो । त्यो हाम्रो राजनीतिक धर्म हो, प्रणालीको आवश्यकता हो । त्यसलाई अरूले अर्थ्याइदिने भएकाले अन्यथा भएको हो । मेरोतर्फबाट सम्बन्ध सौहार्दपूर्ण छ तर संवाद अलिअलि कम भएको छ । ......... मन्त्री र सचिवज्यूले सिंहदरबारको एसी कोठामा बसेर बजेट बनाउनुहुन्छ .......... कर्मकाण्डी भयो, संसद् निरीह देखियो । सांसद र संसद् केही गर्न नसक्ने निरीह देखिएकाले समग्र संसदीय व्यवस्थामाथि नै प्रहार भएको हो भन्ने मलाई लाग्छ । ......... कांग्रेस सभापतिको जिल्लामा बजेट हेर्नुस् । अर्को प्रधानमन्त्रीज्यूको जिल्लाको बजेट हेर्नुस् । अर्थमन्त्री र अर्को सम्बन्धित मन्त्रीको जिल्लाको बजेट हेर्नुस् । जुनसुकै मन्त्रालयको फाइल पढ्दा हुन्छ । चार यार मिलेरै वास्तवमा बजेट लुटेका हुन् । ........ तपाईंले पनि राजनीतिमा एउटा विरोधाभास देखाइरहनुभएको छ । एकातिर सरकारले लुट्ने क्रम जारी राखेको छ, वैशाख १२ मा मतपेटिका लुट्यो अहिले बजेट लुट्यो भन्ने, अर्कातिर त्यहीं सरकारलाई समर्थन कायम राख्ने, तर सरकारमा सहभागी नहुने । यो त द्वैध चरित्र भएन र ? तपाईंहरूको यो कस्तो राजनीतिक नीति हो ? ......... म आफ्नो निर्वाचन क्षेत्रमा जाँदा के नीति बनाएर आउनुभयो भनेर सोध्दैनन् । कुन पुल लिएर आउनुभयो, कहाँको सडक बनाउनुहुन्छ, कुन स्कुल बनाउनुहुन्छ भनेर सोध्छन् । त्यै भएर जनताको मागलाई सम्बोधन गर्ने कुनै न कुनै संयन्त्र हामीसँग हुनुपर्छ । त्यो यो कोष हो । ........ आफ्नो निर्वाचन क्षेत्रको मागअनुसार बढीमा पाँच योजना सांसदले राखिदिने हो । त्यो योजना सम्बन्धित मन्त्रालयले कार्यान्वयन गर्ने हो । सांसदले पैसा बाँड्ने होइन । प्रदेशमा यो कार्यक्रम वितरणमुखी छ, तर संघको त्यस्तो हुँदैन । .

ललितपुर महानगरमा कक्षा ३ सम्म नेपाल भाषामा पढाइ हुने

नागरिकता पाउने बाटो खुल्यो सर्वोच्च अदालतले अन्तरिम आदेश दिन अस्वीकार गरेसँगै नागरिकता पाउने बाटो खुलेको छ । नागरिकता विधयेक प्रमाणीकरणसम्बन्धी रिटमा सर्वोच्चले अन्तरिम आदेश दिन अस्वीकार गरेको हो । बिहीबार न्यायाधीशद्वय डा.आनन्दमोहन भट्टराई र कुमार रेग्मीको संयुक्त इजलासले यसअघि एक न्यायाधीशको इजलासले दिएको अल्पकालीन अन्तरिम आदेशको निरन्तरता नहुने आदेश दिएको हो । ..... यससँगै प्रमाणीकरण भएको विधेयकका आधारमा नगरिकता पाउन योग्य भएकाहरुले नागरिकता प्राप्ति गर्ने बाटो खुलेको छ ।

बाबुरामको ठोकुवा : ०८४ को चुनावपछि नयाँ दलको नेतृत्वमा सरकार बन्छ
म कुनै कानुन र अदालतलाई मान्नेवाला छैन : बालेन शाह

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