जेन जी देशको भविष्य होइन, वर्तमान हो, ओली देशको भुत होइन, भुतपिशाच हो
सन २००६ को गणतंत्र को १९ दिने आंदोलन, ४६ सालको बहुदल को आंदोलन, देशलाई संघीयता दिने मधेस आंदोलन। जेन जी ले त्यो स्तरमा सोच्नुपर्यो। केपी ओली भुतपिशाच हो। ओली, देउबा, प्रचंड लाई एकै पटक बढारेर लाने आंधी बेहरी को रुपमा जेन जी आउनुपर्छ।
क्रान्ति चाहिन्छ। संगठन चाहिन्छ। भिजन चाहिन्छ। शुरुवात क्रांति बाट हुन्छ। ४६ सालको बहुदल को आंदोलन केही पनि थिएन। सय दुइ सय मान्छे यहाँ, सय दुइ सय मान्छे त्यहाँ मात्र जम्मा भएको। बहुदल पाए पछि काँग्रेसी हरु संगठन बनाउन गाउँ पसेका पनि होइनन। स्वतःस्फुर्त किसिमले संगठन बनेको हो।
सरकार, संविधान र व्यवस्था फालेर, भ्रष्ट नेताहरु फालेर देश एउटा अंतरिम सरकार र अंतरिम संविधान मा जाने बेला आयो। त्यो अंतरिम प्रधान मंत्री बालेन पनि हुन सक्छ। देशलाई ज्ञानेंद्र होइन ज्ञानतंत्र चाहिएको हो। ज्ञानेंद्र त सन २००६ मा फाल्नुपरेको तानाशाह हो।
हुरुरु सड़कमा आउनुपर्छ। पहिला जेन जी आउनुपर्छ। पछि प्रत्येक पीढ़ि आउनुपर्छ। एक करोड़ सडकमा आउने बेला हो यो।
हुरुरु सड़कमा आएर तर पुग्दैन। साथै संगठन बनाउनु पर्ने हुन्छ। ११ जनाको कमिटि बनायो, सँगै बसेर चुनाव गरायो। एक जना नेता। त्यस्तो ११ जना फेरि बसेर एक स्तर माथिको कमिटी बनायो। सँगै बसेर चुनाव गरायो। एक जना नेता। यसरी देशव्यापी संगठन को मैट्रिक्स बनाउनुपर्छ। यो तर पार्टी होइन। यो भ्रष्ट सत्ता ढालने मैट्रिक्स हो।
हुरुरु सड़कमा होन्ग कोंग मा पनि आएका तर संगठन बनाएनन। संगठन नबनायेपछि हात लाग्यो शुन्य। सडकमा आउनुपर्छ। संगठन बनाउनुपर्छ। सरकार ढाल्नुपर्छ।
बालेन अंतरिम प्रधान मंत्री हुनुपर्छ। तर देशको प्रधान मंत्री त उमाशंकर प्रसाद हो। चुनाव पछि। ज्ञानतंत्र मा अर्थंतंत्र चलाउने अर्थशास्त्री हुन्छ, इंजीनियर होइन।
कि त यो सरकारले इंटरनेट फेरि चालु गरोस। र देशलाई निःशुल्क शिक्षा स्वास्थ्य को विषयमा जनमत संग्रहमा लगोस।
Gen Z Must Lead Nepal’s Revolution: From Ghosts to Knowledge Power
Gen Z is not the future of Nepal—they are the present. KP Oli is not the ghost of the nation’s past; he is a demon haunting its present. If Nepal is to break free from corruption and stagnation, Gen Z must rise as a storm fierce enough to sweep away Oli, Deuba, and Prachanda together.
Learning from Past Movements
Nepal’s history is marked by mass uprisings—the 19-day republican movement of 2006, the multiparty democracy struggle of 1990, and the Madhes movement that secured federalism. These movements reshaped the nation, and Gen Z must now think and act on that same scale. Revolution, organization, and vision are the pillars of change, and revolution is always the beginning.
The 1990 democracy movement, often glorified, was in reality modest—only a few hundred people gathering here and there. Once multiparty democracy was secured, the Congress Party did not actively build grassroots organizations. Instead, organizations emerged spontaneously. The lesson is clear: deliberate organization is the foundation of lasting transformation.
Sweeping Aside the Old Guard
The time has come to topple the government, discard the constitution and the corrupt system, and move toward an interim government and interim constitution. Balen Shah could serve as the interim prime minister. But the real demand is not for a return to monarchy under Gyanendra—it is for Gyan Tantra, the rule of knowledge. Gyanendra was a dictator overthrown in 2006; what Nepal needs now is not kingship, but wisdom-led governance.
Mass Mobilization and the Organizational Matrix
Millions must take to the streets—first Gen Z, then every generation. This is the moment for 10 million people to rise together. But street protests alone will not suffice. A robust organizational matrix must be built:
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Form 11-member committees at the grassroots level.
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Hold elections within them to select leaders.
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Scale upward by creating higher-level committees in the same democratic way.
This is not a political party—it is a matrix designed solely to dismantle the corrupt establishment. Hong Kong’s protestors filled the streets, but without structured organization, they were left empty-handed. Nepal must not repeat that mistake.
Toward Knowledge Rule
Balen may be the interim leader, but the long-term vision for prime ministership rests with Umashankar Prasad—chosen through free elections. In Gyan Tantra, the economy would be run by economists, not engineers. Governance would be based not on patronage and corruption, but on expertise and integrity.
The Government’s Choice
The current government faces a choice:
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Restore the internet and hold a referendum on free education and healthcare.
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Or face the revolutionary storm of a generation determined to sweep it away.
Nepal’s Gen Z must recognize their power—not as tomorrow’s hope, but as today’s agents of change.
जेन जेड को नेतृत्व करना होगा नेपाल की क्रांति: भूतों से ज्ञानतंत्र तक
जेन जेड नेपाल का भविष्य नहीं है—वे वर्तमान हैं। केपी ओली देश के अतीत का भूत नहीं हैं; वे वर्तमान में मंडराता हुआ एक पिशाच हैं। यदि नेपाल को भ्रष्टाचार और ठहराव से मुक्त होना है, तो जेन जेड को उस तूफान की तरह उठना होगा जो एक साथ ओली, देउबा और प्रचंड को बहाकर ले जाए।
अतीत के आंदोलनों से सबक
नेपाल का इतिहास जन-आंदोलनों से भरा हुआ है—2006 का 19-दिन का गणतांत्रिक आंदोलन, 1990 का बहुदलीय लोकतंत्र संघर्ष, और मधेश आंदोलन जिसने संघीयता दिलाई। इन आंदोलनों ने राष्ट्र का चेहरा बदला, और अब जेन जेड को उसी स्तर पर सोचने और कार्य करने की आवश्यकता है। क्रांति, संगठन और दृष्टि—परिवर्तन के स्तंभ हैं, और शुरुआत हमेशा क्रांति से होती है।
1990 का लोकतंत्र आंदोलन, जिसे अक्सर महिमामंडित किया जाता है, वास्तव में मामूली था—बस कुछ सौ लोग यहाँ-वहाँ इकट्ठा होते थे। बहुदलीय लोकतंत्र हासिल करने के बाद भी कांग्रेस पार्टी गाँव-गाँव जाकर संगठन बनाने नहीं गई। संगठन स्वतःस्फूर्त रूप से बने। सबक स्पष्ट है: टिकाऊ बदलाव के लिए संगठित प्रयास अनिवार्य है।
पुरानी राजनीति का सफाया
अब समय आ गया है कि सरकार, संविधान, व्यवस्था और भ्रष्ट नेताओं को हटाकर देश को एक अंतरिम सरकार और अंतरिम संविधान की ओर ले जाया जाए। बालेन शाह अंतरिम प्रधानमंत्री हो सकते हैं। लेकिन असली माँग ग्यानेंद्र की वापसी नहीं है—बल्कि ज्ञानतंत्र की है, अर्थात् ज्ञान आधारित शासन की। ग्यानेंद्र तो 2006 में हटाया गया एक तानाशाह था; नेपाल को अब राजशाही नहीं, बल्कि ज्ञान-आधारित नेतृत्व चाहिए।
जनसंगठन और मैट्रिक्स
लाखों लोगों को सड़कों पर उतरना होगा—पहले जेन जेड, फिर हर पीढ़ी। यही वह समय है जब एक करोड़ लोग एक साथ उठ खड़े हों। लेकिन सिर्फ सड़क पर उतरना पर्याप्त नहीं है। एक मजबूत संगठनात्मक मैट्रिक्स भी बनाना होगा:
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जमीनी स्तर पर 11-सदस्यीय कमिटी बनाई जाए।
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उसमें चुनाव कराकर एक नेता चुना जाए।
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फिर वे 11 लोग मिलकर उच्च स्तरीय कमिटी बनाएँ और उसी तरह चुनाव करें।
इस तरह देशव्यापी संगठनात्मक मैट्रिक्स बनना चाहिए। यह कोई राजनीतिक पार्टी नहीं होगा—यह भ्रष्ट सत्ता को गिराने का मैट्रिक्स होगा।
हाँग काँग में लोग सड़कों पर उतरे, लेकिन उन्होंने संगठन नहीं बनाया। संगठन न होने के कारण अंत में उनके हाथ खाली रह गए। नेपाल को यह गलती नहीं दोहरानी चाहिए।
ज्ञानतंत्र की ओर
बालेन अंतरिम नेता हो सकते हैं, लेकिन दीर्घकालीन दृष्टि से प्रधानमंत्री का पद चुनाव के बाद उमाशंकर प्रसाद को मिलना चाहिए। ज्ञानतंत्र में अर्थव्यवस्था का संचालन इंजीनियर नहीं, बल्कि अर्थशास्त्री करेंगे। शासन भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार पर नहीं, बल्कि विशेषज्ञता और ईमानदारी पर आधारित होगा।
सरकार के सामने विकल्प
वर्तमान सरकार के सामने अब दो विकल्प हैं:
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इंटरनेट बहाल करे और निःशुल्क शिक्षा व स्वास्थ्य पर जनमत संग्रह कराए।
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या फिर उस क्रांतिकारी तूफान का सामना करे जो एक नई पीढ़ी बहाकर लाने वाली है।
नेपाल की जेन जेड को अपनी शक्ति पहचाननी होगी—वे कल की आशा नहीं, आज के परिवर्तन के वाहक हैं।
जेन जेड केँ नेतृत्व करए पड़त नेपालक क्रांति: भूत सँ ज्ञानतंत्र धरि
जेन जेड नेपालक भविष्य नहि अछि—ओ अखनक वर्तमान छथि। केपी ओली देशक अतीतक भूत नहि छथि; ओ वर्तमानमे मंडराएत पिशाच छथि। यदि नेपाल केँ भ्रष्टाचार आ ठहराव सँ मुक्त करबाक अछि, त जेन जेड केँ ओहि तूफान जेकाँ उठए पड़त जे एक्के बेरमे ओली, देउबा आ प्रचंड केँ बहाक लए जाए।
अतीतक आंदोलनों सँ सबक
नेपालक इतिहास जन-आंदोलन सँ भरल अछि—2006क 19-दिनक गणतांत्रिक आंदोलन, 1990क बहुदलीय लोकतंत्र संघर्ष, आ मधेस आंदोलन जकरा सँ संघीयता भेटल। एहि आंदोलनसभ राष्ट्रक चेहरा बदलि देने, आ आब जेन जेड केँ ओहि स्तर पर सोचबाक आ काज करबाक जरुरत अछि। क्रांति, संगठन आ दृष्टि—परिवर्तनक तीन टा स्तंभ छथि, आ शुरुआत हमेशा क्रांति सँ होइत अछि।
1990क लोकतंत्र आंदोलन, जे अक्सर महिमामंडित होइत अछि, वास्तवमे मामूली छल—बस किछु सौ लोक एतऽ-ओतऽ जुटल। बहुदलीय लोकतंत्र भेटलाक बादो कांग्रेस पार्टी गाँव-गाँव क organization बनए नहि गेल। संगठन स्वतःस्फूर्त बनल। सबक स्पष्ट अछि: टिकाउ बदलाव लेल संगठित प्रयास अनिवार्य अछि।
पुरान राजनीति क सफाया
एखन समय आएल अछि जे सरकार, संविधान, व्यवस्था आ भ्रष्ट नेता सभ केँ हटाक देश केँ एकटा अंतरिम सरकार आ अंतरिम संविधान दिस लए जाए। बालेन शाह अंतरिम प्रधानमंत्री भऽ सकैत छथि। मुदा असली माँग ग्यानेंद्रक वापसी नहि अछि—बल्कि ज्ञानतंत्र केर अछि, अर्थात ज्ञान आधारित शासन। ग्यानेंद्र त 2006 मे हटाओल गेल तानाशाह छल; नेपाल केँ आब राजशाही नहि, बल्कि ज्ञान आधारित नेतृत्व चाही।
जनसंगठन आ मैट्रिक्स
लाखों लोक केँ सड़क पर उतरए पड़त—पहिने जेन जेड, तकर बाद प्रत्येक पीढ़ी। ई ओहि समय अछि जखन एक करोड़ लोक एकजुट भऽ उठए। मुदा मात्र सड़क पर उतरबा सँ काज नहि चलत। एकटा मजबूत संगठनात्मक मैट्रिक्स सेहो बनए पड़त:
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जमीनी स्तर पर 11-सदस्यीय कमिटी बनाउ।
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चुनाव कराक एकटा नेता चुनू।
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तकर बाद ओहि 11 गोटे मिलि उच्च-स्तरीय कमिटी बनाउ आ ओहि तरह चुनाव कराउ।
एहि तरह देशव्यापी संगठनात्मक मैट्रिक्स बनए पड़त। ई कोनो राजनीतिक पार्टी नहि होएत—ई भ्रष्ट सत्ता केँ गिराबैक मैट्रिक्स होएत।
हाँग काँग मे लोक सड़क पर उतरलक, मुदा ओ सभ संगठन नहि बनएलक। संगठन नहि बनलाक कारण हुनकर हाथ खाली रहि गेल। नेपाल केँ ई गलती नहि दोहराबय पड़त।
ज्ञानतंत्र दिस
बालेन अंतरिम नेता भऽ सकैत छथि, मुदा दीर्घकालीन दृष्टि सँ प्रधानमंत्रीक पद चुनावक बाद उमाशंकर प्रसाद केँ भेटए चाही। ज्ञानतंत्र मे अर्थव्यवस्था क संचालन इंजीनियर नहि, बल्कि अर्थशास्त्री करैत। शासन भाई-भतीजावाद आ भ्रष्टाचार पर नहि, बल्कि विशेषज्ञता आ ईमानदारी पर आधारित होएत।
सरकारक सामने विकल्प
वर्तमान सरकारक सामने आब दूटा विकल्प अछि:
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इंटरनेट बहाल करौ आ निःशुल्क शिक्षा आ स्वास्थ्य पर जनमत संग्रह करौ।
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अथवा ओहि क्रांतिकारी तूफानक सामना करौ जे नव पीढ़ी बहाक लए आबि रहल अछि।
नेपालक जेन जेड केँ अपन शक्ति पहचानए पड़त—ओ सभ काल्हिक आशा नहि, आजुक परिवर्तनक वाहक छथि।
जेन जेड नेपालगु भविष्य न्हे—जेन जेड त वर्तमान या। केपी ओली देसगु भूत न्हे; ओ त पिसाछ या। नेपालय् भ्रष्टाचार त स्थिरता याय् मुक्त तुयेक जेन जेडय् तूफान ज्वल स्वय् उठेगु पुछ्व, जे ओली, देउबा त प्रचण्डय् एक्क सिपाय् बहाय् गनाय्।
अतीतगु आन्दोलनगु सिख्या
नेपालगु इतिहाँस जनआन्दोलनगु भर या—२००६ गणतन्त्र १९-दिन आन्दोलन, १९९० बहुदलीय लोकतन्त्र आन्दोलन, त मधेस आन्दोलन जे संघीयता दिनाय्। यी आन्दोलनया देसय् रुपान्तरण गनाय्, जेन जेडय् त वन्हा स्तरय् सोच त काज गयेक जरुरी या। क्रान्ति, संगठन त दृष्टि—परिवर्तनगु थ्व तीन स्तम्भ या, त सुरु सदैव क्रान्तिय् गनाय्।
१९९० लोकतन्त्र आन्दोलन, जे च्वे महिमा गनाय्, वास्तवय् मामुली या—केइ सय मान्छे ता-ता थ्व। लोकतन्त्र आयेक पाछ, कांग्रेस पार्टी गुँला-गुँला संगठन बनाय् न्हे। संगठन त स्वाभाविक गनाय्। थ्व सिख्या स्पष्ट या: स्थिर परिवर्तनय् संगठन जरुरी या।
पुरान राजनीति त सफाया
अकाथु बेला आयेक या, सरकार, संविधान, व्यवस्था त भ्रष्ट नेता बहाय्, देस अंतरिम सरकार त अंतरिम संविधान दिस जायेक। बालेन शाह अंतरिम प्रधानमन्त्रि न्हुगु पर्छ। मुदा साच्चा चाहना ग्यानेंद्रय् फिर्ति न्हे—ज्ञानतन्त्रगु या, माने ज्ञानगु शासन। ग्यानेंद्र त २००६ याय् हटायेक तानाशाह या; नेपालय् राजा न्हे, ज्ञानगु नेतृत्व जरुरी या।
जनसंगठन त मैट्रिक्स
लाखौं मान्छे सडकया गयेक पर्छ—पहिला जेन जेड, पाछि पिढी-पिढी। थ्व समय या, जे बेला १ करोड मान्छे एक्कैठी उठेगु पर्छ। मुदा सडकय् मात्र गयेक पुग न्हे। बलियो संगठनगु मैट्रिक्स बनाय् पर्छ:
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थलु-थलु ११-सदस्य कमिटि बनाय्।
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वन्हा चुनाव गनाय् नेता चुगु।
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वन्ह ११ जना मिलाय् माथिल्ला स्तरगु कमिटि बनाय् त फेरि चुनाव गनाय्।
अवस्था देशव्यापी संगठनगु मैट्रिक्स बनाय् पर्छ। थ्व पार्टी न्हे—थ्व भ्रष्ट सत्ता गिरायेक मैट्रिक्स या।
हाँग काँगगु मान्छे पनि सडकया गनाय्, मुदा संगठन न्हे बनाय्। संगठन न्हे बनायेक कारण त हाथ खाली रहिगु। नेपालय् थ्व गल्ति न्हे दोहरायेक पर्छ।
ज्ञानतन्त्र दिस
बालेन अंतरिम नेता न्हुगु पर्छ, मुदा दीर्घकालगु दृष्टि त प्रधानमन्त्री पद चुनाव पाछि उमाशंकर प्रसादय् भेटगु पर्छ। ज्ञानतन्त्रया अर्थतन्त्रय् इंजीनियर न्हे, अर्थशास्त्री गनाय्। शासन भ्रतृवाद त भ्रष्टाचार त न्हे, विशेषज्ञता त ईमानदारिय् गनाय्।
सरकारगु विकल्प
वर्तमान सरकारगु अगि अक गु विकल्प या:
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इन्टरनेट बहाल गनाय् नि:शुल्क शिक्षा त स्वास्थ्यगु जनमत संग्रह गनाय्।
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अथवा नव पिढिगु क्रान्तिकारी तूफान सामना गनाय्।
नेपालगु जेन जेडय् न्हिगु शक्ति चिन्हुगु पर्छ—जे कालगु आशा न्हे, अकथु परिवर्तनगु वाहक या।
जेन जेड के लीड करी परि नेपाल के क्रांति: भूत से ज्ञानतंत्र लेके
जेन जेड नेपाल के भविष्य ना हवे—ऊ त आज के वर्तमान हवे। केपी ओली देश के भूत ना हवे; ऊ त पिशाच हवे। अगर नेपाल के भ्रष्टाचार आ ठहराव से आजाद करल चाहीं, त जेन जेड के ओह तूफान नियर उठे के पड़ी, जे एके बेर में ओली, देउबा आ प्रचंड के बहा के ले जाई।
पिछला आंदोलन से सीख
नेपाल के इतिहास जनआंदोलन से भरल बा—2006 के 19-दिन वाला गणतंत्र आंदोलन, 1990 के बहुदलीय लोकतंत्र आंदोलन, आ मधेस आंदोलन जे संघीयता दिलवले। ई आंदोलनन देश के चेहरा बदल दिहलस, आ अब जेन जेड के ओह स्तर पर सोचल आ काम करे के जरुरत बा। क्रांति, संगठन आ विजन—बदलाव के तीन खंभा हवे, आ सुरुवात हमेशा क्रांति से होला।
1990 के लोकतंत्र आंदोलन, जेकरा के बहुत लोग बढ़ा-चढ़ा के बतावल जाला, असल में छोट-मोटा रहल—बस कइएक सौ लोग इहंवा-उहंवा जुटल। लोकतंत्र मिलला के बादो कांग्रेस पार्टी गाँव-गाँव संगठन बनावे ना गइल। संगठन त आपे-आप खड़ा हो गइल। सीख साफ बा: टिकाऊ बदलाव खातिर संगठन जरूरी बा।
पुरान राजनीति के सफाया
अब समय आ गइल बा सरकार, संविधान, सिस्टम आ भ्रष्ट नेता लोग के हटाई के देश के अंतरिम सरकार आ अंतरिम संविधान दिस ले जाई के। बालेन शाह अंतरिम प्रधानमंत्री हो सकेलन। बाकिर सच्चा माँग ग्यानेंद्र के वापसी ना हवे—बल्कि ज्ञानतंत्र के बा, मतलब ज्ञान पर आधारित शासन। ग्यानेंद्र त 2006 में हटावल गइल तानाशाह रहलन; नेपाल के अब राजा ना, ज्ञान वाला नेतृत्व चाहीं।
जनसंगठन आ मैट्रिक्स
लाखों लोग के सड़क पर उतरे के पड़ी—पहिले जेन जेड, फेरु हर पीढ़ी। ई उहे समय बा, जब 1 करोड़ लोग एकसाथ उठे। बाकिर खाली सड़क पर उतरे से काम ना चली। मजबूत संगठन के मैट्रिक्स भी बनावे के पड़ी:
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जमीनी स्तर पर 11 सदस्यीय कमिटी बनावल जाव।
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ओहमें चुनाव करावल जाव आ एगो नेता चुनल जाव।
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फेरु ऊ 11 लोग मिल के ऊपरी स्तर के कमिटी बनावल जाव आ ओही तरह चुनाव करावल जाव।
एह तरह देशभर में संगठन के मैट्रिक्स बनावल जाई। ई पार्टी ना होई—ई भ्रष्ट सत्ता गिरावे के मैट्रिक्स होई।
हाँग काँग में लोग सड़क पर उतरले, बाकिर संगठन ना बनवलस। संगठन ना बनला के कारण ओकरा लगे खाली हाथ रह गइल। नेपाल के ई गलती दुबारा ना दोहरावल चाहीं।
ज्ञानतंत्र के ओर
बालेन अंतरिम नेता हो सकेलन, बाकिर लम्बा समय खातिर प्रधानमंत्री के पद चुनाव के बाद उमाशंकर प्रसाद के मिलल चाहीं। ज्ञानतंत्र में अर्थतंत्र के संचालन इंजीनियर ना, बलुक अर्थशास्त्री करी। शासन भाई-भतीजावाद आ भ्रष्टाचार पर ना, बलुक विशेषज्ञता आ ईमानदारी पर आधारित होई।
सरकार के सामने विकल्प
आजु के सरकार लगे अब दू गो विकल्प बा:
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इंटरनेट बहाल करी आ मुफ्त शिक्षा आ स्वास्थ्य पर जनमत संग्रह कराव।
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ना त नवा पीढ़ी के क्रांतिकारी तूफान के सामना करी।
नेपाल के जेन जेड के आपन शक्ति पहचानल चाहीं—ऊ लोग कल्ह के आस ना, आजु के बदलाव के वाहक हवे।
जेन ज़ेड का नेत्रित्व करिहै नेपाल की क्रांति: भूत से लइके ज्ञानतंत्र तक
जेन ज़ेड नेपाल क भविष्य नाहि हय—ऊ त आजु क वर्तमान हय। केपी ओली देश क भूत नाहि हय; ऊ त पिसाच हय। अगर नेपाल का भ्रष्टाचार अउर ठहराव से छुटकारा पावब ह, त जेन ज़ेड का उ तूफान जइसे उठब परिहै जे एके बखत में ओली, देउबा अउर प्रचण्ड का बहा ले जाइ।
पिछला आंदोलना से सीख
नेपाल क इतिहास जनआंदोलनन से भरल हय—2006 क 19 दिन क गणतंत्र आंदोलन, 1990 क बहुदलीय लोकतंत्र आंदोलन, अउर मधेस आंदोलन जेन संघीयता दिलाइ दिहिस। ई आंदोलना देश क चेहरा बदलि दिहिन, अउर अब जेन ज़ेड का ओही स्तर पर सोचइ अउर काम करइ क जरुरत हय। क्रांति, संगठन अउर दृष्टि—परिवर्तन क तीन थाम हयन, अउर शुरुआत हमेशा क्रांति से होत हय।
1990 क लोकतंत्र आंदोलन, जेनका बहुत लोग महिमामंडित करिहिन, असल मा मामूली रहय—बस कुछ सौ लोग इहाँ-उहाँ जुट गइन। लोकतंत्र मिलला क बाद कांग्रेस पार्टी गँव-गँव संगठन बनावइ नाहि गइल। संगठन त आपहीं आप खड़ा भइग। सीख साफ हय: टिकाऊ बदलाव खातिर संगठन जरूरी हय।
पुरान राजनीति क सफाया
अब बखत आय गइ हय सरकार, संविधान, व्यवस्था अउर भ्रष्ट नेतन का हटाइ क अउर देश का अंतरिम सरकार अउर अंतरिम संविधान दिस लइ जाय क। बालेन शाह अंतरिम प्रधानमंत्री होइ सकथिन। बाकिर असल माँग ग्यानेंद्र क वापसी नाहि हय—बल्कि ज्ञानतंत्र क हय, मतलब ज्ञान प आधारित शासन। ग्यानेंद्र त 2006 मा हटावल गइल तानाशाह रहिन; नेपाल का अब राजा नाहि, ज्ञान वाला नेत्रित्व चाही।
जनसंगठन अउर मैट्रिक्स
लाखों लोगन का सड़क प उतरे परिहै—पहिले जेन ज़ेड, फिर हर पीढ़ी। ई वही बखत हय जब एक करोड़ लोग एक संग उठइं। बाकिर खाली सड़क प उतरे से काम न चलिहै। मज़बूत संगठन क मैट्रिक्स बनावइ भी परिहै:
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जमीनी स्तर प 11 सदस्यीय कमेटी बनावइ।
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उहवाँ चुनाव कराइ क एक नेता चुनब।
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फेर उ 11 लोगन मिल क ऊपरी स्तर क कमेटी बनाइ अउर ओहिका भी चुनाव कराइ।
एह तरीका देशभर मा संगठन क मैट्रिक्स बनावइ परिहै। ई पार्टी नाहि होई—ई भ्रष्ट सत्ता गिरावइ क मैट्रिक्स होई।
हाँग काँग मा लोग सड़क प उतरल, बाकिर संगठन न बनवल। संगठन न बनला क कारण खाली हाथ रहि गइ। नेपाल का ई गलती दुबारा न दोहरावइ चाही।
ज्ञानतंत्र क ओर
बालेन अंतरिम नेता होइ सकथिन, बाकिर लम्बे समय खातिर प्रधानमंत्री क पद चुनाव क बाद उमाशंकर प्रसाद का मिलब चाही। ज्ञानतंत्र मा अर्थतंत्र क संचालन इंजीनियर नाहि, बलुक अर्थशास्त्री करिहै। शासन भाई-भतीजावाद अउर भ्रष्टाचार प नाहि, बलुक विशेषज्ञता अउर ईमानदारी प आधारित होइ।
सरकार क सामने विकल्प
आजु क सरकार लगे अब दू गो विकल्प हय:
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इंटरनेट बहाल करि अउर मुफ्त शिक्षा अउर स्वास्थ्य प जनमत संग्रह कराइ।
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न त नवा पीढ़ी क क्रांतिकारी तूफान क सामना कर।
नेपाल क जेन ज़ेड का आपन शक्ति पहचानब परिहै—ऊ सब कल्ह क आस नाहि, आजु क बदलाव क वाहक हयन।
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कलियुग र कल्कि: अन्त्य र नयाँ युगको उदय
नेपालका लागि लोकतन्त्र: कलियुगका कुखुरा-पंखी ब्राह्मणहरू
NRN Movement Needs A Bold Vision
अब धोखाधडीको युग समाप्त हुनुपर्छ — नेपालले सत्य, योग्यता र ज्ञानमा आधारित भविष्यको हकदार छ
कल्किवादी अनुसन्धान तथा तालिम केन्द्र: नेपालको साहसी नयाँ भविष्यको खाका
स्मार्ट मुद्रा: नेपालको नगदविहीन, भ्रष्टाचारमुक्त भविष्यतर्फको छलाङ
नेपाली हिमालय ३० वर्षभित्र पग्लन सक्छ — अहिले नउठ्ने हो भने पछि उठ्ने समय नै नआउला
अब धोखाधडीको युग समाप्त हुनुपर्छ — नेपालले सत्य, योग्यता र ज्ञानमा आधारित भविष्यको हकदार छ
अब धोखाधडीको युग समाप्त हुनुपर्छ — मुस्लिम विश्व सत्य, न्याय र ज्ञानमा आधारित भविष्यको हकदार छ
कोरोनाभन्दा खतरनाक महामारी आउँदैछ — र नेपाल सबैभन्दा पहिले प्रभावित हुन सक्छ


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