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Wednesday, December 16, 2015

वानर सेना और ब्रिटिश और चिनिया

वानर सेना ने चीन के ओर सीधे हात बढ़ा दिया। दिल्लीवालों को समझने में मदत मिले कि इन लोगों ने ब्रिटिश को मदत क्यों किया। ऐसा मदत किया कि आज तक ब्रिटिश इन्हे थैंक यु थैंक यु कर रहे हैं। इनके मदत के बगैर ब्रिटिश तो फेंका गए थे। पंजाबी, मराठी, बंगाली सब के सब एक हो गए थे। कि हम आपस में बाद में झगड़ा करेंगे। पहले इन फिंरंगियो को चलो जा फेंकते हैं बंगाल के खाड़ी में। भगवान राम भी आज तक थैंक यु थैंक यु कर रहे हैं।

इन्हे लगा भारत ने नाकाबंदी की। तो अंग्रेज तो चले गए। तो कौन है? चीन। चलो चीन से बात करते हैं। चीन के लोगों ने समझाने की बहुत कोशिश की। कि देखो भारत नेपाल से ४०-५० गुना बड़ा देश है। पंगा लेना ठीक बात नहीं। हम चाहें तो नेपाल में आ के भारत के साथ प्रतिस्प्रधा कर सकते हैं। लेकिन करें तो तुम्हें ही घाटा है। इसलिए जाओ भारत से ही किसी तरह बात मिला लो। ये टुकुर टुकुर देखते ही रह गए। मैंने माँगा पेड़ा तुमने पेड़ा अभी तक दिया क्यों नहीं? तो चिनिया ने देखा ये पेट्रोल मांग रहे हैं। तो जरा घुमा के वही बात कही। कि हम तो सरकार चलाने वाले लोग हैं। हम तो पेट्रोल से डील नहीं करते। हाँ लेकिन एक कंपनी है हमारे देश में पेट्रो चाइना, वो शायद मदत कर सके। यानि कि चीन ने पहले ही वाली बात घुमा के कहा। कि इधर से पेट्रोल ले जाओ तो बहुत महंगा पड़ेगा। जाओ भारत से ही बात मिला लो। हम सुब्सिडाइज नहीं करेंगे। मार्केट रेट पर लो। फिर ढुवानी खर्च अलग से। उन्हें लगा जब इन्हे पता चलेगा महँगा है तो ये चले जाएंगे की चलो भारत से ही बात मिलाते हैं। लेकिन इसने कहा तो ठीक है लाओ किधर साइन करना है? निकालो कागज।

वानर जब बाजार जाता है तो जेब में पैसा ले के जाता है?

चीन में लोग अवाक रह गए। कोई सऊदी राजकुमार टिप में ५० डॉलर दे या ५०,००० उसको मतलब नहीं होता। पैसा ही इतना ज्यादा होता है। लेकिन चीन को बहुत अच्छी तरह मालुम है कि ये सामने वाला का जेब खाली है। तो क्या करें? तो उन्होंने दो महिने का टाइम दिया है। कि साइनिंग सेरेमनी मुहुर्त देख के दो महिने में करेंगे। तो ये खुश हैं। कि अब भारत कैसे नहीं झुकेगा देखते हैं।


वानर से लफड़ा लो तो आप का आँख नोच लेगा। कि आप कहिएगा, डरो, मेरे पास बैंक बैलेंस है, मेरे रिवाल्वर में गोली है, मेरे बॉडीगार्ड साइड में हैं, डरो। तो क्या सुपरपावर, कौन सुपरपावर? मोदी को ही देख लो, ऋषि मन ऋषि मन करते रह गए।

अगर चीन कहता तो ठीक है दोनों कोरिया के बीच एक दिवार है तो ये कहते वही बात तो हम करने आए हैं।

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