Saturday, December 26, 2015

राजेंद्र को देखा तो ऐसा लगा



जानवरो ने बेहोस कर दिया मार मार के
माथा स्कैन करना पड़ा
सर में पट्टी पाओं में पट्टी
दर्जनो साथ में घायल
विस्तर पर लेटे हैं अस्पताल में
जानवरो ने अस्पताल को भी ना छोड़ा

शायद वही वो मोड़ है आंदोलन की जब
सर पर कफ़न बाँध के बन्दुक उठाइ जाती है
पृथ्वी नारायण की जान बक्सी तिरहुतिया फ़ौज ने
गलती की
शायद यही वो मोड़ है
जहाँ पर गलती सुधारी जाती है

जमीन हमारा, मुल्क हमारी
ये सारा दुनिया हमारा
सात महाद्वीप पर फैले हैं हम

शायद यही वो मोड़ है
जहाँ अहसास किया जाता है
गांधी जी की शिक्षा गलत नहीं थी
ताकत तो अहिंसा में ही है

लाठी और बन्दुक उनके हाथ में है
दुनिया फिर क्युँ मेरे साथ में है?

नासमझ लोग हैं
ये मधेस आंदोलन नहीं
राष्ट्रिय आंदोलन है
समानुपातिक समावेशी
जनजाति के लिए भी
पहाड़के महिला के लिए भी
दलित के लिए देश भर के

सत्य आग्रह
सत्य आग्रह

एक मधेस दो प्रदेस उनके बच्चे के लिए
जो अभी भारत जाते हैं दरबान बनते हैं
दुनिया के शहरों में बेच दिए जाते हैं
मलेशिया जाते हैं, कतार जाते हैं
अमरिका बेलायत जाके बस जाते हैं

सत्य आग्रह
सत्य आग्रह

आकाश लाल हो जाता है
सुरज के दिखने से पहले
एक मधेस दो प्रदेस लाल आकाश है
आर्थिक क्रांति के सुरज का

सत्य आग्रह
सत्य आग्रह

केंद्र के संसद में उन दोनों प्रदेशो का
जनसंख्या समानुपातिक प्रतिनिधित्व
उनके बच्चे के लिए है
जो कल पहाड़ से मधेस आएंगे
जैसे कि वो अभी ही आ गए हैं

सत्य आग्रह
सत्य आग्रह

रोटी लोगे बेटी नहीं?
तो रोटी चली जाएगी
तो?

मधेसकी बहु
देशकी
प्रधान मंत्री क्यों नहीं हो सकती
देशको
तरक्की नहीं करना क्या?

जनजाति अधर्मी हैं जो
धर्म निरपेक्षता मांग रहे हैं?
सनातनी शैतान
तेरा नकाब उतर गया है
तु राम के हाथों हारा
फिर हारेगा
धरतीपुत्रों के हाथों
वध हो जाएगा
सम्हल जा
जग गया
अब ये जमाना

ए राजेंद्र तु मत घबराना
तेरे पिछे सारा जमाना







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