Pages

Showing posts with label Bangladesh. Show all posts
Showing posts with label Bangladesh. Show all posts

Monday, May 12, 2025

The Melting Glaciers: A Looming Crisis

 Melting of Himalayan glaciers has doubled in recent years

Climate change is not a distant threat for South Asia—it is a present and escalating crisis. The region, home to nearly two billion people, is experiencing severe impacts, particularly due to the rapid melting of Himalayan glaciers. These glaciers, often referred to as the "Third Pole" because they contain the largest reserve of freshwater outside the polar regions, are vital for the water security of countries like India, Pakistan, Nepal, Bhutan, and Bangladesh.(Wikipedia)


The Melting Glaciers: A Looming Crisis

Recent studies have shown that Himalayan glaciers are melting at an alarming rate. Since the start of the 21st century, these glaciers have been losing more than a vertical foot and a half of ice each year, which is double the melting rate from 1975 to 2000. In a symbolic gesture highlighting this crisis, Nepal held a funeral for the Yala Glacier on May 12, 2025, marking its near-disappearance due to climate change. (Phys.org, Financial Times)

The implications are profound. These glaciers feed major rivers like the Ganges, Indus, and Brahmaputra, which are essential for agriculture, drinking water, and hydropower. As glaciers retreat, the risk of glacial lake outburst floods (GLOFs) increases, posing threats to millions. A study indicates that 15 million people worldwide are at risk from such floods, with over half residing in India, Pakistan, Peru, and China. (New York Post, WIRED, AP News)


Projected Impacts in the Next Two Decades

If current trends continue, the next 10–20 years could see:

  • Water Scarcity: Glacier-fed rivers may experience reduced flow, especially during dry seasons, impacting agriculture and drinking water supplies.(New York Post)

  • Increased Flooding: Unpredictable monsoon patterns and GLOFs could lead to more frequent and severe floods.(WIRED)

  • Agricultural Disruption: Changes in water availability and extreme weather events could threaten food security.

  • Health Risks: Rising temperatures and water scarcity could lead to increased incidence of heat-related illnesses and waterborne diseases.


Mitigation and Adaptation Strategies

Addressing this crisis requires a multifaceted approach:

  • Emission Reductions: Implementing policies to reduce greenhouse gas emissions is crucial to slow down global warming.

  • Early Warning Systems: Investing in technology to predict and warn about GLOFs and extreme weather events can save lives.(WIRED)

  • Sustainable Water Management: Developing infrastructure and practices to use water more efficiently will help mitigate scarcity.(time.com)

  • Community Engagement: Educating and involving local communities in adaptation strategies ensures that solutions are practical and effective.


The Need for Collective Action

The scale of the challenge necessitates mass mobilization. Governments, civil society, and individuals must collaborate to implement and support climate-resilient policies and practices. International cooperation is also vital, as climate change knows no borders.

In conclusion, the melting of Himalayan glaciers is a clarion call for immediate and sustained action. The choices made today will determine the resilience of South Asia in the face of climate change.(Phys.org)




जलवायु परिवर्तन का संकट: दक्षिण एशिया के लिए हिमालयी ग्लेशियरों की चेतावनी


हिमालयी ग्लेशियरों का पिघलना: एक आसन्न संकट

जलवायु परिवर्तन दक्षिण एशिया के लिए कोई दूर की चेतावनी नहीं है—यह एक वर्तमान और तेजी से बढ़ता हुआ संकट है।
लगभग दो अरब लोगों की आबादी वाला यह क्षेत्र, विशेषकर हिमालयी ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से प्रभावित हो रहा है।
इन ग्लेशियरों को "तीसरा ध्रुव" भी कहा जाता है क्योंकि इनमें ध्रुवीय क्षेत्रों के बाद सबसे अधिक ताजे पानी का भंडार है।
भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे देशों की जल सुरक्षा इन्हीं पर निर्भर है।

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि हिमालयी ग्लेशियर खतरनाक गति से पिघल रहे हैं।
21वीं सदी की शुरुआत से अब तक ये ग्लेशियर हर साल औसतन डेढ़ फीट ऊँचाई तक पिघल चुके हैं — यह दर 1975 से 2000 तक की तुलना में दोगुनी है।
इस संकट पर प्रकाश डालने के लिए नेपाल ने 12 मई 2025 को याला ग्लेशियर के लिए एक प्रतीकात्मक "अंत्येष्टि" भी आयोजित की, क्योंकि यह लगभग गायब हो चुका है।

यह केवल बर्फ के पिघलने की बात नहीं है — इसके दूरगामी प्रभाव हैं:
गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियाँ इन्हीं ग्लेशियरों से निकलती हैं। ये नदियाँ खेती, पीने के पानी और जलविद्युत के लिए आवश्यक हैं।
जैसे-जैसे ग्लेशियर पीछे हटते हैं, ग्लेशियल झील फटने (Glacial Lake Outburst Floods - GLOFs) की घटनाएँ बढ़ती हैं, जो लाखों लोगों के लिए खतरा बनती हैं।
एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में 1.5 करोड़ लोग GLOFs के खतरे में हैं, जिनमें से आधे से अधिक भारत, पाकिस्तान, पेरू और चीन में रहते हैं।


अगले 10–20 वर्षों में संभावित प्रभाव

यदि वर्तमान रुझान जारी रहे, तो अगले दो दशकों में दक्षिण एशिया को निम्नलिखित संकटों का सामना करना पड़ सकता है:

  • जल संकट:
    ग्लेशियरों से मिलने वाला पानी धीरे-धीरे कम हो जाएगा, जिससे सूखे मौसमों में सिंचाई और पीने के पानी की समस्या होगी।

  • बाढ़ का खतरा:
    अनियमित मानसून और GLOFs के कारण अचानक बाढ़ें आम हो सकती हैं।

  • कृषि में अस्थिरता:
    पानी की उपलब्धता में बदलाव और चरम मौसम की घटनाएं खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बनेंगी।

  • स्वास्थ्य संबंधी खतरे:
    बढ़ते तापमान और जल संकट से गर्मी से संबंधित बीमारियाँ और जलजनित रोग बढ़ सकते हैं।


समाधान और अनुकूलन की रणनीतियाँ

इस संकट का मुकाबला करने के लिए कई स्तरों पर प्रयासों की आवश्यकता है:

  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती:
    वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने के लिए उत्सर्जन में तत्काल कमी जरूरी है।

  • पूर्व चेतावनी प्रणाली:
    GLOFs और चरम मौसम की भविष्यवाणी करने वाली तकनीकों में निवेश कर जानमाल की रक्षा की जा सकती है।

  • जल प्रबंधन का आधुनिकीकरण:
    जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए बुनियादी ढाँचे और व्यवहार में सुधार आवश्यक है।

  • जन सहभागिता:
    स्थानीय समुदायों को शिक्षित करना और उन्हें समाधानों का हिस्सा बनाना स्थायी परिणाम देगा।


एकजुट जन आंदोलन की आवश्यकता

इस संकट का सामना करने के लिए केवल सरकारी नीतियाँ काफी नहीं होंगी।
हमें समाज के हर स्तर पर जन आंदोलन की आवश्यकता है — नीति-निर्माताओं, नागरिक संगठनों, स्कूलों, और व्यक्तिगत स्तर पर।
जलवायु परिवर्तन सीमाओं को नहीं मानता, इसलिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी अत्यंत आवश्यक है।


निष्कर्ष

हिमालयी ग्लेशियरों का पिघलना एक गंभीर चेतावनी है।
यह केवल पर्यावरण की बात नहीं है — यह जल, खाद्य, ऊर्जा और मानव जीवन की सुरक्षा की बात है।
आज लिए गए निर्णय यह तय करेंगे कि दक्षिण एशिया जलवायु संकट का सामना कैसे करेगा।
अब भी समय है — अगर हम संगठित, जागरूक और सक्रिय हो जाएं तो सबसे बुरे परिणामों से बचा जा सकता है।


Wednesday, March 09, 2016

नेपालले बंगलादेश बाट सिक्नुपर्ने

Bangladesh, India sign $2 billion new line of credit
Bangladesh and India have signed a new $2 billion credit agreement to implement socio-economic development projects in Bangladesh ..... This is the biggest line of credit India has extended to any country so far. ..... The interest rate has been fixed at 1 per cent annually with a 20-year repayment term, including a five-year moratorium...... India first extended a Line of Credit of $1 billion to Bangladesh in 2010...... Of this, $200 million was later converted into grant ..... The Second Line of Credit will fund social and infrastructure development projects in the power, railways, road, transport, information and communication technology, shipping, health and technical education sectors.

Tuesday, December 01, 2015

चार देशमा बायोमेट्रिक आईडि

१० बर्ष भित्र आर्थिक एकीकरण गर्ने निर्णय गरेका चार देश नेपाल, भारत, भुटान, बंगलादेश ले आफ्नो भूभाग का सबै मानिसको चार देशमा बायोमेट्रिक आईडि बनाउने तर्फ सोँच्नु पर्छ। अनि बॉर्डर क्रासिंग, एयरपोर्ट, रेल स्टेशन, बस स्टेशन जस्ता प्रमुख ठाउँ मा स्मार्ट सीसा मा ल्याप्चे लगाए जस्तो छुने गर्न सकिन्छ।  औंठा मा एंटीसेप्टिक ले साफ गर्दै ठयाप्प। अनि एउटा सेंट्रल डाटाबेस मा त्यो अंकित हुन्छ। यसले लॉ एंड आर्डर मेन्टेन गर्न मदत गर्छ नै। आर्थिक गतिविधि मा पनि मदत पुग्छ। बैंकिंग सेवा लाई गरीब से गरीब सम्म पुर्याउन सकिन्छ। बायोमेट्रिक आईडि का आधारमा मानिस हरुको क्रेडिट हिस्ट्री बन्छ। लोन लिन पाउने हुन्छ। सान्तिनो बिजनेस व्यापार गर्न पायो। बायोमेट्रिक आईडि का आधारमा बैंक खाता नभएकाले बैंक खाता खोल्न पायो। भौतिक पूर्वाधार नै नचाहिने नभएको बैंक हरु खुल्छन्। सस्तो स्मार्टफोन मा बायोमेट्रिक आईडि को आधारमा सर्विस दिने खाल का एप्प हरु बनलान। चार देशका सुरक्षा निकाय हरुले एक अर्का सँग सहकार्य गर्न सजिलो हुने हुन्छ। बायोमेट्रिक आईडि ले ecommerce फस्टाउने हुन्छ। कुना कुनामा ecommerce पुग्छ। बायोमेट्रिक आईडि ले निष्पक्ष इलेक्ट्रॉनिक चुनाव गर्न पनि मिल्छ। आफ्नो औंठा त अरुले बोकेर हिड्ने कुरा आउँदैन। चुनाव को नतिजा तुरुन्त आइपुग्छ। चार देशका नागरिकले एक ले अर्का को देशमा वोट चाहिँ खसाल्न पाएन अरु सब पायो। हुन त आर्थिक एकीकरण पछि जसले पनि गर्ने भनेको राजनीतिक एकीकरण नै हो। बायोमेट्रिक आईडि फेरि नागरिकता जस्तो होइन कि कानुन विधि पुर्याउनु पर्ने। सिंपल। बायोमेट्रिक आईडि ले चार देशमा रहेको statelessness को समस्या पनि कंट्रोल गर्न मदत गर्छ। जुन कि अति ठुलो समस्या हो र मानव अधिकार को हनन हो। जुन देशमा व्यापक statelessness छ त्यो लोकतान्त्रिक देश नै होइन।


Sunday, November 22, 2015

सप्तरी मा गरिएको युद्ध घोषणा एउटा निर्णायक मोड़ हो

नाकाबंदी ले मत्थर पारेको फ़ासिस्ट दमन र हत्या श्रृंखला फेरि शुरू गरिएको छ। तीन बाहुन दल लाई विभेदकारी संविधान लेख्न केही गार्हो परेन। अहिले मधेस आंदोलन को माग सम्बोधन गर्न एकले अर्का लाई दोष दिने नौटंकी गर्दैछन्।

यो आंदोलन असीमित समय का लागि होइन र हुन सक्दैन। सोशल मीडिया मा र प्रवास मा देख्न सकिन्छ खस समुदाय को नस्लवादी सोंच जताततै छताछुल्ल छ। यो एक हुनुपर्ने देश नै होइन भन्ने सन्देश प्रवाहित हुँदैछ। मैले आफ्नै चिनजान का मानिस बीच पनि कोही एक जना पनि अपवाद देख्न सकिरहेको छैन। ध्रुवीकरण पुर्ण छ।

मोदीले इंदिरा गांधी को दुर्गा रूप धारण गर्नुपर्ने समय आउन लाग्यो। यदि देश एक बाट दुई हुन्छ भने सकेसम्म कम ज्यु ज्यान को क्षति हुने गरी कसरी नया मधेस देश पैदा गर्ने --- त्यस तर्फ सोंचने बेला आउन लाग्यो। क्षेत्रीय शक्ति दिल्ली हो। भारतीय हो भनेरै नेपालमा मधेसी लाई हेला गर्ने गरिएको छ। त्यो दिल्लीको चासो को विषय हुन जान्छ।

हामी जस्ता देश बाट टाढा सुरक्षित ठाउँ मा बसेका ले कतिन्जेल सम्म सड़क का आंदोलनकारी लाई आहुति दिइ राख भनिराख्ने? एउटा विन्दु बाट उता त्यो एउटा स्वार्थी सोंच जस्तो देखिन लाग्छ। This can not go for too much longer. A time to make a firm decision will soon come.

मधेस भुगोल हो। मधेस देशले त्यो भुगोल क्लेम गर्छ। त्यहाँ बसेका नेपाली भाषी ले एक व्यक्ति एक मत पाउने हुन्छ। संपत्ति सुरक्षित रहन्छ। नेपाल ले १० वर्ष पछि गर्छु भनेको भारत सँग को आर्थिक एकीकरण मधेस ले जन्म साथ गर्छ। मौद्रिक एकीकरण हुन्छ। बरु भुटान ले जस्तो सुरक्षा भारत लाई नै दिन सकिन्छ। जन्म का समय मा देशको उत्तरी सीमा को क्लेम र सुरक्षा भारतीय सेनाले गर्नु उत्तम हुन्छ। नेपाल का सुरक्षाकर्मी लाई वापस आफ्नो देश जान दिने व्यवस्था मिलाउने काम पनि भारतीय सेनाले गर्नु उत्तम हुन्छ।

देशमा सरकारी कामकाजको भाषा हिंदी हुन्छ। संयुक्त राष्ट्र संघ  छैठौ भाषा बनाउनु पर्छ।

मानव अधिकार, एक व्यक्ति एक मत, समानता, न्याय ---- यसका लागि दुई त के देशलाई हजार टुकड़ा गरिन्छ। मधेस पहिला मुग़ल साम्राज्य को अंग नै त थियो। कति समय पो बित्यो र? ब्रिटिश गयो। उसको सीमाना पनि जान्छ अब।

बरु तिम्रो देश को नाम नै खसान राख। नेपाल भन्दा confusion भो। एक सुझाव।










Monday, August 31, 2015

देश एक राख्ने मधेसी जनजाति एकताले मात्र हो अब

देश एक राख्ने मधेसी जनजाति एकताले मात्र हो अब। होइन भने अहिले सम्म जनजाति नजागेको भए मधेसी जनता अलग देश को बाटो मा हिंडिसकेको हुने।


Wednesday, August 26, 2015

संभावना हरु


  1. चरी-घैंटे गठबंधन सरकार झुक्ने र गिरिजा ले जस्तै सुशील ले माग पुरा गर्ने। सीमांकन, नामांकन, नागरिकता, केंद्र प्रदेश शक्ति बिभाजन सबै अंतरिम संविधान मैं पुग्ने। 
  2. दमन बढ्ने। Polarization बढ्दै जाने। क्रांति काठमाण्डु का सड़क मा पुगेर चरी-घैंटे गठबंधन सरकार ढलने। नया क्रांतिकारी अंतरिम सरकार बनने। यो संविधान सभा समाप्त भएर नया संविधान सभाको चुनावको घोषणा। 
  3. दमन अत्यधिक बढ़ेर Polarization चरमोक्तर्ष मा पुग्ने। मधेसी थारु सभासद मधेस मा भेला भएर मधेस अलग देश को घोषणा र देशको विभाजन। 


Wednesday, August 05, 2015

देश मधेसी क्रांति ३ तर्फ लम्केको हो?

सुन्नमा आएको छ कि मस्यौदा संविधानमा रहेको प्रत्यक्षतर्फको १६५ सिटलाई ७५ जिल्लाको ७५ वटा सिट र बाँकी ९० वटालाई जनसंख्याको आधारमा बाँडिने छ । यसरी बाँडिदा मधेशमा २० जिल्लाको २० सिट र बाँकी ९० सिटको जनसंखयाको आधारमा ५० प्रतिशत गर्दा ४५ सिट हुन्छ यसरी मधेसमा ६५ सिट अधिकत्तम पर्नेछ । जुन सरासर जनसंख्याका आधारमा जनप्रतिनिधित्वको सिद्धान्तको विपरित हुन्छ । मस्यौदा सँविधानलले देशको संरचनालाई तीन तहमा विभाजन गरेको छ स्थानीय निकाय, प्रदेश र संघ (केन्द्र) । भनेपछि संविधानले नचिनेको संरचनाको आधारमा सिट वाँडफाँड गर्न पाइन्छ ? जिल्लाको अवधारणा नै नभएको संविधानमा जिल्लालाई आधार मान्दा काठमाडौ र ललितपुर जिस्ता जिल्लालाई समेत १ सिट मात्र दिँदा यँहाको जनसंख्या माथि पनि ठुलो अन्याय हुन्छ । भोली प्रदेशले जिल्लाको संरचना प्रदेशमा नराख्न पनि सक्छ । भारतमा पनि लोकसभाले प्रत्यक्षतर्फको सिट प्रदेशको जनसंख्याको आधारमा बाँडेको छ । जस्तै उत्तर प्रदेशमा ८० विहारमा ४० झारखण्डमा १४ उत्तराखण्डमा ५, सिक्किममा १, नागालैण्ड र मिजरिममा १ सिट रहेको छ । १ सिट न्युनतम मानी बाँकी प्रदेशको जनसंख्याको आधारमा बाँडिन्छ । त्यस्तै नेपालमा न्युनतम एक प्रदेशमा एक सिट रहने गरी बाँड्नु पर्दछ । जिल्लालाई मानी बाँडिएको प्रत्यक्ष तर्फको १६५ सिट अलोकतान्त्रिक, मधेश र काठमाडौमाथि अन्याय र द्घन्द्घको बिउ रोप्ने हुन्छ ।



१५ दिन लाठी जुलुस निकालो और अपना देश बनाओ
The Splitting Of Czechoslovakia
मधेसी क्रांति को कार्यतालिका
मधेस सरकारको अंतरिम संविधान
अहिंसात्मक क्रांति नै हुन लागेको हो
नेपालभित्र समानता को संभावना देखिएन, मधेस अलग देश बन्छ अब

कदम हरु
  • मधेसी सभासद हरु बाट संविधान सभा बाट सामुहिक राजीनामा 
  • बीरगंज अथवा जनकपुर मा भेला र मधेस अलग देश को घोषणा 
  • १५ दिन लाठी जुलुस को कार्यक्रम -- गाउँ गाउँ शहर शहर क़स्बा क़स्बा 
  • दिल्ली तथा विश्व का अन्य राजधानी हरु सँग मान्यता प्राप्ति का लागि पत्राचार 
  • उत्तरी छिमेकी सँग राजदुत आदान प्रदान र द्वैध नागरिकता सन्धि नभएसम्म उत्तरी छिमेकी का सम्पुर्ण नाका बंद 
  • मधेस का सम्पुर्ण सरकारी कार्यालय, प्रहरी चौकी, ब्यारेक कब्ज़ा 
  • अंतरिम सरकार को स्थापना, अंतरिम संविधान को घोषणा, संविधान सभा निर्वाचन को तिथि घोषणा 
  • मधेस को मुद्रा भारत को मुद्रा बराबर 
तर योभन्दा पहिला 
  • संविधान सभा भित्र अंक गणित को लडाइ 
  • त्यस पछि सर्वोच्च र शीतल निवास को लडाइ 
  • अनि मात्र मधेसी क्रान्ति ३ को घोषणा 
मधेस, कोशी, कर्णाली: नारायणघाट, काठमाण्डु, पोखरा: तीन प्रदेश

Wednesday, July 29, 2015

नेपाल ले बांग्लादेश ले जस्तो किन गर्न नसकेको?

संघीयता बारे अबुझ हरुको अनावश्यक गंथन

मोदी ले बिलियन डॉलर लोन दिए। ठुलो रकम हो। बांग्लादेश लाई पनि दिए, मंगोलिया लाई पनि। बिभिन्न देश लाई दिए। बांग्लादेश ले त्यों पैसा सबैभन्दा चाडो र राम्रो सँग खर्च गर्यो भनेर मोदीले प्रशंसा गरे।

सुशील ले त्यो पैसा छुँदै छोएन। त्यति बेला कुनै नेपाली कराएन।

आखिर हार खाएर भारत सरकार ले हाम्रो नजरमा सबैभन्दा क्रिटिकल यो काठमाण्डु हेटौंडा फ़ास्ट ट्रैक हो भनेर किटान पनि गरे र त्यस का लागि आखिर काम गर्ने भनेको प्राइवेट कंपनी ले नै हो। त्यो कंपनी पनि खोजिदिए। खोजिदिए पछि बल्ल नेपालमा मान्छे जाग्न थाले।

शुरू मा भारत ले त्यो बिलियन डॉलर लोन दिंदा no strings attached नै थियो। नेपाल ले त्यस पैसाले १०,००० बिद्यालय भवन निर्माण गरेको भए हुने। नेपालको इच्छा।

नेपाली नेता हरु आफ्नो आंगको भैंसी न देख्ने।

ठीक छ, भारत को नियत ख़राब छ भने बांग्लादेश बाट सिक्ने। बांग्लादेश ले ख़ुशी ख़ुशी त्यो बिलियन डॉलर उपयोग पनि गरेको छ, प्रशंसा पनि बटुलेको छ। नेपाल ले बांग्लादेश ले जस्तो किन गर्न नसकेको?



फास्ट ट्रयाक नेपाली कम्पनीले नै बनाउन सक्छन् : बाबुराम
सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) अबधारणा भन्दा अन्य उत्तम विकल्प रहेको ..... ‘सरकारले आफ्नै स्रोत, प्रचलित टेण्डर वा ईपिसी मोडेल अन्तर्गत गर्दा पीपीपी भन्दा आयोजनाको लागत घट्न गई यात्री तथा ढुवानीमा टोल महसुल लगाउनै नपर्ने हुन जान्छ,’ उनले भने, ‘सरकारले पीपीपी मोडेल अन्तर्गत छिट्टै नै विदेशी निजी कम्पनीसँग सम्झौता गर्ने विषयको खबरले मेरो गम्भीर ध्यानाकर्षण भएको छ ।’ सरकारले भित्रभित्रै विभिन्न तयारी गरिरहेको अनौपचारीक जानकारी पाएको बताउदै भट्टराईले भने, ‘एकाङगी रुपमा वित्तिय, व्यवस्थापकीय तथा कानुनी हिसाबले राष्ट्रीय हित प्रतिकूल हुने गरी प्रक्रिया अगाडि वढाएको भन्ने आशंका जन्माएको छ ।’ ...... सामाजिक, आर्थिक, रणनीतिक दृष्टिकोणले समेत महत्वपूर्ण रहेको जनाउदै दु्रत मार्ग दोस्रो अन्तर्राष्ट्रीय विमानस्थललाई राजधानीसँग जोड्ने ‘लाइफलाइन’ हुने उनको धारणा छ । ‘सम्भव भएसम्म सरकारकै स्वामित्व र सञ्चालनमा पूर्ण नियन्त्रण हुनु आवश्यक छ,’ उनले भने । निर्माण लागत ९८ अर्ब रहेको अनुमानीत तथ्याङक पेश गर्दै निजी कम्पनी संलग्न गर्दा आइपर्ने सम्भाव्य वित्तिय जोखिम जानकारीमा नआएको बताए । ‘१५ अर्ब रुपैयाँ प्रत्यक्ष अनुदान दिदैछ । सवारी परिमाण कम हुने देखिएकोले कम्पनीको आम्दानीमा हुने घाटा सरकारले व्यहोर्नु पर्ने शर्त छ,’ उनले भने, ‘यस्तो क्षतिपूर्तिको रकम वर्षको दशौं अर्बसम्म हुन सक्ने छ । भारत सरकारवाट प्राप्त ऋण सहयोगको रकम मध्ये

७५ अरब ३ प्रतिशतको सहुलियत व्याज दरमा

निजी कम्पनीलाई ऋण दिने प्रावधान छ ।’ १५ अर्ब अनुदान, ७५ अर्ब ऋण गरी कुल ९० अर्ब नेपाल सरकारले नै विदेशी कम्पनीलाई दिने शर्तका साथ काम अघि बढेको उनको आरोप छ ।

Wednesday, July 08, 2015

बामेले देशमा युद्ध को ऐलान गरेको हो?

नेपाल प्रहरी ले तल देखि माथि विरोध गर्दा गर्दै बामे ले सशस्त्र प्रहरी लाई मान्छे समात्ने र आफ्नो इच्छा लागेको बेला गोली ठोकने अधिकार दिएको समाचार बाहिर आएको छ। यो त युद्धको ऐलान हो। युद्ध कसका विरुद्ध घोषणा गरिएको हो? मधेसी जनता ले गृह युद्ध न थालेकोले बामे लाई आपत्ति हो? यो पटमुर्ख मुजी।

माओवादीको पहाड़मा भा जस्तो हुँदैन। युद्ध भयो भने। भारत बंग्लादेश पसेथ्यो --- याद गरेस।

यो वास्तवमा महाको उल्लु हो। छेउ टुप्पोको ठेगान छैन यो चुतिया लाई। राजतन्त्रात्मक व्यवस्थामा पनि राम्रो राजाले सकेसम्म हिंसा र युद्ध को बाटो लिन नपर्ने तरकीब हरु सोंचछ। किनभने एक चोटि युद्ध शुरू भए पछि त्यसका अनेक अप्रत्याशित उदेकलाग्दा पक्ष हुन्छन्। Wars are always ugly.

मधेसी ले समानता लिन्छ, त्यो भन्दा घटी एक इंच मान्दैन। भने पछि त्यो समानता को राजनीतिक प्रयास गर्ने हो। It is almost within reach. अहिले जुन मस्यौदा आएको छ त्यो नै नेपालको अर्को संविधान हो भने मधेश अलग देश पनि कम भयो भन्छु म त --- पुरा देश नै हामी ले कब्ज़ा गरौं भन्छु मैले।

तर लोकतन्त्रको करामत। अंतरिम संविधान को रक्षा का लागि न्यायपालिका छ, राष्ट्रपति छ। र मधेसी समानता अंतरिम संविधान मा आइसकेको कुरो।

गृह युद्द भयो भने बामे हेलीकॉप्टर चढ्छ --- मर्ने भनेको नेपाल प्रहरी का जवान हरु हो। यो बामे मुजीको warlordism सोंच। उसलाई सोमालिया को जस्तो warlord बन्न मन लागेको। नेपाल गरीब state भएर पुगेको छैन उसलाई, उसलाई चाहिएको failed state.

अनि यो युद्ध ऐलान बारे सुशील को के छ? कि the left hand does not know what the right hand is doing भन्ने अवस्था छ। युद्ध शुरू भए पछि थाहा पाउने हो सुशील ले? युद्ध त शुरू भैसक्यो। गोली चलाउने अधिकार भनेको के? युद्ध को ऐलान बाहेक अर्को के अर्थ लाग्छ त्यसको?

बामे ले यसमा कुनै विदेशी बन्दुक हात हतियार कम्पनी सँग पैसा खाएको हुन सक्ने ठुलो संभावना छ। उनी हरुलाई हतियार बेच्नु पर्ने हुन्छ --- रोजीरोटी को कुरा उनका लागि। अनि युद्ध चाहिरहेको हुन्छ। युद्ध शुरू गर्ने अनि दुबै पक्ष लाई हतियार बेचने।

बामे गन्हाउन थालेको अहिले देखि होइन --- तर यो त अति भो।

यत्रो ठुलो कदम यो त संसदले बहस र वोट गर्नु पर्ने कुरा हो। एउटा पागल कुत्ता को अधिकार बाहिर को कुरा यो। प्रहरी ज्यादती (police brutality) ले उसे पनि आक्रांत र तरंगित रहेको छ मधेश। यो चाहिँ मधेश मा गृह युद्ध नभए आफ्नो दाना पानी नचल्ने हरुको कदम हो।

नेपालको प्रत्येक क्रांति को शुरुवात मधेश बाट भएको छ।

मधेशमा गृह युद्ध हुनु भनेको नेपाल failed state को बाटोमा जानु हो।  हाहाकार हुन्छ काठमाण्डु मा। जानु पर्ने आर्थिक क्रांतिको बाटो बामे ले लान लागेको छ failed state को बाटो।

गृह मंत्री एक्लैले गृह युद्ध को ऐलान गर्न पाउने कानुन सम्मत र संविधान सम्मत हुनै सक्दैन। Out of question. भने पछि यो निर्णय लागु कसरी भयो?




सिमाकंन टुंग्याउने प्रयासमा छौं: भट्टराई
शीर्ष तहबीच सिमाकंन टुंग्याएरै जाने विषयमा अनौपचारिक छलफल भएको र त्यसमा सबै सकारात्मक रहेको जनाए । ..... प्रदेशको सिमाकंन बिनाको संविधान स्विकार्य नहुने भन्दै मधेसी दलबाट त्यसको बिरोध भइरहेको र सर्वोच्चले पनि त्यो अन्तरिम संविधान विपरीत हुने आदेश दिएका बेला प्रमुख दल सिमाकंनलाई टुंग्याएर जाने मनस्थिति बनाएको देखिन्छ । .... विवादका विषय आयोगलाई जिम्मा दिने गरी कांग्रेस-एमालेले ल्याएको ७ प्रदेशको खाकामै केही हेरफेर गरेर ८ प्रदेशको सीमा निर्धारण गर्न सकिने भट्टराईको कथन छ । ..... '१६ बुँदे गर्दाका बेला अन्तिम बेलासम्म सिमाकंन सहितकै सहमतिमा हाम्रो जोड थियो,' उनले भने-'तर, परिस्थितिबस सम्झौता गर्नुपर्यो । अहिले त्यसलाई सच्याउने प्रयासमा छौं ।' उनले कुनै कारणबश अहिले सिमाकंन हुन नसकेपनि संघीयता कसैले खोस्न नसक्ने दावी गरे । 'धर्म निरपेक्ष, गणतन्त्र, सघीयता,समावेशिता, अब कसैले खोस्न सक्दैन,' उनले भने । .... उनले २००७ सालदेखिको लडाईँलाई अब संस्थागत गरेर अगाडि बढ्नुपर्ने बेला आएको भन्दै मुलुक सधैं राजनीतिक एजेन्डाकै आन्दोलनमा अल्झिरहन नहुने उल्लेख गरे । 'अब नयाँ युग, नयाँ एजेन्डामा प्रवेश गर्नुपर्छ,' उनले भने 'मुलकुलाई आर्थिक क्रान्तिको दिशामा लैजान ढिला गर्नुहुन्न ।'
आउँदै गरेको संविधान नमान्ने चन्दको घोषणा
‘हामी संविधानविरोधी होइनौँ, पराजित र असफल नीति–नियम लाद्ने हो भने आँधीबेहरीसहितको क्रान्तिले संविधान लेख्छ,’ उनले भने, ‘जनताले शान्ति र समृद्धि नपाए क्रान्ति आवश्यक हुन्छ, क्रान्तिलाई कानुनको बारले छेक्दैन।’ ..... चन्दले आफूहरूले कांग्रेस, एमाले र एकीकृत माओवादीका अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड र वरिष्ठ नेता बाबुराम भट्टराईबाट धोका पाएको दाबी गरे।
सशस्त्रलाई दिएको अधिकार फिर्ता लेऊः तमलोपा

सशस्त्रलाई पक्राउ गर्ने लगायतका अधिकार दिएकोमा नेपाल प्रहरीले पनि असन्तुष्टि जनाउँदै आएको छ ।


Sunday, May 31, 2015

नेपाल लाई सिक्किम बनाउनु पर्छ

Towns of Sikkim, India Names in green are the ...
Towns of Sikkim, India Names in green are the district capitals. The red dot is the state capital, Gangtok. (Photo credit: Wikipedia)
Sikkim at 40: Small state with surprising success
In the 40 years since Sikkim became India's 22nd state, the erstwhile Himalayan kingdom has been flying under the radar in accomplishing the near-impossible. ..... Its impressive record in literacy, poverty alleviation, sanitation and organic farming makes it nearly unparalleled not just in the region but in, perhaps, all of Asia. ...... With a population of just 6,10,000 Sikkim, the least populated state in India, has its per capita GDP growing in double digits since 2004-05 : similar-sized northeastern states barely registering 5% growth. ........ Sikkim slashed its poverty ratio by 22% to 51,000 (8.2%) in 2011-12 from 1.7 lakh (30.9%) in 2004-05. In 1994, it stood at 41%. The reduction catapulted Sikkim into the nation's top five states in battling poverty. Only Goa (5.1%), Kerala (7.1%) and Himachal (8.1%) fared better. ..... Sikkim's literacy rate shot to 82.2% from 68.8% in 2001, among the country's highest. Male literacy 86.6%, female literacy 66.4%. Its rural literacy rate of 79.8% surpassed the national rate of 68.9%. The state aims to make Sikkim India's second 100% literate state. ...... Sikkim's evolution into a fully organic state since embracing the mission in 2003 received a fillip from PM Narendra Modi earlier this year. Speaking at a reception by Indian expats in Germany, Modi waxed eloquent on huge advances made by Sikkim in organic farming. Of the state's 60,000 ha farmland, 40% is organic. ..... Sikkim was also declared to be the first state to achieve 100% sanitation coverage becoming completely free of public defecation on December 8, 2008, in a country where large parts of the population still defecate in the open.


A South Asian economic union has been my long declared goal.

किन? कृष्ण प्रसाद भट्टराई ले नेपाल लाई सिंगापुर बनाउनु पर्छ भन्न हुने मैले नेपाल लाई सिक्किम बनाउनु पर्छ भनेर भन्न नहुने?