Tuesday, November 25, 2014

Modi Is For Consensual Constitution Making

Nepal statute must be through consensus: Modi
"Delay in writing the Constitution will not be in Nepal’s interest" ..... the parties should try to write the new statute through consensus and not on the basis of numerical majority. ..... the new statute should reflect the aspirations of Madhesis, Pahades, and the Maoists and other people in the country. ....... While the ruling parties want to opt for voting in the Constituent Assembly where they have more than two-thirds majority with the help of other smaller parties, the UCPN (Maoist) and the Madhesi parties have insisted “consensus only” approach. ........ his remarks is likely to please the Maoist and Madhesi leaders. ....... The Madhesi party leaders who were miffed that the Indian PM assiduously avoided mentioning Madhes in his remarks to Nepal’s Parliament would be very happy with the public display of support for them.

Monday, November 24, 2014

सगुन, अंजन, छेपाक, डिल्ली, विनोद, कृष्ण (२)

सगुन, अंजन, छेपाक, डिल्ली, विनोद, कृष्ण

एउटा टेक स्टार्टअप ले राउंड २ मा जान का लागि राउंड १ मा २०-३० हजार डॉलर ले पनि पुग्ने बाटा हरु छन, ५० हजार देखि एक लाख डॉलर सम्म चाहिने बाटा पनि छन, मैले न्यु यर्क को नेपाली समुदाय का २-४ जना सँग विगत केही महिना गफ गर्दा एउटा टीम लाई दुई लाख डॉलर राउंड १ मा चाहिने जस्तो एस्टीमेट भएको थियो। साढ़े तीन देखि पाँच लाख लाग्ने बाटा पनि छन।

तर राउंड १ मा ३०-५० हजारले पुग्ने यदि छ भने पनि सफल भएको खण्डमा आखिर त्यसै स्टार्टअप ले पनि राउंड २ मा गएर ५ लाख डॉलर, एक मिलियन डॉलर fundraising गर्ने र खर्च गर्ने हो।

So it really is a matter of scheduling. कुनै स्टार्टअप २०-३० हजार मै हुने, कसैलाई ५-१० लाख चाहिने भन्ने होइन। सबै सफल स्टार्टअप त्यो मिलियन डलरको बाटो बाट जाने नै हो। नौबिसे हो त्यो रोड मार्कर।



मोदीको जनकपुर में आम सभामें न बोल्ने देनेका निर्णय किसने लिया?



निधि मंत्री हैं और जनकपुर से हैं तो उनको मोदीके जनकपुर भ्रमणका जिम्मा दिया गया ---- that makes sense. मोदीको बारह बिघामें प्रस्तुत नकर एक छोटे मोटे कमरे में दो चार सय लोगो से मिलवाने का निर्णय किया गया। उस निर्णयका चेहरा निधि रहे। लेकिन वो निर्णय लिया किसने? 

वो निर्णय मोदीने नहीं लिया। मोदीकी तीव्र इच्छा थी। आम जनताको सम्बोधन करेंगे। ये कहते आए थे। तो मोदीके इच्छा विपरीत भारत सरकारके किसीभी तहके किसी भी व्यक्ति ने आम सभा मत करो ऐसा कहा होगा ये सवाल पैदा होता ही नहीं। भारतके राजदुत खुद प्रधान मंत्रीसे मिल मिलके कहे पर कहे जा रहे थे कि आम सभा करिए। 

तो या तो निधिको सुशीलने कहा कि आम सभा मत करो और निधि ने उस बातको माना। लेकिन आम सभा वाले आईडिया को सुशीलने कभी पब्लिक्ली विरोध नहीं किया। विरोध किया वामे ने। तो निधिको आर्डर कौन दे रहा है? सुशील कि वामदेव? निधिका बॉस कौन है? सुशील कि वामदेब? आम सभाके विषय पर सुशील और वामदेब एक राय के थे या उनमें मतभिन्नता थी? मतभिन्नता थी तो सुशीलने अपनी बात निधिको बताया कि नहीं? बताया तो क्या निधि ने नहीं माना? बात क्या है? देश आखिर चला कौन रहा है? 

कि निधि से न वामदेब ने बात किया न सुशीलने, हवामें ही उनको हिन्ट मिल गया? कि पहाड़ी शासक वर्ग नहीं चाहते हैं कि आम सभा हो, तो वो तो काँग्रेस में टोकन (token) मधेसी तो हैं ही। वो अपने पहाड़ी बॉस लोगोकी इच्छा पुरी करने में जीजान से लग गए और जनकपुरको ५०० करोड़का चुना लग गया। 

मोदीको जनकपुर में आम सभामें न बोल्ने देनेका निर्णय आखिर किसने लिया? एक आयोग गठनकी माग हम कर रहे हैं। आखिर truth क्या है? 


मोदीने एक मिनट में लिया निर्णय

English: Narendra Modi in Press Conference
English: Narendra Modi in Press Conference (Photo credit: Wikipedia)
मोदी संसारके सबसे व्यस्त व्यक्ति हैं। उनकी एक खुबी है - quick decision making की। वो decisive हैं। जनकपुर और लुम्बिनी जाने की बात उन्होने सारे देशके सामने कहा था, भड़ी संसद में, सारी दुनियाके सामने। उनको और उनके टीम को तभी ही मालुम था कि भारतके किन राज्योंमें कब चुनाव है। बिहार में और उत्तर प्रदेश में जहाँ कि अभी मोदीकी पार्टीकी राज्य सरकार नहीं है, और अगर उनकी पार्टी इन राज्योंमें सरकार बना लेती है तो भारतके upper house में उनको बहुमत मिल जाएगी और वो और स्पीड में काम कर सकेंगे। इस बात से वो वाफिक हैं। जनकपुर और लुम्बिनी भ्रमणसे उनको बिहार और उत्तर प्रदेश में फायदा था।

ये कहना कि व्यस्ततावश उन्होने जनकपुर और लुम्बिनी भ्रमण कैंसिल कर दिया --- ये कूटनीतिक भाषाको न समझना है। वो कैंसिल करने का निर्णय उन्होने एक मिनट में लिया, क्यों कि उनके पास उस के लिए उससे ज्यादा समय है ही नहीं। और एक बार निर्णय कर लेने के बाद फिर से उस निर्णयको revisit करने का समय उनके पास नहीं है।

मोदीने एक मिनट में लिया निर्णय। उनको जनकपुरमें आम जनताको सम्बोधन करना था। तीव्र इच्छा थी। प्रोग्राम schedule पर एक निगाह दिया। देखा आम सभा सम्बोधन प्रोग्राम में है ही नहीं। तो उन्होने जनकपुर जानेका प्रोग्राम कैंसिल कर दिया। खिसा खतम।

जनकपुर नगरीके इतिहासमें टीकमगढ़की महारानीने अपने गलेका नौ लाखका हार उतार कर जो दे दिया और जानकी मन्दिर बनी, वो बेमिसाल है। लेकिन मोदी उससे भी आगे जाने वाले थे। ५०० करोड़का पैकेज तैयार था। जनकपुर नगरीका कायापलट होना था। टीकमगढ़की महारानीसे भी तीन कदम आगे चल्ने वाले थे मोदी।

उस सब पर वामदेवने और काठमाण्डु के शासक वर्गने पानी फेर दिया। कितना गहरा है उन लोगो का घृणा! खुद तो कुछ करते नहीं हैं, मधेसीका पैसा ले जाते हैं लेकिन मधेसीको बजट में जगह नहीं देते हैं। और मोदी जैसे लोग उपहार ले कर आते हैं तो उसमें भी रोड़ा डाल देते हैं। वामदेवको माँ जानकीका श्राप लगेगी। वो तो सीधा नरक जायेगा बन्दा।

मोदी grassroots से उपर आए लोग हैं। उनको ये समझने में ज्यादा कठिनाइ नहीं होगी। ब्रिटिश साम्राज्यसे भारत तो मुक्त हो गया लेकिन मधेश अभी तक उस श्राप से मुक्त नहीं हो पाया है।


मोदी के प्रति मधेश के जनता में एक क्रेज है
Rakesh Sood
सुशील-वामदेव: खतरनाक कि निकम्मा?
सुशील-वामदेवको सरकार निकम्मा भएकोले मोदी जनकपुर नआएको
उल्लु स्वाँठ वामदेव
केपी ओली प्रधान मंत्री बन्न शारीरिक रुपले असक्षम, वामदेव मानसिक रुपले
बारह बिघा मैदान टुडिखेल भन्दा बारह गुणा ठुलो हो
आप भारतीय नहीं हैं तो नहीं हैं, मैं तो हुँ
वामदेवको बदमाशीले जनकपुरलाई ५०० करोड़को घाटा
मोदी जनताको छोरो आम जनतालाई सम्बोधन गर्न चाहन्छ
मोदीको भ्रमण रद्द गर्नु
फिजीके इंडियन और नेपालके इंडियन

मोदी के प्रति मधेश के जनता में एक क्रेज है



मैंने अपने जीवन कालमें अभी तक नहीं देखा ऐसा --- भारतके किसी प्रधान मंत्री के प्रति मधेसी जनता का ये जो मैं क्रेज देख रहा हुँ।

क्रेज तो अमिताभ बच्चन के प्रति भी है, तो आप ban करिए नेपालमें हिन्दी फिल्मको। नहीं अगर आप अमिताभ बच्चन के पिक्चर को ban नहीं कर रहे हो तो फिर मोदीको आम सभामें बोल्ने क्यों नहीं दे रहे हो?

मोदी वो आदमी है जो नेपालमें भी और भारतमें भी, दोनों देशो में आर्थिक क्रान्ति करेगा। काम शुरू हो गया है।

मेरे जीवन कालमें नेपालके प्रत्येक राजा महाराजा, प्रत्येक प्रधान मंत्री, ऐरो गैरो नत्थु खैरो सभी नेताओं ने हाइड्रो हाइड्रो किया ---- लेकिन नेपालमें जल बिद्युतीय क्रान्ति करनेवाले सख्श मोदी निकले। अरे Thank You तो बोलो।

अरे Xi Jinping को तो नेपालका रास्ता भी मालुम नहीं है, तो वो आएगा कैसे?

मोदी अभी संसारके सबसे पॉपुलर पॉलिटिशियन बन चुके हैं ----- उनको संसार भरके लोग न्यौता पर न्यौता दे रहे हैं। सब जगह से बुलावा आ रहा है। संसारके कोने कोने से बुलावा आ रहा है। लेकिन उस मेहमानको वामदेवने बेइज्जत कर के रख दिया। वो वामदेव निकट भविष्यका कमल थापा ही है। वो भी नेपालके राजनीति से बस गायब होने वाला ही है। लोकतंत्रके मुद्दे पर कमल थापा जो भीलन था, संघीयता, समानता, समावेशीता, सामाजिक न्यायके मुद्दे पर वामदेव वही है। ये मोदीका अपमान करने वाला वामदेव नेपालके आर्थिक क्रान्तिका दुश्मन ही तो है। बाई बाई बोलो बाबा बामदेवको।

सुशील-वामदेव: खतरनाक कि निकम्मा?


स्वायत्त मधेश राज्य भित्र कोचिला, मिथिला, भोजपुरा, अवध, थरुहट प्रदेश हरु

झापा देखि कन्चनपुर सम्म, उदयपुर, मकवानपुर , चितवन, दांग र सुर्खेत सहितको आत्म निर्णय को अधिकार सहितको स्वायत्त मधेश राज्य जस भित्र कोचिला, मिथिला, भोजपुरा, अवध, थरुहट प्रदेश हरु हुनेछन्। 

केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, प्रदेश सरकार, र स्थानीय सरकार (गाउँ/शहर) ----- अहिलेका जिल्लाहरु ओझल हुनेछन्। 

आत्म निर्णयको अधिकार भनेको जनमत संग्रहको माध्यमले अलग देश घोषणा गर्न पाउने अधिकार नै हो। आत्म निर्णयको अधिकार बिनाको संघीयता त संघीयता नै होइन। 

मधेश स्वराज भनेको मधेश राज्यबाट पहाड़ी CDO/DSP गायब पार्ने भनेको हो। मधेश राज्यमा पहाड़ी प्रहरी हुँदैन।मधेशको आफ्नै प्रहरी हुन्छ। मधेशको आफ्नै प्रशासन हुन्छ। नेपाल सेनामा मधेसीको समानुपातिक सहभागिता हुन्छ। 

Rakesh Sood

At such moments, India is often first invited to play the role of peacemaker and then blamed for interfering in Nepal’s internal affairs.
his speech at the Constituent Assembly (CA) was a masterful exercise in touching all the issues that have troubled the India-Nepal relationship over years, and in striking the right notes. He spoke about respecting Nepali sovereignty and reiterated his readiness to revise the contentious 1950 Treaty in line with Nepali wishes, offering encouragement to the Constitution-drafting exercise. He wisely refrained from anything more, while expressing support for a federal, democratic Nepali republic but steering clear of the “secular versus Hindu rashtra” debate, speaking about the cultural and religious ties but without bringing in the Madhesi linkages and promising accelerated cooperation and generous terms for Nepal’s power exports to India. Even though the earlier $250 million line of credit was yet to be exhausted, a generous new line of credit of a billion dollars was announced. ....... the two governments signed a Power Trade Agreement (PTA) while GMR also concluded a Project Development Agreement (PDA) regarding a 900 MW hydel project on Upper Karnali. ...... Out of the 28 survey licences granted to private entities over the last decade, amounting to a total of 8,000 MW, GMR was the first to conclude a PDA. Nepal has an installed hydel capacity of 700 MW with an annual shortfall of 450 MW which is only partially made up through imports from India, leading to power cuts of more than 14 hours a day in the dry season. Despite a technically feasible and economically viable proven potential of more than 40,000 MW, development of the hydel sector has remained politically blocked. It is expected that during Mr. Modi’s visit, the Satluj Jal Vidyut Nigam (SJVN) Limited will also sign a PDA for the 900 MW Arun III project. ...... Three new international airports at Nijgadh (near Kathmandu), Pokhara and Bhairahawa (to service Lumbini) are being planned. A new Kathmandu-Terai highway is being fast-tracked along with the Kathmandu-Hetauda tunnel project. Nepal’s Planning Commission has pointed out that in order to graduate from a ‘Least Developed Country’ to a ‘Developing Country’ by 2022, Nepal would need an investment of nearly $100 billion in infrastructure, of which more than two-thirds will have to come from private sector and multilateral institutions. ........ The Asian Development Bank (ADB) and the International Finance Corporation (IFC) plan to issue long-term bonds amounting to a billion dollars each in local currency in order to provide greater depth to the capital market. There is talk about the need to create a new financial institution to undertake infrastructure financing. While all the buzz is not due to Mr. Modi’s first visit, it certainly added to it because Nepal felt that India was politically engaged, with a new decisive leader at the helm of affairs. ....... At both sites, Mr. Modi sought to address public gatherings which would have attracted huge numbers, including from Indian border towns and villages. Initiatives regarding border connectivity, the tourism potential of the Ayodhya-Janakpur circuit and the Lumbini-Bodhgaya-Sarnath circuit, and development of irrigation in the Terai which is the breadbasket of Nepal would have resonated with the audience and presented Mr. Modi as the tallest leader in the region. This evidently made Nepali political leaders uneasy. Nepal’s government has therefore cited security concerns to turn down the idea of public gatherings, proposing civic receptions instead where Nepali leaders would share the platform and Mr. Modi’s interaction would be limited to (selected) local community leaders. ........ the deep-rooted suspicion about the Indian agenda which surfaces time and again, particularly when domestic politics deteriorates into a polarising slugfest. .......... Madhesi resentment who are unhappy about the fact that not only are they being presented with a divided Madhes but the districts containing the Kosi, Gandak and Karnali river basins have been excluded from the two Madhesi provinces proposed. .......... The ruling coalition parties (NC, UML and RPP) have traditionally been dominated by the pahadi Bahuns and Chettris who have little sympathy for federalism, a demand associated with Maoists and Madhesis. Both these groups have fractured: from three parties in 2007, Madhesis now have over a dozen and the ruling coalition could well tempt some with offers of ministerial positions. ......... While the CA will continue till 2017 (it was elected for a four-year term in 2013), the positions of president, vice-president and prime minister will open up. Prime Minister Sushil Koirala has announced that he will step down once the task of Constitution drafting is completed. Leaders within the NC and UML are also positioning themselves accordingly. ........ if the Constitution is pushed through with a two-thirds majority, it can lead to the alienation of large sections of the population. The Madhesis would feel let down by India and the Janjati groups would gravitate to hard line Maoist positions. The challenge is therefore to develop a broader consensus than rely on two thirds. ........ He will have to draw a fine line in terms of remaining politically engaged with all groups and yet keep the focus on the economic issues where he can promise, and should ensure, quick delivery. .... He will need to adopt an open style of diplomacy so that, in a break from the past, Nepali nationalism is not reduced to anti-Indianism.

CK Is Out, Finally


Chandra Raut
9:15 AM

Paramendraji, thank you very much. I just came out of jail. We need your help to invite/inform all world media, diplomats etc. on Nov 26th mass-gathering in KTM. Would you please send this PR to all of them as much as you can, if you don't have list, would you please spare some time to collect emails of international media too..

Please circulate the following.

Dr. Raut Released from Dillibazar Prison on Bail
To address mass-meeting on 26th November in Ratnapark, Kathmandu at 12:00pm

Kathmandu- 24th November 2014, Respecting the verdict of lakhs of people, who with much love and trust, voluntarily donated one-rupee each to secure the release of Dr. C. K. Raut; to unveil the conspiracies of national and foreign power-centers to prevent Madheshis from getting their rights, to kill Dr. Raut in fake encounters in the police custody, and to finish him off in a mafia-style by hiring a shooter, Dr. Raut decided to get out of jail by paying the bail amount of Rs.50,000/- as ordered by the Special Court.

Dr. Raut is scheduled to address a mass-meeting on November 26th, 2014 at 12:00 PM in Ratna Park, Kathmandu. It should be noted that the national and foreign forces shall attempt their best to foil our peaceful assembly on the day and prevent Dr. Raut from addressing the mass, by confining him behind the bars through any possible and unjust means. But our scheduled programme shall continue by all means. All well-wishers, journalists, intellectuals and diplomats are kindly requested to attend the mass-meeting.

Upon release from the special court in Babarmahal, Dr. Raut thanked the gathering waiting eagerly outside and said that all the recent events, sufferings and his stay in jail had made him stronger and more passionate and determined about his goal. Dr. Raut was arrested on September 13th, 2014 by the Morang Police. The Government of Nepal had filed a treason charge against him demanding life-imprisonment on October 8th for expressing his views on separate Madhesh. He was sent to the Dillibazar Jail on October 14th, after he refused to pay a bail amount of 50,000 rupees, as ordered by the Special Court.

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Contact:
Binay Panjiyar
Coordinator
‘Save Dr. Raut’ Struggle Committee, Kathmandu
Phone: +977-9808112405, 9843492466
Email: madheshini@gmail.com



https://www.facebook.com/FreeDrCKRaut

Paramendra Kumar Bhagat
10:02am
Paramendra Kumar Bhagat

अरे CK ------- welcome back! Finally ! Absolutely ---- I have been using this mailing list, 9,000 strong, that I created during the 2005-06 democracy movement, that includes Nepalis across the world, Madhesis included, plus a ton of international media organizations, human rights organizations, political parties, etc. It is pretty comprehensive. मै broadcast कर देता हुँ ---- बिल्कुल।

You will see online इधर से भी बहुत लोग active रहे हैं।

रिहाई का बधाई -------- एक बार ऐसे ही बधाई इमेल किया था जब वो लोग अनशन तुडबाए थे -- लेकिन वो तो fraud निकला !

Be safe. Your organization should take precautionary measures. Security के लिए संगठन के कुछ लोगोको जिम्मेवारी दे देना बेहतर होगा। Can't take any chances. मन्जिल करीब है।

Get some much needed rest. Eat well. Get in good shape for the big day.

जनकपुर बारह बिघा मैदान में मोदी को बोल्ने नहीं दिया गया ---- आप जाके बोलो।



Sunday, November 23, 2014

संघीयता जे होइन

२००६ को अप्रिल क्रांतिले पैदा गरेको यो संविधान सभा। त्यो क्रान्तिको आदेश हो गणतन्त्र र धर्म निरपेक्षता। मधेसी क्रान्तिको आदेश हो संघीयता। त्यो आदेश नमान्ने अधिकार यो संविधान सभालाई छैन। त्यहाँ दुई तिहाई र तीन चौथाईको कुरै छैन। १००% सभासदले मिलेर पनि संघीयता अथवा गणतन्त्र र धर्म निरपेक्षतालाई मिल्काउन सक्दैनन्।

भने पछि बारम्बार काँग्रेस र एमालेले संघीयता जे हुँदै होइन त्यस्ता प्रस्तावहरु ल्याएर के गर्न खोजेको? संघीयतामा राज्यको आफ्नै सर्वोच्च अदालत हुन्छ। तर काँग्रेस-एमाले प्रस्तावमा मैले त्यो देखिराखेको छैन। संघीयतामा राज्यको आफ्नै प्रहरी हुन्छ। तर काँग्रेस-एमाले प्रस्तावमा अहिलेको नेपाल प्रहरीलाई नै संघीय नेपालका राज्यहरुमाथि लाद्ने भन्ने छ।

गधालाई - I mean - वामदेवलाई मान्छे भनेर कहीं हुन्छ?


Steam Engine भन्दा Jet Engine बढ़ी efficient

Steam Engine भनेको एकात्मक व्यवस्था। Jet Engine भनेको संघीय व्यवस्था।

Steam Engine भन्दा Jet Engine बढ़ी efficient हुन्छ। संघीय व्यवस्था बिनाको नेपालमा आर्थिक क्रान्तिको कल्पना पनि गर्न सकिन्न।


सुशील-वामदेव: खतरनाक कि निकम्मा?

नेपाल-भारत सम्बन्धलाई नया किसिमले पुनर्स्थापित गर्ने मोदीको इच्छा हो। समानताको कुरा। आर्थिक क्रांतिको कुरा। भारतलाई विकसित देश बनाउने मोदीको सपना हो। क्षमता भएका मान्छे हुन। गर्न सक्छन। १० वर्ष मात्र समय मागेका छन। साथै नेपाललाई पनि विकसित देश बनाउन चाहन्छन्। इच्छा छ। नेपाललाई असाध्यै माया गर्ने मान्छे मोदी। पैसावालको पो पॉकेटमारी हुन्छ, कंगाल मान्छेको पनि कहीं पॉकेटमारी हुन्छ। मोदीले नेपाललाई ठग्न खोजेको भन्ने hint दिने हरुको टाउको भित्र दिमाग होइन, गोबर छ। कहाँ भारत विश्वको तेस्रो सबैभन्दा ठुलो अर्थतंत्र, कहाँ नेपाल।

सुशील-वामदेवको सरकार निकम्मा भएकोले मोदी जनकपुर नआएको

घोडालाई पानी सम्म लग्न सकिन्छ, तर जबरजस्ती पानी खुवाउन सकिँदैन। सुशील-वामदेव-केपी भनेका देशलाई पानी नखाने घोडा बनाएर राखेका मान्छे हरु हुन। जुसिल्किरा साइज का इ मान्छे हरुलाई खतरनाक भनौं भने कसरी भनौं ---- तर निकम्मा चाहिं भन्नै पर्ने हुन्छ।

घोक्रे ठयाक लगाएर नेपालको राजनीति बाट फाल्नु पर्ने मान्छे हरु।