Tuesday, November 25, 2014

प्रचण्डले द्वन्दको कुरा नगर्ने हो

गृह युद्ध सकियो। हिंसाको हिन्ट मात्र आयो भने मधेसी पार्टीहरुले अलायन्स तोड्छन्। अहिले यदि जानै पर्ने हो भने सड़क आन्दोलनमा जाने। द्वन्द शब्द ठीक भएन। सड़क संघर्ष भने भो।


प्रत्यक्ष निर्वाचित राष्ट्रपति चाहिने कारण: सुशील/झुसिल

Right hand
Right hand (Photo credit: Wikipedia)
The left hand does not know what the right hand is doing भन्ने अवस्था छ। यो सरकारमा प्रधान मंत्री सुशील तर सरकार वामदेवले चलाएको अवस्था छ। सुपर डॉन त गृह मन्त्री, कस्तो होला देशमा लॉ एंड आर्डर को अवस्था।

प्रत्यक्ष निर्वाचित राष्ट्रपति चाहिने कारण: सुशील/झुसिल 

3 + 14 = तीन राज्य, १४ प्रदेश


Three States: Madhesh, Sagarmatha, Karnali
Capitals: Narayanghat, Kathmandu, Pokhara.

Power Devolution
  • 50% of the central government budget will be directly handed over to the three states in direct proportion to their populations. 
  • 50% of the state budget will be handed to its constituent regions accordingly. 
  • 50% of the regional government budget will be directly handed over to the constituent village, town and city governments in direct proportion to their populations. 
The income and expenditures to the last paisa of each level of government will be posted online for all to see. 

स्विट्ज़रलैंडमा २६ राज्य छन

नेपाललाई एशिया को स्विट्ज़रलैंड भनिन्छ ------ त्यो स्विट्ज़रलैंड बाट सिक्ने कि!


Three Hydro Deals

मैले साँचै नै बुझन खोजेको कुरा जल सम्पदाबारे

भारतीय कम्पनीले $1.04 billion को लागतमा ९०० मेगावाट बिद्युत उत्पादन गर्छ भने र चिनिया कम्पनीले $1.6 billion को लागतमा ७५० मेगावाट बिद्युत उत्पादन गर्छ भने भारतीय कम्पनीको काम राम्रो देखियो। र भारतले यसरी अग्रसरता नदेखाए सम्म बिश्व बाजार को पुंजी नेपाल आउने वाला छैन। भारतको अन्ध विरोध गर्नेहरु नेपाललाई गरीब नै बनाई राख्न चाहने हरु हुन।

१००% पुंजी लगाएर १००% काम गर्ने कम्पनीले के पाउने? कति पाउनु जायज हो? विश्वमा अरु ठाउँमा त्यो अवस्थामा के हुने गरेको छ? अरु ठाउँमा नदी भएको देशले ३०% बिजुली मुफ्तमा पाएको छ कि? भन्न सक्नुपर्यो।

यसरी २-४ महिनाको फ़रक़मा ९०० मेगावाट को दुइ दुइ वटा deal ल्याइ दिने मोदी ----- यो त हर हर मोदी नै भन्नुपर्ने मान्छे रै छ, वामदेवलाई चेतना भया। यो गतिमा अगाडि बढ्ने हो भने १०-२० वर्ष भित्र ४०,००० मेगावाट बिजुली उत्पादन भइ सक्छ।

एक खरब रुपया सानो amount होइन। त्यत्रो लगानी भित्र्याउनेलाई आदर गर्न सिक्ने हो।

Nepal to Ink India Power Deal During Modi Visit
The inking of the deal with Indian company Satluj Jal Vidyut Nigam Ltd. to build the 900 megawatt Arun III hydropower station ...... The $1.04 billion project is expected to begin producing electricity in 2020. More than three quarters of its output will be exported to India ....... The Arun III agreement.. comes just two months after a similar deal with another Indian company. ....... They are the two biggest private foreign investments in Nepal ...... In September, Nepal signed an agreement with Indian company GMR to build the $1.15 billion Upper Karnali Hydro power plant. ...... Under the Arun III agreement, Nepal would get 22 percent of the electricity free of charge and would able to buy more to ease power shortages. ..... China's state-backed Three Gorges International Corp. is negotiating with Nepal for construction of a power plant over the West Seti river in Nepal's west. The project would cost $1.6 billion and generate 750 megawatts of electricity

Modi Is For Consensual Constitution Making

Nepal statute must be through consensus: Modi
"Delay in writing the Constitution will not be in Nepal’s interest" ..... the parties should try to write the new statute through consensus and not on the basis of numerical majority. ..... the new statute should reflect the aspirations of Madhesis, Pahades, and the Maoists and other people in the country. ....... While the ruling parties want to opt for voting in the Constituent Assembly where they have more than two-thirds majority with the help of other smaller parties, the UCPN (Maoist) and the Madhesi parties have insisted “consensus only” approach. ........ his remarks is likely to please the Maoist and Madhesi leaders. ....... The Madhesi party leaders who were miffed that the Indian PM assiduously avoided mentioning Madhes in his remarks to Nepal’s Parliament would be very happy with the public display of support for them.

Monday, November 24, 2014

सगुन, अंजन, छेपाक, डिल्ली, विनोद, कृष्ण (२)

सगुन, अंजन, छेपाक, डिल्ली, विनोद, कृष्ण

एउटा टेक स्टार्टअप ले राउंड २ मा जान का लागि राउंड १ मा २०-३० हजार डॉलर ले पनि पुग्ने बाटा हरु छन, ५० हजार देखि एक लाख डॉलर सम्म चाहिने बाटा पनि छन, मैले न्यु यर्क को नेपाली समुदाय का २-४ जना सँग विगत केही महिना गफ गर्दा एउटा टीम लाई दुई लाख डॉलर राउंड १ मा चाहिने जस्तो एस्टीमेट भएको थियो। साढ़े तीन देखि पाँच लाख लाग्ने बाटा पनि छन।

तर राउंड १ मा ३०-५० हजारले पुग्ने यदि छ भने पनि सफल भएको खण्डमा आखिर त्यसै स्टार्टअप ले पनि राउंड २ मा गएर ५ लाख डॉलर, एक मिलियन डॉलर fundraising गर्ने र खर्च गर्ने हो।

So it really is a matter of scheduling. कुनै स्टार्टअप २०-३० हजार मै हुने, कसैलाई ५-१० लाख चाहिने भन्ने होइन। सबै सफल स्टार्टअप त्यो मिलियन डलरको बाटो बाट जाने नै हो। नौबिसे हो त्यो रोड मार्कर।



मोदीको जनकपुर में आम सभामें न बोल्ने देनेका निर्णय किसने लिया?



निधि मंत्री हैं और जनकपुर से हैं तो उनको मोदीके जनकपुर भ्रमणका जिम्मा दिया गया ---- that makes sense. मोदीको बारह बिघामें प्रस्तुत नकर एक छोटे मोटे कमरे में दो चार सय लोगो से मिलवाने का निर्णय किया गया। उस निर्णयका चेहरा निधि रहे। लेकिन वो निर्णय लिया किसने? 

वो निर्णय मोदीने नहीं लिया। मोदीकी तीव्र इच्छा थी। आम जनताको सम्बोधन करेंगे। ये कहते आए थे। तो मोदीके इच्छा विपरीत भारत सरकारके किसीभी तहके किसी भी व्यक्ति ने आम सभा मत करो ऐसा कहा होगा ये सवाल पैदा होता ही नहीं। भारतके राजदुत खुद प्रधान मंत्रीसे मिल मिलके कहे पर कहे जा रहे थे कि आम सभा करिए। 

तो या तो निधिको सुशीलने कहा कि आम सभा मत करो और निधि ने उस बातको माना। लेकिन आम सभा वाले आईडिया को सुशीलने कभी पब्लिक्ली विरोध नहीं किया। विरोध किया वामे ने। तो निधिको आर्डर कौन दे रहा है? सुशील कि वामदेव? निधिका बॉस कौन है? सुशील कि वामदेब? आम सभाके विषय पर सुशील और वामदेब एक राय के थे या उनमें मतभिन्नता थी? मतभिन्नता थी तो सुशीलने अपनी बात निधिको बताया कि नहीं? बताया तो क्या निधि ने नहीं माना? बात क्या है? देश आखिर चला कौन रहा है? 

कि निधि से न वामदेब ने बात किया न सुशीलने, हवामें ही उनको हिन्ट मिल गया? कि पहाड़ी शासक वर्ग नहीं चाहते हैं कि आम सभा हो, तो वो तो काँग्रेस में टोकन (token) मधेसी तो हैं ही। वो अपने पहाड़ी बॉस लोगोकी इच्छा पुरी करने में जीजान से लग गए और जनकपुरको ५०० करोड़का चुना लग गया। 

मोदीको जनकपुर में आम सभामें न बोल्ने देनेका निर्णय आखिर किसने लिया? एक आयोग गठनकी माग हम कर रहे हैं। आखिर truth क्या है? 


मोदीने एक मिनट में लिया निर्णय

English: Narendra Modi in Press Conference
English: Narendra Modi in Press Conference (Photo credit: Wikipedia)
मोदी संसारके सबसे व्यस्त व्यक्ति हैं। उनकी एक खुबी है - quick decision making की। वो decisive हैं। जनकपुर और लुम्बिनी जाने की बात उन्होने सारे देशके सामने कहा था, भड़ी संसद में, सारी दुनियाके सामने। उनको और उनके टीम को तभी ही मालुम था कि भारतके किन राज्योंमें कब चुनाव है। बिहार में और उत्तर प्रदेश में जहाँ कि अभी मोदीकी पार्टीकी राज्य सरकार नहीं है, और अगर उनकी पार्टी इन राज्योंमें सरकार बना लेती है तो भारतके upper house में उनको बहुमत मिल जाएगी और वो और स्पीड में काम कर सकेंगे। इस बात से वो वाफिक हैं। जनकपुर और लुम्बिनी भ्रमणसे उनको बिहार और उत्तर प्रदेश में फायदा था।

ये कहना कि व्यस्ततावश उन्होने जनकपुर और लुम्बिनी भ्रमण कैंसिल कर दिया --- ये कूटनीतिक भाषाको न समझना है। वो कैंसिल करने का निर्णय उन्होने एक मिनट में लिया, क्यों कि उनके पास उस के लिए उससे ज्यादा समय है ही नहीं। और एक बार निर्णय कर लेने के बाद फिर से उस निर्णयको revisit करने का समय उनके पास नहीं है।

मोदीने एक मिनट में लिया निर्णय। उनको जनकपुरमें आम जनताको सम्बोधन करना था। तीव्र इच्छा थी। प्रोग्राम schedule पर एक निगाह दिया। देखा आम सभा सम्बोधन प्रोग्राम में है ही नहीं। तो उन्होने जनकपुर जानेका प्रोग्राम कैंसिल कर दिया। खिसा खतम।

जनकपुर नगरीके इतिहासमें टीकमगढ़की महारानीने अपने गलेका नौ लाखका हार उतार कर जो दे दिया और जानकी मन्दिर बनी, वो बेमिसाल है। लेकिन मोदी उससे भी आगे जाने वाले थे। ५०० करोड़का पैकेज तैयार था। जनकपुर नगरीका कायापलट होना था। टीकमगढ़की महारानीसे भी तीन कदम आगे चल्ने वाले थे मोदी।

उस सब पर वामदेवने और काठमाण्डु के शासक वर्गने पानी फेर दिया। कितना गहरा है उन लोगो का घृणा! खुद तो कुछ करते नहीं हैं, मधेसीका पैसा ले जाते हैं लेकिन मधेसीको बजट में जगह नहीं देते हैं। और मोदी जैसे लोग उपहार ले कर आते हैं तो उसमें भी रोड़ा डाल देते हैं। वामदेवको माँ जानकीका श्राप लगेगी। वो तो सीधा नरक जायेगा बन्दा।

मोदी grassroots से उपर आए लोग हैं। उनको ये समझने में ज्यादा कठिनाइ नहीं होगी। ब्रिटिश साम्राज्यसे भारत तो मुक्त हो गया लेकिन मधेश अभी तक उस श्राप से मुक्त नहीं हो पाया है।


मोदी के प्रति मधेश के जनता में एक क्रेज है
Rakesh Sood
सुशील-वामदेव: खतरनाक कि निकम्मा?
सुशील-वामदेवको सरकार निकम्मा भएकोले मोदी जनकपुर नआएको
उल्लु स्वाँठ वामदेव
केपी ओली प्रधान मंत्री बन्न शारीरिक रुपले असक्षम, वामदेव मानसिक रुपले
बारह बिघा मैदान टुडिखेल भन्दा बारह गुणा ठुलो हो
आप भारतीय नहीं हैं तो नहीं हैं, मैं तो हुँ
वामदेवको बदमाशीले जनकपुरलाई ५०० करोड़को घाटा
मोदी जनताको छोरो आम जनतालाई सम्बोधन गर्न चाहन्छ
मोदीको भ्रमण रद्द गर्नु
फिजीके इंडियन और नेपालके इंडियन

मोदी के प्रति मधेश के जनता में एक क्रेज है



मैंने अपने जीवन कालमें अभी तक नहीं देखा ऐसा --- भारतके किसी प्रधान मंत्री के प्रति मधेसी जनता का ये जो मैं क्रेज देख रहा हुँ।

क्रेज तो अमिताभ बच्चन के प्रति भी है, तो आप ban करिए नेपालमें हिन्दी फिल्मको। नहीं अगर आप अमिताभ बच्चन के पिक्चर को ban नहीं कर रहे हो तो फिर मोदीको आम सभामें बोल्ने क्यों नहीं दे रहे हो?

मोदी वो आदमी है जो नेपालमें भी और भारतमें भी, दोनों देशो में आर्थिक क्रान्ति करेगा। काम शुरू हो गया है।

मेरे जीवन कालमें नेपालके प्रत्येक राजा महाराजा, प्रत्येक प्रधान मंत्री, ऐरो गैरो नत्थु खैरो सभी नेताओं ने हाइड्रो हाइड्रो किया ---- लेकिन नेपालमें जल बिद्युतीय क्रान्ति करनेवाले सख्श मोदी निकले। अरे Thank You तो बोलो।

अरे Xi Jinping को तो नेपालका रास्ता भी मालुम नहीं है, तो वो आएगा कैसे?

मोदी अभी संसारके सबसे पॉपुलर पॉलिटिशियन बन चुके हैं ----- उनको संसार भरके लोग न्यौता पर न्यौता दे रहे हैं। सब जगह से बुलावा आ रहा है। संसारके कोने कोने से बुलावा आ रहा है। लेकिन उस मेहमानको वामदेवने बेइज्जत कर के रख दिया। वो वामदेव निकट भविष्यका कमल थापा ही है। वो भी नेपालके राजनीति से बस गायब होने वाला ही है। लोकतंत्रके मुद्दे पर कमल थापा जो भीलन था, संघीयता, समानता, समावेशीता, सामाजिक न्यायके मुद्दे पर वामदेव वही है। ये मोदीका अपमान करने वाला वामदेव नेपालके आर्थिक क्रान्तिका दुश्मन ही तो है। बाई बाई बोलो बाबा बामदेवको।

सुशील-वामदेव: खतरनाक कि निकम्मा?


स्वायत्त मधेश राज्य भित्र कोचिला, मिथिला, भोजपुरा, अवध, थरुहट प्रदेश हरु

झापा देखि कन्चनपुर सम्म, उदयपुर, मकवानपुर , चितवन, दांग र सुर्खेत सहितको आत्म निर्णय को अधिकार सहितको स्वायत्त मधेश राज्य जस भित्र कोचिला, मिथिला, भोजपुरा, अवध, थरुहट प्रदेश हरु हुनेछन्। 

केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, प्रदेश सरकार, र स्थानीय सरकार (गाउँ/शहर) ----- अहिलेका जिल्लाहरु ओझल हुनेछन्। 

आत्म निर्णयको अधिकार भनेको जनमत संग्रहको माध्यमले अलग देश घोषणा गर्न पाउने अधिकार नै हो। आत्म निर्णयको अधिकार बिनाको संघीयता त संघीयता नै होइन। 

मधेश स्वराज भनेको मधेश राज्यबाट पहाड़ी CDO/DSP गायब पार्ने भनेको हो। मधेश राज्यमा पहाड़ी प्रहरी हुँदैन।मधेशको आफ्नै प्रहरी हुन्छ। मधेशको आफ्नै प्रशासन हुन्छ। नेपाल सेनामा मधेसीको समानुपातिक सहभागिता हुन्छ।