Tuesday, November 09, 2021

चोरों का काफिला

अलिबाबा और ४० चोर। एक समय हुवा करता था। देउबा के मंत्रीमंडल में चालीस चालीस चोर हुवा करते थे। अब सिर्फ २५ हैं। 

एक बन्दे ने सोने का दाँत लगवाया। थोड़ा साइड में था। बाजार गया खसी बेच्ने। किसीने पुछा भाव। तुम्हारे खसी का क्या भाव? उसको कहना था पच्चीस रुपये। पुरानी कहानी है। लेकिन उसने कहा पिच्चीस रुपए। उसको अपना साइड वाला दाँत जो दिखाना था। 

अलिबाबा और ४० चोर। ओली के सभी। ओली के साथ तो एक से एक डकैत सब हैं। माफिया टाइप लोग। ओली का राजनीति इतना गन्दा है कि उतना गन्दा अब बिहार में भी नहीं है। बिहार में थोड़ा सरसफाइ हो गया है। 

प्रचंड तो आइडीयोलॉजिकल डकैत। उनका राजनीतिक सिद्धांत ही डकैती। 

माओ कभी प्रधानमंत्री न बना। प्रचंड को लगता रहता है उनका प्रधान मंत्री न होना कुछ वैसा ही है। पावर तो प्रचंड के पास है। इस बन्दर को बहुदल नाम का नाच सिखाना संभव नहीं है। अब तो उम्र भी गयी। 

देउबा वो सख्स हैं जिनके कारण ही संविधान में कुछ प्रावधान रखने पड़े हैं। जैसे कि मंत्री २५ से ज्यादा नहीं हो सकते। देउबा वायरस के विरुद्ध का खोप है वो। संसद का विगठन न करने का प्रावधान। देउबा के लिए ही है। 

जो बन्दा अपने पार्टी का अधिवेशन नहीं करवा सकता उसको अदालत ने कहे दिया लो देश चलाओ। 

जनता का पैसा इन लोगों को लगता रहता है अपने बाप का माल है। 







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