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Monday, September 08, 2025

केपी ओली लाई चुतिया किन भनिन्छ?



केपी ओली लाई चुतिया किन भनिन्छ? 

महाकाली बेचेकै केपी ओली ले हो। टनकपुर बेचने नै त्यै कलियुगी बाहुन हो। महलमा बसेको छ। बालकोट दरबार। संसदको तलबको पैसा ले बनाएको होइन। नदी बेचेको पैसाले बनाएको हो। पंचेश्वर बेचने नै त्यो ओली हो। 

नक्शा कोर्दैमा जग्गा आउँछ भने मलाई पुर्व टिष्टा पश्चिम किल्ला काँगड़ा चाहियो। त्यो चुच्चे नक्शा ओलीको नाक हो अरु केही होइन। 

१८१६ को सन्धि मा त मधेस नेपाल मैं छैन। त्यो चाहिं बिर्सेको? 

स्वतंत्र हुँदा भारतले जे सीमाना पायो त्यो मानेको छ। त्यो सही गलत जे पनि हुन सक्छ। यो होइन कि स्वतन्त्र भारत ले सैनिक कारवाही गर्यो, नेपालको जग्गा कब्ज़ा गर्यो। अंग्रेज ले जे दियो त्यो लिएको हो। 

गलवान लफड़ा हुँदा नै भारत सँग निहुँ खोजने कारण के हो? नेपाल भारत होइन तर भारतवर्ष त हो। चीन को कम्निष्ट कानुन लाग्छ भने ओलीलाई फाँसी हुनुपर्छ। त्यति भ्रष्ट मान्छे हो त्यो सबैलाई थाहा छ। उसको इनर सर्कल किचन कैबिनेट भनेकै चोर चोर ४० चोर को समुह हो। केपी ओली जिहादी अलि बाबा हो। मासु खाने भुस्तिघ्रे बाहुन। तर त्यहाँ उसलाई कम्युनिज्म चाहिएको छैन। 

लिपुलेक को विवाद जायज हो भने कि त सैनिक कारवाही गर्नुपर्यो। कि त भारत सँग आदरपुर्वक वार्ता गर्नुपर्यो। चीन को लुतो कन्याउने स्टाइल ले होइन। 

भारत सँग वार्ता नगर्ने नेपाल भित्र चाहिं जनता उछालने। केपी ओली लाई चुतिया किन भनिन्छ? अब थाहा भो? 

भारत सँग सम्बन्ध सुधार्नु को फाइदा भुटान लाई सोध। हाइड्रो को पैसा फालाफाल। 



Why is KP Oli called a fool (chutiya)?

It was KP Oli who sold the Mahakali River. The one who sold Tanakpur is that same Kali Yuga Brahmin. He is living in a palace—Baluwatar Palace. It wasn’t built with his parliamentary salary. It was built with the money from selling rivers. The one who sold Pancheshwar was also Oli.

If just drawing maps could bring land, then I want land from Teesta in the east to Kangra Fort in the west. That pointed map is nothing more than Oli’s nose.

In the 1816 Treaty, even the Madhes wasn’t part of Nepal. Have you forgotten that?

When India became independent, it accepted the borders it inherited. Whether those borders were right or wrong, that’s another matter. It’s not like independent India carried out military operations and seized Nepal’s land. It simply accepted what the British gave.

So why was Oli picking a fight with India during the Galwan clash? Nepal isn’t India, but it is Bharatvarsha. If Chinese communist laws applied, Oli would have been executed. Everyone knows how corrupt he is. His inner circle—the so-called “kitchen cabinet”—is just a group of 40 thieves. KP Oli is a jihadi Ali Baba. A meat-eating gluttonous Brahmin. But he doesn’t really want communism.

If the Lipulekh dispute was legitimate, then either Nepal should have carried out military action, or it should have respectfully negotiated with India. Not followed China’s sneaky style of needling.

He never negotiates with India, but inside Nepal he riles up the public. Now do you see why KP Oli is called a fool (chutiya)?

If you want to know the benefits of improving relations with India, just ask Bhutan. Look at the hydro money flowing in.



केपी ओली को चुतिया क्यों कहा जाता है?

महाकाली बेचने वाला केपी ओली ही है। टनकपुर बेचने वाला वही कलियुगी ब्राह्मण है। वह महल में रह रहा है—बालकोट दरबार। वह संसद की तनख्वाह से नहीं बना है। वह नदी बेचने के पैसों से बना है। पंचेश्वर बेचने वाला भी वही ओली है।

अगर केवल नक्शा बनाने से ज़मीन मिलती तो मुझे भी पूर्व में तीस्ता से लेकर पश्चिम में कांगड़ा किला तक चाहिए। वह नुकीला नक्शा और कुछ नहीं, बस ओली की नाक है।

1816 की संधि में तो मधेस नेपाल के भीतर था ही नहीं। क्या वह भूल गए?

जब भारत स्वतंत्र हुआ, उसने वही सीमाएँ स्वीकार कीं जो उसे मिली थीं। वे सही थीं या ग़लत, यह अलग मुद्दा है। यह नहीं कि स्वतंत्र भारत ने सैन्य कार्रवाई कर नेपाल की ज़मीन कब्ज़ा कर ली। उसने बस वही लिया जो अंग्रेज़ों ने दिया।

तो फिर गलवान विवाद के समय भारत से झगड़ा मोल लेने की वजह क्या थी? नेपाल भारत नहीं है, लेकिन भारतवर्ष तो है। अगर चीन का कम्युनिस्ट क़ानून लागू होता तो ओली को फाँसी हो चुकी होती। इतना भ्रष्ट आदमी है वह—सब जानते हैं। उसका इनर सर्कल, तथाकथित “किचन कैबिनेट,” बस चोरों का गिरोह है—40 चोर। केपी ओली जिहादी अली बाबा है। माँस खाने वाला भूखा ब्राह्मण। लेकिन वहाँ उसे असल में साम्यवाद चाहिए भी नहीं।

अगर लिपुलेख विवाद जायज़ था, तो या तो नेपाल को सैन्य कार्रवाई करनी चाहिए थी, या भारत के साथ आदरपूर्वक वार्ता करनी चाहिए थी। चीन की चालबाज़ी वाली शैली से नहीं।

भारत से कभी वार्ता नहीं करते, लेकिन नेपाल के भीतर जनता को भड़काते रहते हैं। अब समझ आया कि केपी ओली को चुतिया क्यों कहा जाता है?

भारत से संबंध सुधारने का फ़ायदा जानना है तो भूटान से पूछो। वहाँ तो हाइड्रो से पैसा पानी की तरह बह रहा है।