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Monday, May 16, 2022

जनमत पार्टी के लिए शिक्षा चुनाव

सत्ता गठबंधन और राज्य संयत्र ने जनमत पार्टी को टार्गेट किया। वैसा दिखा। लेकिन फिर भी स्वीप नहीं किया जनमत ने वो तो बात है। अभी पुरा नतिजा सामने नहीं आया है लेकिन जितना आया है उससे दिख रहा है जनमत पार्टी ने खाता तो खोला लेकिन स्वीप नहीं किया। ये शिक्षा लेने का समय है। आतंरिक छलफल और विश्लेषण का समय है। 

इस चुनवा में चाहे जितना भी भोट लाती जनमत पार्टी राष्ट्रिय पार्टी नहीं बनती। राष्ट्रिय पार्टी बनने के लिए राष्ट्रिय चुनाव लड्ने होते हैं और तीन प्रतिशत भोट लाने होते हैं। वो बात केन्द्रीय संसद के चुनाव में पता चलेगा। 

जिस दिन पार्टी ने घोषणा किया कि केंद्र से किसी उम्मेदवार को कोइ पैसा नहीं मिलेगा सब अपना अपना व्यवस्था खुद करो और जितना निर्वाचन आयोग कह रही है सिर्फ उतना खर्चा करो उसी दिन पार्टी चुनाव हार गयी। अहिंसात्मक लोकतान्त्रिक चुनाव में पैसा बहुत बड़ा अस्त्र होता है। ये ठेकेदार नेता नेक्सस जापान में भी है और बड़ा कसके है। दुनिया में जो राजनीतिक पार्टी सबसे ज्यादा पैसा खर्चा करती है वो है चिनिया कम्युनिस्ट पार्टी। सारा पुलिस उसका। 

अभी जो खुल्लम खुल्ला भ्रष्टाचार होता है नेपाल में वहाँ घोषणा करना कि पैसा है ही नहीं वो तो हथियार डालने वाली बात हो गयी। बल्कि ऐसा हो सकता था कि हम सत्ता में आएंगे तो ठेकापट्टा पुर्ण पारदर्शी, पुर्ण डिजिटल किस्म से बाँटेंगे, लेकिन हमारे नजर में जो सबसे सक्षम ठेकेदार हैं वो ये दिख रहे हैं, तो वैसे लोगों के बीच जा के पैसा उठाना था पार्टी को। नहीं किया। गलती की। 

पढ़े लिखे लोगों की पार्टी है तो प्रत्येक पालिका में डिटेल बजेट पेश करना था। हमारे पालिका का वार्षिक बजेट इतना, हम पाँच साल इस कदर खर्चा करेंगे। उसी बात की तो प्रतिस्प्रधा है। 

स्थानीय चुनाव स्वीप न करने से पार्टी का राष्ट्रिय स्तर पर विस्तार के बात पर थोड़ा ब्रेक लग गया अब। लेकिन वो समस्या नहीं है। रविन्द्र मिश्र का पुर्ण सफाया और बालेन शाह के उदय से अब काठमाण्डु में और पहाड़ हिमाल में वैकल्पिक शक्ति की कमी नहीं रह गयी। जनमत ने अभी तक जहाँ जहाँ संगठन बनाया है सिर्फ वहाँ पैर ज़माने का प्रयास करे। 

अब शायद पार्टी अध्यक्ष डॉ सीके राउत को मुख्य मंत्री का उम्मेदवार घोषित कर प्रदेश चुनाव पर फोकस करना अच्छा होगा। चुनाव बाद में होता है। पहले पैसा का चुनाव होता है। अमेरिका में कहा जाता है Money Primary, अर्थात एक चुनाव वो भी हुवा। वो चुनाव तो शुरू हो चुका। प्रदेश सरकार का बजेट कितना? उसको आप पाँच साल कैसे खर्चा करेंगे? पुर्ण पारदर्शी, पुर्ण डिजिटल, और पुर्ण रूप से मेरिट के आधार पर आप ठेकापट्टा देंगे तो वैसे ठेकापट्टा पाने वाले ठेकेदार कौन सब दिख रहे हैं? उनसे पैसा माँगिए। और ठेकेदार का मतलब सिर्फ कंस्ट्रक्शन नहीं होता। 

बजेट कितना है? उसके आधार पर आपका वार्षिक कार्यक्रम क्या रहेगा? उसमें से निजी क्षेत्र को कितना काम दिजिएगा?  मेरिट के आधार पर ही ठेक्का देना पड़े तो किसको देने की संभावना ज्यादा है? उतना इनफार्मेशन तो रखना पड़ेगा। उनके बीच जाइए और फंडरेजिंग करिए। सब प्राइवेट में ही करते हैं। आप भी करिए। लेकिन सत्ता में आने के बाद ठेकापट्टा को पुर्ण डिजिटल, पुर्ण पारदर्शी रखिए, स्पष्ट मापदंड के आधार पर दिजिए। 

२०१४ के चुनाव में बिहार में नीतिश का सफाया हो गया। जनता समझदार होती है। जनता का कहना था आप तो प्रधान मंत्री पद के लिए लड़ ही नहीं रहे हैं। तो आप को भोट क्यों दें? २०१५ में भारी मत से फिर नितीश को जिताया। 

शायद जनमत पार्टी के लिए अगला कदम मधेस प्रदेश में अकेले सरकार बनाने का प्रयास होगा। मुख्य मंत्री का चेहरा आगे आना चाहिए। सबक सिख के चुनाव लड़ी तो जनमत प्रदेश चुनाव स्वीप करेगी। 

गठबन्धन के तरफ से लाल बाबु राउत और जनमत के तरफ से सीके राउत। उस अवस्था में जनमत अकेले बहुमत लाएगी। मेहनत किया तो दो तिहाई भी संभव है। वो चुनाव शुरू हो चुका। मनी प्राइमरी वाला चुनाव तो शुरू हो चुका। फंडरेजिंग किजिए। कसके किजिए। 

साथ में ही केंद्र का भी चुनाव है। दोनों लड़ना है। केंद्र का मुद्दा रहेगा कि प्रदेश सरकार के पास ताकत है ही नहीं। न प्रहरी न प्रशासन न बहुत ज्यादा बजेट। प्रदेश सरकार को न्यायोचित शक्ति प्रदान करने के लिए केंद्र में जा के संविधान संसोधन करना है। उसके आधार पर केंद्र के लिए भी मत दिजिए। 

दो तिहाइ वाला वेभ क्रिएट करिए तो धाँधली करने वालों का हिम्मत ही फेल हो जाएगा। 



Saturday, April 02, 2022

News: April 2: Janakpur Railway

२२ जिल्लाको ‘मधेसप्रदेश’ मुद्दा ब्युताउँदै लोसपा
रेल हेर्न जनकपुर स्टेशनमा मानवसागर (फोटोफिचर)





स्थानीय निर्वाचनको माहोल
मधेश प्रदेशमा सबैभन्दा धेरै मतकेन्द्र
सत्तामा रहिरहन कांग्रेसलाई गठबन्धन आवश्यक : सुजाता कोइराला
तमलोपा राजनीतिक विकल्पको रुपमा अगाडि बढ्छ : वरिष्ठ नेता डा.सिंह
क्षेत्रीय राजनीतिक शक्तिहरूले मान्यता र सम्मान पाउनुपर्छ : अध्यक्ष लाल

Saturday, December 25, 2021

किसान आन्दोलन

राजनीतिक हिसाब से किसान आन्दोलन ज्यादा प्रभावकारी आन्दोलन है। मल खाद बीज। कंक्रीट चीजें। भ्रष्टाचार आम जनता के लिए बहुत एब्स्ट्रैक्ट हो जाता है। 

Tuesday, November 02, 2021

फ्रेंच क्रांति के स्तर का एक क्रांति करना होगा

२०% आर्थिक वृद्धि दर बिहार में एक दो साल हुवा था। भुटान में एक साल तो ५०% हो गया था सिर्फ एक हाइड्रो प्रोजेक्ट के आधार पर। कहा जाता है आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के सही और व्यापक प्रयोग से अमेरिका जैसे अर्थतंत्र भी २०%, ३०%, ५०% देख सकते हैं। लेकिन लगातार २० साल तक २०% आर्थिक वृद्धि दर नेपाल में जनमत पार्टी को करना है वो दुनिया के इतिहास में अभी तक किसी भी देश में नहीं हुवा है। एक मिशाल बन जाएगा। उदाहरण बन के सारे दुनिया से गरीबी समाप्त कर देनी है। सबसे ज्यादा गरीबी तो भारत में है। सारे दुनिया से गरीबी समाप्त करने का मतलब तीन चौथाई काम तो भारत में है। 

लगातार २० साल तक २०% आर्थिक वृद्धि दर देने में सबसे कठिन पार्ट है राजनीतिक काम जो कि जनमत पार्टी कर रही है। फ्रेंच क्रांति के स्तर का एक क्रांति करना होगा। मारधार खुनखराबा वाला नहीं। ढिशुम ढिशुम नहीं। लेकिन फ्रेंच क्रांति ने एक रूलिंग क्लास को पुर्ण रूप से विस्थापित कर दिया। कुछ वैसा। बिलकुल संभव है। काम शुरू हो गया है। 

एक साधारण चुनावी अभियान के बल पर जनमत पार्टी अगर ३५% सीट जित के देशकी सबसे बड़ी पार्टी बन के काठमाण्डु पहुँचती भी है तो सरकार तो बना लेगी लेकिन देश और समाज का आमुल परिवर्तन नहीं कर सकेगी। एक चुनाव के बाद १५ या ३५% सीट जित के काठमाण्डु पहुँचने के बाद तो मौका ही गुम हो जाएगा। सत्ता में रहिए या प्रतिपक्ष में अकेले नहीं रह सकिएगा। और उसके बाद वाले चुनाव में आप और पार्टी से अलग हैं ये कहने के स्थिति में नहीं रहिएगा। 

जनमत पार्टी  को चाहिए ६५% से उपर सीट। और सत्ता में पहुँचने के बाद उच्चतम आतंरिक लोकतंत्र और चरम पार्टी अनुशासन जो कि अभी प्रदर्शन कर रही है। 

पहले १०० दिन में पाँच साल के लिए फ्रेमवर्क बना लेना होगा। संविधान पुनर्लेखन के रास्ते सच्चा संघीयता और समावेशिता। राज्य का पुनर्संरचना। नेपाल के नौकरशाही में दो तिहाई तो डेड वुड (dead wood) है। नागरिक सरकारी ऑफिस कयों जाए? सरकारी ऑफिस को ही नागरिक के घर पहुंचना होगा डिजिटल सेवा के रूप में। नेपाल के भुमि पर रहे प्रत्येक व्यक्ति को बायोमेट्रिक आधार पर डिजिटल पहिचानपत्र और उसके आधार पर बैंक खाता। पहले १० महिना में किसी तह के सरकार द्वारा खर्चा नहोनेवाला समस्त पैसा सीधा कॅश ट्रांसफर। 

राजनीतिक भागबण्डा पर पद पर पहुँचे सभी न्यायधीश का घर वापसी। 

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन आग इसलिए नहीं पकड़ रही है कि भ्रष्टाचार समाप्ति का ठोस कार्यक्रम सामने आया नहीं है। एक हाकिम साहेब टॉपलेस नगर परिक्रमा कर लेंगे उससे भ्रष्टाचार समापत हो जाएगा ये बात जनता पतिया नहीं रही है। सरकारी तलब लेने वाले या सरकारी ठेकापट्टा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपना और अपने परिवार का संपत्ति विवरण प्रत्येक साल दर्ता कराना होगा, अख्तियार को पुर्ण रूप से नया रूप देना होगा। एक नया अख्तियार पैदा करना होगा। दाँत वाला। उसको सबल और स्वायत्त बनाना होगा। 

जबसे सी जिनपिंग सत्ता में आया १०% वाला आर्थिक वृद्धि दर चीन के लिए सपना हो गया। बन्दे को आर्थिक वृद्धि का अतापता नहीं है। स्वाभाविक बात है। जिस मिडल इनकम ट्रैप में चीन जा के फँस गयी है वो सिंगापोर ने कभी देखा नहीं। क्यों कि सिंगापोर ने सदा माना जॉब क्रिएशन तो निजी क्षेत्र का काम है। सरकार का काम है शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर और इज ऑफ़ डूइंग बिजनेस। 





Tuesday, October 26, 2021

जनमत पार्टी के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन का पहाड़ी पुर्वाग्रही मीडिया द्वारा ब्लैकआउट कब तक (भ्रष्ट मीडिया)

केपी ओलीलाई धक्का : प्रभु साहले नेकपा ब्युँताउने, ५१ सदस्यीय कमिटी तयार साहले बनाउने केन्द्रीय कमिटीमा दुई दर्जन बढी पूर्वसभासदहरुको नाम समावेश हुने स्रोतको दाबी छ । ........ आइटी आर्मीको ब्यानरमा प्रदेश २ मा विभिन्न कार्यक्रमहरु गरेका उनले यसमार्फत सातै प्रदेशमा नेटवर्क बनिसकेको बताउँदै अब देशैभरि नेकपा पुनर्जाग्रित गर्ने लाइन लिएको स्रोतले बतायो ।

पारसलाई भेटेपछि भरतमणि लेख्छन्, ‘शुभचिन्तक थिएँ, प्रशंसक भएँ’ शोमा पुर्व युवराजको गेटअपका लागि उनले दुई बर्ष तयारी गरेका थिए । स्वतन्त्र मानिस भएर कसरी बाँच्न सकिन्छ भन्ने एउटा उदाहरणको रुपमा शाह पाएको बताएका पौडेलले नक्कलका लागि शाहको बोलेको सबै भिडियो, हाउभाउ, नृत्य, रियाक्ट लगायत सबैको अध्ययन गहिरिएर गरेका थिए । ....... प्रस्तुतिका कारण पुर्व राजपरिवारबाट प्रशंसा समेत पाएका थिए । प्रस्तुतिपछि चौतर्फी चर्चा बटुली रहदा पौडेलले भने मिडियासँग शाह भेट्ने अवसर नमिलेको र भेट्ने चाहना रहेको बताएका थिए । सेमिफाइनलमा शाह भेट्ने चाहना राखेका भरतको उक्त चाहना विजेता बनेपछि पुरा भएको छ । उनले केही दिन अगाडि शाहलाई भेटेका हुन् । ...... ‘साच्चै नै भन्ने हो भने उहाँ साह्रै रमाइलो साथी जस्तै हुनुहुँदो रहेछ ।

कर्मचारीहरू आन्दोलित, पेनडाउन सुरू त्यसको विरुद्धमा आधिकारिक ट्रेड युनियनले प्रदेश २ भरि नै एक सातासम्मको आन्दोलन कार्यक्रम सार्वजनिक गरेको नेपाल मधेशी निजामती कर्मचारी मञ्चका महासचिव बेचन महतोले बताएका छन् । ....... एक सातासम्म पेनडाउन गर्ने र कालोपट्टी बाँधी विरोध जनाउने बताउँदै महतोले भने, ‘कर्मचारीमाथि दुर्व्यवहार गर्नेलाई कारबाही भएन भने अझ सशक्त आन्दोलनको कार्यक्रम घोषणा गर्नेछौं ।’

https://www.hulakinews.com/archives/36457
https://www.hulakinews.com/archives/36349
https://www.hulakinews.com/archives/36423





Monday, October 04, 2021

पहला प्रहार जनकपुर के मेयर के तरफ से हुवा

पहला प्रहार जनकपुर के मेयर के तरफ से हुवा। अब जनमत पार्टी के लिए मधेसवादी कहलानेवाले पार्टी, नेता, कार्यकर्ता के विरुद्ध शांतिपुर्ण लोकतान्त्रिक सम्पुर्ण संघर्ष और राजनीतिक आक्रमण जायज है। विशुद्ध मधेसवाद भ्रष्टाचार के पक्ष में न पहले कभी था न अभी हो सकती है। सम्पुर्ण संघर्ष और सम्पुर्ण राजनीतिक आक्रमण का निर्णय करते हुवे भी जनमत पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को ये मान के चलना होगा कि विपक्षी खेल के नियम पालन ही करेंगे वो जरूरी नहीं है। खेल का नियम पालन करते तो भ्रष्टाचार में लिप्त होते ही नहीं। इसीलिए सम्पुर्ण सजगता अपनाना जरूरी है। 

जनकपुर तो ड्रेस रिहर्सल है। नाटक तो काठमाण्डु में होगा। डंके के चोट पर होगा। फिडेल कास्ट्रो छोटे से देश से था लेकिन सारी दुनिया में नाम था। जनमत पार्टी वो नाम देने जा रही है। चीन ने गरीबी तो हटाया लेकिन सिर्फ चीन में। जनमत पार्टी नेपाल में गरीबी समाप्त करेगी। उदाहरण बनना भी नेतृत्व होता है। नेपाल में काम कर के सारे दुनिया में गरीबी ख़तम करेगी। 

पोखर का पानी ख़तम मच्छर ख़तम। अशिक्षा ख़तम राणा शासन ख़तम। गरीबी ख़तम नेपाल से कम्युनिस्ट गायब। 

शाह वंश के वापसी का ख्वाव देखने वालो, शाह वंश तो गया। लिच्छवी लेकिन लौट रहे हैं। तैयारी पुरा है। 

लाल किशोर ने सीके राउत के मकान के दोनों तरफ कुराकचरा के पहाड़ खड़ा कर के बिगुल फुक दिया। ये जनमत पार्टी का रमेश महतो क्षण है। आंदोलन शुरू। 

शहीद मत बनो। शहीद नहीं चाहिए। पार्टी सदस्य और पार्टी कार्यकर्ता चाहिए। सदस्यता लो। पहले से सदस्य हो तो सदस्यता अभियान चलाओ। औरो को सदस्य बनाओ। अनुशासन में रह के शांतिपुर्ण आंदोलन करो। 

संगठन ही शक्ति है। 

जनकपुर में तो छोटे मछली हैं। नपुंसक अख्तियार का रेकॉर्ड ही है छोटे छोटे मछली को पकड़ना। बड़े मछली सब को पकड़ने आ रही है जनमत पार्टी काठमाण्डु। होशियार। 



YouTube: October 4

Wednesday, September 15, 2021

मेची नदी, राप्ती नदी, चुरिया: जनमत को इलाका

नेपाल ले भारत को जस्तो संघीयता को नक्शा कोर्ने हो भने त्यो नक्शा हुनेछ माओवादी को प्रथम नक्शा जहाँ मेची नदी देखि राप्ती नदी सम्म मधेस प्रदेश थियो, त्योभन्दा पश्चिम थरुहट थियो। कुनै न कुनै दिन त्यो नक्शा सम्म पुग्नु पर्छ नै। माओवादी को नक्शा थियो सही तर त्यहाँ संघीयता को अवधारणा थिएन। त्यो मधेस एउटा तिब्बत थियो। तिब्बत को नक्शा सही भए पनि त्यहाँ संघीयता छैन। बेइजिंग बाट अंचलाधीश आइपुग्छ शासन गर्न। 

के जनमत पार्टी ले त्यो मेची राप्ती बेल्ट मा मात्र फोकस गरेर मधेस लाई समानता र समृद्धि दिलाउन सक्छ त? दिलाउँछु भनेको छ। संभावना कति छ? संभव छ तर त्यस का लागि बीजेपी ले उत्तर प्रदेश स्वीप गरे जस्तो गरी स्वीप गर्नु पर्ने हुन्छ। ९०% सीट जितेर देखाउनुपर्ने हुन्छ। मेची राप्ती बेल्ट मा ७०% भोट बटुलेर ९०% सीट जिते त्यो केंद्र मा एक तिहाई मात्र हो। तर केंद्रीय संसद मा एक तिहाई सीट भएको पार्टी यदि देश को सबैभन्दा ठुलो पार्टी हो भने केंद्र मा सरकार बनाउँछ। 

तर त्यो राम्रो बाटो होइन। ४६ साल मा कांग्रेस र वाम मोर्चा ले मरीचमान सँग मिल्ने कि थापा अथवा चंद सँग भने जस्तो अवस्था आउँछ। जनमत पार्टी ले जुन किसिम को आमुल परिवर्तन चाहेको छ त्यस का लागि केंद्रीय संसद मा त्यसलाई ६०% सीट चाहिन्छ। मधेसी समुदाय को शत प्रतिशत मत बटुले पनि त्यो केंद्रीय संसदमा हाराहारी एक तिहाइ मात्र हुनेछ। 

तर स्थानीय चुनाव मा मेची राप्ती बेल्ट मा फोकस गरेर, स्वीप गरेर, त्यो बेल्ट को भारी बहुमत को पार्टी बनेर, एक वर्ष राम्रो काम गरेर अनि बल्ल ७७ जिल्ला पुग्ने बाटो हो शायद। 

जनमत पार्टी ले मोही माग्ने ढुङ्ग्रो लुकाउने गर्नु हुँदैन। मधेस को आमुल परिवर्तन का लागि सारा देश कब्ज़ा गर्नै पर्ने हुन्छ। 















Tuesday, September 14, 2021

"जसपा बलियो कि लोसपा?"

के वर्षमानलाई प्रचण्डको उत्तराधिकारीका रुपमा तयार पारिँदैछ?
प्रधानमन्त्री देउवा, प्रचण्ड र नेपालबीच बालुवाटारमा १ घण्टा कुराकानी

एमाले छाड्दै प्रभु साह! ओलीसँग असन्तुष्ट बनेपछि एमालेका बैठकहरुमा भाग लिन छाडेका साहले गत साउन ५ गते ‘आईटी आर्मी’ नामको एउटा संगठन बनाएको घोषणा गरेका थिए। त्यो घोषणा कार्यक्रममा पूर्वमाओवादी नेतासहित केही एमाले नेतासमेत सहभागी थिए। ‘सामाजिक विकृति विसंगतिविरुद्ध लड्ने’ भन्दै घोषणा गरिएको त्यो संगठनले प्रदेश २ का आठ जिल्लामा संरचना बनाएको छ। ...... ‘अब हामीले खोल्ने दल संविधान र अहिलेको व्यवस्थाविरोधी नीति लिएर अघि बढ्ने खालको हुनसक्छ, हामी त्यही तयारीमा छौं।’ ...... कम्तीमा तीन महिनाभित्र आफ्नो ने्तृत्वमा पार्टी गठन गर्नेगरी साह अघि बढेको उनीनिकट ती नेताले बताए। ...... उनको प्रयासकै कारण अन्यत्र भन्दा प्रदेश २ मा माओवादीले अलि धेरै नोक्सानी ब्यहोर्नुपरेको छ। .... तर, प्रचण्डबाट सकारात्मक ‘रेस्पोन्स’ नपाएपछि उनी न एमालेमा रहन सक्ने न माओवादीमा फर्कने स्थितिमा पुगे। साहनिकट एक नेता भन्छन्, ‘त्यसपछि उहाँ आफ्नै नेतृत्वमा पार्टी बनाउनुपर्छ भन्ने निष्कर्शमा पुग्नुभो।’

प्रदेश २ का स्थानीय तहमा जसपा बलियो कि लोसपा? तत्कालीन राष्ट्रिय जनता पार्टी (राजपा)बाट निर्वाचित भएका जनप्रतिनिधिले महन्थ ठाकुर नेतृत्वको लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी र तत्कालीन संघीय समाजवादी फोरमबाट निर्वाचित भएकाले जसपा रोजेका छन्। एकताध स्थानीय तहका जनपतिनिधिले मात्रै दल फेरेका छन्। ....... ‘तत्कालीन राजपाको चुनाव चिह्न साइकल थियो। अहिले उहाँहरुले चुनाव चिह्न साइकल बनाउनु भयो ....... प्रदेश २ मा १३६ स्थानीय तह छन्। त्यसमध्ये राजपाले २५ स्थानीय तहको प्रमुख र ३० स्थानीय तहको उप्रमुख जितेको थियो। यस्तै, तत्कालीन संघीय समाजवादी फोरमले २६ स्थानीय तह प्रमुख र २५ स्थानीय तहका उपप्रमुख जितेको थियो। स्थानीय तहमा धेरै फोरमले जितेको थियो। वडा भने सबैभन्दा धेरै राजपाले १९४ वडामा अध्यक्ष जितेको थियो। तर, फोरमले फोरमले १९१ वडा अध्यक्ष मात्रै जितेको थियो।



प्रदेशमा जसपा बलियो कि लोसपा? यस्तो छ अंकगणित पार्टी विभाजन भएपछि संघदेखि प्रदेश र स्थानीय तहमा जसपा बलियो देखिएको छ। संघमा ३४ जना सांसदमध्ये २ जना निवम्बित भएकाले ३२ जना सांसद मात्रै छन्। त्यसमध्ये उपेन्द्रको पक्षमा १८ जना र लोकतन्त्रिक समाजवादी पार्टीको पक्षमा १४ जना मात्रै खुलेका थिए।

प्रधानमन्त्री देउवा, प्रचण्ड र नेपालबीच बालुवाटारमा १ घण्टा कुराकानी ३ नेताबीच मन्त्रिपरिषद् विस्तार, संसदमा जारी प्रतिपक्षी दलको अवरोध र प्रतिस्थापन विधेयकको प्रक्रिया अगाडि नबढ्दा सरकारी खर्च कसरी चलाउने भन्ने विषयमा छलफल भएको जनाइएको छ।

He Turned a Village High School Into Israel's Best. Now He Dreams to Change the Entire Country Ali Salalha led his high school in a Druze community in northern Israel to become a national success story. From his new position as a recently elected Member of Knesset, he has even greater plans for the future ........ After earning the highest levels of recognition in their field, other school principals might have chosen to rest on their laurels and take it easy once they hit retirement age. Not Ali Salalha.

Why We Must Monitor the Sale of Surveillance Tech Learning about the Pentagon’s drone program through FOIA requests and public filings ...... At one point, I brought up the ethical issues of researching surveillance technology with the DARPA program manager, but frankly, raising ethical concerns in such a competitive environment felt a bit like labeling myself a troublemaker. ........ Soon I was asked to serve as the face for the disgruntled U.S. tech worker who refused to build AI weapons or surveillance for their government—that is, behind closed doors, in meetings with a group of senior representatives from the Pentagon and intelligence agencies. Suffice it to say that my pleading for the protection of human rights internationally by U.S. companies was—in a non-derogatory manner—called “idealism” by a senior U.S. official. (That person has since joined the board of an AI defense contractor.) ..........

how the Pentagon and intelligence agencies are pursuing AI for war

. .......... The AI drone surveillance project integrated into facial recognition and satellite surveillance in its scoping of potential targets. ....... Project Maven also tied into both social media and cellphone location-tracking surveillance, which can be nicely combined on a map to provide military operators a sense of the political climate in a given area .......... This so-called “Publicly Available Information” (PAI) is then aggregated within the U.S. Army’s Secure Unclassified Network (SUNet), making heavy usage of data fusion software from the notorious surveillance-tech company Palantir. ........... Special Forces have also found internet surveillance a useful component of their situational awareness. ..........

An entire industry of civil society organization whitewashes this surveillance work.

....... AI companies such as Clarifai, Rebellion Defense, and Amazon are more overt about their defense work. Surprisingly, it turns out that tech giant Microsoft was the largest subcontractor on ECS Federal’s Project Maven awards. Also of note: Despite Google ceasing its AI development, two of the key companies involved in Project Maven—both Rebellion Defense and Orbital Insight—have continued on the project with backing from Google’s parent company Alphabet and its former executive Eric Schmidt. ...... Microsoft, Clarifai, and Palantir are major AI contractors for the Pentagon.


Tuesday, September 07, 2021

संविधान संसोधन: यस संसद ले गर्नुपर्ने प्रमुख काम


संविधान संसोधन: यस संसद ले गर्नुपर्ने प्रमुख काम 

सार्वभौमसत्ता जनता मा निहित हो भने त्यो जनताले संघीयता को नक्शा बदल्न नपाउने भन्ने हुँदैन। यो सात प्रदेश नै अंतिम हो भन्ने सोंच तानाशाही मनोवृति हो। ७७ जिल्ला गायब गर्नुपर्छ। 

नागरिकता को सवाल मा भएको अधिकार पनि छिन्ने काम भयो। अंतरिम संविधान ले त्यो हरण बन्देज गरेको थियो। 

प्रदेश को आफ्नो प्रहरी, आफ्नो लोक सेवा आयोग छैन भने त्यो प्रदेश कसरी भयो? 

राष्ट्रिय सभा को बनौट ले मधेस माथि भिटो पावर स्थापित गरेको छ। प्रतिनिधि सभा को अंकगणित जेसुकै भए पनि राष्ट्रिय सभा मा हामी सधैँ आफ्नो बहुमत बनाएर राखिहाल्छौं भन्ने पहाड़ी समुदाय को सोंच देखियो। मधेस लाई उपनिवेश बनाइराख्ने सोंच हो त्यो। 

संविधान संसोधन: जसपा र लोसपा को मनोमालिन्य कम गर्ने उपाय 

व्यक्तिगत केमिस्ट्री बिगरेको हुन सक्छ। तर मुद्दा मा फोकस गर्दा दुई दल बीच राजनीतिक सम्बन्ध स्थापित हुन्थ्यो कि? 

पार्टी फोड़न ४०% केंद्रीय समिति र ४०% संसदीय दल चाहिने प्रावधान संविधान मा छ। त्यस लाई अध्यादेश को बाटो संसोधन गर्न पाइँदैन। गर्दिए। ओली मनोवृति देउबा, प्रचंड र माधव मा पनि देखियो। ४०% संसदीय दल भए पुग्ने अन्य देश हरु को जस्तो प्रावधान नै राम्रो प्रावधान हो। तर त्यस का लागि त संविधान संसोधन को बाटो जानुपर्ने हुन्छ। 

कुनै पनि अध्यादेश संविधान सँग नबाझेको हुनैपर्छ। संविधान को रक्षा गर्न बसेकी राष्ट्रपति ले हेर्नुपर्ने हो। 

संविधान संसोधन: गगन को गनगन 

गगन थापा ले गुट परिवर्तन गरे। सिटौला छोड़े, रामचन्द्र समाए। तर गर्नुपर्ने काम "यही संविधान बाट गर्ने हो" भनेका छन। त्यो भनेको संविधान संसोधन को विरोध पो हो कि? पुस्ता परिवर्तन भए पनि पुर्वाग्रह यथावत रहने विवेकशील साझा मा देखियो। कांग्रेस मा पनि त्यही हो भने पुर्वी पाकिस्तान, पश्चिमी पाकिस्तान को बाटो देश गयो। गगन लाई विमल आकर्षक नलागेको जित्ने कैंडिडेट को खोज हुन सक्छ। त्यो पाइन्छ। तर न मधेस को मुद्दा पच्ने, न मधेसी अनुहार पच्ने कांग्रेस मधेस मा थप खुम्चिने कांग्रेस हो। 

पुर्वी पाकिस्तान, पश्चिमी पाकिस्तान भनेको देश एक बाट दुई नै हुनुपर्दैन। पहाड़ मा पहाड़वादी जित्ने, मधेस मा मधेसवादी मात्र जित्ने अवस्था हो। 

कांग्रेस का तीन पार्टी जस्ता तीन गुट यथावत रहेको महामंत्री का तीन उम्मेदवार ले देखाइरहेका छन। तर विचार र व्यवस्थापन बारे खासै बहस छैन। छ भने सिर्फ इगो मैनेजमेंट। देउबा गुट का दुई उम्मेदवार। रामचंद्र गुट बाट एक मात्र उम्मेदवार दिने असफल प्रयास। सिटौला ले देउबा लाई आफ्नो समर्थन दिन सक्ने संभावना। सत्तामुखी कार्यकर्ता पनि हुन्छन्। देउवा लाई कम आँकन सकिँदैन। तर भन्न गारहो। 

नक्शा परिवर्तन: मैंडेट खोइ?

मधेसवादी ले भन्ने गरेको १० प्रदेश का लागि त चुनावी मैंडेट नै चाहिन्छ। कांग्रेस कम्युनिस्ट लाई ३०% तिर झार्न सक्नुपर्छ। 


संसदीय दलको बैठकमा देउवाको निर्देशन : एमसीसी देशकै हितमा छ, भ्रम चिर्नुस् ‘एमसीसी पहिले पनि कानुन अनुसार नै अघि बढेको हो र यो बीचमा धेरै दलको सरकार बन्यो त्यो बेलामा पनि यो कानुनअनुसार नै अघि बढ्यो,’ देउवाको भनाइ उदृत गर्दै भुसालले भनिन्, ‘यसलाई बाहिर अनावश्यक राजनीति गरेर भ्रम फैलाइयो । यसलाई चिर्नुपर्छ ।’ ...... बैठकमा देउवाले एमसीसीको विषयमा नभएको भ्रम फैलाइएको पनि बताए । ‘हुँदै नभएको भ्रम फैलाइरहेका छन् । अब सांसदहरु सबैले यो भ्रमलाई चिर्नुपर्छ । जनतालाई बुझाउनुपर्छ’ देउवाले बैठकमा भने ।

काठमाडौँमा तीनसहित पाँच ठाउँमा घरजग्‍गा, दुई करोड ऋण प्रधानसेनापति थापाको अद्यावधिक सम्पत्ति सार्वजनिक उनले सेनाको नेतृत्व सम्हालेलगत्तै सम्पत्ति विवरण सार्वजनिक गरेका थिए । महारथी थापा नै सम्पत्ति विवरण सार्वजनिक गर्ने पहिलो सैनिक हुन् । तीनवर्षे प्रधानसेनापतिको कार्यकालसहित ४१ वर्ष आठ महिना २२ दिनको सैनिक जीवन व्यतित गरी आगामी बिहीबार सेवानिवृत्त हुँदै गर्दा उनले वेबसाइटमार्फत सम्पत्ति विवरण सार्वजनिक गगरेका हुन् ।





‘हामी यस्तै त हो नि ब्रो !’ आफ्नै पार्टीका नेता र दाताहरूलाई पजनी शैलीमा पद दिने र बिर्ता बाँड्ने ढंगले आसेपासेलाई पोस्ने मालिकहरूले पार्टी राजनीतिलाई सामूहिक, सामुदायिक र सार्वजनिक नीतिबाट खुम्च्याएर निजी, स्व र आफन्ततिर केन्द्रित गर्नु अब आश्चर्यको विषय हुन छाडेको छ । .....

दलहरूको विभाजन अमिबा–शैलीमै भइरहेको छ

....... पार्टी एकताबारे अनेक दाबी र विरोध गर्ने नेता–कार्यकर्ता हिजो कुन समूहमा, आज कुन गुटमा, भोलि कुन दलमा हुन्छन्, पछ्याउनै कठिन हुने अवस्था छ । विभाजित दलहरूको स्थिति र दलपतिहरूको मनस्थिति हेर्दा यो उखान चरितार्थ भइरहेको अनुभूति हुन्छ— ‘भताभुंगे राजाको लथालिंगे चाला, जजसले सक्ला, उसले खाला ।’ ........ बालुवाटारबाट बालकोट सरुवा भइसक्दा पनि यस्ता भताभुंगे दलपतिको धरहराभन्दा उच्च अहंकार र चोथालेपनमा कमी आएको छैन । जोड र कोण कम वा बेसी हुन सक्छ, तर सबैजसो पार्टी नेतृत्वको चालामाला हेर्दा

अधिकांश दलका पतिहरूमा एमाले अध्यक्ष खड्गप्रसाद शर्मा ओलीकै प्रवृत्ति हावी रहेको देखिन्छ ।

......... दलको सत्ता–शक्तिमा आफ्नो हात माथि नपरेसम्म ‘एक व्यक्ति : एक पद : एक जिम्मेवारी’ को वकालत गर्ने नेताहरू आफू सत्तासीन हुनासाथ आफ्नै नारा रछ्यानमा फ्याँक्न पटक्कै हिचकिचाउँदैनन् र अनैतिकताको आहालमा डुबे पनि आफू ओभानै रहेको ठान्ने गर्छन् । ओली र ओलीवादीहरूले पार्टीको सत्तामा आसीन हुन नपाउँदासम्म पैरवी गरेको नारा पार्टीको अध्यक्ष र संसदीय दलको नेतामा प्रभुत्व कायम भएसँगै त्यसलाई टुकुचामा जसरी फ्याँके, विधिको बात मार्ने माधव नेपालले पनि आज एकीकृत समाजवादीमा ओली प्रवृत्ति नै दोहोर्‍याएर ‘हामी यस्तै त हो नि ब्रो’ भन्दै नसुध्रिने स्पष्ट संकेत गरेका छन् । ........... एकीकृत समाजवादी भनेकै माधव नेपाल, माधव नेपाल भनेकै एकीकृत समाजवादी † जसरी एमाले भनेकै खड्गप्रसाद शर्मा ओली हुन्, कांग्रेस भनेकै देउवा हुन्, माओवादी भनेकै पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड हुन्, ठीक त्यसरी नै देखिएको छ माधव नेपालको भावभंगिमा पनि .......... आम जनताको भलाइ वा वर्गीय मुक्तिका नाममा निर्मित

पार्टी भनेकै प्राइभेट कम्पनी हो, जहाँ कम्पनीको मालिक नै सर्वेसर्वा हुन्छ ।

आफ्नै पार्टीका नेता र दाताहरूलाई पजनी शैलीमा पद दिने र बिर्ता बाँड्ने ढंगले आसेपासेलाई पोस्ने मालिकहरूले पार्टी राजनीतिलाई सामूहिक, सामुदायिक र सार्वजनिक नीतिबाट खुम्च्याएर निजी, स्व र आफन्ततिर केन्द्रित गर्नु अब आश्चर्यको विषय हुन छाडेको छ । .............. सभापति वा अध्यक्ष भइसकेपछि पार्टीलाई नै निजीकरण गर्ने र सर्वाेच्च पदाधिकारीकै कुर्सीसहित घाटसम्म पनि जाने अधिनायकवादी इच्छा र अभ्यासको महाव्याधि छ । वर्गीय समानताका लागि भन्दै जेलनेल बेहोरेका र वर्ग–युद्ध नै चलाएका दलपतिहरू अध्यक्षीय समानतासमेत स्विकार्न तयार नभएको दृश्य ‘कुर्सी काण्ड’ हरूमा देखिएकै छ । दुई जना अध्यक्षको कुर्सी व्यवस्थापन र बसाइमा समेत असमानता देखाउने मात्रै होइन, विभेद नै जताउने दलपतिहरूले उराल्ने समानताको नारा र समताको अभ्यास पार्टीभित्र त लागू हुँदैन, समाज र राज्यमा कहाँ हुन्छ र ! ........... सर्वेसर्वा दलपतिहरूका लागि लोकतन्त्र र समाजवाद केवल आफ्ना लागि मात्रै हो, अरूका हकमा लागू गर्ने त तानाशाही र पुँजीवाद नै हो । ..........

आफूलाई मात्रै सूचना, ज्ञान, बुद्धिको भकारी ठान्ने सर्वज्ञाताहरूलाई जनताको ज्ञान र विवेकमाथि कुनै भरोसा हुँदैन ।

र त उनीहरू जनताका नाममा एक्लै निर्णय गर्छन्, जनताकै लागि विधान र संविधान जारी गर्छन्, जनहितकै नाममा आदेश र अध्यादेश जारी गर्छन् । र जनताको भाग्य आफैंले फैसला गर्दै रैतीकरणलाई नै जारी राख्छन् । ............... तपाईं बेसीभन्दा बेसी नेता–कार्यकर्ताको सहभागितामा, सकेसम्म वस्तुसम्मत हेराइ, तार्किक व्याख्या र व्यापक छलफलबाट निर्णयको प्रक्रिया अगाडि बढाउनुहुन्छ ? खुला र व्यापक (पोलेमिक्स) छलफलमा आएका विचारको ‘सिन्थेसिस’ (संश्लेषण) गर्दै ठोस निष्कर्षमा पुग्नुहुन्छ र स्वैच्छिक सम्मतिको अवस्था निर्माण गर्नुहुन्छ ? ........... आन्तरिक लोकतन्त्रको अर्काे आयाम हो— पार्टी सदस्यहरूबीचको आपसी सम्बन्ध समानता, स्वतन्त्रता र कमरेडसिपमा आधारित छ कि छैन, मानवीय र लोकतान्त्रिक छ कि छैन ? यहाँ हेर्नैपर्ने पक्ष के हो भने, पार्टीका प्रमुख र अरूहरूबीचको पारस्परिक सम्बन्ध उँचनीच वा असमान मात्रै होइन, अरूको स्वतन्त्रता हनन गर्ने हदसम्म अमैत्रीपूर्ण वा शत्रुतापूर्ण पो छ कि ? सोध्नैपर्ने पाटो के हो भने, तपाईं अरू नेता र कार्यकर्तालाई सहकर्मी, सहयोद्धा वा समान हैसियतको कमरेड ठान्नुहुन्छ कि आफू मातहतका, आफ्ना सहायक मात्रै होइन, अह्रौटे–भरौटे नै मान्नुहुन्छ ? .................... तपाईंहरू धेरैजसो निर्णय गोप्य तरिकाबाट किन गर्नुहुन्छ ? अनेक गठबन्धन, अनेक गुट, अनेक गोप्य बैठकपछि मात्रै निर्णय किन हुन्छ ? एकले अर्काे गुटविरुद्ध गोप्य खेल खेल्ने क्रममा चालबाजी, तिकडम र षड्यन्त्रसँगै सौदाबाजी नै किन बेसी हुन्छन् ? .............. सबैजसो असमान शक्ति संरचना र सम्बन्धमा हुर्केका तथा ‘प्याट्रोन–क्लाइन्ट रिलेसनसिप’ (संरक्षक र संरक्षितको सम्बन्ध) मा आनन्दित भएका नेताहरूले यस्तो संरचना र सम्बन्ध फेर्न नखोज्नु आश्चर्यको कुरा होइन । उनीहरूले आन्तरिक रूपमा दलहरूको पुन:संरचना नभएमा केपी बा वा देउवा दाइ वा प्रचण्ड बूढा वा अन्य नाम र संज्ञामा पार्टीको निजीकरण र राजनीतिकै मालिक्याइँ जारी राख्ने खतरा अझै छ । यस्तो अवस्थामा

असमान शक्ति–संरचना र सम्बन्धलाई जरैदेखि फेर्ने नयाँ आन्दोलनको निर्माणसँगै लोकतान्त्रिक, जनमुखी र मानवीय नेतृत्वको स्थापना टड्कारो भएको हो ।



हलिया मुक्तिको १३ वर्ष : साहुलाई उन्मुक्ति, हलिया कायमै कानुनअनुसार वर्षौदेखि खनजोत गरेको जग्गामा मोहियानी हक लाग्छ । तर, सरकारले मुक्त हलिया घोषणाका नाउँमा मोहियानी हक दिलाएन । बरु हलियाहरूको पुन:स्थापना गर्ने 'ललिपप' दिएर साहुजनलाई मुक्ति दियो । ........ हलिया मुक्तिको घोषणा भएको सोमबार १३ वर्ष पूरा भएको छ । तर, जानकी र उनीजस्तै हजारौं परिवारले अहिले पनि हलियाको जीवनबाट मुक्ति पाएका छैनन् । अब उनीहरूसँग न जोत्ने जग्गा छ, न बस्ने घर । सरकारले उनीहरूलाई मुक्त हलियाको परिचय–पत्रसम्म पनि दिएको छैन । हलिया मुक्तिको घोषणा गर्दै उनीहरूको पुन:स्थापनाको बाचा गरेको थियो । तर, पहिलो चरणको तथ्यांक संकलनमै छुटेको जानकीको परिवारले अहिलेसम्म पनि पुन:स्थापना पर्खिरहेको छ । ......... ‘समाजले हलिया भनेर विभेद गर्न छाडेको छैन, सरकारी सेवा सुविधा र विकासका कार्यक्रममा हाम्रो पहुँच छैन । लक्षित वर्गका लागि आएको कार्यक्रम पनि मुक्त हलियाले पाउँदैनन्,’ अध्यक्ष सुनार भन्छन्,

‘मुक्त हलिया घोषणाले हामीलाई भन्दा साहुलाई फाइदा भयो ।’

........... कानुनअनुसार वर्षौदेखि खनजोत गरेको जग्गामा मोहियानी हक लाग्छ । तर, सरकारले मुक्त हलिया घोषणाका नाउँमा मोहियानी हक दिलाएन । बरु हलियाहरूको पुन:स्थापना गर्ने ललिपप दिएर साहुजनलाई मुक्ति दियो । ‘यसरी गरिबको उत्थान गरेको कि दमन ? कसले छुट्याइदिने ?’ ......... सरकारले हलिया मुक्तिको घोषणा गर्दा हलियाको संख्या १९ हजार ५९ थियो । तर, त्यसमध्ये १६ हजार नौ सय ५३ घरपरिवार मात्रै मुक्त हलियाको सूचीमा सूचीकृत भए । तर, अहिलेसम्म सरकारले १४ हजार दुई सय ४२ लाई मात्रै परिचय पत्र बाँडेको छ । ३ हजार ४ सय ७ परिवार पुन:स्थापनाको पखाईमा छन् भने अरु १५ हजार हलियाहरू सरकारी तथ्यांकमा छुटेको महासंघको भनाइ छ । ........ मुक्त हलिया भने सरकारसँग खुसी छैनन् । ‘सरकारले मुक्त हलियाको परिचय पत्र दियो, सानो घर र घर उभिने जग्गा आफ्नै भयो, तर के खाएर बाँच्ने भन्ने कुनै आधार छैन,’ कैलालीको गौरीगंगा नगरपालिका–१० का भोजबहादुर सार्कीले भने । उनले छाक टार्नकै लागि मुक्त हलिया घोषणा भएर पनि हलियाकै रुपमा काम गर्नुपर्ने बाध्यता सुनाए । ‘सरकारले दिएको जग्गामा घर उभ्याउने बाहेक दुई बोट साग उमार्ने ठाउँ पुग्दैन,’ उनले भने, ‘अहिले चर्पी बनाउनै १० लाख खर्च हुन्छ, हामीलाई घर बनाउन जम्मा तीन लाख रुपैयाा दिइएको छ ।’ मुक्त हलियाहरूले परिचय पत्रका आधारमा अरु कुनैपनि सुविधा नपाएको गुनासो गर्छन् । .......... सरकारले मुक्त हलिया पुन:स्थापना कार्यको लागि मालपोत कार्यालयहरूमार्फत ९७ करोड ५८ लाख ५४ हजार र स्थानीय तहहरूमार्फत २६ करोड १७ लाख ७७ हजार समेत गरी एक अर्ब २३ करोड ७६ लाख ३१ हजार रुपैयाँ खर्च गरेको छ । तर, त्यो रकम कहाँ ? कसरी खर्च भयो र भौतिक उपलब्धि कति छ भन्ने कुनै लेखाजोखा छैन । ..........

मुक्त हलिया घोषणाले वर्षौदेखि खनजोत गरेको जग्गामा मोहियानी हक दिनुपर्ला भनेर त्रसित साहुहरूलाई मुक्ति मिलेको छ ।

........ कर्मचारीको कमिसन खेलमा खरिद भएका पाखामा एउटा झुप्रो हुँदैमा गरिबको चुलो कसरी बल्छ ? .......... ‘कतिपयले परिचय पत्र नै पाएका छैनन्, कतिपयले लालपुर्जा पाएका छैनन्, लालपुर्जा पाउनेले जग्गा पाएका छैनन्, सरकारले पुन:स्थापना गरिएको भनेकाहरूलाई जीविकोपार्जनमा उस्तै समस्या छ .......... सुदूरपश्चिम र कर्णालीमा बधुवा श्रमिक राख्ने एक प्रथा नै हलिया हो । साहुबाट बाध्यतावश घरायसी कामकाज चलाउनका लागि एउटा पुस्ताले ऋण लिएर त्यसको व्याज वापत वा साहुको जग्गाको सानो टुक्रा उपभोग गरेबापत साहुले अर्‍हाएका सम्पूर्ण काम पुस्तौं पुस्तादेखि गर्ने प्रथा नै हलिया प्रथा हो । साहुको खेतीपाती लगाउने, हलो जोत्ने मालिकको भारी बोक्ने, दाउरा चिर्ने, मल फाल्ने, बस्तुभाउ स्याहार्ने तथा दैनिक रुपमा गरिने कामहरू बिना ज्यालामा गरिदिनुपर्ने बाध्यकारी अवस्था हो । ............ सुदूरपश्चिममा साहुको खेतमा काम गरेबापत धेरै अन्न साहुलाई छाडेर थोरै आफूले पाउने खलो प्रथा पनि व्यवहारमा थियो । त्यसको विरुद्ध बैतडीका दलितहरूले ०३६ सालमा संघर्ष गरे । ०४६ सालको आन्दोलनमा पनि भूमिहीन किसान, हलिया र कमैयाको सवाल उठ्यो । ........ सरकारले २१ भदौ, ०६५ मा पाँच बुँदे सहमति सुनाउँदै हलिया मुक्तिको औपचारिक घोषणा गरेको थियो । त्यसबेला सरकारले औपचारिक रुपमा हलिया मुक्तिको घोषणा गर्‍यो । तर, ऋण खारेज गरिदिएन । पुन:स्थापना र उनीहरूको जीविकोपार्जनको जिम्मा लिएन । जसकारण अहिले पनि हलिया प्रथा कायमै छ ।




सर्वोच्चले दोस्रो पटक संसद् पुनःस्थापना मात्रै गरेन, अचम्मका कुरा गरेको छ : नेम्वाङ अदालतले संसद्‌बाट सरकार गठन गर्ने संसदीय र दलीय व्यवस्थाको विपरीत शेरबहादुर देउवालाई प्रधानमन्त्री नियुक्त गरेको भन्दै नेम्वाङले आलोचना गरे । ...... ओली फेरि प्रधानमन्त्री बन्छन् कि भनेर सर्वोच्चले बाटाहरू छेकेको पनि नेम्वाङको आरोप थियो । त्यसरी बनेको सरकार ५० दिन पार गर्दा पनि मन्त्रिपरिषद् बिस्तार हुन नसकेको र सरकार बिस्तार भयो भने दल फुट्ने हो कि, सरकार नै ढल्ने हो कि भन्ने अवस्थामा अहिलेको सरकार चलिरहेको ........ दल विभाजन गर्नका लागि सरकारले अध्यादेश ल्याउनु गलत भएको नेम्वाङको तर्क थियो ..... नेम्वाङले एमालेले कारबाही गरेका १४ सांसदलाई सभामुख अग्निप्रसाद सापकोटाले पूर्वाग्रह राखेर कानुन अध्ययन गरिरहेको भन्दै टारेको बताए ।

Sunday, September 05, 2021

सद्भावना फुट्दा फोरम को उदय, अब जसपा फुट्दा जनमत पार्टी को व्यापक उदय?

पुस्ता हस्तांतरण मा कांग्रेस कम्युनिस्ट भन्दा मधेस आंदोलन आगे देखियो। निधि को पराजय ले कांग्रेस लाई थप सानो बनाउँछ मधेस मा। जसपा त फुट्यो फुट्यो। भने पछि प्रत्यक्ष निर्वाचन मा जित्न कमै भोट ले पुग्ने अवस्था हो यो। संगठन निर्माण लाई नै प्रमुख मानेको जनमत पार्टी लाई अब चाहिएको एउटा सशक्त आंदोलन हो। स्वीप गर्छ। 





लोसपा राजनीतिक शक्ति कदापी बन्न नसक्ने जसपा अध्यक्ष यादवको दावी जनता समाजवादी पार्टी (जसपा) नेपालका अध्यक्ष उपेन्द्र यादवले अबको देशको राजनीतिक दिशानिर्देश जसपाले गर्ने दाबी गरेका छन् । जसपा नेपालको जनकपुरधाममा बसेको प्रदेश २ संसदीय दलको बैठकमा बोल्दै अध्यक्ष यादवले नेपाली राजनीतिमा जसपा नेपाललाई बाइपास गरेर अब कुनै पनि शक्ति अगाडि बढ्न नसक्ने ठोकुवा गरे । ....... पूर्व राजपाका ८० प्रतिशत भन्दा बढि नेता कार्यकर्ताहरु जसपामै रहेको अध्यक्ष यादवले दावी गरे ।

लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टीतर्फ आफ्ना केही प्रदेशसभा सदस्यहरूले सनाखत गर्न थालेपछि सांसदहरूको परीक्षण गर्न जसपाले संसदीय दलको बैठक बोलाएको थियो ।

......... जसपाको प्रदेश २ संसदीय दलका नेता समेत रहेका मुख्यमन्त्री लालबाबु राउतको अध्यक्षतामा बसेको बैठकमा अधिकांश प्रदेश सांसदहरूले प्रदेश सरकारको कार्यशैलीप्रति असन्तुष्टि व्यक्त गर्दै सरकारलाई आफ्नो गतिविधि सुधार्न र कमिकमजोरीहरुलाई आत्मसात् गर्न आग्रह गरेका थिए ।


लोसपाले मधेशमा लोभ, लालच र भ्रमको खेती गरिरहेको छ : उपेन्द्र यादव जसपाको प्रदेश २ संसदीय दलका नेतासमेत रहेका मुख्यमन्त्री लालबाबु राउतको अध्यक्षतामा बसेको बैठकमा अधिकांश प्रदेश सांसदले प्रदेश सरकारको कार्य शैलीप्रति असन्तुष्टि व्यक्त गर्दै सरकारलाई आफ्नो गतिविधि सुधार्न र कमी कमजोरीहरूलाई आत्मसात गर्न सुझाव दिएका थिए ।

भारतीय प्रधानमन्त्री मोदी बने विश्वकै सबैभन्दा लोकप्रिय नेता ७० प्रतिशत अप्रुभल रेटिङसहित मोदी शीर्ष स्थानमा छन् । ....... गत २ सेप्टेम्बरमा अपडेट गरिएको सर्भेअनुसार मोदी निकै अगाडि छन् । ....... सन् २०२० को मे महिनामा मोदीको अप्रुभल रेटिङ ८४ प्रतिशत थियो । ....... मेक्सिकोका राष्ट्रपति लोपेज आब्राडोर ६४ प्रतिशतसहित दोस्रो तथा इटलीका प्रधानमन्त्री मारियो ड्रागी ६३ प्रतिशतसहित तेस्रो स्थानमा छन् । जर्मन चान्सलर एन्जेला मर्केल ५२ प्रतिशतसहित चौथो नम्बरमा छिन् । ...... अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन भने ४८ प्रतिशतसहित पाँचौं स्थानमा छन् । अष्ट्रेलियाका प्रधानमन्त्री स्कट मोरिसन ४८ प्रतिशतसहित छैटौं स्थानमा छन् । क्यानडाका जस्टिन ट्रुडो ४५ प्रतिशतसहित सातौं तथा इङल्याण्डका बोरिस जोन्सन ४१ प्रतिशतसहित आठौं स्थानमा छन् । ब्रजिलका जेर बोल्सोनैरो ३९ प्रतिशतसहित नवौं, दक्षिण कोरियाका मुन जे–इन ३८ प्रतिशतसहित दशौं, स्पेनका पेड्रो सान्चेज ३५ प्रतिशतसहित ११ औं, फ्रान्सका इमानुएल म्याक्रों ३४ प्रतिशतसहित १२ औं तथा जापानी प्रधानमन्त्री योशिहिदे सुगा २५ प्रतिशतसहित १३ औं स्थानमा रहेका छन् ।

प्रदेश २ मा एमाले थप बलियो भएको छ : रघुविर महासेठ

प्रदेश २ : थप तीन सांसद लोसपाको पक्षमा गरे सनाखत सांसदहरु रानी शर्मा तिवारी, अभिराम शर्मा र उपेन्द्र महतोले जनकपुरस्थित प्रदेश निर्वाचन कार्यालयमा पुगेर लोसपा पक्षमा सनाखत गरेका हुन् । तत्कालीन राजपाकी सांसद शर्मा उपेन्द्र यादव समूहमा गएकी थिइन् । लोसपा अध्यक्ष महन्थ ठाकुर उनलाई आफ्नो पार्टीमा सनाखत गराउन सफल भएका छन् । यसअघि जसपाका १२ सांसदले लोसपा पक्षमा सनाखत गरिसकेका छन् । अब लोसपामा १५ सांसद पुगेका छन् ।

उपेन्द्र यादवले मधेशभन्दा पनि जातिवादी विषपूर्ण राजनीतिलाई प्रश्रय दिए : महतो लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी (लोसपा) नेपालका वरिष्ठ नेता राजेन्द्र महतोले उपेन्द्र यादवले मधेशभन्दा पनि जातिवादी विषपूर्ण राजनीतिलाई प्रश्रय दिएको आरोप लगाएका छन् । उनले अहिले केही व्यक्तिलाई फाइदा भए पनि आउने दिनमा मधेसलाई गम्भीर क्षति हुने चेतावनी दिए । जनकपुरमा सञ्चारकर्मीसँग कुराकानी गर्दै महतोले आफूलाई मधेसमा एउटा वैकल्पिक शक्ति निर्माणको लागि अग्रसर भइरहेको अवस्थामा उपेन्द्रसँग पार्टी एकता गरे पनि उनले धोका दिएको आरोप लगाए । उनले भने, ’हामी मधेसी एकतावाद जिन्दावादको नारा लगाउँदै थियो, उपेन्द्रसँग एकता गरियो । तर उनले एकतालाई गलत रुपमा बुझे । जसकारणले एकता टिकेन ।’ ........

तपाईहरुको धेरै कार्यकर्ताहरु उपेन्द्र यादवतिर गएको प्रश्नमा महतो आफूहरु पार्टी बनाउन खोजेको कारणले उनीहरुको स्वार्थलाई पूर्ति गर्न नसक्दा उता गए पनि आउने दिनमा उपेन्द्रको साथ छाड्ने दाबी गरे ।

...... महतोले उपेन्द्र यादव अहिले पनि कम्युनिस्ट मानसिकताबाट माथि उठ्न नसकेको बताउँदै उपेन्द्र पक्षले देखावटी रुपमा मधेसको कुरा गरेपनि वास्तविकरुपमा मधेस पक्षधर नरहेको अरोप लगाए । ...... महतोले वर्तमान सरकारलाई माग मुद्दाको आधारमा समर्थन गरिएको र प्रतिबद्धताअनुसार मधेशको मुद्दा सम्बोधन नगरे देउवा सरकारविरुद्ध सडकमा उत्रिने चेतावनी दिए । वर्तमान सरकारको व्यवहारअनुसार लोसपाले सरकारको विरोध र आलोचना गर्ने महतोको भनाइ छ ।


अब कांग्रेसको नेतृत्व मधेशीले गर्नुपर्छ : सांसद चौधरी तेजुलाल चौधरी, प्रतिनिधिसभा सदस्य, नेपाली कांग्रेस ........ प्रदेशहरुमा पहिलोपटक चुनाव हुँदैछ । त्यसकारणले उम्मेद्वारहरु बढीभन्दा बढी देखिनु स्वाभाविक पनि हो । प्रजातान्त्रिक र लोकतान्त्रिक पार्टीमा बढी उम्मेद्वारी हुन्छ नै । यो महाधिवेशनबाट युवा नेता, कार्यकर्ता र जनताको चाहना नयाँ नेतृत्व आउनुपर्छ भन्ने नै हो । नेतृत्व परिवर्तन हुनुपर्छ भन्ने मान्यता छ । उम्मेद्वारहरु कोशिस गरिरहनुभएका छन् । युवाहरुको जोस जाँगरले कांग्रेसलाई हाँक्न सक्छ भन्ने हाम्रो विश्वास छ । कांग्रेसमा अहिले युवाहरुको पलरा भारी छ । ....... पक्कै पनि नेपाली कांग्रेसको जग नै मधेश हो । जब–जब कांग्रेसलाई मधेशले समर्थन गरेको छ, तब–तब कांग्रेस ठूलो पार्टी बन्छ, सत्ता सञ्चालन गर्छ । नेपाली कांग्रेसभित्र पनि मधेशको भूमिका अहम् छ । ........ विमलेन्द्र निधिजी कांग्रेसको उपसभापति हुनुहुन्छ । कांग्रेसमा उहाँको व्यक्तिगतरुपमा पनि निकै नै लगानी छ । कांग्रेसमा उहाँ निकै नै संघर्ष गरेको व्यक्ति हो । उहाँले सभापतिका लागि आफ्नो उम्मेद्वारी घोषणा गरिसक्नुभएको छ । वास्तवमा

मधेशी मूलबाट पहिलोपटक सभापतिका लागि उम्मेदवारी घोषणा भएको हो ।

हामी सबैलाई आग्रह पनि गर्न चाहन्छौं कि यसपटक तराई–मधेशका नेता कांग्रेसको सभापति बनोस्, निर्विरोध होस् । अब कांग्रेसको प्रतिनिधित्व मधेशले गर्नुपर्छ भन्ने हाम्रो आशा छ । यसमा कांग्रेसका सम्पूर्ण नेताहरुले विचार पु¥याउनु पर्छ । कांग्रेसको जग भनेको तराई–मधेश हो, त्यहाँबाट उम्मेद्वार घोषणा भएको छ । तराई–मधेशको मतबाट मात्रै उहाँ जित्न सक्नुहुन्न, पहाड र हिमालका साथीहरुले पनि यसबारे ध्यान दिनुपर्छ । ............ उहाँलाई तराई–मधेशबाट राम्रै मत आउँछ । ...... माधव नेपाल र उपेन्द्र यादवजीको तर्फबाट आउनुपर्ने नामावली अहिलेसम्म आएको छैन । तर भदौ २२ गतेपछि गठबन्धनका अन्य दलहरु पनि सरकारमा आउने सम्भावना देखिएको छ । गठबन्धनको सरकार रहेकोले प्रधानमन्त्री एक्लै केही गर्न सक्ने अवस्था छैन । ....... उहाँहरुले आफ्ना मन्त्रीहरुको नाम दिन सक्नुभएको छैन । उहाँहरुले २२ गतेपछि मात्रै नाम दिन सक्ने भन्नुभएको हो । ....... सबैले चाहन्छन् कि राम्रा–राम्रा मन्त्रालय मिलोस् । तर, त्यो सहज छैन ।


उपेन्द्रजीको कारण आन्दोलनबाट स्थापित विचार कार्यान्वयनमा चुनौती थपियो : पूर्वराज्यमन्त्री शर्मा अभिराम शर्मा, पूर्वराज्यमन्त्री तथा लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी नेपालका नेता ........ मधेशका माग र मुद्दा सम्बोधन गराउन कसले के ग¥यो समीक्षाको विषय हो । ........ मधेशको माग र मुद्दाप्रति उपेन्द्र यादवभन्दा बढी गम्भीर महन्थ ठाकुरजी देखिनुभएको छ । महन्थ ठाकुरजीको अगुवाईमा महोत्तरीमा १३९ जना आन्दोलनकारीहरुमाथि लगाइएका झुठा मुद्दा फिर्ता भएको छ । नागरिकता विधेयक ल्याइएको थियो, संविधान संशोधनका लागि कार्यदल गठन भएको थियो । तर

उपेन्द्र यादव १८ महिनासम्म सरकारमा बस्दा केही पनि गर्नुभएन । उपेन्द्रजीले मुद्दाको समाधान कहिल्यै पनि गराउन चाहनुभएको छैन । त्यसैले मैले लोसपा नै रोजे ।

........... हाम्रो लागि त केपी ओली, शेरबहादुर देउवा, प्रचण्ड वा माधव नेपाल सबै प्रतिगमनकारी हुन् । तर जसले हाम्रो माग र मुद्दा सम्बोधन गर्न सकारात्मक हुन्छ उसलाई समर्थन वा सहयोग गर्नु प्रतिगमन होइन । ....... अहिले पनि देउवा सरकारलाई हाम्रो समर्थन छ तर अहिलेसम्म केही गरेको छैन ।

शेरबहादुर र प्रचण्डजीहरु अग्रगमनकारी हो भने हाम्रा माग र मुद्दाहरु सम्बोधन गराएर देखाओस् ।

......... जब उहाँहरु उताबाट पनि केही पाउँदैन, अनि फेरि भागाभाग हुन्छ । अहिले सबैले हेरिरहेकै छन् कि

राजनीतिक दलसम्बन्धी अध्यादेश फिर्ता गराउनका लागि उपेन्द्रजी लागिरहनुभएको छ । उहाँलाई थाहा छ कि सरकारमा जाने बित्तिकै जसले मन्त्री पाउँदैन उसले दल फुटाउछन् । अहिलेसम्म सरकारमा किन गएको छैन त ?

उहाँ त अग्रगमनको पक्षधर हुनुहुन्छ, अग्रगमनकारी सरकार बनाउनुभएको छ । त्यसकारणले, उपेन्द्रसँग गएकाहरु अवसरवादीहरु मात्र हुन् । .................. मधेशको मूल समस्या नै सत्ता हो । ........ आफूले गरेका गल्ती स्वीकार गरेर यदि आयो भने उपेन्द्रजीसँग सहकार्य हुन पनि सक्छ । राजनीतिमा केही पनि असम्भव हुँदैन, स्थायी शत्रु र मित्र पनि हुँदैन । त्यसैले, आगामी दिनमा उपेन्द्रजीसँग गठबन्धन बनाउने अवस्था आउँछ कि आउँदैन भन्न सकिँदैन । तैपनि मधेशको माग र मुद्दाप्रति जो सकारात्मक भएर अगाडि आउँछ, उसँग गठबन्धन हुने सम्भावना हुन्छ । उपेन्द्रजीलाई अहिले त देउवा, प्रचण्ड, माधवजीहरु नै मन पराएका छन् । ........ हाम्रो संयुक्त प्रस्ताव मधेश प्रदेश र राजधानी जनकपुर थियो । ... हामी प्रतिपक्षमा रहेपनि मधेश प्रदेशको पक्षमा मतदान गर्छौं । ........ उहाँहरुले जुन अपवित्र गठबन्धन बनाउनुभएको छ, त्यसबाट डराइरहनुभएको छ । कांग्रेस र माओवादीलाई सरकारमा ल्याइयो तर सरकार चलाउने सन्दर्भमा कुनै कुराको साझा प्रतिबद्धता छैन । ........ यो गठबन्धन भनेको बालुवाको घर जस्तै हो । ...... जहाँ माग र मुद्दासँग कुनै मेल हुँदैन, त्यो धेरै दिनसम्म चल्दैन ।




जसपा फुटसँगै फाटेको मधेशी मन सत्ता समर्पण, मुद्दा विसर्जन प्रवृत्ति रोकिएन ....... मधेशको अधिकारको लागि लड्ने प्रतिवद्धता गरी मधेशी जनताको मत लिएर संसदसम्मको यात्रा गर्ने मधेशी दलहरु आफू आफूबीच नै लड्दा मधेशको माग र अधिकार संकुचित भएको छ । मधेशीको अधिकारको लागि दल खोल्ने नेताहरु त्यसभित्र आफै नअटाउँदा मधेशको मन कुल्चिएको छ । मधशसँग घनिष्ठ सम्बन्ध भन्न रुचाउने दलहरू सत्तासँगको संघर्षकालमा ऐक्यबद्ध हुने तर सत्ताको समिप पर्नासाथ विभाजित हुने राजनीति मधेशमा अब पुरानो भइसकेको छ । ........ मधेशको लागि एक भएर लड्ने भनेर एकीकृत भएर जसपा बनाएका यी नेताहरु दुई चिरामा विभाजन भएपछि मधेशी जनमा निराशा छाएको छ । ....... कुनै राजनीतिक सिद्धान्तभन्दा पद र प्रतिष्ठका लागि नै पार्टी विभाजन भएको हो । ...... मधेशले चाहेको बलियो, कसिलो मधेशी शक्ति हो । उनीहरू मिल्दा मधेशको मतको वजन पनि बढ्छ भन्ने विश्वास मधेशी जनतामा छ । ........ २०७२ को निर्वाचनमा सहकार्य गर्दा मधेशको मतको भार संघीय समाजवादी र राजपा पक्षमा परेको थियो । जसका कारण यी दुई दलले प्रदेश २ अर्थात् कोर मधेशमा सरकार बनाउन सफल भए । मतकै मागअनुसार पछि दुवै दल एकीकरण पनि भए । ...... जसपा फुटेपछि मधेशको मत पनि बाँडिन्छ । २०६४ देखि २०७२ सालसम्मको निर्वाचनमा मधेशी दललाई परेको मतलाई मूल्यांकन गर्दा पहिलो संविधानसभामा मधेशी एक ढिक्का हुँदा मधेशभरि जितको झन्डा फहराएको मधेसी जनअधिकार फोरम चिरा पर्दा दोस्रो संविधानसभा निर्वाचनमा अखाडामै नराम्ररी पछारिएको थियो । अब आउने निर्वाचनमा पनि असर देखिने निश्चित छ । .......... मधेशमा रंगभेदको अन्त्य गर्न

२००८ सालमा कुलानन्द झा नेतृत्वको तराई कांग्रेस

२०१५ को पहिलो संसदीय निर्वाचनपछि विभाजित भए । त्यसपछि २०४० सालमा गजेन्द्रनारायण सिहंले सद्भावना परिषद् गठन गरे । .......... पछि सद्भावना पनि विभाजनको सिकार भएर टुक्राटुक्रामा छरिए । मधेशको मुद्दा बोकेर नेता बन्ने सत्तामा पुगेपछि मुद्दा बिसाउने क्रम चलिरह्यो । ........ जसका कारण मधेशी जनमा आक्रोश र असन्तुष्टिको आकार बढ्दै थियो । जसलाई क्यास गर्न उपेन्द्र यादवले मधेसी जनअधिकार फोरम खोले । संघीयता र रंगभेदको अन्तको मुद्दा बोकेका यादव २०६३ माघ १ मा जारी अन्तरिम संविधानमा संघीयता उल्लेख नभएपछि माइतीघरमा संविधानको प्रतिलिपि जलाए । उनी पक्राउ परेपछि मधेशमा आन्दोलन उठ्यो । आन्दोलन व्यापक बनेपछि मधेसी जनअधिकार फोरम, उपेन्द्र यादव र मधेशको पहिचान स्थापित भयो । मधेसी जनअधिकार फोरम दलका रूपमा २०६४ वैशाखमा निर्वाचन आयोगमा दर्ता भयो । पहिलो संविधानसभा निर्वाचन २०६४ मा फोरमले ५२ सिट जित्यो । ........... भाग्यनाथ गुप्ताले २०६४ भदौ १५ गते फोरम फुटाएर मधेसी जनअधिकार फोरम, मधेस गठन गरे । त्यसपछि त फोरममा पहिरो जान सुरु भयो । अमर यादवले २०६५ चैत ७ गते विभाजन गरेर मधेस तराई फोरम गठन गरे । दाहालपछि प्रधानमन्त्री बनेका माधव नेपालको सरकारमा जाने विषयमा विवाद भएपछि संसदीय दलका नेता विजयकुमार गच्छदारले २८ सभासद्को साथ लिएर २०६६ जेठमा पार्टी फुटाए । उनले अर्का नेता शरतसिंह भण्डारीको साथमा मधेसी जनअधिकार फोरम (लोकतान्त्रिक) गठन गरे । फोरम फुटाएका गच्छदारको फोरम लोकतान्त्रिक पार्टी पनि धेरै समय सग्लो रहन सकेन । भण्डारीले २०६९ असारमा राष्ट्रिय मधेस समाजवादी पार्टी गठन गरे । फोरम लोकतान्त्रिक विभाजन गरी संजयकुमार साहले २०६७ पुस ६ गत्ते मधेस क्रान्ति फोरम गठन गरे । २०६८ माघ ६ गते उपेन्द्र झाले नागरिक रक्षा दल गठन गरे । २०६८ जेठ ९ गते जयप्रकाश गुप्ताले फोरमका राजकिशोर यादवसहित १३ सभासद्सहित मधेसी जनअधिकार फोरम (गणतान्त्रिक) पार्टी गठन गरे । बाबुराम भट्टराई नेतृत्वको सरकारमा सञ्चारमन्त्री रहेकै बखत गुप्ता सर्वोच्चबाट भ्रष्टाचारी ठहर भई जेल पुगेपछि कार्यवाहक अध्यक्ष राजकिशोर यादवले पार्टी नेतृत्व गरे । फोरम गणतान्त्रिकका नन्दकुमार दत्तले २०६९ पुस ११ गते उही नामको अर्को पार्टी गठन गरे । फुटको पहिरो फोरममा मात्र सिमित रहेन । महन्थ ठाकुर नेतृत्वको तराई मधेस लोकतान्त्रिक पार्टी (तमलोपा) पनि २०६७ पुस १६ बाट फुट सुरु भयो । तमोलोपाका तत्कालिन महामन्त्री महेन्द्र राय यादवले २०६७ पुस १६ मा तमलोपा–नेपाल गठन गरे । ................ महतो नेतत्वको सद्भावनाका नेता रामनरेश राय यादवले विभाजन गरी २०६८ माघमा राष्ट्रिय सद्भावना पार्टी गठन गरे । उनको राष्ट्रिय सद्भावना पार्टी र तमलोपा विभाजन गरी बनेको महेन्द्र राय यादवको ‘तमलोपा–नेपाल’बीच २०७० भदौ १९ मा एकीकरण भएर तराई मधेस सद्भावना नेपाल बन्यो र अध्यक्ष बने महेन्द्र राय यादव । २०७४ वैशाखमा ६ वटा मधेश केन्द्रित दलबीच एकता भएर राष्ट्रिय जनता पार्टी गठन भयो । ....... २०७६ वैशाखमा संघीय समाजवादी फोरम र बाबुराम भट्टराई नेतृत्वको नयाँ शक्तिबीच एकता भएर समाजवादी पार्टी बन्यो । २०७७ वैशाख १० गते उपेन्द्र यादव नेतृत्वको समाजवादी पार्टी र राष्ट्रिय जनता पार्टीबीच एकता भएर जनता सामाजवादी पार्टी (जसपा) बन्यो । बलियो मधेशी शक्तिको रूपमा जनता समाजवादी पार्टी बनेसँग मधेशीको चेहरा खुसीले भरिएका थिए । ....... साथ हुँदामा जति शक्ति हुन्छ अलग हुँदा त्यति नै कमजोर हुन्छ , मधेशमा मधेशी नेताहरुले नै आफ्नो तागत आफ्नै कारण कमजोर बनाउन पुगेका हुन । ...... दलभित्रको अस्थिरता, सैद्धान्तिक विचलन, संस्थागत कमजोरी र चर्को मूल्य स्खलनले मधेशी नेताहरु संगठन जमानउन असफल भइरहेका छन् । सत्ताको जोडघटाउमा कोही मधेशी नेता बढीमा मन्त्रीसम्म बन्न सक्ला तर मधेशले राष्ट्रलाई दिन खोजेको राजनीति त्यति मात्र होइन । मधेशले राज्य र समाजको रूपान्तरण खोजेको छ, जो जसको जग अहिलेसम्म तयार हुन सकेको छैन ।






नेपालमा कोहि कम्युनिस्ट छैनन्, सबै ‘CIA’ र ‘रअ’ का कर्मचारी हुन : चीन