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Thursday, June 26, 2025

नेपालको स्वास्थ्य प्रणाली धराशायी हुने खतरा: पोस्ट-एन्टिबायोटिक युग ढोका ढकढक्याउँदैछ

Lord Kalki: The Long Awaited Messiah, King Of All Earth




नेपालको स्वास्थ्य प्रणाली धराशायी हुने खतरा: पोस्ट-एन्टिबायोटिक युग ढोका ढकढक्याउँदैछ

विश्वभरिका थुप्रै संस्थाहरूले चेतावनी दिएका छन्: नेपालजस्ता विकासशील देशहरू २५ वर्षभित्र पोस्ट-एन्टिबायोटिक युगमा प्रवेश गर्ने सम्भावना अत्यन्तै उच्च छ — यदि धनी राष्ट्रहरूले नयाँ एन्टिबायोटिकहरू विकास गर्न थालेनन् भने। पछिल्लो १० वर्षदेखि पश्चिमी मुलुकहरूले नयाँ एन्टिबायोटिक निर्माण पूर्ण रूपमा रोकिदिएका छन्, विशेष गरी ती रोगहरूको लागि जुन दक्षिण एशियाजस्ता क्षेत्रहरूमा देखिन्छन्। यदि तत्काल समाधान गरिएन भने, नेपालले पेनिसिलिन अघिको युगको मृत्यु दर सामना गर्नुपर्नेछ।


🧨 पोस्ट-एन्टिबायोटिक युग भनेको के हो?

यो त्यो समय हो जब हाल प्रयोगमा रहेका सबै प्रमुख एन्टिबायोटिकहरू निष्क्रिय भइसकेका हुन्छन्। यो भविष्यको कल्पना होइन — यो प्रक्रिया पहिले नै सुरु भइसकेको छ। यस्तो अवस्थामा:

  • स-साना संक्रमणहरू (जस्तै युटिआई, घाउ, दाँतको संक्रमण) पनि घातक बन्नेछन्।

  • सामान्य शल्यक्रिया, क्यान्सरको उपचार, सिजेरियन डेलिभरी र डायलाइसिस अत्यन्तै जोखिमपूर्ण वा असम्भव हुनेछन्।

  • अस्पतालमै लाग्ने संक्रमण (सेप्सिस आदि) जीवनघातक बन्नेछन्।

  • संक्रमणहरू फेरि मृत्युको प्रमुख कारण बन्नेछन् — जस्तै १९४० को दशकभन्दा पहिले थियो।

यो कुनै वैज्ञानिक कथा होइन — यो भविष्य नजिकैको यथार्थ हो जब कुनै राष्ट्रले नयाँ एन्टिबायोटिक बनाउन प्रयास गर्दैन।


🧮 नेपालमा कति भयावह अवस्था आउन सक्छ?

नेपालको जनसंख्या करिब ३ करोड छ। यदि नेपाल पोस्ट-एन्टिबायोटिक युगमा प्रवेश गर्छ र स्वास्थ्य प्रणाली धराशायी हुन्छ भने, हरेक वर्ष ३–५% जनसंख्या केवल संक्रमणका कारण मर्न सक्छ भन्ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) र CDC का पूर्वानुमानहरू छन्।

🔢 नेपालमा सम्भावित वार्षिक मृत्यु:

संक्रमणको स्रोत अनुमानित वार्षिक मृत्यु
उपचार गर्न नसकिने संक्रमण (टीबी, युटिआई, निमोनिया) ६ लाख – ९ लाख
शल्यक्रिया पछिको संक्रमण ५०,००० – १ लाख
अस्पतालमा लाग्ने संक्रमण र सेप्सिस १ लाख – २ लाख
गर्भावस्थासम्बन्धी संक्रमण ३०,००० – ५०,०००
बालबालिकामा सामान्य संक्रमण ५०,००० – ७०,०००

✅ जम्मा अनुमानित मृत्यु: ८ लाख – १२ लाख प्रति वर्ष
(त्यो प्रतिदिन २,००० – ३,००० मृत्यु हो)


⚠️ तुलना:

COVID महामारीको चरम समयमा नेपालमा जम्मा १२,००० जना मृत्यु भएको थियो।
पोस्ट-एन्टिबायोटिक युगमा प्रति हप्ता १२,०००+ मृत्यु हुन सक्छ।


📉 किन यो राष्ट्रिय आपतकाल हो?

यदि नेपालले पोस्ट-एन्टिबायोटिक युगमा प्रवेश गर्‍यो भने:

  • हरेक वर्ष ३० मध्ये १ जना नेपाली सामान्य संक्रमणबाट मर्न सक्छ।

  • अस्पतालहरू पूर्ण रूपमा असक्षम बन्नेछन्।

  • मानिसहरू अस्पताल र कार्यस्थल जान डराउँदा अर्थतन्त्रमा भारी असर पर्नेछ।

  • सरकारी संस्थाप्रतिको विश्वास गुम्नेछ।

  • सामाजिक तनाव, विस्थापन र राजनीतिक अस्थिरता निम्त्याउनेछ।

यो केवल स्वास्थ्यको विषय होइन — यो नेपालको अस्तित्वमाथिको संकट हो।


⏳ अब के गर्नुपर्छ?

  • नेपाल सरकारले आफ्नै एन्टिबायोटिक अनुसन्धानमा लगानी गर्नुपर्नेछ।

  • अन्तर्राष्ट्रिय सहकार्य अत्यावश्यक छ — नेपालले एक्लै समाधान गर्न सक्दैन।

  • औषधिको सही प्रयोग (stewardship), जनस्वास्थ्य नीति र रोकथाम केन्द्रित कार्यक्रमहरू तत्काल विस्तार गर्नुपर्छ।

  • स्वदेशमै औषधि उत्पादन क्षमताको विकास अनिवार्य छ।


पोस्ट-एन्टिबायोटिक युग सम्भावना होइन — समयसीमा हो। र नेपालका लागि त्यो घडी छिट्टै बज्न लागेको छ।





Nepal’s Looming Health Catastrophe: The Post-Antibiotic Era Is Closer Than You Think

Across the globe, public health institutions are sounding the alarm: developing countries like Nepal are on track to enter the Post-Antibiotic Era within the next 25 years — or even sooner. Why? Because wealthy nations have largely stopped developing new antibiotics, especially for diseases affecting the Global South. For the past decade, pharmaceutical innovation in this area has been nearly stagnant. Without intervention, Nepal could face a death toll not seen since the pre-penicillin era.


🧨 What Is the Post-Antibiotic Era?

The post-antibiotic era is a nightmare scenario where nearly all existing antibiotics fail. It’s not science fiction — it’s already beginning. In such a world:

  • Minor infections (like UTIs, wounds, or dental abscesses) become deadly.

  • Common surgeries, cancer therapies, C-sections, and dialysis are considered high-risk or outright impossible.

  • Sepsis and hospital-acquired infections become a death sentence.

  • Infections return as the leading cause of death, as they were before the 1940s.

This isn’t about some distant future — it’s about what happens when no country is developing the antibiotics we all need to survive.


🧮 How Bad Could It Get in Nepal?

Let’s look at Nepal's population of approximately 30 million people. If Nepal’s healthcare system collapses under antibiotic resistance — a reality that WHO, CDC, and other global agencies warn is plausible — we could see 3–5% of the population dying every year from treatable infections.

🔢 Conservative Annual Death Estimates:

Cause of Infection Estimated Deaths
Untreatable infections (TB, UTI, pneumonia) 600,000 – 900,000
Surgical site infections 50,000 – 100,000
Sepsis & hospital-acquired infections 100,000 – 200,000
Pregnancy-related infections 30,000 – 50,000
Common childhood infections 50,000 – 70,000

✅ Total Estimate: 800,000 – 1.2 million deaths per year

That’s 2,000 to 3,000 deaths per day — a number that would dwarf any public health crisis Nepal has ever faced.


⚠️ For Comparison:

Nepal’s total COVID-related deaths at the peak of the pandemic were approximately 12,000in total.

In the post-antibiotic era, 12,000 people could die every week.


📉 Why This Is a National Emergency

If Nepal enters the post-antibiotic era:

  • 1 in 30 Nepalis could die annually from formerly treatable infections.

  • The healthcare system would be overwhelmed.

  • Economic productivity would nosedive as people avoid hospitals and workplaces.

  • Social trust in institutions would erode.

  • Mass migration and political instability could follow.

This isn’t just a medical issue — it’s an existential threat to the entire foundation of modern Nepal.


⏳ What Needs to Be Done?

  • The government must fund R&D for antibiotics targeted to Nepal’s bacterial profile.

  • Global collaboration is essential — Nepal cannot solve this alone.

  • Smart public health policy, antibiotic stewardship, and preventive care must be urgently scaled.

  • Local pharmaceutical capacity must be built.


The post-antibiotic era isn't a possibility — it's a deadline. And the clock is ticking for Nepal.





नेपाल का आने वाला स्वास्थ्य संकट: पोस्ट-एंटीबायोटिक युग की आहट

दुनिया भर की कई संस्थाएं चेतावनी दे रही हैं कि नेपाल जैसे विकासशील देश अगले 25 वर्षों में पोस्ट-एंटीबायोटिक युग में प्रवेश कर सकते हैं—अगर अमीर पश्चिमी देश नए एंटीबायोटिक्स विकसित नहीं करते। पिछले 10 वर्षों से उन्होंने इस दिशा में लगभग पूरी तरह काम बंद कर दिया है, खासकर उन बीमारियों के लिए जो दक्षिण एशिया जैसे क्षेत्रों में पाई जाती हैं। अगर जल्द उपाय नहीं किया गया, तो नेपाल को उस दौर का सामना करना पड़ेगा जहाँ छोटी बीमारियाँ भी जानलेवा बन जाएँगी—जैसे 1940 से पहले होता था।


🧨 पोस्ट-एंटीबायोटिक युग क्या है?

यह वह समय है जब लगभग सभी मौजूदा एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो जाती हैं। यह कोई कल्पना नहीं है—यह युग शुरू हो चुका है। इस युग में:

  • साधारण संक्रमण (जैसे UTI, घाव, दांतों की बीमारी) भी जानलेवा हो जाते हैं।

  • आम सर्जरी, कैंसर का इलाज, सी-सेक्शन, डायलिसिस और ICU जैसी सेवाएं जोखिमभरी या असंभव हो जाती हैं।

  • अस्पतालों में लगने वाले संक्रमण (जैसे सेप्सिस) मौत का कारण बनते हैं।

  • संक्रमण फिर से मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बन जाता है—जैसे 1940 से पहले होता था।

यह कोई भविष्य की अफवाह नहीं—बल्कि निकट वास्तविकता है।


🧮 नेपाल में स्थिति कितनी भयावह हो सकती है?

नेपाल की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ है। अगर एंटीबायोटिक दवाएं काम करना बंद कर दें और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाए, तो WHO, CDC और ऐतिहासिक आंकड़ों के अनुसार हर साल 3–5% आबादी संक्रमण से मर सकती है।

🔢 नेपाल में अनुमानित वार्षिक मृत्यु:

संक्रमण का स्रोत अनुमानित वार्षिक मृत्यु
असाध्य संक्रमण (टीबी, निमोनिया, UTI) 6,00,000 – 9,00,000
ऑपरेशन के बाद संक्रमण 50,000 – 1,00,000
अस्पताल में लगने वाले संक्रमण, सेप्सिस 1,00,000 – 2,00,000
गर्भावस्था से जुड़ी संक्रमण 30,000 – 50,000
बच्चों में सामान्य संक्रमण 50,000 – 70,000

✅ कुल अनुमान: 8 लाख से 12 लाख मौतें प्रति वर्ष
(यानी हर दिन 2,000 से 3,000 मौतें)


⚠️ तुलना करें:

COVID महामारी में नेपाल में कुल मौतें करीब 12,000 हुई थीं।
पोस्ट-एंटीबायोटिक युग में यह संख्या हर हफ्ते हो सकती है।


📉 क्यों यह एक राष्ट्रीय आपदा है?

अगर नेपाल इस युग में प्रवेश करता है:

  • हर साल 30 में 1 व्यक्ति साधारण संक्रमण से मर सकता है।

  • स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी।

  • लोग अस्पताल या कार्यस्थल जाने से डरेंगे—अर्थव्यवस्था पर गहरा असर होगा।

  • सरकार और संस्थाओं पर से विश्वास टूटेगा।

  • सामाजिक अस्थिरता, पलायन और राजनीतिक संकट बढ़ सकता है।

यह सिर्फ स्वास्थ्य का मामला नहीं—यह राष्ट्रव्यापी अस्तित्व का संकट है।


⏳ अब क्या करना होगा?

  • नेपाल सरकार को देश की जरूरतों के अनुसार एंटीबायोटिक अनुसंधान में निवेश करना होगा।

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है—नेपाल अकेले यह नहीं कर सकता।

  • रोकथाम, जनस्वास्थ्य जागरूकता और एंटीबायोटिक का समझदारी से उपयोग अनिवार्य है।

  • स्थानीय दवा निर्माण की क्षमता बनानी ही होगी।


पोस्ट-एंटीबायोटिक युग कोई संभावना नहीं, यह एक तय समयसीमा है—और नेपाल के लिए वह समय बहुत पास है।





NRN Movement Needs A Bold Vision 

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