Saturday, December 26, 2015

In The News (54)

extremely disappoints with the new power cut schedule --- and current crisis... gosh' can't believe nepali subjects are still fine... r we human being or some robotic puppets??? i can't tolerate anymore ...

Posted by Ashmina Ranjit on Friday, December 25, 2015

रौतहटको गौरमा मधेश बिरोधी साम्प्रदायिक पत्रिका जलाउँदै बिशाल बिरोध प्रदर्शन

Posted by सदभावना पार्टी on Saturday, December 26, 2015

जोगबनी नाका बन्द गर्न बिराटनगर नाका जाने क्रममा चौक-चौक टोल मुहल्लामा आम मधेशी जनतालाई नाकाबन्दीमा सहभागी हुन अपील गर्दै राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र महतो

Posted by सदभावना पार्टी on Friday, December 25, 2015

लाठी फट्ठा लेके तैयार....जनकपुर

Posted by Upendra Mahato on Friday, December 25, 2015

शिघ्र स्वास्थ्य लाभको कामना......बिराटनगर पुग्दै सबैभन्दा पहिले अस्पताल गई आन्दोलनका घाईतेहरू संग भेटघाट तथा कान्तिपुर...

Posted by सदभावना पार्टी on Friday, December 25, 2015

जम्बो मन्त्रिपरिषद बन्नुमा ओलीलाई मात्र दोष दिन मिल्दैन जब कसैले दशथरिका पार्टी मिलाएर सरकार बनाउंछ, उसको ध्याउन्न राम...

Posted by Rudra Pandey, PhD on Friday, December 25, 2015

राणा आन्दोलनमा शहीद भएका अमर शहीदको सम्झनामा आयोजित कार्यक्रमलाई सम्बोधन गर्दै, यस कार्यक्रममा जोगबनी, अररिया, फारबिसगंज...

Posted by सदभावना पार्टी on Saturday, December 26, 2015

आज बिराटनगर भनसार नाका ठप्प करने पहुंचे हजारों कार्यकर्ता के नेतृत्व कर रहे राजेंद्र महतो के साथ नेपाली पुलिस से हुए भिड...

Posted by तराई News on Saturday, December 26, 2015

महिला आन्दोलनकारिद्वारा बिशाल बिरोध प्रदर्शन ....साम्प्रदायिक संचार, साम्प्रदायिक सरकार - मुर्दावादमहिला मैत्री मधेश आन्दोलन बदनाम गर्न पाँईदैन । - सर्लाही मलंगवा

Posted by Upendra Mahato on Friday, December 25, 2015

राजेन्द्र महतोसंग मात्र एक दुइजना कार्यक्रता रहेको मौकामा प्रहरीको चौका, लाठी प्रहार, हेर्नोस कसरी कुटिए महतो । तर काठ...

Posted by Condition of Janakpur Dham on Saturday, December 26, 2015

जे पनि पास गर्न पाइएको छअनेकौं खास गर्न पाइएको छसहयोद्धा मन्त्रीहरूको लर्को छराष्ट्रियताको नुन झनै चर्को छडाडू-पन्यू...

Posted by धीरेन्द्र प्रेमर्षि on Friday, December 25, 2015

My commentary today PM Oli, enough is enough! Perhaps you are under illusion that money will buy elections in future...

Posted by Subhash Ghimire on Friday, December 25, 2015

शोषण उत्पीडन अब ना सहेंगेअपना अधिकार लेकर रहेंगेनाकाबन्दी हर हाल में करेंगे !जोगबनी नाका बन्द गर्न बिराटनगर नाका जान...

Posted by Upendra Mahato on Friday, December 25, 2015

See how police behave with Rajendra mahato how cruelly beaten.

Posted by Satendra Sah on Saturday, December 26, 2015

रेफरेन्स जस्ता देखिने प्रसंगहरूको शब्दजाल जम्मा गरेर सतही राष्ट्रवादीहरूलाई फुरुङ्ग पार्ने लेख। शब्दजाल बुन्ने क्रममा लेखक आफै पनि अनेकौं ठाउँमा अल्झेर निस्सासिएका छन्।

Posted by धीरेन्द्र प्रेमर्षि on Friday, December 25, 2015

मधेश देश के लिए जनमतसंग्रह (mock referendum) सिरहा क्षेत्र ३, बूथ १,२ में सम्पन्न...

Posted by Dr. CK Raut on Saturday, December 26, 2015

In The News (53)

Breaks my heart to see these kids running on the streets instead of being in schools. WTF government? #Nepal #Madhes

Posted by Khushbu Mishra on Saturday, December 26, 2015

Only in #NepalMarxist-Leninist President of Secular Republic to offer special prayers Monday at Pashupati for country's welfare.

Posted by Kunda Dixit on Friday, December 25, 2015

अाज नागरिकमा मेराे टिप्पणी : ओलीको कार्यशैलीबाट विपक्षी मात्र होइन, आफ्नै पार्टीका नेता तथा कार्यकर्तासमेत कायल छन्।

Posted by Guna Raj Luitel on Saturday, December 26, 2015

कुलेलाम ठोके ओलीका गुण्डा त

Posted by सदभावना पार्टी on Friday, December 25, 2015

Finally, there is a man in South Asia who has audacity to think out of the box. The region has been long infested by mediocre and self-absorbed losers.

Posted by Jay Nishaant on Friday, December 25, 2015

राजेन्द्र महतोसंग मात्र एक दुइजना कार्यक्रता रहेको मौकामा प्रहरीको चौका, लाठी प्रहार, हेर्नोस कसरी कुटिए महतो । तर काठमान्डौका मिडियाले महतोमाथी प्रहरीले लाठी प्रहार नगरेको भन्दै दुइतर्फी झडपमा घाइते भएको समाचार लेख्यो, मात्र तिनजना भएका वेला यसरी प्रहरीले पिटन् पाँउछ ? कि नियन्त्रणमा लिनु परथ्यो ?

Posted by Puran Gupta on Saturday, December 26, 2015

ये भिडियो देखे और निर्लज खस बादी, मधेस बिरोधि मेडिया का समाचार देखे।कहि से भि ऐसा लगता है कि राजेन्द्र महतो दोहरी भिडन...

Posted by Lokendra Yadav on Saturday, December 26, 2015

तमालोपा द्वारा समस्त मधेसी जनता और नेताओको संघर्ष खातिर संकल्प के लिये आव्हान ।तराई मधेस लोकतान्त्रिक पार्टी अपने समस्त...

Posted by Alok Awadh on Saturday, December 26, 2015

न्यूयोर्क च्याप्टरको आयोजनामा नेपाली कांग्रेसका केन्द्रिय सदस्य उमाकान्त चौधरी संग अन्तरकृया कार्यक्रम न्यूयोर्कमा

Posted by Pramod Sitaula on Saturday, December 26, 2015

चलो चले नाका की ओरबिराटनगर जोगबनी नाकाबन्दी गर्न पैदल मार्च गर्दै नाका तिर जान लागेका सदभावना पार्टीका राष्ट्रीय अध्यक...

Posted by सदभावना पार्टी on Friday, December 25, 2015

अँग्रेजों नें हमें कैसे नेपालियों का गुलाम बनाया, आईए संक्षिप्त में पढिए.....चन्द्रगुप्त मौर्य के पौत्र सम्राट अशोक न...

Posted by Shyam Sundar Mandal on Friday, December 25, 2015

Knock knock Mahato: Who's there? Karma Calling!! ....

Posted by Prasanna Parajuli on Saturday, December 26, 2015

"China has all along believed that countries irrespective of their size are equal. China and Nepal have always treated...

Posted by Kanak Mani Dixit on Friday, December 25, 2015

चलो चले नाका की ओर........बिराटनगर जोगबनी नाकाबन्दी गर्न पैदल मार्च गर्दै नाका तिर जान लागेका सदभावना पार्टीका राष्ट्र...

Posted by Upendra Mahato on Friday, December 25, 2015

extremely disappoints with the new power cut schedule --- and current crisis... gosh' can't believe nepali subjects are still fine... r we human being or some robotic puppets??? i can't tolerate anymore ...

Posted by Ashmina Ranjit on Friday, December 25, 2015

राजेंद्र को देखा तो ऐसा लगा



जानवरो ने बेहोस कर दिया मार मार के
माथा स्कैन करना पड़ा
सर में पट्टी पाओं में पट्टी
दर्जनो साथ में घायल
विस्तर पर लेटे हैं अस्पताल में
जानवरो ने अस्पताल को भी ना छोड़ा

शायद वही वो मोड़ है आंदोलन की जब
सर पर कफ़न बाँध के बन्दुक उठाइ जाती है
पृथ्वी नारायण की जान बक्सी तिरहुतिया फ़ौज ने
गलती की
शायद यही वो मोड़ है
जहाँ पर गलती सुधारी जाती है

जमीन हमारा, मुल्क हमारी
ये सारा दुनिया हमारा
सात महाद्वीप पर फैले हैं हम

शायद यही वो मोड़ है
जहाँ अहसास किया जाता है
गांधी जी की शिक्षा गलत नहीं थी
ताकत तो अहिंसा में ही है

लाठी और बन्दुक उनके हाथ में है
दुनिया फिर क्युँ मेरे साथ में है?

नासमझ लोग हैं
ये मधेस आंदोलन नहीं
राष्ट्रिय आंदोलन है
समानुपातिक समावेशी
जनजाति के लिए भी
पहाड़के महिला के लिए भी
दलित के लिए देश भर के

सत्य आग्रह
सत्य आग्रह

एक मधेस दो प्रदेस उनके बच्चे के लिए
जो अभी भारत जाते हैं दरबान बनते हैं
दुनिया के शहरों में बेच दिए जाते हैं
मलेशिया जाते हैं, कतार जाते हैं
अमरिका बेलायत जाके बस जाते हैं

सत्य आग्रह
सत्य आग्रह

आकाश लाल हो जाता है
सुरज के दिखने से पहले
एक मधेस दो प्रदेस लाल आकाश है
आर्थिक क्रांति के सुरज का

सत्य आग्रह
सत्य आग्रह

केंद्र के संसद में उन दोनों प्रदेशो का
जनसंख्या समानुपातिक प्रतिनिधित्व
उनके बच्चे के लिए है
जो कल पहाड़ से मधेस आएंगे
जैसे कि वो अभी ही आ गए हैं

सत्य आग्रह
सत्य आग्रह

रोटी लोगे बेटी नहीं?
तो रोटी चली जाएगी
तो?

मधेसकी बहु
देशकी
प्रधान मंत्री क्यों नहीं हो सकती
देशको
तरक्की नहीं करना क्या?

जनजाति अधर्मी हैं जो
धर्म निरपेक्षता मांग रहे हैं?
सनातनी शैतान
तेरा नकाब उतर गया है
तु राम के हाथों हारा
फिर हारेगा
धरतीपुत्रों के हाथों
वध हो जाएगा
सम्हल जा
जग गया
अब ये जमाना

ए राजेंद्र तु मत घबराना
तेरे पिछे सारा जमाना







2016: The Year For Barack Obama's Revolution From The Top

2016: The Year For Barack Obama's Revolution From The Top



Barack Obama’s autobiography Dreams From My Father is full of little references to what Nelson Mandela in his autobiography called “a thousand little indignities.” But one was talking mostly about America, the other about apartheid South Africa. Can one black man’s ascension to the top make up for racist snarls at the highest levels of government like in the US Senate?

It is time we faced the fact the United Nations is not a world government. It is time to call a spade a spade. It is time to see this institution designed by the World War II victors no longer works. This is not a world government by the far stretches of the imagination. Often when we talk of civil rights movements, we think in terms of ordinary people marching out in the streets. But now is the time for a civil rights movement in which the heads of state march.

What we have is essentially apartheid. The leading country remains fundamentally racist, nowhere more evident than in the country’s criminal justice system. There is no world government. There is a need for one. The thorniest global problems, the loftiest trade deals are worked on outside the UN framework.

America itself needs to be reimagined if it is to fulfill its original mission of a total spread of democracy. It needs to become a country where African immigrants are as at home as European immigrants. White is black is white.

In a democracy you get to vote because you are a human being, not because you are literate or rich. But in the community of nations, there are countries that are rich and have guns, and most have neither. The entire continent of Africa stands disenfranchised. This landmass that is the most central of all, from where we all originated, is still in the clutches of a contemporary incarnation of colonization, slavery and apartheid. We don’t have a name for it yet, but the affliction is very real. Its poverty and disease stem from that disempowerment, not the other way round. And so, any voice that seeks to address its poverty and disease without taking stock of its disenfranchisement is shedding crocodile tears.

What is Barack Obama going to do? Leave the White House and do paid speeches? Write books? Launch a foundation? Raise money for AIDS? Share a stage or two with Bono and George Clooney? The guy is still young. This guy who has cleared up half century old cobwebs every year he has been in office is best suited to lead this revolution from the top. And this is not a cry for Africa, although Africa could use some empowerment. This is a cry for the world. Right now we are a species looking down a sinkhole of uncontrolled weather patterns that just might wipe out life and civilization as we know it. We still have immense poverty and disease that Bill Gates says “only a world government can solve,” and Gates is a guy who has thrown the kitchen sink at the problem, one of the leading entrepreneurs of the era in whose wake many billionaires have given money to fight basic poverty. We face security threats that no one government can solve. Globalization continues to move at breakneck speeds speeding up as the Internet takes deeper roots everywhere, but we have not done the task of institution building that that globalization requires.

Let’s open our eyes and take a look at the elephant in the room. Yes, what we need is a world government, and there is no person better than Barack Obama to take the lead on it. We are lucky we have a George Washington precisely when we need one. And lucky us that the guy is almost done with his current job where he has been stellar every year. Heads of state across the world should join in this chorus and shape this revolution from the top. Lucky us that our thorniest global problems have solutions in political concepts we have already designed, like one person one vote taken to its logical, global conclusion.

There is always inertia. Every monumental political change that in hindsight looks so obviously positive has faced inertia. And this likely will be no different. But the blueprint has to be made, and it has to be presented to ordinary peoples on all continents, so a groundswell of support can build around it.

We want to live in a world where human beings can feel equal everywhere. We want to live in a world with abundant clean energy. We want to live in a world with abundant water, and food and green space. We want clean air. We want to create the industries of tomorrow. We seek unprecedented rises in productivity, as well equitable distribution. We want people to be happy.

It is time the heads of state across the world came together and created the world’s first world government in the leadership of Barack Obama. In his birth as well as personality and outlook, he bridges the world. In his person the world has a chance to come together to reach new heights. This century can not only be the best ever, it can also be one where we have gone past our existential worries, where we have created a truly global civilization, one grand village where everyone can feel a sense of belonging everywhere, where people can take pride in their heritage and claim the common future at the same time, without hassle.

This is in essence a political struggle, where all you start with is a voice. Ordinary people have done it many times before. Heads of state can do it this one time.

It is still about Hope. It is still about Change.

We need a world government because it is time we established rule of law between nations. That is the civilized way.



राजेंद्र महतो लाई ICU पुर्याउने सरकार राजीनामा दे, काठमाण्डु छोड़, देश छोड़, ये धरती हमारी, ये मुल्क हमारा
E for Education, E for Entrepreneurship, E for Energy
Barack Obama: George Washington
आर्थिक क्रांतिका पाँच पाण्डव: सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, (उद्योगव्यापार) सुलभता
Barack Obama Is Biologically Superior

In The News (52)

साझा धारणा बनाउन कांग्रेस, एमाओवादी र मोर्चा तयार
मोर्चाको मागमा साझा धारणा बनाउन केही दिनदेखि प्रमुख विपक्षी कांग्रेस र एमाओवादीले सक्रियता देखाइरहेका छन् । ...... कांग्रेस र मोर्चाबीच दुई घण्टा वार्ता भएको थियो । त्यसपछि एमाओवादीसहितको त्रिपक्षीय वार्ता पनि दुई घण्टा सम्म चलेको थियो । .....

‘कांग्रेस र एमाओवादी सीमाकंनको फेरबदल र संसदमा प्रस्तुत भएको संविधान संशोधन विधेयकलाई परिमार्जन गर्न सहमत भएका छन ।

यो सकरात्मक पक्ष हो’ सुमनले भने .... कांग्रेस प्रवक्ता दिलेन्द्र बडुले त्रिपक्षीय वार्ता उपलव्धि उन्मुख भएको बताए । ‘संसद् बैठक सुरु हुनुअघि सम्म साझा निष्कर्ष बनाउने प्रयास हुनेछ’ बैठकपछि कान्तिपुरसंग बडुले भने,

‘सीमांकन सहित सवै मागमा साझा धारणा बनाउने प्रयास भएको छ ।’

...... स्रोतका अनुसार पूर्वका झापा, मोरङ, सुनसरी र पश्चिमका कैलाली कंचनुपरलाई विवादित जिल्ला मानेर तीन महिनाभित्र समस्या हल गर्ने गरी छलफल अघि बढेको छ ..... उनका अनुसार सीमांकन बाहेकका अन्य बिषयमा ठुलो दुरी देखिएको छैन । ....

संघीय समाजवादी फोरम नेपालका अध्यक्ष उपेन्द्र यादवले छलफल अघि बढीरहे पनि कुनै निष्कर्ष ननस्किएको बताए । उनले समझदारी नहुँदा सम्म आन्दोलन पनि नरोकिने र संसद बैठकको अवरोध पनि जारी रहने बताए ।

...... कांग्रेस र मोर्चावीच भएको छुट्टै वार्तामा सीमांकनलाई तीन महिनाभित्र समाधान गर्नेगरी नागरिकता, भाषा, नेपाली सेनामा समावेशिता सहितका सवै बिषयमा साझा धारणा बनाउने छलफल भएको थियो । ‘सीमांकन बाहेकका अरु माग संविधानमा प्रष्ट पारे मिल्ने खालका छन । ठुलो समस्या देखिन्न’ कांग्रेस केन्द्रीय सदस्य अर्जुनरसिंह केसीले भने । उनका अनुसार सरकारले तराई(मधेसको मागलाई सम्वोधन गर्न औपचारिक दृष्टिकोण नदिएका कारण समझदारी हुन ढिलाई हुँदै आएको हो । ....... महन्थ ठाकुरले शान्तिपुर्ण आन्दोलनका शीर्ष नेतामाथि विश्वको लोकतान्त्रिक मुलुकमा सरकारबाट आक्रमण भएका घटना बिरलै भेटिने गरिएको भन्दै बिरोध जनाएका थिए । 'तपाईहरुमाथि कसरी विश्वास गर्ने ?'
अबको नेतृत्व मेरै हो : पौडेल
‘आजको दिनसम्म मैले धेरै सहेँ, पार्टी सभापति सुशील कोइरालाले पनि आफूखुसी काम गर्ने सरसल्लाह नलिने ..... पार्टीभित्र भएको ६०/४० भागबण्डाको विकृतिलाई चिर्दै सिद्धान्तको राजनीति, मिशन र भिजन भएकाले नेतृत्व लिन आवश्यक रहेको उनको भनाइ थियो ।
चुनावमा हारको क्षतिपुर्ति असुल्न आन्दोलन गरियो : पौडेल
सरकार आफ्नै बोझले ढल्छ: देउवा
‘सरकारले केहि गर्न नै सकेको छैन, अगाडि बढ्न पनि सकिरहेको छैन’ ..... देउवाले कैलाली र कञ्चनपुरमा बसोवास गर्ने राना तथा डगौरा थारुलाई विशेष अधिकार प्रदान गरेर भए पनि उनीहरुका माग पूरा गरिने बताए ।
सरकारको कामप्रति माधव नेपाल असन्तुष्ट
कालोबजारी, मुल्यबृद्धि र तस्करी मौलाएको भन्दै जनताले राज्य भएको अनुभूति गर्न पाउनुपर्ने बताए । ....

‘सिमाकंन सुझबुझका साथ सल्टाउनुपर्ने बिषय हो

, यसमा राजनीतिक सहमति गर्नुपर्छ,’ उनले भने, ‘निर्वाचन क्षेत्र, समानुपातिक समावेशी प्रतिनिधित्व र सामाजिक न्याय सं‌शोधनमार्फत सम्बोधन गर्नुपर्छ ।’
मोर्चाको माग सम्बोधन गर्न कांग्रेस र एमाओवादीबीच छलफल
आजै तीन बजे कांग्रेस-मोर्चा छलफल हुने



उकुसमुकुसमा मधेस
सीमाञ्चलबारे यसअघि भन्ने गरिएको ‘पढाइ न लिखाइ बोर्डर पर बैठाइ’ बल्ल यसपालिको भारतको व्यापारिक नाकाबन्दीले चरितार्थ गरिदिएको छ । अर्थात् पढाइ र लिखाइ नभए पनि बोर्डरमा बस्नेलाई रोजगारको धेरै चिन्ता गर्नु पर्दैन । नाकाबन्दीले बोर्डरमा बसोबास गर्ने दुबै देशका नागरिकको घर—घरमा इन्धनको कारोबार सुरु भएको छ । ..... अहिले उक्त सडक खण्ड हुँदै रक्सोल पुग्दा अधिकांश घर अगाडि एउटा मेचमाथि मिनरल वाटरको बोतलमा पेट्रोल, जर्किनमा डिजेल र रिफिलका लागि राखिएका खाना पकाउने ग्यासका सिलिन्डर लस्करै राखिएका देखिन्छन् । पेट्रोल/डिजेल प्रतिलिटर ५/७ रुपैयाँ नाफा खाएर बिक्री गर्दा पनि दिनकै कम्तीमा ५ हजार रुपैयाँ आम्दानी हुने गरेको ..... बोर्डर कटाएर वीरगन्जमै डेलिभरी गर्नेले अझ दोब्बर नै कमाउँछन् । ‘एलपी ग्यास रिफिल गरे प्रतिसिलिन्डर हजार रुपैयाँ नाफा आउँछ,’ उनले भने, ‘त्यसमा लगानी र रिस्क बढी छ ।’ यस अघि खेतीकिसानी र भँैसी पालनपोषण गर्दै आएका गुप्ताले भैँसीको गोठमा इन्धन भण्डारण गरेका छन् । ‘जेठो छोरोले पम्पबाट तेल ओसार्ने काम गर्छ, उनले सुनाए, ‘म र कान्छो मिलेर बिक्री गर्छौं ।’ भैँसी र घरधन्दाको जिम्मेवारी श्रीमतीले पाएकी छन् । गुप्ता परिवारको मात्र नभई भारत–नेपाल सीमा वारपार बस्ने अधिकांशको दैनिकी नै बनेको छ, इन्धनको कारोबार । ..... बिहानैदेखि राति ८ बजेसम्म इन्धनको कारोबार हुने गरेको छ । हुन त भारतको व्यापारिक नाकाबन्दी हुनुअघि पनि बोर्डरमा बस्नेको पहिलो रोजाइ नै वस्तु ओसारपसार नै हो । तर प्रहरी प्रशासन र दुबैतिरका व्यापारीसँग हिमचिम हुने संगठित समूहले मात्र त्यसको फाइदा लिँदै आएका थिए । यसपालिको भारतको व्यापारिक नाकाबन्दीले पैसा कमाउन चाहने जोसुकैलाई स्वर्ण अवसर जुटाइदिएको छ । नाकाबन्दीको मौकामा इन्धन र ग्यास तस्करीबाट लाखौँ कमाइरहेका केही नेता, कार्यकर्ता र बोर्डरका बासिन्दाले ‘अधिकार नपाउन्जेलसम्म मधेसी जनता लडिरहन्छन्, अभि नहीं तो कभि नहीं’ जस्ता चर्का नारा लगाउने गरेका छन् । ......

साउनको अन्तिम सातादेखि शरीरमा कुर्तासुरुवाल, काँधमा गम्छा राखेर सुरु भएको मधेस आन्दोलन अहिले पुसको शीतलहर र हुस्सु सुरु भइसक्दा पनि जारी नै छ । अधिकार प्राप्तिका लागि भनिएको मधेस आन्दोलन र सीमानाकामा धर्ना यति लम्बिन्छ भनी सायद कसैले सोचेका पनि थिएनन् । मधेसी मोर्चा र सरकारी पक्षबीच हुने प्रत्येक वार्ता सफल होस् भन्ने कामना गर्न थालिएको छ । मधेसका हरेक अनुहार मलिन छन् ।

..... ‘पहाडिया सब अधिकार छिनले लसन्, हमनीके लैकाके अब सरकारी नोकरी नामिली, इन्डियासे आइल पतोहके नागरिकता नामिली, मधेसीयाके लैका देशके प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति नाबने सकी’ अर्थात् ‘पहाडियाले सबै अधिकार खोसे । हाम्रा बालबच्चाले सरकारी नोकरी पाउँदैनन् । भारतीय बुहारीले नागरिकता पाउँदैनन् । मधेसीको बच्चा राष्ट्रको संवैधानिक पदमा पुग्दैन् ।’ .... आन्दोलन सुरु भएदेखि स्थानीय एफएमहरूले सञ्चालन गर्दै आएका ‘मधेस विशेष कार्यक्रम’मा सहभागीहरूले प्रत्यक्ष फोन गरी नेतालाई सचेत रहन चेतावनी नै दिन्छन् । ..... गत पुस ३ देखि सरकारलाई अन्तिम धक्का दिनका लागि कडा पारिएको आन्दोलनमा जनता सडकमा आएनन् । केही कार्यकर्ताले आन्दोलन चर्काउन प्रहरी प्रशासनमाथि ढुंगामुढा र पेट्रोल बम प्रहार गरे पनि ३ दिन नबित्दै उनीहरू पनि शान्त भएका छन् । छठयता जनता आन्दोलनमा आएका छैनन् । बजार खुलेका छन् । ..... असोज ७ देखि सुरु नाकाधर्नाले मुलुकको आयात—निर्यातको मुख्य व्यापारिक नाका अझै ठप्प छ । रक्सौलका प्रभावशाली व्यापारी तथा भारतीय जनता पार्टीका समर्थक महेशकुमार अग्रवालको गोदाम परिसरमा धर्नाकारीका लागि नि:शुल्क मेस सञ्चालनमा ल्याइएको छ । दैनिक ३ समय धर्नास्थल मितेरी पुलमै नास्ता र मिनरल वाटरको व्यवस्था गरियो । नगर परिषद रक्सौलले पुलमै घुम्ती शोचलायको व्यवस्था गरिदियो । दसगजा क्षेत्रमा भारतीय प्रशासन र व्यापारीको प्रत्यक्ष संलग्नता देखिए पनि नेपाली प्रशासनले नाका अवरोध हटाउने पहल गरेन । यताबाट हटाउँदा सजिलै भारतीय भूमिमा आश्रय लिने भएकाले मात्र हिंसा र तनावका लागि पहल नगरिएको सुरक्षा स्रोत बताउँछ । यसको सट्टा यस नाकाको भौगोलिक अवस्थितिले समेत धर्नाकारीलाई सघाएको छ । ‘मुलुकका अन्य नाकामा वारि नेपाल भन्सार र पारि भारतीय भन्सारका कार्यालयहरू छन्,’ वीरगन्ज भन्सारका एक कर्मचारी भन्छन्,

‘तर यहाँ दुवै भन्सारको बीचमा ४ सय मिटरमात्र खाली ठाउँ छ ।’

...... एक महिनादेखि धर्नाकारीहरूको संख्या घटेसँगै त्रिपालको संख्या पनि घटेको छ । सुरु—सुरुमा ५ वटा त्रिपाल ठड्याइएका थिए । अहिले एउटा मात्र छ । ‘पहिलेको तुलनामा धर्नाकारीहरूको संख्यामा कमी आए पनि सहभागिता राम्रै छ,’ पहिलो दिनदेखि नै धर्नामा बसिरहेका स्थानीय नेता कृष्ण पटेल भन्छन्, ‘मधेसको माग सम्बोधन नहुन्जेल धर्ना जारी रहन्छ ।’ धर्नाकारीका लागि आगो ताप्न दाउरा, बाक्लो ओढ्ने, बिछ्याउने र मच्छरदानीको व्यस्थासमेत गरिएको छ । ...... बेलाबेला वाणझैँ निस्कने प्रमुख दलका नेताहरूको मधेसप्रतिको अभिव्यक्तिले त्यसै पनि मन विभाजित बनाएकै थियो । माहोल यस्तो बन्यो कि जो जहाँ थियो, त्यही अवस्थामा चाहेर वा नचाहेर आन्दोलनप्रति समर्थन जनाउन बाध्य हुँदै जानुपर्ने भयो । ...... कांग्रेसका एक केन्द्रीय सदस्य जो अघिल्लो निर्वाचनमा हारेका थिए, मितेरी पुलमा पुगेर आन्दोलनकारीहरूसित धर्नामै बसे । निकट भविष्यमा हुने भनिएको स्थानीय निकायको निर्वाचनको तयारीका लागि पनि कांग्रेसका नेताले झण्डा बोकेर मधेस आन्दोलनको समर्थनमा जुलुस प्रदर्शन गरे । एमालेका समेत केही सभासदले विज्ञप्ति जारी गरी मधेसका जायज माग तत्काल पुरा गर्न माग गरे । ..... जीवनको कुनै कालखण्डमा काठमाडौँमा अध्ययन वा कामको सिलसिलामा हुँदा भोगेका जातिगत/रंगभेदी टिप्पणीको रिस यसपालि सामाजिक सञ्जाल हुँदै सडकमा मज्जाले पोखियो । ठाकुरराम बहुमुखी क्याम्पसका एकजना उपप्राध्यापकले आफू २ दशकअघि त्रिभुवन विश्वविद्यालय, कीर्तिपुरमा अध्ययन गर्दा पहाडी साथीहरूले ‘मधेसी’, ‘धोती’ भनी गिज्याएको सम्भिँmदै पहाडी शासक वर्गले सुरुदेखि नै मधेसीलाई होच्याएर व्यवहार गर्ने गरेको आरोप लगाउन चुकेनन् । .....

‘मधिसे’बाट मधेसीमा रूपान्तरण भएको सम्मानको अवस्था पछिल्लो सीमानाका धर्नाले पुन: मधेसीबाट ‘मधिसे’मै परिवर्तन भएको छ

...... नाकाबन्दीका कारण किसानले उत्पादन गरेको धान बिक्री हुनसकेको छैन । गर्जो टार्न बिक्री गर्नैपर्नेले गत वर्षको भन्दा ५ देखि ८ सय रुपैयाँसम्म कम मूल्यमा बिक्री गर्न बाध्य भएका छन् । उद्योग, कलकारखाना, यातायात, व्यापारिक प्रतिष्ठान ठप्प हुँदा लाखौँ जनशक्ति लामो समयदेखि रोजगारविहीन छन् । हातमुख जोर्ने समस्याले रन्थनिएर अवैध कारोबारमा संलग्न भएका छन् । ..... इन्धन, एलपी ग्यास अभावमा निम्न र मध्यम परिवार कष्टप्रद जीवन बिताइरहेका छन् । मोर्चाका स्थानीय अगुवा नेताले ‘बाहिरी रूपमा अभि नहीं तो कभि नहीं,’ ‘इस बार नगद में अधिकार चाहिए’ जस्ता उत्तेजित र तातो अभिव्यक्ति दिए पनि भित्री रूपमा उनीहरूलाई आन्दोलन कसरी सफल अवतरण गराउने भन्ने सकसले सताउन थालेको छ । ......

बाहिरी रूपमा सरकार र मोर्चा कडा रूपमा प्रस्तुत भए पनि भित्री रूपमा दुवै गलिसकेका छन् ।

..... संघीय प्रदेशको सीमांकनलाई बटम लाइन बनाएको मोर्चाले तत्काल त्यसलाई छाडेर सम्झौता गर्ने अवस्था छैन । उनले थपे, ‘राष्ट्रियता र अखण्डताको नारालाई उचाइमा पुर्‍याएको अहिलेको सरकारले यही बीचमा सीमांकनमा संशोधन गरिहाल्ने अवस्था पनि छैन । किनकि आगामी दिनमा दुवैलाई जनता फेस गर्नुछ ।’ यी दुवैको ‘इगो’बीच समाधान अड्किएको छ । ...... ‘आन्दोलन दुई महिनाअघि नै उत्कर्षमा पुगिसकेको थियो,’ मोर्चाका एक नेता भन्छन्, ‘त्यसपछि दुवै पक्षबीच आरोप/प्रत्यारोपको क्रम जारी छ । सरकार आन्दोलनलाई थकाएर पन्छिन खोजेको आभास भइरहेको छ ।’ ३ महिनाभन्दा बढीको नाकाबन्दीले पहाडका मात्र नभई मधेसका जनता मानवीय संकटमा परेका छन् । ..... असोज ७ बाट नाकामा धर्ना सुरु भएदेखि आन्दोलनकारीका लागि रक्सौलमा मेस सञ्चालन गर्दै आएका भारतीय नागरिक महेश अग्रवालसमेत छट्पटिएका छन् । अग्रवाल नाकाबन्दीले नेपालमात्र नभई सीमावर्ती भारतीय जनता पनि अत्यधिक मारमा परेको गुनासो गर्न थालेका छन् । उनले भने, ‘यति लामो आन्दोलन कुनै पनि देशको हितमा हुँदैन । ..... ‘प्रदेश नम्बर–२ को सीमांकन झापासम्म हुन नसक्ने भएपछि यसकै निहुँमा देश डुबाउनु हुँदैन । आन्दोलनको बैठान केमा हुनसक्छ, यसमा गृहकार्य आवश्यक छ ।’ ...... मंसिर अन्तिम साता मोर्चाका नेताहरूको दिल्ली दौडाहाले आन्दोलन चक्रव्यूहमा परेको मधेसका बुद्धिजीवीहरूले टिप्पणी गरेका छन् । नेताहरूको दिल्ली भ्रमणसँगै मधेस आन्दोलनको विसर्जन भएको टिप्पणी हुने गरेको छ । प्रधानमन्त्री चुनावमा सहभागी भएर नैतिकता गुमाएका मधेसीवादी दलका शीर्षस्थ नेताहरूले भारत गएर मधेस आन्दोलन विसर्जन गरेको आरोप बढ्दो छ । .....

नाकाबन्दी लम्बिएपछि मोर्चाका नेता र कार्यकर्ताहरू नै रंगदारी उठाउने, इन्धन र खाना पकाउने ग्यासको तस्करीमा संलग्न हुन थालेपछि अधिकांशमा निराशा उत्पन्न भएको छ ।

..... प्रमुख जिल्ला अधिकारी केशवराज घिमिरेका अनुसार सुरक्षाकर्मीलाई सकेसम्म गोली नचलाउनु र चलाउनैपरे घुँडाभन्दा मुनिमात्रै हान्नु भन्ने निर्देशन दिइएको थियो । तर पश्चिम नेपालको टीकापुर घटनाले प्रहरीमा आफूहरू असुरक्षित भएको सन्देश गइरहेको थियो । वीरगन्जको घटनामा टीकापुर ‘फोबिया’ बढी नै हावी भएको थियो ।