Monday, November 24, 2014

मोदीने एक मिनट में लिया निर्णय

English: Narendra Modi in Press Conference
English: Narendra Modi in Press Conference (Photo credit: Wikipedia)
मोदी संसारके सबसे व्यस्त व्यक्ति हैं। उनकी एक खुबी है - quick decision making की। वो decisive हैं। जनकपुर और लुम्बिनी जाने की बात उन्होने सारे देशके सामने कहा था, भड़ी संसद में, सारी दुनियाके सामने। उनको और उनके टीम को तभी ही मालुम था कि भारतके किन राज्योंमें कब चुनाव है। बिहार में और उत्तर प्रदेश में जहाँ कि अभी मोदीकी पार्टीकी राज्य सरकार नहीं है, और अगर उनकी पार्टी इन राज्योंमें सरकार बना लेती है तो भारतके upper house में उनको बहुमत मिल जाएगी और वो और स्पीड में काम कर सकेंगे। इस बात से वो वाफिक हैं। जनकपुर और लुम्बिनी भ्रमणसे उनको बिहार और उत्तर प्रदेश में फायदा था।

ये कहना कि व्यस्ततावश उन्होने जनकपुर और लुम्बिनी भ्रमण कैंसिल कर दिया --- ये कूटनीतिक भाषाको न समझना है। वो कैंसिल करने का निर्णय उन्होने एक मिनट में लिया, क्यों कि उनके पास उस के लिए उससे ज्यादा समय है ही नहीं। और एक बार निर्णय कर लेने के बाद फिर से उस निर्णयको revisit करने का समय उनके पास नहीं है।

मोदीने एक मिनट में लिया निर्णय। उनको जनकपुरमें आम जनताको सम्बोधन करना था। तीव्र इच्छा थी। प्रोग्राम schedule पर एक निगाह दिया। देखा आम सभा सम्बोधन प्रोग्राम में है ही नहीं। तो उन्होने जनकपुर जानेका प्रोग्राम कैंसिल कर दिया। खिसा खतम।

जनकपुर नगरीके इतिहासमें टीकमगढ़की महारानीने अपने गलेका नौ लाखका हार उतार कर जो दे दिया और जानकी मन्दिर बनी, वो बेमिसाल है। लेकिन मोदी उससे भी आगे जाने वाले थे। ५०० करोड़का पैकेज तैयार था। जनकपुर नगरीका कायापलट होना था। टीकमगढ़की महारानीसे भी तीन कदम आगे चल्ने वाले थे मोदी।

उस सब पर वामदेवने और काठमाण्डु के शासक वर्गने पानी फेर दिया। कितना गहरा है उन लोगो का घृणा! खुद तो कुछ करते नहीं हैं, मधेसीका पैसा ले जाते हैं लेकिन मधेसीको बजट में जगह नहीं देते हैं। और मोदी जैसे लोग उपहार ले कर आते हैं तो उसमें भी रोड़ा डाल देते हैं। वामदेवको माँ जानकीका श्राप लगेगी। वो तो सीधा नरक जायेगा बन्दा।

मोदी grassroots से उपर आए लोग हैं। उनको ये समझने में ज्यादा कठिनाइ नहीं होगी। ब्रिटिश साम्राज्यसे भारत तो मुक्त हो गया लेकिन मधेश अभी तक उस श्राप से मुक्त नहीं हो पाया है।


मोदी के प्रति मधेश के जनता में एक क्रेज है
Rakesh Sood
सुशील-वामदेव: खतरनाक कि निकम्मा?
सुशील-वामदेवको सरकार निकम्मा भएकोले मोदी जनकपुर नआएको
उल्लु स्वाँठ वामदेव
केपी ओली प्रधान मंत्री बन्न शारीरिक रुपले असक्षम, वामदेव मानसिक रुपले
बारह बिघा मैदान टुडिखेल भन्दा बारह गुणा ठुलो हो
आप भारतीय नहीं हैं तो नहीं हैं, मैं तो हुँ
वामदेवको बदमाशीले जनकपुरलाई ५०० करोड़को घाटा
मोदी जनताको छोरो आम जनतालाई सम्बोधन गर्न चाहन्छ
मोदीको भ्रमण रद्द गर्नु
फिजीके इंडियन और नेपालके इंडियन

मोदी के प्रति मधेश के जनता में एक क्रेज है



मैंने अपने जीवन कालमें अभी तक नहीं देखा ऐसा --- भारतके किसी प्रधान मंत्री के प्रति मधेसी जनता का ये जो मैं क्रेज देख रहा हुँ।

क्रेज तो अमिताभ बच्चन के प्रति भी है, तो आप ban करिए नेपालमें हिन्दी फिल्मको। नहीं अगर आप अमिताभ बच्चन के पिक्चर को ban नहीं कर रहे हो तो फिर मोदीको आम सभामें बोल्ने क्यों नहीं दे रहे हो?

मोदी वो आदमी है जो नेपालमें भी और भारतमें भी, दोनों देशो में आर्थिक क्रान्ति करेगा। काम शुरू हो गया है।

मेरे जीवन कालमें नेपालके प्रत्येक राजा महाराजा, प्रत्येक प्रधान मंत्री, ऐरो गैरो नत्थु खैरो सभी नेताओं ने हाइड्रो हाइड्रो किया ---- लेकिन नेपालमें जल बिद्युतीय क्रान्ति करनेवाले सख्श मोदी निकले। अरे Thank You तो बोलो।

अरे Xi Jinping को तो नेपालका रास्ता भी मालुम नहीं है, तो वो आएगा कैसे?

मोदी अभी संसारके सबसे पॉपुलर पॉलिटिशियन बन चुके हैं ----- उनको संसार भरके लोग न्यौता पर न्यौता दे रहे हैं। सब जगह से बुलावा आ रहा है। संसारके कोने कोने से बुलावा आ रहा है। लेकिन उस मेहमानको वामदेवने बेइज्जत कर के रख दिया। वो वामदेव निकट भविष्यका कमल थापा ही है। वो भी नेपालके राजनीति से बस गायब होने वाला ही है। लोकतंत्रके मुद्दे पर कमल थापा जो भीलन था, संघीयता, समानता, समावेशीता, सामाजिक न्यायके मुद्दे पर वामदेव वही है। ये मोदीका अपमान करने वाला वामदेव नेपालके आर्थिक क्रान्तिका दुश्मन ही तो है। बाई बाई बोलो बाबा बामदेवको।

सुशील-वामदेव: खतरनाक कि निकम्मा?


स्वायत्त मधेश राज्य भित्र कोचिला, मिथिला, भोजपुरा, अवध, थरुहट प्रदेश हरु

झापा देखि कन्चनपुर सम्म, उदयपुर, मकवानपुर , चितवन, दांग र सुर्खेत सहितको आत्म निर्णय को अधिकार सहितको स्वायत्त मधेश राज्य जस भित्र कोचिला, मिथिला, भोजपुरा, अवध, थरुहट प्रदेश हरु हुनेछन्। 

केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, प्रदेश सरकार, र स्थानीय सरकार (गाउँ/शहर) ----- अहिलेका जिल्लाहरु ओझल हुनेछन्। 

आत्म निर्णयको अधिकार भनेको जनमत संग्रहको माध्यमले अलग देश घोषणा गर्न पाउने अधिकार नै हो। आत्म निर्णयको अधिकार बिनाको संघीयता त संघीयता नै होइन। 

मधेश स्वराज भनेको मधेश राज्यबाट पहाड़ी CDO/DSP गायब पार्ने भनेको हो। मधेश राज्यमा पहाड़ी प्रहरी हुँदैन।मधेशको आफ्नै प्रहरी हुन्छ। मधेशको आफ्नै प्रशासन हुन्छ। नेपाल सेनामा मधेसीको समानुपातिक सहभागिता हुन्छ।