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Tuesday, October 28, 2014

यो त टुटेकै देश हो

ब्रिटिशले १८१६ र १८६० मा गरी दुई पटक गरेर नेपाललाई सुम्पेको मधेशमाथि त्यति बेला देखि अहिलेसम्म काठमाण्डुका शासकले उपनिवेशी व्यवहार गरेको तथ्य हो। मधेशका जिल्लामा पहाड़ी CDO, DSP, मधेशमा पहाड़ी पुलिस, प्रशासन र सेना। त्यो उपनिवेश होइन भने के हो? मधेशका ४० लाख व्यक्तिलाई बाबा वामदेवको गृह मन्त्रालयले नागरिकता पत्रबाट वञ्चित गरेको, देश तोड्ने व्यवहार त त्यो हो। यदि देशद्रोहको मुद्दा लगाउनै परे लगाउने त्यो वामदेवलाई हो। कुनै पनि देशको नागरिक नभएर कोही कसरी बस्न सक्छ? ती ४० लाख मधेसी नेपालका पनि नागरिक होइनन् र भारतका पनि नागरिक होइनन् भने तिनकालागि भए पनि एउटा मधेश देश त खड़ा गर्नु पर्ने भो नि त।

मधेश स्वराज भनेको मधेशमा पुलिस, प्रशासन र सेना मधेसी हुनु हो। संघीयता भनेकै त्यही हो। संसद र कानुन माथि राजालाई नमानेको मधेसी जनतालाई त्यो संसदमाथि हो नेपालको सेना भन्न खोजिँदैछ। नेपाल सेनामा मधेसीको समानुपातिक सहभागिता हुँदैन भने त्यो उपनिवेशी सेना हो, त्यो सेना रहेको देशसँग मधेसको कुनै सरोकार हुन सक्दैन। मधेश प्रदेशमा अहिलेको पहाड़ी पुलिसले law and order हेर्ने होइन। मधेश प्रदेशको आफ्नै प्रहरी जत्था तैयार हुन्छ। मधेशबाट पहाड़ी CDO सब खारिज हुने हो, संघीयता भनेकै त्यही हो। क्रांतिले स्थापित गरेको संघीयतालाई एमालेका बाहुनहरुले विस्थापित गरुन, उनीहरुसँग त्यति तागत छैन। राजाको अगाडि नझुकेको मधेश वामदेव, केपी, माधव, विद्या, झले नले का अगाडि झुक्दैन।

देश कसैले तोड्ने होइन। यो त टुटेकै देश हो। यसलाई संविधान सभाले ईमान्दारीपुर्वक संघीयता ल्याएर जोड्ने हो। विभेद समाप्त गरेर देश जोड्ने हो।



Friday, October 10, 2014

Thursday, October 09, 2014

क्रान्ति और संगठन


पहाड़ी अदालतसे न्यायका आशा करना बेकार है। क्रान्तिकी तैयारी होनी चाहिए। संगठन निर्माण इस क्रान्तिका एक बहुत बड़ा हिस्सा है। सीके राउत बचाउ संघर्ष समितिके नाम पर तराईके प्रत्येक जिलेमें और काठमाण्डुमें जिला समितिका निर्माण हो। लोकतान्त्रिक किस्मसे नेतृत्व चयन करें। २३ जिला समिति बननेके बाद एक केन्द्रीय समिति चयन करें। गाउँ गाउँमें, शहर शहरमें संगठन निर्माण करें। वार्ड वार्डमें एक समिति हो। अन्तरराष्ट्रिय स्तर पर भी संगठन विस्तार होगा। ग्लोबल मीडियाको आगाह करने के लिए, विश्व स्तरके नेताओंको आगाह करने के लिए, आन्दोलनके दौरान कोई घायल हो उनके इलाजके लिए अन्तरराष्ट्रिय स्तर पर काम होगा।

Madhesi Kranti (3) On The Way
पुर्ण आन्तरिक लोकतन्त्रका सस्ता तरिका

जब तक सीकेको वो लोग छोड़ते नहीं हैं तब तक देश बन्द रहेगा। सीकेके रिहाईके बाद ये संगठन मधेश स्वराज पार्टी बन जाएगी। सीके संस्थापक अध्यक्ष रहेंगे और एक सालके अन्दर पार्टीका महाधिवेशन होगा।तराईसे कांग्रेस और एमालेको सदा सदाके लिए बिलकुल साफ कर देना है। वैसा संगठन निर्माण करें। 

क्रान्तिका रुपरेखा स्पष्ट होना बहुत जरुरी है। अनिश्चितकालीन मधेश बन्दकी घोषणा की जाएगी। ५ दिनका समय दिया जाएगा। उस ५ दिनमें वो रिहा करते हैं तो उस रिहाईके साथ ही बन्द समाप्त। ५ दिनसे ज्यादा तक जाए तो माँगे बढ़ेंगे। दो माँगे थपे जाएंगे। (१) आत्म अधिकार सहितकी संघीयताकी गारण्टी (२) झापा से कन्चनपुर तक एक मधेशमें दो प्रदेश।

ऐलान किया जाएगा, अगर आन्दोलनके दौरान एक भी कोइ शहीद होता है तो गृह मंत्रीके राजीनामाके बगैर क्रान्ति नहीं थमेगी। १० से ज्यादा शहीद होते हैं तो प्रधान मंत्रीके राजीनामाके वगैर क्रान्ति नहीं थमेगी।

मधेश स्वराज पार्टी १० साल समानताके लिए जोड़दार संघर्ष करेगी। अगर पहाड़ी शासकोका अभीका बेईमानी बरक़रार रहा तो उसके बाद जनमत संग्रहके माध्यमसे पार्टी मधेशको अलग देश बनानेके लिए पहल करेगी।

मण्डेला जेल गए, सीके जेल नहीं जाएगा। मधेशमें इतना दम है। 

Tuesday, September 30, 2014

पुर्ण आन्तरिक लोकतन्त्रका सस्ता तरिका

अनिश्चितकालीन मधेश बन्द अगर ५ दिनसे ज्यादा तक जाए तो माँग सिर्फ सीके राउतकी रिहाईकी नहीं रह जाएगी, बढ़ जाएगी। ये मधेसी क्रान्ति एक नए पार्टीका निर्माण करेगी: मधेस स्वराज पार्टी। उस पार्टीमें पुर्ण आन्तरिक लोकतन्त्र रहेगी, और पुर्ण आर्थिक पारदर्शिता। पार्टीके आयव्ययका पैसे पैसेका हिसाब पार्टीके वेबसाइट पर रखा जाएगा। पार्टीके भितरके प्रत्येक पदके लिए पार्टीके भितर चुनाव होगी।

वार्ड लेवलसे केन्द्र तक आप चुनाव ही कराते रहिएगा तो कितने बैलट छपेंगे? खर्चा कितना बैठेगा? कौन देगा खर्चा? एक तरीका है जिसमें खर्चा ही नहीं होता है। मान लिजिए पार्टीका महाधिवेशन हो रहा है। देश भरसे १,००० प्रतिनिधि जमा हुए हैं। पार्टी अध्यक्षके लिए ३ उम्मीदवार मैदानमें हैं। तो क्या करेंगे। उन १,००० लोगोको आप तीन गुटमें बँटके खड़े होनेको बोलेंगे। उम्मीदवार क के नाम पर ३५० लोग खड़े हुए, उम्मीदवार ख के नाम पर ३५०, और उम्मीदवार ग के नाम पर ३०० लोग, लेकिन नियम है कि पार्टी अध्यक्षके लिए कमसेकम ५०% वोट चाहिए। तो उम्मीदवार ग को पराजित घोषित किया जायेगा, और उनके ३०० समर्थकोंको तभी कहा जाएगा, अब आप उम्मीदवार क और उम्मीदवार ख में से एकको चुनिए। वो ३०० लोग चलके दोमें एक चुनेंगे। पैदल चलके मत डालेंगे।

बैलटकी कोइ जरुरत नहीं है। खुला लोकतन्त्र। ये एक भी पैसा खर्चा किए बगैर चुनाव करानेका तरीका स्थानीय लेवल पर और भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। वार्ड वार्ड में संगठन निर्माण करना है तो कैसे करेंगे नेतृत्वका चयन? ऐसे ही।