Monday, August 31, 2015

Rajnath Singh

This is the first time in history an Indian Home Minister has spoken for the Madhesis of Nepal, and we are so very thankful.

The Tamils Of Sri Lanka And Me
Genocide/Ethnic Cleansing Of Sri Lanka Tamils
The Tamils Of Sri Lanka And The Federalism Question
Rohingya: India's Responsibility
Making Peace With Pakistan
भारतका २४० ट्रिलियन डॉलर वाला अर्थतंत्र बनने का फोर्मुला इजराइल के पास है
ब्रिटेन का Cyber Colonization संभव है
नरेन्द्र मोदी और "काला धन"
A Fan Of Israel
Lalit And Vyapam: Time Waste "Scams"
Hardik Patel Is Not A Movement
Labor Bill पर एक दो बातें
लालु यादव: मौसम वैज्ञानिक
आजादी के बाद के ४० साल
Barack Obama Is Biologically Superior
Political Reform For China
न्यु यर्क मेरा होमटाउन
Modi: A Force Of Nature
भारतको १५% ग्रोथ रेट चाहिए
मोदी और सौर्य उर्जा

Indians would be protected in Nepal: Rajnath Singh
Union Home Minister Rajnath Singh has said that the Indian government is concerned about Indians living in Nepal, considering its present political situation. ..... "Although the Madhesi problem is an internal issue of Nepal, the Indian government will protect the interests of the one crore Indians living there," Singh said, during his visit to Maharajganj on Sunday. ..... He was there to unveil an outpost of the Sashastra Seema Bal (SSB) and lay the foundation stone of its proposed new building.

The home minister's visit is being considered crucial at this point of time because the entire Terai area along the UP-Nepal border is caught in violent clashes between the natives and Madhesis.

....... Madhesis are Indians who had migrated to Nepal years ago. While many have received Nepali citizenship, majority of them are still without a nationality. The Madhesis have alleged that several political and militant organisations have been targeting them and inflicting atrocities to force them to leave Nepal. However, the BJP has been supporting the Madhesis for long. ..... Yogi Adityanath, BJP MP from Gorakhpur and Mahant of Gorakshnath Temple, has often been alleged for providing logistic support to the movement of the Madhesis against the Nepal government. ..... The southern region of Nepal, running along UP, Bihar and West Bengal, is known as Madhes. Madhesis, who constitute 30 per cent of Nepal's population live in the Terai area. But 40 per cent of these Madhesis still don't have a citizenship or the right to vote. They claim that the Nepal government deliberately ignores the Terai area to relegate them....... Large-scale violence has erupted along areas of Maharajganj and Siddharthnagar.


Home Ministry fears for Madhesis in Nepal after alleged atrocities against the community


मधेसी मोर्चा र मधेसी स्वराजी को सम्बन्ध



Dr. CK Raut
मधेशी पार्टी द्वारा स्वराजी अञ्‍जय मिश्रको फँसाकर जेल में बंद करवाना: मधेशी पार्टी द्वारा स्वराजियों को भीड में लपेटकर फँसाने, दमन करवाने, इन्काउन्टर करवाने और स्वराज अभियान को खत्म करने की साजिश
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कल शाम को प्रत्यक्षदर्शी से जानकारी प्राप्त हुई कि मोरंग विराटनगर से पकड़े गए स्वराजी अञ्‍जय मिश्र को अभी तक हिरासत में ही रखा गया है। मधेशी मोर्चा द्वारा घोषित श्रावण ३१/३२ के कार्यक्रम के दौरान एक मधेशी पार्टी के जिलाध्यक्ष, स्वराजी अञ्‍जय मिश्र और अजय नाम के एक साथी साथ-ही-साथ बजार से गुजर रहे थे। इतने में पुलिस वैन दिखाई दी और मधेशी पार्टी के जिलाध्यक्ष नें ईंट उठाकर पुलिस की गाडी पर फेंक दी, जिससे गाडी का शीशा टूट गया। जिलाध्यक्ष महोद्‍य तो भाग गए, पर सारी घटना से हक्का-बक्का हुए अञ्‍जय मिश्र और अजय वही पर खडे रहे। पुलिस ने उतरकर दोनों को गिरफ्तार कर के वैन में बिठाया, पर अजय वैन से कुदकर भाग गया जिसके कारण उसके पैर में मोच भी आई। अञ्‍जय को पुलिस ने हिरासत में लिया। शाम के मशाल जुलुस के दौरान मोर्चा के कुछ और कार्यकर्ताओं को भी पकडकर लाया गया। पर सभी कार्यकर्ताओं को मधेशी पार्टीयों ने छुडाकर ले गया, पर अञ्‍जय मिश्र को उन सबने हिरासत में ही छोड दिया। उल्टा मोरंग के पूर्वसभासद् तथा संघीय समाजवादी फोरम के नेता ने मकालु टेलिविजन से अन्तर्वार्ता में कहा कि उनके मशाल जुलुस में "विखण्डनकारी घुसपैठिया" घुस गया था जिसके कारण से आन्दोलन उग्र हो उठा।

बाद में जब श्री महन्त ठाकुर, श्री उपेन्द्र यादव, श्री राजेन्द्र महतो, श्री महेन्द्र राय यादव लगायत के नेता विराटनगर में सभा को सम्बोधन करने पहुँचे तो ईस्टर्न होटल में अञ्‍जय मिश्र के विषय में जीवन गुप्ता जी ने वृहत्त में बात रखी पर कोई सुनवाई नहीं हुई। विराटनगर के नागरिक समाज के सामने यह बात रखी गई वहाँ भी कोई परवाह नहीं किया गया। मधेशी मोर्चा के स्थानीय नेताओं के सामने बात रखी गई कि आपके कार्यक्रम के दौरान, आपके जिल्ला अध्यक्ष के कारण ऐसा हुआ है, तो जीवन गुप्ता जी को 'घटना में मारे जाओगे' कहके जान से मारने की धमकी दी गई। इसतरह से मोर्चा के कार्यक्रम के दौरान, मधेशी पार्टी के जिलाध्यक्ष के गैरजिम्मेबार करतूत के चलते गिरफ्तार हुए या षडयन्त्र पूर्वक गिरफ्तार कराए गए स्वराजी अञ्‍जय मिश्र पिछले १५ दिन से प्रहरी हिरासत में यातना भोग रहे हैं, और उनपर मुद्दा लगाने की तैयारी चल रही है।

उसी तरह, स्मरण रहे, तमलोपा के महामंत्री सर्वेन्द्रनाथ शुक्ला ने भी भैरहवा की घटना में सिके राउत के कार्यकर्ताओं का घुसपैठ होने का आरोप लगाया था।
(http://www.ratopati.com/2015/08/22/227596 )

इसतरह से जगह-जगह पर स्वराजियों को बदनाम करने की और नेपाली शासकों द्वारा स्वराजियों पर दमन करवाने की घटना सामने आ रही है, और इस ओर हम सबका ध्यान आकृष्ट हुआ है। पर हम सभी संयमता रखें क्योंकि यह इस भीड में लपेटकर स्वराजियों पर दमन कराके, स्वराजियों को बदनाम कराके, स्वराजियों का इन्काउन्टर करवाके स्वराज अभियान को खत्म करने की साजिश हो रही है। इसलिए हम सभी संयमता रखें, सावधान रहें।


बहुदल ले मात्र पुगेन। गणतंत्र पनि चाहियो। गणतन्त्रले मात्र पुगेन। संघीयता पनि चाहियो। बहुदलवादीले गणतन्त्रवादी लाई, गणतन्त्रवादी ले संघीयता वादी लाई शत्रु व्यवहार गर्नु इतिहासले गलत साबित गरेको छ।

संघीयता अझै मधेस ले पाइनसकेको कुरा। संविधान मा केही गरी संघीयता र समावेशीता पाइ हाले पनि त्यसको कार्यान्वयन को कुरा आउँछ। त्यहाँ पनि बेइमानी का ठाउँ प्रशस्त रहन्छन्।

सीके राउत को वाचडॉग (watchdog) रोल रहने हुन्छ। मधेसी क्रांति ले अंतरिम संविधान मा "स्वायत्त मधेस प्रदेश" स्थापित गरेको हो। त्यो स्वायत्त भन्ने शब्द को अर्थ के भन्ने कुरामा कुनै विवाद छैन। त्यो आत्म निर्णयको अधिकार नै हो। त्यसको अर्को कुनै अर्थ लाग्दैन।

मधेसी विरुद्ध को विभेद को औषधि संघीयता हो, संघीयता प्रयाप्त छ भन्ने मधेसी दल को त्यो अधिकार हो। अंतिम निर्णय गर्ने जनता हुन। मधेसी विरुद्ध को विभेद को औषधि संघीयता होइन मधेस अलग देश हो भन्ने हरु सँग वैचारिक असहमति लोकतान्त्रिक अभ्यास हो। तर तिन प्रति शत्रु व्यवहार मधेसी मानसिक दासता कै एउटा रूप हो। त्यो बाटो मा मधेसी दल हिँड्नु हुँदैन।

मधेस अलग देश को एजेंडा कंडीशनल हो। यदि संघीयता र समावेशीता को बाटो एउटा निश्चित समय भित्र मधेसी ले समानता पाऊँछ भने मधेस अलग देश को एजेंडा कायम रहँदैन। तर त्यो समय आइसकेको छैन मात्र होइन, त्यो समय आउन दिन्न भन्ने काठमाण्डु का बाहुन हरुको लिंडे ढिपी ले गर्दा होइन यत्रो आंदोलन गर्नु परेको?

त्यसैले मधेसी मोर्चा का दल हरुको, नेता र कार्यकर्ता को मधेसी स्वराजी संग respectful co-existence को सम्बन्ध हुनुपर्छ, hostility को होइन। दुबै ले लडेको मधेसी अस्मिता का लागि नै हो। मंजिल एक और राही दो।

भैरहवाको झडपमा सिके राउतका कार्यकर्ताको घुसपैठ?
सिके राउत पक्षको खण्डन
भैरहवा, भदौ ५– बिहिबार भैरहवामा भएको झडपमा सिके राउतका कार्यकर्ताले घुसपैठ गरि अराजकता फैलाएको भन्ने तराई मधेश लोकतान्त्रि पार्टीका महामन्त्री तथा रुपन्देही क्षेत्र नं. ६ का सभासद सर्वेन्द्रनाथ शुक्लाको भनाईको स्वतन्त्र मधेश गठबन्धनले बिरोध गरेको जनाएको छ । ...... गठबन्धनका जिल्ला संयोजक भोपेन्द्र यादवले प्रेस बिज्ञप्ती जारी गर्दै शुक्लाको भनाई कपोलकल्पित, गलत, निराधार तथा गैरजिम्मेवार रहेको बताए । शुक्ला जनताको मनोभवना र अकान्छालाई कुल्चेर सिके राउतको कार्यकर्तालाई दोसी देखाउनु खेदपुर्ण भएको बिज्ञप्तीमा उल्लेख छ । भैरहवामा सिके राउतको कार्यकर्ता वाट कुनै किसिमको सद्भाव बिग्रने खालको क्रियाकलाप नगरेको गठबन्धने जनाएको छ । मोर्चाको आन्दोलन भन्नु भन्दा पनि यो सम्पुर्ण मधेशी ,थारू ,आदिवासीजनजाति हरूको आन्दोलन भएको कारण यसमा गठबन्धनले नैतिक समर्थन गरेको संयोजक भोपेन्द्र यादवले बताए । बिहिबार रुपन्देहीका ग्रामीण क्षेत्रबाट आएका हजारौ प्रर्दशनकारीले भैरहवामा उगै रुप देखाउदै अस्पताल, निजि घर तथा बाटोमा सवारी साधन तोडफोड गरे पछि त्यसको सर्वत्र बिरोध भएको थियो । शुक्लले सो भिडमा सिके राउतका कार्यकर्ताले घुसपैठ गरि तोडफोड मच्चाएको आरोप लगाएका थिए ।

In The News (53)











Niranjan Koirala
By the time I was growing up in Biratnagar in the early 50's, the tharus had lost much of their influence and land in that area to the migrants from the hills and many Marwari families that came from Rajasthan at the call of earlier Rana Primeminister whose dream was to make Biratnagar an industrial town and a trading centre. My grandfather, Krishna Prasad Koirala was one of the early pahadi settlers there. He might have been one of the people who gave the place its current name. Before that the place was called Gograha. Gograha was dominated by the tharus, who had been the original settlers and who had acquired immunity against the dangerous malarial mosquito bites. When my grandmother, Dibya came to Biratnagar as a young bride, she tied a rakhi on a tharu zamindar from Raghunathpur, a few miles east of today's Biratnagar. The tharu zamindar, Teju Lal Chaudhury, gifted my grandmother 25 bighas of land in Raghunathpur that she very proudly called her 'peva'. She used to tell us proudly that her 'brother' had given her that land and it had nothing to do with the Koirala family. Before she died. she gifted most of that to her sister. My father and all his brothers including BP used to address him as Mama. 'Mama' came to Biratnagar very rarely. But when he came, he stayed in our home, Koirala Nivas. He was an extremely dignified man and he usually came with three or four of his retainers who looked after his comforts. My grandmother accorded great respect and because of that we used to be in awe of him. I remember going and spending a couple of nights in his home in Raghunathpur. The main house was built of wood with a tin roof and there were many neat huts around it. There was no halla-gulla in the premise. The serenity of the environment made us impose self-discipline....The Tharus that I knew growing up were the most peace loving people. In fact, much later, I was quite surprised when I was told that a junior party colleague who was quite aggressive and a boisterous youth leader- Bijaya Gacchadar- was a tharu! I had always believed and believe now that Tharus can never be aggressive till they are pushed to the wall. I believe somethlng like that happened in Nepal today that has provoked the tharus to be so aggressive. Sitting in Delhi I am not the right person to comment politically, but as someone who had had many tharu friends and grew up amongst them, I can say with certainty that whatever has gone wrong is not because of them. And if things get out of hand, it will not be because of them. My uncle Sushil who is the current PM of the country knows this. I hope he is taking appropriate steps to contain this anger of the tharus before it spirals out of control.


प्रचंड प्रतिगामी हो

बीरगंज बाट एउटा गाडी मा एउटा मान्छे बिराटनगर गइरहेको छ। उसलाई जनकपुर पुर्व कि पश्चिम भनेर सोध्दा उसले भन्छ: "पुर्व।" तर उ जब लहान पुग्छ अथवा राजबिराज अनि त्यही प्रश्न सोध्यो भने उसले भन्छ: "जनकपुर पश्चिम।"

कुनै समय को क्रांतिकारी प्रचंड अहिले को अवस्थामा प्रतिगामी हो। संघीयता र समावेशीता को मुद्दामा उसले पुर्ण रुपले आत्म समर्पण मात्र गरेको छैन कि उ ती मुद्दा मा कुनै पनि बेला थियो र भन्ने पारदिएको छ।

प्रचंड प्रतिगामी हो। उसको बोली वचन व्यवहार महेंद्र पथमा लमकेका बामे र केपी ओली भन्दा कुनै मानेमा फरक छैन।

देशले आंदोलन को बाटो निर्दल बाट बहुदल मा फड्को मार्यो। देशले क्रांतिका मार्फ़त गणतंत्र को मुद्दामा फड्को मार्यो। ती दुबै भन्दा ठुलो छलांग हो संघीयता। देश क्रांति को बाटो नै संघीयता सम्म पनि पुग्छ।

संघीयता र समावेशीता लोकतंत्र, मानव अधिकार, गणतंत्र र धर्म निरपेक्षता को स्तर का कुरा हुन। तिनको सशक्त स्थापना हुन्छ। प्रचंड ले यथास्थिति को कित्ता मा आफुलाई उभ्याएको छ। इतिहास को सुनामी ले पुरिदिन्छ प्रचंड लाई।




केपी ओली को आला मत दो



केपी ओली के गले में आला मत डालो, लोग मरेंगे। बन्दर क्या जाने आदि का सवाद? बाहुन ले च्याउ खाओस न स्वाद पाओस्।

केपी ओली लाई संघीयता बारे त्यति नै ज्ञान छ जति कि मेडिसिन बारे। संघीयता बारे निर्णय गरिने प्रत्येक ठाउँ बाट यो मान्छे लाई घोक्रेठयाक गर्नु पर्छ। यसले मान्छे मारिरहेको छ।

केपी ओली को आला मत दो, गाली दो।


कोइराला, गंगालाल, देवकोटा, पारिजात


Alisha Koirala

नेपालमा कसरि माथिल्लो जातका व्यक्तिहरुले छल कपटका साथ् राजनीति गरेर अन्य जात जातिलाई माथि आउन दिएन ?

धरानमा रहेको प्रसिद्ध ठुलो मेडिकल कलेज " वी. पी. कोइराला स्वास्थ्य विज्ञान प्रतिष्ठान " को यो संस्था को निर्माण मा स्व: बि पी कोइराला को कुनै पनि भूमिका न भएता पनि ,प्रतिष्ठानको नाम स्व: बि.पि कोइरालाको सम्मान मा राखियो , बि.पि को नाम भन्दा नि बढी उनको थर "कोइराला" लाई बढी बढावा दिइएको छ ,अर्थात बि.पि को नाम को साथ् पुरै कोइराला समाजलाई सम्मानित गरिएको छ। यस्तै अर्को एउटा ट्रस्ट " सहिद गंगालाल स्मारक राष्ट्रिय मुटु केन्द्र " को नाम सहिद गंगा लाल श्रेष्ठ को स्मारक नाम मा राखिएको छ , तर यो संस्थाको नाममा " श्रेष्ठ " राखिएको छैन , अर्थात केवल सहिद गंगालाल मात्र सम्मान गरिएको छ उनको जात् समाज लाई जोडिएको छैन । कारण पता लगाउदा यस्तो रे श्रेष्ठ जोडीदा नाम ठुलो हुन्थ्यो तर कहिले बुझ्न सकिन "कोइराला" को तुलनामा "श्रेष्ठ" शब्द कसरी लामो भएछ। यस्तो धेरै उदाहरण हाम्रो समाज मा हेर्न सकिन्छ।

महाकवि लक्ष्मी प्रसाद देवकोटा को प्रसिद्ध वाक्य " मान्छे ठुलो दिलले हुन्छ जातले हैन " थियो। यस वाक्य महाकवी लक्ष्मी प्रशाद देवकोटाले त्यस समयमा दलित ,जनजाति ,आदिवासी ,मधेसी ,थारु हरुलाई हेप्ने र जातीय आधारमा आफैलाई ठुलो देखिने , आफुलाई माहान / ठुलो सम्झिने बाहुन/क्षेत्रि लाइ व्यंग हानेर लेखेका थिए । हेला गरिने तल्लो जात को व्यक्तिले नै मदन को ज्यान बचाएका थिए। जातीय आधारमा आफुलाई ठुलो सम्झिने र अन्य लाइ निच व्यहार गर्ने बाहुन / क्षेत्रि हरु सुध्रिने आशमा लघु महाकाव्य "मुना मदन " लेखेका थिए। तर के गर्ने , आफुलाई देश र जनता को राजा सम्झिने आहंकारी बाहुन क्षेत्रि अझ सुध्रिएको देखिदैन। यिनीहरुले त महाकवि लक्ष्मी प्रशाद देवकोटा लाई नै प्रयोग गरेर जातीय बढावा दिए। महाकवि लक्ष्मी प्रशाद देवकोटा को स्मारक सम्झनामा देवकोटा सडक ,देवकोटा संघ्रालय ,देवकोटा चोक जस्ता नाम हरु राखे। मैले कहिले बुझ्न सकिन कि यि स्वार्थ राजनेता हरुले महाकवी लक्ष्मी प्रशाद देवकोटा को सम्मान गरेको हो कि उसको जात देवकोटा को सम्मान गरेका हुन्।महाकवी लक्ष्मी प्रशाद देवकोटालाई प्रयोग गरि देवकोटा समाजलाई बढावा/वर्चस्व दिनुको पछि यिनीहरुको लुकेको स्वार्थ छरपस्ट बुझिन्छ।

उनि जस्तै एक महान लेखिका कवि विष्णु कुमारी वैवा (तामांग) " पारिजात " को नाम ले प्रख्यात को पुरा नाम पनि सायद नै कसैलाई थाहा होला।आज यिनी बाहुन भएकी भए नाम भन्दा बेशी जात प्रख्यात हुनेथ्यो।

अहिले बनदै गरेको बनेपा -सिन्धुली -वर्दिवास राजमार्ग को नाम " बि पी कोइराला राजमार्ग " पनि स्व :बि पी कोइराला को सम्झनामा राखिएको छ राखिएको छ, वास्तविकतामा यो राजमार्ग निर्माणमा बि. पी. कोइराला को कुनै पनि योगदान छैन ता पनि नाम राखियो कारण के त यो राजमार्ग को सपना पहिलो पल्ट उँहा ले नै देख्नु भा थियो रे ।कसलाई के थाहा यो राजमार्ग को सपना/कल्पना भारि डोको बोकेर हिड्ने त्यहाँ का बासिन्दाले वर्षौ देखि गर्दै आएका छन।ल ठिक छ , वि. पी कोइराला महान व्यक्तित्व थिए ,त्यसैले उनको नाम राखिएको हो ,तर नाम मात्र राखे भैहाल्यो नि " कोइराला " जोडिनु को कारण के ?यति धेरै राजमार्ग हरु छन् ,महेन्द्र राजमार्ग ,सिद्धार्थ राजमार्ग , कतै पनि जात उल्लेख गरिएको छैन। तसर्थ बनेपा -सिन्धुली -वर्दिवास राजमार्ग मा कोइराला सब्द जोडिनु को कारण सबैलाई स्पष्ट भै नै सक्यो होला।

निष्कर्ष के त , यदि कुनै माथिल्लो वर्ग(विसेस गरि बाहुन समाज ) का व्यक्ति लाइ सम्मान गरिन्छ भने उसको साथ् पुरा उसको जात / वर्ग लाई सम्मान गरिएको हुन्छ तर जब कुनै जनजाति ,नेवाः ,किराती ,आदिवासी ,मधेसी ,थारु जात /वर्ग /समुदाय का व्यक्ति को सम्मान हुन्छ केवल त्यस बिसेष व्यक्ति को मात्र सम्मान गरिन्छ र उसको जात /वर्ग /समुदायलाई बहिस्कार गरिन्छ।

दलित ,जनजाती ,आदिवासी ,मधेसी थारुहरुको पहिचान सहित को संघिय राज्य को बिरोध गर्नुको पछि को आफ्नो एक्कल जातलाइ छल कपट सहित माथिल्लो स्थान मा राख्न सक्ने बाहुन क्षेत्रि (विशेश गरि साश्क वर्गका बाहुन पुरुष ) हरुको स्वार्थीपना छरपष्टै झल्किन्छ।

धन्यवाद !

देश एक राख्ने मधेसी जनजाति एकताले मात्र हो अब

देश एक राख्ने मधेसी जनजाति एकताले मात्र हो अब। होइन भने अहिले सम्म जनजाति नजागेको भए मधेसी जनता अलग देश को बाटो मा हिंडिसकेको हुने।


Magarat