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Saturday, September 19, 2015

मधेस अस्मिता का अगाडि का कदम हरु

Kranti
Kranti (Photo credit: Wikipedia)

  1. एउटा बाटो हो हार मान्नु। आत्म समर्पण गर्नु। 
  2. अर्को बाटो हो मधेस बंद लाई कायम राख्नु को। त्यो अन्यौल को बाटो हो। कि क्रांति विसर्जन गर्नु पर्छ। कि क्रांति लाई उत्कर्ष मा पुर्याउनु पर्छ। 
  3. सही बाटो हो क्रांति लाई उत्कर्ष मा पुर्याउने बाटो। आश्विन संग्राम को बाटो। संघीयता वादी मधेसी ले चार हप्ता पाए। ती असफल भए। अब ती पनि स्वराज को बाटो मा आउनुपर्छ। 
दिवाली र मलामी संविधान
मिनेन्द्र, तिमी राजपक्ष होइनौ
यो चरी घैंटे संविधान
Madhesi Kranti 3: In Solidarity
दो हप्ते में ५ लाख पार्टी सदस्य दो
स्वतःस्फूर्त संगठन, Bottom Up संगठन
आश्विन संग्राम और बल प्रयोग
हामीलाई पहिलो मान्यता दिने देश भारत नहुन पनि सक्छ
स्वतंत्रता का पदचाप हरु
तलब भत्ता तो हम भी तो देंगे
हिंसा बारे महात्मा गांधी
आश्विन संग्राम

दिवाली र मलामी संविधान

यो संविधान मन परेको लाई एकदम मन परेको छ, मन नपरेको लाई एकदम मन परेको छैन। यो दिवाली र मलामी संविधान हो। शांतिपूर्वक देश दुई टुकड़ा गर्नु नै न्यायपूर्ण बाटो हो। हामी एक देश होइन रहेछौं।



Friday, September 18, 2015

Madhesi Kranti 3: In Solidarity



दो हप्ते में ५ लाख पार्टी सदस्य दो

दो हप्ते में ५ लाख पार्टी सदस्य दो। अगर दो हप्ते में ५ लाख पार्टी सदस्य दे सके तो संघीयतावादी क्या करते हैं क्या नहीं करते, क्या कहते हैं, क्या नहीं कहते, उस बात में तब कोई वजन नहीं रह जाता है। तब मधेसकी आजादी अकेले मधेस स्वराज पार्टी ला सकती है।

दो हप्ते में ५ लाख पार्टी सदस्य दो, आजादी लो।

प्रत्येक दिन प्रत्येक वार्ड में सभा करो, दैनिक सदस्य संख्या घोषणा करो। वार्ड से गाउँ/शहर, जिल्ला, केंद्र तक संगठन दो। क्रांतिकारी रफ़्तार से संगठन विस्तार करो। आजादी लो। ब्रिटिश चले गए। ब्रिटिश के नौकर की गुलामी अब और मत करो। ये तो खुद सदा नौकर रहे लोग हैं। आजादी का अर्थ इन्हे क्या मालुम?

बगैर आजादी के समृद्धि मिलना संभव ही नहीं।

संगठन दो, आजादी लो। २० वर्ष के अंदर विकसित देश बनने का रास्ता है आजादी का रास्ता।




स्वतःस्फूर्त संगठन, Bottom Up संगठन


स्वतःस्फूर्त संगठन, Bottom Up संगठन



Top Down संगठन होता है, प्रवास में नेता पैदा होता है, वो पार्टी खड़ा करने की सोंचता है, केंद्रीय समिति बनता है, लोगों को भेजता है, जिल्ला जाओ जिल्ला जाओ। नेपाल में अब तक वैसा होता आया है।

हम Bottom Up संगठन की बात कर रहे हैं। आम जनता वार्ड लेवल पर मिलते हैं। क्रांति के समय, संविधान सभा के चुनाव होने से पहले, प्रत्येक शनिवार को मिलते हैं। चुनाव करते हैं, Open Caucus के आधार पर, चुनाव कराने में एक भी पैसा खर्च नहीं होता। प्रयास रहे की इस शनिवार को जितने लोग आए, अगले शनिवार को उससे ज्यादा आने चाहिए।
वार्ड अध्यक्ष लोग उसी तरह मिल के गाउँ/शहर अध्यक्ष चुनेंगे। Open Caucus. गाउँ/शहर के लोग मासिक मिलेंगे, जिल्ला स्तर का संगठन बनावेंगे। जिल्ला से केंद्र। Electoral College सिस्टम रहेगा। जिस जिले में जितना ज्यादा सदस्य उस जिले का वजन केंद्र में उतना ही। प्रयास करो, पाँच लाख सदस्य दो।

मधेस स्वराज पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष सीके राउत हैं। लेकिन चुनाव से पहले महाधिवेशन होगा। वहाँ पार्टी अध्यक्ष पद के लिए भी Open Caucus के आधार पर चुनाव होगा।

क्रांति का सबसे अहं हिस्सा ये संगठन है। हमें तीन बाहुन दल मुक्त मधेश चाहिए। तीन बाहुन दल मुक्त मधेश दो, आजादी लो।

मधेस स्वराज पार्टी का १००% केंद्रीय पदाधिकारी निर्वाचित रहेगा। ५१% खुला प्रतिस्प्रधा, ४९% आरक्षण, दलित, मुसलमान, महिला, अल्पसंख्यक। केंद्रीय समिति के प्रत्येक बैठक के minutes सार्वजनिक किए जायेंगे। आय व्यय का हिसाबकिताब १००% पारदर्शी रहेगा।

पुर्ण आन्तरिक लोकतन्त्रका सस्ता तरिका




Course Correction का कोइ संभावना नहीं है, मधेस अलग देश की पुरी तैयारी करो

जिन लोगों ने लिखा उन लोगों ने बहुत सोंच समझ के लिखा, जो हम चाहते हैं उसका विरोध उन लोगों ने उस समय किया जब उनके पास एक तिहाई ताकत भी नहीं थी संसद में। ख्वाब मत देखो। यथार्थ की धरातल पर आओ। मधेसी जनजाति एकता मधेस देश के लिए होगी पहले। उसके बाद हम उनको भी मदत करेंगे, अगर बो मदत मांगते हैं तो।

Course Correction का कोइ संभावना नहीं है, मधेस अलग देश की पुरी तैयारी करो। खुद मांगोगे भिख तो वो तुमको भिखमंगा बोलते हैं तो कौन सी गलती करते हैं? आजादी काठमाण्डु से आकाशवाणी बन के नहीं आएगी। आजादी की आवाज निकलेगी तो तुम्हारे सीने से।

गुलामी की जंजीर को तोड़ दो।

मधेश देश की झंडा और राष्ट्रिय गान, उसका निर्णय संविधान सभा को करना है। अभी उस पर कोई निर्णय नहीं।

संघीयतावादी को हमने एक महिना दिया। अब उनका समय ख़त्म। अब सब संघीयतावादी मधेसी स्वराज के रास्ते पर कृपया आवें। तलब भत्ता मिलेगी, सब जनकपुर आ जाओ।

आश्विन संग्राम और बल प्रयोग
विद्वान लोगों की सलाह
हामीलाई पहिलो मान्यता दिने देश भारत नहुन पनि सक्छ
दुई वर्ष पर्खिन सकिँदैन
Licchavi Era
I Am Pessimistic
गंगा जमुना सरस्वती: मधेसी जनजाति दलित
नागरिकता बाट कसै लाई वंचित गर्नु मानव अधिकार को हनन
स्वतंत्रता का पदचाप हरु
तलब भत्ता तो हम भी तो देंगे
हिंसा बारे महात्मा गांधी
आश्विन संग्राम
चिन्ता का ती रेखा हरु
यो संघीयता हुँदै होइन
झुठा मुद्दा वापस लो, जितेंद्र सोनल को रिहा करो
मधेसी: तीनबाहुनदलवादी, संघीयतावादी र स्वराजी
खस अहंकारवादी ले वास्तवमा भन्न चाहेको कुरा
देश टुक्रिन परे
क्रांति मुठभेड़ तर्फ गएमा


आश्विन संग्राम और बल प्रयोग

बल प्रयोग पर बिलकुल जोड़ नहीं है। लेकिन बल प्रयोग की नौबत आ सकती है। मजे की बात ये है कि बल प्रयोग के लिए जितनी ज्यादा तैयारी करो बल प्रयोग की जरुरत उतनी कम पड़ेगी। 

अंतरिम राष्ट्रपति की मुक्ति, उसके लिए बल प्रयोग करना होगा तो करेंगे। उसके बाद अंतरिम संसद, राजधानी और अंतरिम राष्ट्रपति का २४ /७ सुरक्षा प्रदान करने का काम है। वो तो हमारे कमांडो ही करेंगे। ये स्वयंसेवक या पार्टी कार्यकर्ता का काम नहीं है। 

सीमा में कोई विवाद नहीं है। विवाद होगी तो युद्ध होगी। साबिक मधेस अभी का मधेस भी है। लेकिन मधेस के भूभाग के सभी नेपाली भाषियों को नागरिकता देंगे, समानता देंगे। 

मधेस अलग देश के घोषणा के साथ ही सभी सुरक्षाकर्मियों को आदेश दिया जाएगा। तुरंत अपने अपने चौकी और ब्यारेक जाओ। उस आदेश को पालना न करनेवालों के साथ दुश्मन सैनिक जैसा व्यवहार होगा। भुमि हमारी आदेश हमारा। 

मधेस के प्रत्येक वार्ड में मधेसी संगठित हो जाएँ। आजादी के पहले महिने शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए उन वार्ड समितियों की अहं भुमिका रहेगी। 

आजादी के घोेषणा के बाद देश के प्रत्येक गाउँ शहर में लगातार १५ दिन शांतिपूर्वक लाठी जुलुस निकालेंगे। 

मधेस स्वराज पार्टी की सदस्यता लो बड़ी तादाद में। 

मधेस में जनजाति भी हैं, दलित भी हैं। खस भी रहते हैं और रहते रहेंगे। मधेस कोई जातीय देश नहीं बनने जा रहा है। ये एक मॉडर्न स्टेट की परिकल्पना है। 






विद्वान लोगों की सलाह

लोग बात बात पर कहते हैं, विद्वान लोगों की सलाह, विद्वान लोगों की सलाह। तो अभी के समय में इंटरनेट से बड़ा विद्वान कौन है? कोई भी बात गूगल पर सर्च की जा सकती है।

नीतिश ने बिहार में पिछले १० साल में जो किया है, चाहे वो लॉ एंड आर्डर के मामले में हो, या भ्रष्टाचार नियंत्रण के मामले में हो, या शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में हो, या डबल डिजिट ग्रोथ का मुद्दा हो, वो कैसे किया वो सब इंटरनेट पर है। कोई नयी कानुन बनानी हो तो उस मुद्दे पर दुनिया के सबसे प्रगतिशील कानुन कौन कौन हैं और कहाँ पर कैसे लागु किए गए हैं, वो सब इंटरनेट पर है। Business Friendly Environment होता है, तो उस लिस्ट पर Top 50 में मधेस को लाना है। सिंगापुर ने अपने तरक्की में सबसे आगे उसी बात को रखा। FDI (Foreign Direct Investment) ज्यादा से ज्यादा आकर्षित करने के तरिके कौन कौन हैं? सब इंटरनेट पर है।

ताकत लोकतंत्र में है। ज्ञान इंटरनेट पर है। पूँजी देश के भितर भी है और बाहर भी।


हामीलाई पहिलो मान्यता दिने देश भारत नहुन पनि सक्छ

मधेस देशलाई पहिलो मान्यता दिने देश भारत नहुन पनि सक्छ। त्यो पहिलो देश बांग्लादेश पनि हुन सक्छ, इजराइल पनि हुन सक्छ, ब्राज़िल, दक्षिण अफ्रिका हुन सक्छ। पत्राचार सबै सँग एकै पटक हुन्छ। को पहिला हुन्छ त्यो हाम्रो हात मा रहेको कुरा होइन।

पर्वते हरु ऑस्ट्रेलिया गएर बसेका छन, ऑस्ट्रेलिया तिनको भएको छैन, अमेरिका गएर बसेका छन, अमेरिका माथि कुनै क्लेम छैन। मधेस को साबिक भूभाग सब मधेस को हो। त्यहाँ तल माथि हुँदैन।


Thursday, September 17, 2015

दुई वर्ष पर्खिन सकिँदैन

अर्को चुनाव मा दुई तिहाई ल्याउ अनि आफै संसोधन गर भन्ने हरु ठग हुन। ए हो त, ठीकै भन्यो भन्यो कि यो गलत संविधान स्वीकार गरियो।

यस संविधान ले मधेसी लाई अनागरिक र दोस्रो दर्जाको नागरिक बनाएको छ। एक व्यक्ति एक मत छैन। त्यसमा पनि भुगोल का आधारमा चुनावी क्षेत्र कोर्ने प्रावधानले मधेसी को बैलट पावर लाई झनै dilute गरेको छ। सीमांकन मा त्यस्तै तहसनहस छ। अप्पर हाउस मा त मधेसी राष्ट्रिय पंचायत को ratio मा पनि पुग्दैन।

यस संविधान को बाटो मधेसी ले संविधान संसोधन गर्ने कल्पना पनि नगरे हुन्छ।

आश्विन संग्राम बाहेक अर्को उपाय छैन। यो वार कि पार को लड़ाई हो। यो अंतिम लड़ाई हो। मधेस अलग देश सम्म पनि पुग्न सक्छ। सिंगापुर पनि इच्छा नलागि नलागि मलेशिया बाट अलग भएको हो। मलेशिया मा पनि यस्तै खस हरु थिए, जातीय राज्य बाहेक अर्को राज्य को कल्पना नै गर्न नसक्ने। त्यहाँ पनि भन्थे, हामी सँग natural resources छ। अहिले कहाँ मलेशिया कहाँ सिंगापुर। धनी देश बनाउने human resource ले हो। इजराइल सँग बालुवा बाहेक केही छैन।

क्रांति एक मात्र उपलब्ध रास्ता हो।

नेपाल बाट अलग भएर मधेसी ले गुलामी गुमाउँछ, त्यो बाहेक अरु केही पनि गुमाउँदैन। जनधन को कमसेकम क्षति को बाटो अवलम्वन गर्नु पर्छ। मधेस जातीय देश बन्न लागेको होइन। पहाड़ी लाई नै पनि नेपालमा भन्दा मधेस मा बढ़ी मजा हुनेछ। बढ़ी अधिकार, बढ़ी समृद्धि। हिंदी सरह नेपाली पनि देशको कामकाजको भाषा हुनेछ।

मधेसको साबिक भूभाग मा हामी अलग देश स्थापना गर्छौं। पहाड़ का जनजाति पनि त्यही बाटो जान चाहेमा हामी मदत गर्छौं र उनी हरु सम्मिलित एउटा महाभारत नामको Confederation खड़ा गर्छौं। दलित लाई मधेस मा आरक्षण र क्षतिपूर्ति दुबै हुनेछ।

आश्विन सकिनु अगाडि नै गंतव्य मा पुगिसक्नु पर्छ।

संघीयतावादी र स्वराजी को fusion गरेर तीनबाहुनदलवादी लाई परास्त गर्नु पर्छ।



शेर बहादुर देउबा का अखमण्डले हरु (अखंड मंडले हरु)

शेर बहादुर देउबा का अखमण्डले हरु (अखंड मंडले हरु) ले मच्चाएको लाई प्रतिक्रांति भनिन्छ। त्यो कुनै अधिकार को लागि भएको हुँदै होइन। जोसँग अधिकार छैन उसले  माग्छ, जस्तो कि थारुले। अखंड आतंकवादी चाहिँ, थारु लाई अधिकार  देलास, ख़बरदार, भनिरहेका मानिस हरु हुन। तीन पटक फेल हैट्रिक प्रधान मंत्री शेर बहादुर। अब के ताकेको? काँग्रेस सभापति बनोस्। त्यो पार्टी फेल गर्नु देश का लागि जरुरी छ।



In The News (91)

पूर्व सभासद् संजय साहलाई १ वर्ष नौ महिना कैद सजाय
तीन दल र थारुहरुको वार्ता असफल, नेता लेखीले भने – यो नौटंकी मात्र रहेछ
शीर्ष दल वार्ताको लागि गम्भिर नरहेको र यस्तो अवस्थामा वार्ता हुन नसक्ने बताए । ..... ‘वार्ता भनेर आएको त यो त तीन दलको नौटंकी मात्र रहेछ । यो थारुहरुको आन्दोलनलाई तुहाउने षड्यन्त्र मात्र रहेछ ।’ ...... आन्दोलनरत समूहको माग सम्बोधन गर्नेभन्दा पनि आन्दोलनलाई अलमलाउने नियतमा शीर्ष दलका नेताहरु रहेको
यूएनले भन्यो, ‘मधेश आन्दोलनमा मानवअधिकार उलंघन भएको हो
मधेशी मोर्चा र मोहन वैद्यले संयुक्त रुपमा संविधान जलाउने
संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेशी मोर्चाको ४ दल र वैद्य नेतृत्वको ३३ दलीय मोर्चा सम्मिलित

संघीय गठबन्धन नेपालले

आमहडतालदेखि संविधान जलाउनेसम्मको कार्यक्रमहरु आज सार्वजनिक गरेको छ । ..... कार्यगत एकताका आधारमा संयुक्त जन आन्दोलन गर्ने, तराई मधेस र थरुहट, थारुवानमा जारी अनिश्चितकालीन आम हड्ताल,

लिम्वुवानमा असोज ३ गतेदेखि घोषित अनिश्चितकालीन आम हड्ताल र तमुवानमा अशोज ४ गते हुने आम हड्ताल

, राष्ट्रिय दलित मुक्ति आन्दोलनको अनिश्चितकालीन धर्ना कार्यक्रमप्रति ऐक्यबद्धता जनाउँदै संविधानको घोषणा हुने २०७२ असोज ३ गतेलाई

प्रतिक्रान्तिको कालो दिन

को रुपमा लिई सो दिनमा कालो झण्डासहित विरोध प्रदर्शन र आम हडताल गर्नेलगायत कार्यक्रम रहेको जनाएको छ ।


आन्तरिक लोकतन्त्रमा कांग्रेसको भुलैभुल
कांग्रेसले २१ वैशाख ०६६ मा लोकतान्त्रिक अपांग संघ, मुस्लिम संघ, तामाङ संघ र राष्ट्रिय मगर संघ तथा १३ वैशाख ०६७ मा ठाकुर समाज थपेर ..... अधिवेशन गर्न नसकेको भन्दै सभापति सुशील कोइरालाले ३ असोज ०६८ को केन्द्रीय समिति बैठकमा पदावधि सकिएका सात भ्रातृसंस्थालाई बहुमतीय प्रक्रियाबाट विघटन गरेका थिए, वरिष्ठ नेता शेरबहादुर देउवा पक्षको बहिष्कारका बाबजुद पनि । त्यसपछि कांग्रेसमा विवाद देखिएको थियो । ..... भ्रातृसंस्था विघटनको विषयलाई लिएर पानी बाराबारको अवस्थामा पुगेका सभापति कोइराला र नेता देउवा लगभग पाँच महिनापछि मध्यमार्गी नेताहरूको सक्रिएतामा भागबन्डामा महाधिवेशन तदर्थ समितिको संयोजक बनाउन सहमत भएका थिए ।
राष्ट्रपतिमा दलहरूले कसलाई अघि सार्लान् ?
कांग्रेसभित्र हालकै राष्ट्रपति डा। रामवरण यादवलाई नै निरन्तरता दिने विषयमा छलफल हुन थालेको छ । कांग्रेसको संस्थापन र देउवा पक्ष दुवैले मान्ने भएकाले यादवकै सम्भावना रहेको कांग्रेसका एक नेताको दाबी छ । ..... कोइराला खानदानकै नेताहरू भने सुशीललाई राष्ट्रपति बनाउन इच्छुक छैनन् । पार्टी महाधिवेशन नभएको अवस्थामा उनी राष्ट्रपति भएमा कांग्रेसमा देउवा पक्ष शक्तिशाली हुने कोइराला खानदानको बुझाइ छ । ...... रामचन्द्र पौडेल अबको महाधिवेशनमा संस्थापनबाट सभापति हुन चाहन्छन् । सुशील राष्ट्रपतिमा अघि बढेमा आफू संस्थापनबाट उम्मेदवार हुने र सहज रूपमा जित्ने उनको विश्वास छ । सुशील सभापतिमा अघि नबढ्दा कांग्रेस सभापतिमा देउवा र पौडेल नै मुख्य दाबेदार हुनेछन् ।
थारूका मागमा तीन दल सकारात्मक, संविधानमाथि हस्ताक्षर कार्यक्रममा थारू नेता जानसक्ने
मोदीले भोलि विशेष दूत काठमाडौं पठाउने

यताका दुत उता, उताका दुत यता...अब देखेंगे होता है क्या !

Posted by Kosmos Biswokarma on Thursday, September 17, 2015


Foreign Secretary S Jaishankar off to Kathmandu tomorrow as special envoy to help defuse Nepal's political crisis. I hope it isn't too late.

Posted by Prashant Jha on Thursday, September 17, 2015




कोत–पर्व दिन नै खस–संविधान....... कथाकथित लोकतंन्त्रका श्री ३ निरंकुश खसआर्य सरकारले निहित व्यक्तिवादी, वर्णवादी र सर्वसत्तावादी चिन्तनको अधारमा अग्रगामी परिर्वतनको मिथ्या अस्वाशन दिएर पुनः नेपाललाई लोकतंन्त्रको नाऊँमा खसतंन्त्र शासन व्यवस्था लागु गर्न विभिन्न जालझेल गरी सत्ता कव्जामा लिन खोजेको प्रष्ट भई सकेको अवस्थालाई अस्विकार गर्न सकिन्न । देशको जनसंख्याको ८५ प्रतिशत भन्दा वढी जनता खस शासकको भेदभाव, दमन र शोषणको शिकार भएको र सो वाट नै मुक्तिको लागि नव संविधान निर्माणको आवश्यता रहेकोमा सदियौं देखि अन्याय र अत्याचारमा परेको मधेशी, थारु, आदिवासी,जनजाति लगायतका अन्य शोषितहरुको हक अधिकार, सम्मान र पहचानलाई नजरअन्दाज गरी विभिन्न जालझेल गरी एकलौटी श्री ३ खस सरकारले राजतंन्त्रको शैलीमा मधेशी लगायत अन्य संग अमानविय क्रुर व्यवहारको प्रर्दशन गरी अन्तराष्ट्रिय स्तरमा सिगौं नेपाललाई नै कंलकित गरेको हाम्रो मान्यता हो । राष्ट्र र मानवता संग दुर–दुर सम्म कुनै सरोकार नरहेको यस निरंकुश खस शासकहरुले उत्पिडनमा परेको मधेशी समुदायहरु द्धारा अधिकार प्राप्तीको लागि गरिएको शान्तिपूर्ण विरोध प्रर्दशन क्रममा टाउको र छातिमा र्निममतापूर्वक गोली हानी विभत्यढंगले हत्या गरी ३ दर्जन जतिलाई शहिद वनाईएको छ । राष्ट्र सेवक भनाउने सुरक्षाकर्मि खस–सेवक भएको नेपालको इतिहासमा कालो धव्वा भएको देखिन्छ । यस्ता खससेवकहरु लाई भोलीको दिनमा मधेशी लगायत अन्य पिडितले किन र कसरी स्विकार गर्ने अगामी दिनमा हेर्न वाँकी नै छ । चिन्ता, तनाव र को अवस्थामा खस–संविधान कोत पर्वको दिन असोज ३ गते जारी हुदैछ । यो खस–संविधानमा मधेशी लगयात देशका अन्य पिडित समुदायले आफनो प्रतिविम्व हेर्न सक्ने वा नसक्ने भए देश गृह–युद्ध र शस्त्र–युद्धको भम्ररीमा फस्ने हो कि ?

प्रसासनको आतंकले मधेशीहरू भारतमा शरणार्थी बन्न बाध्य .....थानीय प्रशासनबाटै असुरक्षित भएको भन्दै महोत्तरीका २ हजार घरप...

Posted by Upendra Mahato on Thursday, September 17, 2015


बिर शहिद संजय चौधरीको परिवारसँग सदभावना पार्टीका राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजेन्द्र महतो-महेन्द्रनगर, धनुषा

Posted by सदभावना पार्टी on Thursday, September 17, 2015


धेरै ले नदेखेको पाटो .... अहिले नेपालमा संबिधान आयो भन्छन दिपावली पनि मनाउने रे /तर मैले यसलाई कालो दिन को रुपमा देखेको छु/तेत्रो जनयुद्द मदेश बिद्रोह जनजातिको आन्दोलन लगाएतबाट स्थापित संबिधान सभाले बनाको संबिधानले सबैको अपनत्व हुने खालको संबिधानको आशा गरेको थियो तर पहाड फोरियो आखिर निस्क्यो मुसा जस्तो भएको छ यो संबिधान/आदिवाशी जनजातिहरु सडकमा छन्, थारु हरु आन्दोलित छन् मदेश जली रहेछ यस्तो अवस्थामा बनेको संविधानले कसैले खुसि मान्नु हुँदैन/हो भूगोलको कारणले जनजातिको आन्दोलनले नेपालको राजनीतिमा त्यति ठुलो भूमिका खेल्दैन तर मदेशको भूमिका महत्व पूर्ण हुन्छ/इन्डियाले मदेशबाट आउने १३ नाका ४५ दिन बन्द गर्दा पंचायत ब्यबस्था गयो/६२/६३ सालको आन्दोलन पछि मदेश बिद्रोह हुँदा संघियता भन्ने शब्द अन्तरिम सबिधानमा आयो र जनजाती मदिशे उत्पीडित हरुलाई आरक्षणको व्यवस्था भयो/अहिले लगभग ४७ जना मधिसेले सहादत्ता प्राप्त गर्दा पनी उनी हरुको मागको सुनुवाई नगर्नु भनेको मदेश टुक्रे पनि आफुलाई सत्ता चाहिन्छ भन्ने मानशिकताले काम गरेको छ/बिस्वले असन्तुस्ट पक्षलाइ समेत साथ लिएर संबिधान बनाउ भनी रहेको अवस्था छ भने/छिमेकी इन्डियाले त्यसै भनी रहेको छ/ इन्डिया नेपालमा जहिले पनि फुटाउ र शासन गरको स्थितिमा रहन्छ नेपालको स्थायित्व चाहँदैन/अहिले पनि मदिशे लाइ समेत साथ लिएर संबिधान बनाऊ भनी रहेको छ र एक करोड भारतीयको सुरक्षाको माग खोजि रहेको छ/त्यसको साथै बिहारमा शरणार्थी क्याम्प खोलेर पसल थापेर बसेको छ/भोली सी के राउत ले भने जस्तो मदेश छुट्टै स्वतन्त्र राष्ट्रको माग अघि बढेमा र भारतले साथ दिएमा मदेश टुक्रिनुबाट के नेपाली नेता र सेनाले रोक्न सक्छ?बंगलादेशीले आफ्नो अधिकारको माग राख्दा पाकिस्तानले सुनुवाई नगर्दा १९७१ बंगलादेश भारतीय सेनाको सहयोगमा आजाद भयो/अहिले ११३०००० सेना र ६९०००० रिजर्भ फोर्स भएको भारतले भोली मानव अधिकार को लागि र आफ्नो नागरिकको सुरक्षाको लागी भनी ५ हजार सेना मात्र मदेशमा तैनाथ गरी दियो भने नेपालले केहि गर्न सक्दैन/अहिले नै सिमा विवाद हुँदा नेपाली जनता छाती थापेर लड्न जान्छन तर नेपाल पुलिस लाई बलुवा खन्ने भारतीय मजदुरले लखेटेको भी डी यो हामीले हेरेका छौं/यस्तो अवस्था मदेशको माग लाई सम्बोधन गरेर उनी हरुलाइ नेपाली हौं भन्ने भावना जागृत गराई राखेमा नेपाल टुक्रिनु बाट जोगिन्छ नत्र आफ्नो नस्ल र सता मात्र हेरेमा नेपाल टुक्रिनु सक्छ/यो दुर्भाग्य हुन्छ //

अपमानको पीडा र बदलाको भावनाले वर्षौंसम्म अपराधलाई जिवित राख्न सक्छ । ‘‘नेपाल’’ कुनै जात, पार्टी, नेता, विदेशी वा समुदायक...

Posted by Rajesh Ahiraj on Thursday, September 17, 2015


जब माओवादीको जनयुद्द रोल्पा र रुकुममा पुलिशले नै तह लगाई सकेको बेला हार खाएर बिभिन्न जातीय मुक्ति मोर्चा गठन गरी तिमि हरुलाइ राज्य दिन्छु भनेर प्रचण्डले पुर्वमा समेत जातीय मुक्ति मोर्चा गठन गरेर तिनै मोर्चा हरुको आक्रमण बाट युद्दले छलांग मार्यो/ अहिले प्रचण्ड तिनै राज्यको माग गर्नेहरु लाइ राष्ट्र घाती र आत्म घातीको संज्ञा दिदै छन्/खबरदार अब थारुले छुट्टै देश मागे भने मदेश सी के राउत कै शैलीमा गएर छुट्टै मुलुक हुन गए त्यसको जिम्मेवार अहिले दिवाली गर्ने हरु नै हुन पर्छ /

यो भारती बिदेश सचिवले नेपाल राष्ट्रपति सँग भुत्रो गर्न भेट्न पर्यो?भारती बिदेश सचिव राजनैतिक कारणले नेपाल आउन लाग्या ह...

Posted by Dr. Rudra Pandey - Economist on Thursday, September 17, 2015


श्री ३ बाहुन नेताले हुकुम भएको संविधानका विशेषताहरु(1) निर्दोष २ वर्षे, ४ वर्षे वालक र अधिकार माग्ने ६० जनाभन्दा बढी मध...

Posted by Lokendra Yadav on Thursday, September 17, 2015


बिर शहिद अमर रहेधनुषा के महेन्द्रनगर में शहीद संजय चौधरी के तस्वीर पर माल्यार्पण करते व शोक पुस्तिका में हस्ताक्षर करते हुए सदभावना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र महतो

Posted by Upendra Mahato on Thursday, September 17, 2015


In The News (90)

US Congress fears religious persecution under Nepal’s New Constitution
Congressman Brad Wenstrup (R-OH), spearheading the effort, noted that these provisions would violate international human rights treaties which Nepal is a party to. ...... “We are seeing early warning signs that Nepal may legalise the persecution of up to 20 percent of its population, based solely on religious belief. It would be irresponsible not to speak up,” Wenstrup said in his letter to Kerry..... The specific concern stems from a clause which prohibits proselytising and public expression of beliefs, what Wenstrup describes as an “anti-conversion” provision that goes against religious freedoms. The cosigners of the letter are hoping extra scrutiny from the international community will safeguard the rights of threatened religious minorities.
Madhesi morcha to intensify stir after statute promulgation
Madhesi Front to keep door open for talks
Parties discuss formation of next govt
Tharu leaders hope to reach agreement
the Tharu people will accept the constitution if their concerns are addressed later through amendments. ...... Tharu leaders engaged in informal discussions with leaders of major parties said multiple options are being discussed to incorporate their concerns in the constitution. One option being discussed is

the formation of Special Autonomous Tharuhat/Tharuwan Region in the west and Kochila Autonomous Region in the east.

The proposed Kochila Region would address the demands of not just the Tharus, but also of Rajbanshis, Santhals and Madhesis, who form the majority in the Eastern Region. ..... Tharu leaders have demanded a separate Tharu province from Nawalparasi to Kanchanpur in the west and extension of province number 2 up to Biratnagar...... “Forming separate Tharuhat province from Nawalparasi to Kanchanpur could resolve the issue forever. ..... Other key demands of Tharu include proportional and inclusive representation of Tharu in all state bodies and indentifying Tharu language as official language. ....... Depending on the results of negotiation with the TJSC, Madhesi Janadhikar Forum- Loktantrik (MJF-L) will also decide whether to accept the constitution.
CA approves ceremonial prez, bicameral legislature
४ गते तीन दलले संयुक्त र्‍याली र सभा गर्ने
कांग्रेस, एमाले र एमाओवादीले ४ गते राजधानीमा संयुक्त र्‍याली र सभा गर्ने भएका छन् ।
संविधान निर्माणमा दाहाल दाैड
अपजस पखाल्नेदेखि प्रधानमन्त्री बन्नेसम्मका अाश
चार प्रमुख मधेसवादी दललाई छाडेर दाहालले ‘हिङ बाधेको टालो’ कै रुपमा भए पनि गच्छदारलाई लिएर अघि बढे । तर भदौ १९ मा तिनै गच्छदारलाई छाड्ने अप्रिय निर्णयमा पुगे, दाहाल । त्यसपछि पनि केही दिन प्रक्रिया रोकेर वार्ता गर्नुपर्छ भन्ने आफ्नै पार्टीका बरिष्ठ नेता बाबुराम भट्टराई, उपाध्यक्ष नारायणकाजी श्रेष्ठ, थारु–मधेसी सभासदको दबाबसामु नझुकी प्रक्रिया अगाडि बढाउन कांग्रेस, एमालेसँगै अडिग रहे । ..... निर्माण केही दिन धकेलिएको भए कांग्रेस महाधिवेशनको वैधानिकताका लागि अन्तरिम संविधान संशोधन गर्नुपथ्र्यो । सरकारले अन्तरिम संविधान संशोधनको प्रक्रिया पनि अघि बढाइसकेको थियो । अन्तरिम संविधान संशोधन भएको भए कांग्रेस मूल नेतृत्व पनि केही दिन संविधान निर्माण प्रक्रिया रोकेर वार्ता गर्ने दिशातिर जाने थियो । किनकि, कांग्रेसभित्रै मधेसी–थारु सभासदले प्रक्रिया नरोके बहिष्कार गर्नेसम्मका चेतावनी दिएका थिए । ..... पार्टीभित्रका थारु–मधेसीलाई देखाएर प्रक्रिया केही दिन सार्ने कोइरालाको चाहना बुझेकैले ओली अन्तरिम संविधान संशोधनका लागि तयार भएनन् । ..... संविधान निर्माणमा कांग्रेस–एमालेका धेरै नेताको अथक प्रयास र योगदान भए पनि यतिखेर दाहालले बढी जस पाईरहेका छन् । पहिलो त संविधान घोषणासँगै एमाओवादी विधिवत रुपमा राजनीतिको मूलधारमा प्रवेश गर्नेछ । दोस्रो, अघिल्लो संविधानसभामा एमाओवादी र उसको मोर्चामा सहभागी मधेसवादी दल बहुमतको अवस्थामा थिए । र एमाओवादी सरकारमा पनि थियो । त्यस्तो अवस्थामा पनि दाहाल २०६९ जेठ २ गतेको सहमतिबाट पछि हटिदिँदा संविधानसभा संविधान नै नबनाई विघटन भएको थियो । त्यसयता पनि सहमति गर्दै, पछि हट्दै गर्ने बानीका कारण दाहाल बदनाम थिए । यसपटक दह्रो गरी अडेकाले पनि संविधान पक्षधरहरुबाट उनको उग्र प्रशंसा भइरहेको छ । उनले अधिक जस पाइरहेका छन् । ....... २०७२ वैशाख १२ र २९ को महाभूकम्पपछि परिस्थिति फेरियो । प्रमुख दलहरु एक ठाउँमा आउने वातावरण तयार भयो । वैशाख १२ को भुईचालोपछिको एक भेटमा दाहालले ओलीलाई भने,

‘मलाई त बाचिन्छ जस्तै लागेको थिएन ।

अब सारा तिक्तता बिर्सेर संविधान जारी गर्नेतिर लाग्नुपर्छ । ककसले केके छाड्ने वार्ता गरेर टुंग्याउँm । संविधान जारी नगरी मरियो भने त जनताले सराप्छन् ।’ ........

केहीअघि ३० दलीय विपक्षी मोर्चाको बैठकबाट ‘ओलीको मानसिक सन्तुलन जाँच गर्नुपर्छ’ भन्ने विज्ञप्ती नै जारी गराएका दाहालको निकटता भूकम्पपछि उनै ओलीसँग एकाएक बढ्यो ।

१६ बुँदेको पूर्वसन्ध्या र त्यसपछि पनि मधेसी दलसहितको मोर्चाको होस् वा आफ्नै पार्टी बैठक, दाहालले पटकपटक भन्ने गर्थे, ‘कांग्रेस–एमाले दुई तीहाईले पेलेरै जाने मनस्थितिमा थिए । भूकम्पले परिस्थिति फेरियो । पेलेरै गएका भए संविधानमा हाम्रा कुनै मुद्दा पर्दैनथे । कम्तिमा अहिले त धेरै कुरा समेटिने अवस्था बनेको छ । अहिले जति सकिन्छ, त्यति मुद्दा समेटेर संविधान जारी गरौं । त्यसपछि बिस्तारै संशोधनमार्फत् बाँकी कुरा समेट्न प्रयास गरौंला ।’ ......... लडाकु शिविरलगायतका भ्रष्टाचार, युद्ध अपराधका मुद्दामा ‘प्रचण्ड’ लाई सिध्याउने भन्ने आवाज पनि राजनीतिक वृत्तमा मुखर हुन थालेका थिए । अख्तियारले अब ‘ठूला माछा’ समात्दैछ भन्ने चर्चा पनि चल्न थालेको थियो । ..... यो त्रासले पनि दाहालमा दबाव सिर्जना गर्‍यो । यस परिस्थितिमा सत्तामा गएर ‘सुरक्षित’ हुने विकल्प रोजे उनले । ..... संविधान निर्माणपछि हुने सत्ता समीकरणमा राम्रै साझेदारी पाईने आँकलन गरेका छन् दाहालले ।

राजनीतिक वृत्तमा भावी प्रधानमन्त्रीका आकांक्षी र संभावना भएका ओलीलाई दक्षिणले नस्वीकार्ने चर्चा व्यापक छ ।

आफ्नो पक्षमा वातावरण बनाउन ओलीले दिल्लीमा दूत नै पठाएबाट त यो चर्चाले शंकाको सुविधा पनि पाएको छ । ....... कांग्रेसका बरिष्ठ नेता शेरबहादुर देउवा र एमाले नेता माधवकुमार नेपाल क्रमश: दक्षिणको रोजाईमा परेको चर्चा पनि छ । आसन्न महाधिवेशन, संसदीय दलको नेता हुनुपर्ने व्यवस्थालगायतका कारण देउवालाई पार्टीभित्रबाट उम्मेदवार बन्न सहज छैन । आफू नबन्ने भएपछि नेपाललाई प्रधानमन्त्री बन्न ओलीले दिने छैनन् । पार्टी फुटाए बेग्लै कुरा भयो तर त्यो जोखिम नेपालले मोल्ने अवस्था देखिदैन ।

यस्तोमा प्रधानमन्त्री नै आफ्नो पोल्टामा पर्नसक्ने आश पनि छ, दाहालमा ।

....... सरकारकै नेतृत्व वा साझेदारी पाए भूकम्पपछिको पुर्ननिर्माणका काम गरेर जनतामा पार्टीको पकड बढाउन सकिने उनको बुझाई छ । त्यसैले पनि दाहाल यसपटक आफू नेतृत्वको मोर्चामा रहेका मधेसी, थारु केन्द्रित दल, जनजाति र आफ्नै पार्टीभित्रका पनि शीर्ष नेताबाट अलग्गिदै एक्लै यो निर्णयमा पुगे, जसका कारण असोज ३ मा संविधान जारी हुने अवस्था सिर्जना भएको छ ।
गच्छदार र थारु नेता बालुवाटारमा
यसरी वार्ता गर्न जाने टोलीमा फोरम लोकतान्त्रिकका अध्यक्ष गच्छदार, महासचिव रामजनम चौधरी, थारु कल्याणकारिणी सभा अध्यक्ष धनीराम चौधरी, एमाओवादी सभासद् सन्तकुमार चौधरी, अमनलाल मोदी, संयुक्त लोकतान्त्रिक राष्ट्रिय मन्च थरुहटकी सभासद् रुक्मिणी चौधरी, गोपाल दहित, थरुहट संयुक्त संघर्ष समितिका रमेश चौधरी, राजकुमार लेखी, मालामती राना थारु, सन्तोषकुमार थारु, शिवनारायण चौधरी गरी जम्मा ११ सदस्य छन् । ..... थारु आन्दोलनकारीका सात पूर्वशर्तमध्ये मधेस र थरुहटका जिल्लाबाट सेना फिर्ता, मृतकलाई सहिद घोषणा, परिवार र घाइतेलाई क्षतिपुर्ति, उपचार, गिरफ्तार नेताकार्यकर्ताको रिहाई, मुद्दा फिर्ता, सीमांकनमा पुनर्विचार गर्न प्रतिबद्धता लगायत छन् । त्यसमध्ये थारु आन्दोलनकारीले वार्ता टोली र संघर्ष समितिले सेना फिर्ती र गिरफ्तारीलाई मुख्य शर्तका रुपमा वार्तामा राख्ने भएका छन् ।
संविधान घोषणापछि आन्दोलन सशक्त: मधेसवादी दल
असोज ३ गतेलाई कालो दिनको रुपमा मनाइने
वार्ताको ढोका खुलै
'बैठकले तीन गते कालो दिन मनाएर राति ब्ल्याक आउट गर्ने र चार गतेपछि सशक्त रुपमा आन्दोलन गर्दै जाने निर्णय गरेको छ ।'


खण्डित मानस, दण्डित राष्ट्र !
डेटलाइन तराई
जुन दिन संविधानसभा मतदान प्रक्रियामा गयो, त्यही दिन काठमाडौंमा कार्यरत एक व्यावसायिक मित्रले फोनमा भने,

‘आज अफिसमा मन लागेन, मन रोयो । त्यहाँ अन्य समुदायका साथीहरू अहिलेको राजनीतिक सन्दर्भमा आफ्नो जित भएको ठान्दै अट्टहास गर्दै थिए । त्यहाँ आफूलाई थाम्न सकिन र डेरा फर्किएँ ।’ ऊ राजनीतिमा सक्रिय मधेसी होइन ।

........ आफ्ना अफिसका सहकर्मीहरूको व्यवहारलाई हेर्दै उसको दुखेसो थियो,

‘मेरो पुस्ताले सकेन, अझ कैयौं पुस्ताले कुर्नुपर्ने भयो ।’

त्यसैगरी सर्वोच्च अदालतले राजनीतिक आन्दोलनमा गोली चलाएर प्रदर्शनकारीको ज्यान नलिन अन्तरिम आदेश जारी गरेकै दिन रूपन्देहीको बेथरीमा केही मानिस प्रहरीद्वारा मारिए । प्रहरीको दमन शत्रुराष्ट्रको नागरिकमाथि गरिनेभन्दा पनि बढी भइराखेको छ । ..... विगतमा गरिएका अनुबन्धहरूलाई पनि सम्बोधन गर्ने चेष्टा गरिएको छैन ..... यसले बर्चस्वशाली समुदायको भावी नियन्त्रणलाई नै ढाँचा प्रदान गरेको छ भन्ने बुझाइ तराई–मधेसको आन्दोलनको प्रतिध्वनि हो । ..... तराईमा आन्दोलनले उचाइ लिइरहँदा मुख्य तीन दलकै हर्ताकर्ताहरूले यसका केही माग जायज हो भन्ने गरेका छन् । अहिलेको उपलब्धि पर्याप्त छैन भनी स्वीकार्दैछन् । तर उनीहरूले थारु–मधेसीको सवाल किन हल गर्न खोजेनन् ? त्यसको

जवाफमा उनीहरूले ‘काल्पनिक डर’तिर तेर्साइदिन्छन् ।

त्यो भनेको राजतन्त्र फर्किने, धार्मिक आन्दोलन जम्ने वा विखण्डनको बिउ हो । ...... रामनारायण मिश्र, दुर्गानन्द झा, महेन्द्रनारायण निधि, रामराजा प्रसाद सिंह, हरिहर यादव वा गजेन्द्रनारायण सिंह .....

मधेस आपैंmमा एउटा राष्ट्र हो, त्यसमा दुईमत छैन । किनभने राष्ट्रको परिभाषामा जे–जे चाहिन्छ, मधेसमा त्यो सम्पूर्ण चिज उपलब्ध छन् ।

..... यतिखेर मुख्य राजनीतिक दलहरू आवरणमा लोकतन्त्रवादी भए पनि सारत: एकाधिकारवादी जस्तै देखिन पुगे । ....... तराईवासीले नयाँ संविधानलाई सहज रूपमा स्वीकार गर्न नसक्ने अप्रिय स्थिति बन्दै गएको छ । ..... यतिखेर फैलिँदै गएको आन्दोलनको मुख्य कारण सुदूर देहातमा बस्ने वासिन्दामा पनि राज्यबाट आफू ठगिएको गहिरो ‘अनुभूति’ले गर्दा हो । यही कारण हो, बिना सड्डठन र नेतृत्व आन्दोलनको कम्पन तीव्र भइरहेको छ । उता मस्यौदाकारी पक्ष रक्षात्मक अवस्थामा छन्, आम जनतामाझ अहिलेको नयाँ संविधानले के दिन गइरहेको छ, त्यसका सामथ्र्यलाई पस्किने अवस्थामा छैनन् । हुँदाहुँदा यी दलकै कार्यकर्ताहरू पार्टी झण्डा बोकी आन्दोलनमा होमिएका छन् । यसले थारु–मधेसी मुद्दाको आधारमा भुइँतहमा धु्रवीकरण बढाएको छ । ..... असम्भव त होइन, तर असोज ३ पूर्व वार्ता हुने सम्भावना देखिँदैन । यतिखेर आन्दोलनरत दलहरूका सामु मुख्यत: तीनवटा विकल्प छन् । पहिलो, जसलाई सबभन्दा पछाडि पनि राख्न सकिन्छ । त्यो भनेको संविधानसभाबाट मधेसको मध्यमार्गी राजनीति समाप्त भएको ठहर गर्दै ‘गणतन्त्र मधेस’को परिकल्पना गर्दै काठमाडौंसँगको सम्बन्धविच्छेद गर्ने र सोही अनुसारको गतिविधि सञ्चालनमा केन्द्रित हुने, तर यो बाटो अत्यन्त लामो र जोखिमपूर्ण छ । दोस्रो, नयाँ संविधानलाई स्वीकार नगर्ने, जसरी पञ्चायती संविधानलाई इतर राजनीतिक शक्तिहरूले मानेनन्, अनवरत देशभित्र र बाहिर रही सङ्घर्ष गर्दै रहे । यो बाटो पनि एउटा रोजाइ हुनसक्छ । नयाँ संविधानको लेखन नभएसम्म सङ्घर्ष गरिराख्ने । तेस्रो, जसलाई पहिलो विकल्प पनि मान्न सकिन्छ, जसमा संविधानलाई ‘आलोचनात्मक समर्थन र अहर्निश आन्दोलन’ नीति अन्तर्गत प्रयोग गर्ने । यो भनेको संविधानलाई स्वीकार्ने, रूपान्तरित संसदलाई उपभोग गर्ने र त्यसभित्र रहेका रिक्तताहरूलाई पूर्ति गर्न सदैव सजगतापूर्वक लागिपर्ने । यसअन्तर्गत दुइटा तरिका छन् । एउटा त संविधान घोषणा भएपश्चात् जसरी मुख्य दलहरू भन्दैछन्, वार्ता गरेर रूपान्तरित संसदबाट संशोधन गर्दै अगाडि बढ्ने, दोस्रो बाटो हो, आन्दोलनलाई नयाँ रूपमा निरन्तरता दिइराख्न संसद छाड्ने । ......... अहिले जुन प्रकारले असंगठित र नाराविहीन आन्दोलन छ, त्यसलाई यसै अवस्थामा लग्न सकिंँदैन । आन्दोलनरत दलहरूले आन्दोलनको स्वरूप फेर्नु र नयाँ नाराको छनोट गर्नु ढिलो हुँदै गएको छ । अकर्मण्य मधेसी दलहरू आपैंmमा कम विरोधाभासी छैनन् । यो त मुद्दाप्रति जनताको प्रत्यक्ष लगाव र अनुभूति हो कि आन्दोलन यति लामो समयसम्म थेग्न सकिरहेको छ, तर यथास्थितिमा आन्दोलन लामो जाँदैन । यो भनिरहँदा अहिलेकै रूपमा संविधान घोषणा भयो भने तराईमा त्यसलाई बत्ती निभाएर स्वागत गरिनेछ ।............ खासगरी संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेसी मोर्चाले आन्दोलनलाई नयाँ दृष्टि दिन विवेक र साहस प्रस्तुत गर्न सकेन भने आन्दोलन अगाडि बढ्छ र यी नेताहरू पछाडि पर्छन् । यतिखेरको आन्दोलनले एउटा भरपर्दो नेतृत्वको अभाव महसुस गरिराखेको छ । ....... यथास्थितिमा आन्दोलन छरप्रस्टिन सक्छ, हिंस्रक हुनसक्छ, समुदाय विशेषप्रति लक्षित हुनसक्छ वा संविधान घोषणाको केही दिनपश्चात् दूध उम्ले जस्तैगरी शान्त हुन्छ । ...... मोर्चाले न वार्तालाई प्रयोग गरेर त्यसको भण्डाफोर गर्न सक्यो, नत अन्तर्राष्ट्रिय समुदायसमक्ष आफ्नो कुरा राख्न सक्यो । २०६३ सालमा त्यत्रो विद्रोह हुँदा पनि तत्कालीन नेतृत्वको सुझबुझको कमीले गर्दा सात महिनापछि गएर वार्ता भयो । त्यसैगरी २०६९ जेठ २ को सहमतिबाट पछि फर्किंदा अहिलेसम्म रित्तो हुने अवस्था छ । यस्तै अवस्था रहने हो भने अहिलेका मधेसी राजनीतिका शीर्ष नेतृत्वहरू किनारा लाग्छन् र

तेस्रो मधेस आन्दोलनको गर्भबाट नयाँ नेतृत्वको उदय हुन्छ ।

........ अहिले पनि सरकारी पक्ष कुनै मधेस नामधारी दलको खोजीमा छन्, जसलाई फकाएर आफ्नो कित्तामा राख्न सकुन् । सरकारी पक्ष मधेसी नेताहरूलाई आफूसँग जोड्न सफल नभए उसले सोझै मधेससँग सम्वाद गर्दै किस्ताबन्दीमा उपहार दिँदै जाने र योजनाबद्ध तरिकाले तीन दलको समन्वयमा तराई छिर्ने मनसुवा राखेका छन् ।
लिम्बूवानद्वारा संबिधानको बिरोध
संबिधानसभाबाट नयां संबिधान जारी गर्ने तयारी भइरहेका बेला पूर्वमा आन्दोलनरत संघिय लिम्बूवान पाटीले त्यसलाई जलाउने चेतावनी दिएको छ । .....

अरुणपूर्वका नौ वटा जिल्लामा समानान्तर सरकार गठन र समानान्तर संबिधान जारी गर्ने बताए ।

..... प्रस्तावित लिम्बूवान भित्र रहेका सबै संघसंस्था,सरकारी कार्यलय,बिद्यालय र सवारीसाधनमा लिम्बूवान राज्य लेखेको प्लेट लगाउन उर्दी गरिएको पढेर सुनाए । तेस्रो चरणको कार्यक्रम अन्तरगत सदरमुकाम र नगर क्षेत्र कब्जा गर्ने कार्यक्रम भएको त्यहां बितरित प्रेस बिज्ञप्तीमा उल्लेख छ । बिज्ञप्तीमा बिगतमा भएका सहमती सरकारले कार्यन्वयन नगरेसम्म आन्दोलन जारी रहने बताइएको छ । बुधबार संबिधानसभाबाट पारित भएको संबिधानले नेपाललाई प्रतिगामी बाटोमा लगेको जनाइएको छ । ......

असोज ४ गते देखि अनिश्चितकालिन आम हड्ताल

पूर्वी तराई सहज बन्दै
चाडपर्वले स्थिति शान्त
विभिन्न जिल्लामा लगाएको कर्फ्यु र दंगाग्रस्त क्षेत्र खुकुलो बनाउँदै लगिएकाले पूर्वी जिल्लाको जनजीवन सहज बन्न थालेको छ । तीज, विश्वकर्मा पूजा अनि गणेश चौथी पर्वका लागि भनेर स्थानीय प्रशासनले सहज अवस्था बनाएको हो । आन्दोलनकारी दल र संगठनले पनि यसबीच आफ्ना प्रदर्शन, सभाजस्ता कार्यक्रम कम गर्ने भएका छन् । ..... आन्दोलनरत मधेसी मोर्चा कार्यकर्ताले विराटनगरमा प्रदर्शन गरे । मोरङ प्रशासनले लाठी जुलुस नगर्न गरेको आग्रहलाई बेवास्ता गर्दै उनीहरूले प्रदर्शन गरेका थिए । प्रहरीले पटकपटक माइकिङ गरी लाठी लिएर जुलुसमा सहभागी नहुन आग्रह गरेको थियो ।

प्रदर्शनमा सहभागी हुन गाउँगाउँबाट कार्यकर्तालाई ६५ ट्याक्टरमा ओसारिएको थियो ।

...... संघीय समावेशी मोर्चाका कार्यकर्ताले पनि प्रदर्शन गरेका थिए । यसैगरी राजवंशी समुदायले पनि प्रदर्शन गरे । उनीहरूले

सुनसरी, मोरङ र झापालाई मिलाएर विराट राज्य बनाउनुपर्ने

माग गरे । ...... संविधानसभाले संविधान जारी गरे पनि त्यसको समर्थनमा स्वागत गर्ने अवस्था नरहेको किरात राई यायोक्खा र किरात याक्थुङ चुम्लुङले जनाएको छ । चुम्लुङ र यायोख्खाको केन्द्रीय पदाधिकारीले संयुक्त पत्रकार सम्मेलन गर्दै संविधानमा ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, पहिचान र अधिकारका आधारमा

किरात प्रदेश र लिम्बुवान प्रदेश स्थापना नभएसम्म अब जारी हुने संविधानको स्वागत नगर्ने

जनाएका हुन् ।

स्वतंत्रता का पदचाप हरु


  1. मधेसी मोर्चा का सभासद हरु सब जनकपुर भेला हुने। ५० जना। त्यसमा २० सीट थप्ने। केही हृदयेश त्रिपाठी जस्ता छुटेका मानिस छन। केही civil society का मानिस छन। ७० सीट सीके राउत को मधेस स्वराज पार्टी ले लिन्छ। १ सीट सीके राउत ले। अंतरिम राष्ट्रपति सीके राउत हो। 
  2. सीके राउत लाई उसको गैर कानुनी हाउस अरेस्ट बाट मुक्त गर्ने। १,००० को भीड़ ले हुँदैन भने १ लाख मान्छे पुग्ने। १ लाख लाठी सहित। 
  3. अंतरिम संविधान तैयार छ। 
  4. अंतरिम संसदले सर्वसम्मत ले स्वतंत्र देश को घोषणा गर्ने। भूभाग साबिक मधेस को भूभाग हो। यस भूभाग का सबै सरकारी कार्यालय, प्रहरी चौकी र ब्यारेक का कार्यरत मानिस लाई आ आफ्नो चौकी ब्यारेक मा गएर बस भन्ने। मधेस सरकार को प्रतिनिधि आउँदैछ। जस जसलाई नेपाल फर्किन मन छ उसले सम्मानजनक र शांतिपूर्ण वापसी पाउने छ। ज -जस्लाई मधेस सरकार कै जागीर खानु छ ती सबले दर्ता गराउने। 
  5. दिल्ली, संयुक्त राष्ट्र संघ, दुनिया भर का राजधानी हरु सँग पत्राचार। 
  6. नेपाल सरकार लाई एक हप्ता को म्याद दिने। राजदुत आदान प्रदान र द्वैध नागरिकता संधि। गर्ने भये गर होइन भने १००% नाकाबंदी हुन्छ भन्ने। 
  7. भारत सँग पनि द्वैध नागरिकता संधि र मौद्रिक एकीकरण को प्रस्ताव, र आर्थिक एकीकरण को पनि। नेपाल, भारत, भुटान, बांग्लादेश ले १० वर्ष पछि गर्छौं भनेका छन, हामी अहिले गर्छौं। 
  8. देश घोषणा भएको एक वर्ष भित्र संविधान सभा को निर्वाचन। १४१ सीट। 
  9. आत्म निर्णय को अधिकार सहित को संघीयता। विराट, मिथिला, भोजपुरा, चितवन, अवध, थरुहट, कैलाली। 
  10. २० वर्ष भित्र देशलाई विकसित देश बनाउने रोडमैप। 

तलब भत्ता तो हम भी तो देंगे
हिंसा बारे महात्मा गांधी
आश्विन संग्राम

तलब भत्ता तो हम भी तो देंगे

जब मधेसी मोर्चा के ५० सभासद काठमाण्डु से जनकपुर आएंगे और अंतरिम संसदकी सदस्यता लेंगे, ये तो नहीं कि वो उपवास करेंगे। तलब भत्ता हम भी तो देंगे। ये स्वतंत्रता संग्राम आर्थिक क्रांति की नींव राखी जा रही है।

मधेस अलग देश होते ही, और सभी सरकारी कार्यालय, चौकी, ब्यारेक कब्ज़ा होते ही, मधेस फिर से चालु। कल कारखाना टैक्स देना शुरू करेंगे। बॉर्डर पर जो आय होता है वो फिर से होने लगेगा। सौ दो सौ अरब तो पहले ही महिने में आ जाने चाहिए।

ये देश बनने जा रहा है।


आश्विन संग्राम

संग्राम का समय अब आ गया लगता है
मधेसी याद करो अपना इतिहास
भविष्य अंधेरा मत होने दो
उपनिवेश और गुलामी की जिन्दगी भी
कोइ जिन्दगी है क्या

नेपाल एक कुँवा हुवा करता था
फिर से बना देंगे कुँवा
अगर जरुरत पड़ी तो
मधेसकी अस्मिता से खेलनेवालों को
मुँहतोड़ जवाब देंगे

संविधान सहमति का दस्तावेज होता है
हमारे सहमति के बगैर उसको भी नहीं मिलना
समानता
हम नहीं चलनेवाले उसके समयतालिका पर

इस २१वीं शताब्दी में आकर कोइ सोंचे
अनागरिक बना के रखेंगे, दुसरे दर्जे का नागरिक बना के रखेंगे
वो सपना देख रहे हैं
उसका संसद, उसका संविधान
हमारा नहीं
मिट्टी हमारी

हौसला बुलंद रखो
इस क्रांति का कोइ डेडलाइन नहीं है
है तो सिर्फ एक गंतव्य
समानता लेंगे
देश तोडना होगा तो तोड़ देंगे
बगैर समानता के अब नहीं रुकने वाली ये क्रांति



देश टुक्रिन परे

  • दक्षिण एशिया को आर्थिक एकीकरण मधेस को मानक सिद्धांत हुनेछ। 
  • भारत सँग मौद्रिक एकीकरण। स्लोवाक रिपब्लिक मा युरो चल्छ। 
  • नेपाल र भारत सँग द्वैध नागरिकता सन्धि। 
  • पहाड़ का जनजाति पनि त्यसै बाटो मा अगाडि आए हामी महाभारत नामको Confederation बनाउँछौं। तिनीसँग मिल्छौं। 

Wednesday, September 16, 2015

आजादी






In The News (86)

हार्दिक श्रद्धांजलि !! हार्दिक श्रद्धांजलि !! हार्दिक श्रद्धांजलि। हम ॠृणी हैं और रहेंगे ।

Posted by Vijay Kumar Singh on Wednesday, September 16, 2015






कुनै पनि मधेसी यसपाली खुली साथ तिज मनाउन सकेकाछैन । मधेस र देश का दुश्मन नास होस को लागी हामी यसपाली तीज मनाउदैछौ ।

Posted by Mahesh Yadav Adhikari on Wednesday, September 16, 2015


यति खेर म देश भन्दा धेरै टाढा छु । संबिधान जारि हुने कुराले अत्यन्त पुलकित छु । कहिले आश्विन् ३ अाउला संबिधान जारि होला...

Posted by Bijaya Poudel on Tuesday, September 15, 2015


Gyanendra made Jan Andolan II possible. Extremist Indian agents promoting violence are making this Constitution possible. Congrats to both!

Posted by Dinesh Prasain on Tuesday, September 15, 2015




बिरगंज से प्रसासन ने सदभावना पाटीके नेता तथा कर्यकर्ताको गिरफ्दार किया हैमोहनलाल चौधरी- के सदस्य इमदाद गदि जिल्ला अध्...

Posted by सदभावना पार्टी on Wednesday, September 16, 2015


मधेश के अधिकार माग्ना गुनाह हैमधेश के अधिकार के लिए लिख्ना गुनाह है।

Posted by Upendra Mahato on Wednesday, September 16, 2015


सम्बिधान जारी गर्ने र खुशी मनाउने नेपाली समुदाय लाई शुभकामना । कुनै समुदाय खुशीयाली मनाउदै..... कुनै समुदाय लाश गन्दै । मुलुक गृह युध्ह बाट जोगाउ ।

Posted by Rajesh Ahiraj on Wednesday, September 16, 2015


उनले संविधान घोषणा भएलगत्तै संविधान जलाएर शासक वर्गले दिपावली मनाएको समयमा ‘ब्लायक आउट’ गर्ने चेतावनी दिए ।मधेशमा सरकारप...

Posted by सदभावना पार्टी on Wednesday, September 16, 2015


कुनै समयमा पहाड रोएको देख्दा मधेश पनि सँग सङगै रोएको थियो तर आज मधेशमा राज्यद्वारा हत्या गरिएका १० जनाको सामुहिक अन्तेष्...

Posted by Lokendra Yadav on Tuesday, September 15, 2015






Dr. CK Raut
आजादी वीरों की चाह है,
डरपोक और कायर अपने लिए बहाना ढूंढ लें
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सैम्पल बहाना: हामी पनि त नेपाली हो / नेपाल मै अधिकार खोज्नु पर्छ / संघीयता र स्वायत्तता हाम्रो एजेन्डा हो / ५०औं वर्ष अझ लडछौं / विस्तारै अधिकार मिलि हाल्छ नि / हामी विखण्डन चाहदैनौं / मिलेर बस्नुपर्छ / भूराजनीतिले दिंदैन / सम्भव छैन / खतरा छ / हाम्रो पार्टीको नीति फरक छ / पहिला यो लिऊँ, त्यसपछि न / कर्मचारी हो, मिल्दैन / राजनीतिसँग मलतब छैन / विदेशमा छु / विजनेश-व्यापार छ, फुर्सत छैन / तपाईं अगाडि बढनुस् हामी आउँदै गर्छौं आदि ।
पर याद रहे कल इस तरह से फिरंगी नेपाली सेना और पुलिस के द्वारा मारे जानेवाला बच्चा आपका भी हो सकता है !
जिसके पास जिगर होता है, वही आजाद मधेश का नारा लगा सकता है ! नेपाली उपनिवेश अंत हो, मधेश देश स्वतन्त्र हो।

My heartfelt congratulations to all Nepalese people on declaration of Constitution of Federal democratic Republic of Nepal by CA Thanks to all who put their efforts & contributions Cheers

Posted by Ganesh Shah on Wednesday, September 16, 2015




आन्दोलन जारी छ ....पर्सा - बिरगंजबाट निरंकुश सरकारले सदभावना पाटीका केन्द्रीय सदस्य मोहनलाल चौधरी, जील्ला अध्यक्ष इम...

Posted by Upendra Mahato on Tuesday, September 15, 2015


नेपाल विद्यार्थी संघका पुर्ब माहामंत्रि एबम हाम्रा परम मित्र मनोज मणी आचार्यकी ममतामयी माता श्री गंगा देबी आचार्यको दु...

Posted by Anand Bist on Tuesday, September 15, 2015

Asoj 3 gate Rashtrapati le afu Yadav ko choro bhayeko pramanit gare sara Madhesh garwanwit hunechha!

Posted by Subhash Chandra Shah on Wednesday, September 16, 2015

मुलुक को कुनै समुदायलाई सुन कुनै लाई लह्सुन ।

Posted by Rajesh Ahiraj on Wednesday, September 16, 2015

जनकपुरमा पत्रकार सम्मेलन पश्चात...सदभावना पार्टीका अध्यक्ष श्री राजेन्द्र महतोद्वारा धनुषा र महोत्तरीका कार्यकर्ताहरू ...

Posted by Upendra Mahato on Wednesday, September 16, 2015