The only full timer out of the 200,000 Nepalis in the US to work for Nepal's democracy and social justice movements in 2005-06.
Tuesday, November 03, 2020
नेपालमा प्रबल के? भुराजनीति कि आन्तरिक राजनीति?
Saturday, October 17, 2020
जसपा र बाबुराम
जसपामा बाबुराम भट्टराईको प्रवेशलाई मैले सधैँ नै सकारात्मक रुपमा नै लिएको छु। मधेसलाई समानता दिलाउनका लागि समग्र देशको राजनीति गर्नुपर्छ। जसपा को पहाड़ हिमाल को पहिलो संसदीय सीट बाबुराम को हो। यो पहाड़ पस्ने जसपाको प्रयास कालागि महत्वपुर्ण कोसे ढुङ्गा हो।
माओवादी लाई शांति प्रक्रिया मा ल्याउने सन २००५ को प्रयासको सहभागी म पनि हुँ। र मेरा त्यति बेलाका विचार हरु यसै ब्लॉगमा पारदर्शी रूपले नै सुरक्षित छन। म राजनीतिक हिंसाको त्यति बेला पनि विरोधी अहिले पनि विरोधी। त्यसैले नै माओवादी लाई शांति प्रक्रिया मा ल्याउने कुराको कट्टर हिमायती। अमेरिकी राजदुतले माओवादी लाई युद्धमा पराजित गर्नु पर्छ भनिरहेको अवस्थामा मैले त्यसको कड़ा विरोध गरेको हुँ। वार्ता नै समाधान साबित भयो।
शांति प्रक्रिया भनेको आम माफ़ी नै हो। त्यस अर्थमा मैले बन्दुक उठाउने बाबुराम र बन्दुक नउठाउने महन्थ ठाकुर बीच कुनै फरक राखदिन। किनभने मेरो शांति प्रक्रिया मा सहभागिता इमान्दारीपूर्वक थियो।
बौद्धिकतामा र राजनीतिक रणनीति मा बाबुराम जी बड़ो कुशल हो। त्यो मैले आफैले पटक पटक देखेको कुरा हो। सन २००५ मा माओवादी ले जुन सेफ लैंडिंग गर्यो त्यो वहाँ बिना संभव थिएन। माओवादी ले सेफ लैंडिंग नगरेको भए प्रचंड को नियत गोंजालो को जस्तो हुँदो हो।
अहिले कॉंग्रेस ले उछालेको बहुदल, माओवादीले उछालेको गणतंत्र र मधेसीले उछालेको संघीयता जस्तो जनतालाई उछालन सक्ने मुद्दा भनेको भ्रष्टाचार नै हो। बुढीगण्डकीको ब्रम्हास्त्र एकै पटक ओली, देउबा र प्रचंड माथि फाल्ने बाबुराम भट्टराईको प्रयास ले देखाउँछ जसपा देशको वैकल्पिक अथवा तेस्रो ठुलो होइन प्रथम शक्ति नै बन्न चाहन्छ। मुद्दा सटीक छ।
Sunday, October 04, 2020
MAA और ANTA और महिला पुरुष असमानता
मैंने शायद पिछले साल एक विचार प्रकट किया। कि अमरीका के सभी मधेसी संगठनों के एकीकरणका अभियान चलाया जाए। प्रमुख रूप से MAA और ANTA लेकिन अभी तक छोटेमोटे ढेर सारे संगठन हो गए हैं देश भर में। नेपालमें मधेस आन्दोलन अभी अपने गन्तव्य पर पहुँच नहीं पाइ है और भारतके बिहारी अपने ही किस्मके मधेसी हैं।
पढ़ लिखके लोग अमरीका आ जाते हैं। तो वो तो व्यवहार में दिखना पड़ेगा न। सिर्फ डिग्री ले लेने से नहीं होता है।
मैंने वर्षो से मधेस आन्दोलनके भितर सिद्धान्त की बात की है। राजनीतिक रणनीति की बात की है। लेकिन संगठनके भी सिद्धांत होते हैं। आप संगठन के भितर रहके लोकतान्त्रिक आचरण नहीं दिखा सकते हैं तो फिर समानता के नाम पर उछलकुद करने से क्या होगा?
आप महिला पुरुष समानता के नाम पर पत्थर युग में अगर हैं तो फिर मधेसी पहाड़ी समानताकी बात आप किस आधार पर करते हैं? भगवान कृष्ण ने गीता में स्पष्ट कहा है, सभी जात के लोगो से समान व्यवहार करो। तो वो समान व्यवहार संगठन के भितर दिखनी चाहिए।
वहाँ नेपाल के दो प्रमुख पार्टियाँ एक हो गए लेकिन अमरिका के पढ़ेलिखे मधेसी एकीकरण के ए तक भी अभी नहीं पहुँच पाए हैं। और मैंने ANTA के अध्यक्ष का नाम ही लिया था। महिला थी। और संगठनकी निर्वाचित अध्यक्ष। कुछ महीनों पहले उलटे उनके विरुद्ध घिनौना गन्दा राजनीति देखना पड़ा। रिप्लाई आल पर रिप्लाई आल।
हम जो समानताकी बात करते हैं, समानताकी चाह रखते हैं, संगठन के भितर सभ्य, आदरपुर्वक और लोकतान्त्रिक व्यवहार दिखा के समानताकी माँग करनेका अधिकार कमाना होगा।
मधेस में, बिहार में महिला की सामाजिक स्थिति बहुत कमजोर है। अमरीका आके मधेसी और बिहारी उसीको कायम रखे वो शोभा नहीं देता। नेपालमें संगठन के भितर महिलाको एक तिहाई मिलता है। वो अमरीका के मधेसी संगठन के भितर क्युं न मिले? हम तो उन्हें सिखा न पाएँ, हम उनसे क्युँ न सिखे?
आत्मालोचना करना होगा। आचरण सुधारना होगा। गलतियाँ महसुस करनी होगी। महिला पुरुष असमानता है ही कहाँ कहने वालो जरा उन पहाड़ियों की सुनो जो वही जवाब मधेस आन्दोलनको देते हैं।