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Saturday, November 15, 2025

आतंकवादीलाई अग्रणीको रूपमा : जिहादको विस्तारवादी तर्क बुझ्नु

The Terrorist as Pioneer: Understanding the Expansionist Logic of Jihad

 


आतंकवादीलाई अग्रणीको रूपमा : जिहादको विस्तारवादी तर्क बुझ्नु

जिहादी आफूलाई अपराधी वा सामान्य सैनिक ठान्दैन। ऊ आफूलाई अग्रणी ठान्छ — सिलिकन भ्यालीका ती उद्यमीको आध्यात्मिक समकक्ष जसले विश्वास गर्छ कि ऊ भविष्य निर्माण गर्दैछ। उसको दिमागमा इस्लाम धेरै धर्महरूमध्ये एउटा होइन जसले सीमाभित्र शान्तिपूर्वक बस्न सकोस्; यो अन्तिम, सार्वभौमिक सत्य हो जसले अन्ततः पृथ्वीका हरेक मानिसलाई समेट्नैपर्छ। यसलाई रोक्नु असम्भव छ। सह-अस्तित्व अस्थायी मात्र हो। दार अल-इस्लाम (आज्ञापालनको क्षेत्र) लाई दार अल-हर्ब (युद्धको क्षेत्र) को कुनै भाग बाँकी नरहँदासम्म फैलिरहनैपर्छ।

यो कुनै आधुनिक विकृति होइन। यो सातौं-आठौं शताब्दीको क्लासिकल इस्लामिक जिहाद सिद्धान्तको निरन्तरता हो — जसले अल्लाहको कानुनमुनि संसार ल्याउन आक्रामक युद्धलाई माध्यम मान्थ्यो। जब मुस्लिम सेनाहरू नयाँ सीमामा पुग्थे, प्रस्ताव स्पष्ट हुन्थ्यो: इस्लाम स्वीकार गर, वा जिजिया तिरेर दोस्रो दर्जाको नागरिक बन, वा मर। इन्कार गर्नेलाई समर्पण नगरेसम्म वा मारिएसम्म लडाइँ गरिन्थ्यो। उद्देश्य कहिल्यै केवल भू-विजय थिएन; यो इस्लामको सार्वभौमिकीकरण थियो। कुनै क्षेत्रलाई इस्लामको दायरामा नल्याएसम्म एक्लै छोडिँदैनथ्यो। स्थायी गैर-मुस्लिम राज्यहरूसँग “तँ बाँच, म बाँचौँ” को कुनै अवधारणा थिएन।

आधुनिक जिहादीको विश्वास छ कि इतिहास मात्र रोकिएको छ। उम्माहले हरेक राजधानीमा हरियो झण्डा फहराउनुपर्थ्यो। तर मुस्लिम भूमि उपनिवेश बन्यो, टुक्राटुक्रा पारियो र धर्मनिरपेक्ष बनाइयो। उसको नजरमा आदेश उही छ; केवल साधन बदलिएको छ — राष्ट्र-राज्य, मिसाइल र असममित युद्धको युगमा। त्यसैले आतंकवादी अग्रिम मोर्चाको योद्धा हो — जो ठप्प विजयको इन्जिन फेरि सुरु गर्न चाहन्छ, जब सरकारहरू र मध्यमार्गी विद्वानहरू वर्तमान अवस्थासँग सम्झौता गरिसकेका छन्।

यिनै कुराले उसलाई यति खतरनाक बनाउँछ। स्याम अल्टम्यान चाहन्छन् ओपनएआई जितोस्, तर त्यसका लागि मर्न तयार छैनन्। जिहादी तयार छ। हिज्बुल्लाहका पूर्व महासचिव हसन नसरल्लाहले भनेका थिए (र जसलाई अनगिन्ती लडाकूले दोहोर्याउँछन्) — “हामी मृत्युलाई त्यति नै माया गर्छौं जति तिमीहरू जीवनलाई।” यो खोक्रो घमण्ड होइन। यो सिद्धान्तिक भनाइ हो: शहादतले जन्नतको ग्यारेन्टी दिन्छ, र जन्नत यो संसारको कुनै जीवनभन्दा अनन्त गुणा उत्तम छ। जब तिम्रो शत्रु मर्नुलाई बाँच्नुभन्दा माथि राख्छ, सामान्य निरोध (deterrence) ढल्छ।

लन्डनमा एक्लै छुरा हान्ने वा नीसमा ट्रक कुदाउने व्यक्ति “मानसिक रोगी” वा दुःखद अपवाद होइन। ऊ त्यही स्क्रिप्ट खुद्रा स्तरमा चलाइरहेको छ। सन्देश यही हो: मैले तिमीलाई चेतावनी पहिल्यै दिएको थिएँ — इस्लामले प्रभुत्व जमाउनैपर्छ। तिमीले निम्तो ठाडै अस्वीकार गर्‍यौ। अब परिणाम भोग। यदि एउटा छुराले सय काफिरलाई एउटा टोल छोड्न बाध्य पार्छ भने, हजार छुराले सिंगो सहर खाली गर्न सक्छ। आतंक केवल आधुनिक रूप हो त्यस छापामारीको जसले पैगम्बरको समयमा कबिलाहरूलाई विजयका लागि नरम बनाउँथ्यो। डर नै त्यो कर हो जुन जिजियाको ठाउँ लिन्छ जब राज्यले त्यसलाई औपचारिक रूपमा लागू गर्दैन।

आतंकवाद, चाहे विकेन्द्रीकृत देखियोस्, लगभग सधैं संगठित हुन्छ। केही हजार अत्यधिक प्रतिबद्ध मानिसहरू — प्रशिक्षित, वित्तपोषित, विचारधाराबाट ओतप्रोत र सहानुभूतिशील वा कायर शासकहरूद्वारा संरक्षित — लाखौं जनसंख्या भएका राष्ट्रहरूलाई लुलो बनाउन सक्छन्। ९/११ हमला उन्नाइस जनाले गरे। मुम्बई २६/११ दस जनाले। पेरिस बटाक्लान हमला दर्जनभरभन्दा कम समन्वित व्यक्तिले। स्केल सटीकता र आतंकको गुणक प्रभावबाट आउँछ, ठूला सेनाबाट होइन।

यस्तो शत्रुसँग कसरी लड्ने जसलाई न त रोक्न सकिन्छ न त सीमित राख्न?

जसले उसलाई आश्रय दिन्छ, त्यस संप्रभुताको सम्मान गर्न इन्कार गर।

आतंकवादले आफ्ना कारबाही योजना बनाउँदा सीमा वा संप्रभुता मान्दैन; प्रतिआतंकवादले पनि जवाफ दिँदा त्यसो गर्न सक्दैन। सुरक्षित आश्रयस्थलहरूलाई असुरक्षित बनाउनुपर्छ। प्रशिक्षण शिविरहरू जहाँ भए पनि ध्वस्त पार्नुपर्छ। वित्तपोषकहरूलाई गायब पार्नुपर्छ। विचारकहरूलाई मौन बनाउनुपर्छ। संगठनहरू — जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल्लाह, हमास, इस्लामिक स्टेटका प्रान्तीय सेलहरू — लाई पूर्ण विलुप्तिसम्म पछ्याउनुपर्छ, केवल “कमजोर” वा “नियन्त्रित” बनाएर होइन।

भारत र इजरायल — दुई प्रजातन्त्र जसले दशकौंदेखि हजारौं आतंकवादी हमला झेलेका छन् — ले यो कुरा पश्चिमी शक्तिहरुभन्दा राम्ररी बुझेका छन्। दुवैले देखेका छन् कि आतंकवादीहरू पाकिस्तानी क्षेत्र वा इरान-नियन्त्रित इलाकाबाट निर्भय भएर काम गर्छन्। दुवैले सिकेका छन् कि अन्तर्राष्ट्रिय कानुन र संयुक्त राष्ट्रसंघका प्रस्तावहरूको अपील नाटक मात्र हो जब शत्रु कानुनलाई एकतर्फी बाटो ठान्छ। मौन, अथक कारबाहीहरू — लक्षित हत्या, आपूर्ति लाइनमा तोडफोड, साइबर घुसपैठ, विशेष फौजका छापाहरू — प्रतिबन्ध वा कडा वक्तव्यभन्दा धेरै प्रभावकारी साबित भएका छन्।

रोगको निदान बिना छद्मबिना गर्नुपर्छ: एउटा विचारधारा छ जसले सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र दाबी गर्छे र त्यसलाई अस्वीकार गर्नेहरूमाथि स्थायी युद्धलाई वैध ठहराउँछे। सानो तर प्रतिबद्ध अल्पसंख्यक विश्वास गर्छ कि उसलाई हरेक सम्भव साधनबाट त्यो युद्ध फेरि सुरु गर्ने ईश्वरीय आदेश छ। उनीहरू त्यसैले रोकिँदैनन् कि हामीले उनीहरूलाई बेवास्ता गर्छौं, वार्ता गर्छौं वा आफैंलाई झुक्याउँछौं कि गरिबी वा “इस्लामोफोबिया” नै मूल कारण हो। उनीहरू तब मात्र रोकिन्छन् जब ती संगठनहरू जसले उनीहरूलाई प्रशिक्षण दिन्छन्, हतियार दिन्छन् र प्रेरित गर्छन्, अस्तित्वमा रहन छोड्छन् — र जब ती संगठनमा सामेल हुने मूल्य अस्वीकार्य रूपमा महँगो हुन्छ।

त्यसबेलासम्म हरेक “एक्लो ब्वाँसो” त्यही सेनाको अग्रभाग मात्र हो जसले एक शताब्दीमा आधी ज्ञात संसार जित्यो। अग्रणीहरू अझै मार्च गरिरहेका छन्। प्रश्न केवल यो हो कि हामी बाँकीहरू उनीहरूले ल्याउने त्यही स्पष्टता र निर्ममताबाट लड्न तयार छौं कि छैनौं।

आतंकवादीकेँ अग्रदूतके रूपमे : जिहादक विस्तारवादी तर्ककेँ बुझब

जिहादी अपनकेँ न त अपराधी मानैत अछि आ नहि साधारण सिपाही। ओ अपनकेँ अग्रदूत मानैत अछि — सिलिकन वैलीक ओहि उद्यमीक आध्यात्मिक समकक्ष जे विश्वास करैत अछि जे ओ भविष्यक निर्माण करि रहल अछि। ओकर मस्तिष्कमे इस्लाम बहुत धर्ममेंसँ एकटा एहन धर्म नहि जे सीमाक भीतर शान्तिपूर्वक रहि सकय ; ओ अन्तिम, सार्वभौमिक सत्य अछि जे अन्ततः धरतीपर रहल हरेक मानवकेँ अपनमें समेटनाइ जरूरी अछि। एकर रोकल नामुमकिन अछि। सह-अस्तित्व बस अस्थायी अछि। दार अल-इस्लाम (आज्ञाकारीक क्षेत्र) केँ दार अल-हर्ब (युद्धक क्षेत्र) केँ कोनो अंश बाँकी नहि रहय धरि फैलैत रहबाक पडैत अछि।

यो कोनो आधुनिक विकृति नहि अछि। यो सातम-आठम शताब्दीक क्लासिकल इस्लामिक जिहाद सिद्धान्तक सीधा निरन्तरता अछि — जे अल्लाहक कानूनक अधीन दुनिया लेबाक लेल आक्रामक युद्धकेँ माध्यम मानै मानैत छल। जखन मुसलमान सेनासभ नया सरहदपर पहुँचैत छल, तखन प्रस्ताव बिल्कुल स्पष्ट रहैत छल : इस्लाम स्वीकार करू, वा जिजिया दै तिरि दोसर दर्जाक नागरिक बनि जियू, वा मरू। जे इन्कार करैत छल, ओहिसभक संग तखन धरि लडाइ लडल जाइत छल जखन धरि ओ समर्पण नहि करैत छल वा मारल नहि गेल। उद्देश्य कहियो केवल भू-विजय नहि छल ; यो इस्लामक सार्वभौमिकीकरण छल। कोनो क्षेत्रकेँ इस्लामक दायरामे नहि आनल जाए धरि एकरा एक्ला छोडल नहि जाइत छल। स्थायी गैर-मुस्लिम राज्यसभक संग “तैं बाँच, हम बाँचै” केँ कोनो अवधारणा नहि छल।

आधुनिक जिहादीक विश्वास अछि जे इतिहास केवल ठहरा गेल अछि। उम्माहकेँ हरेक राजधानीपर हरियर झण्डा फहराबैत रहबाक छल। तखन मुसलमान भूमिकेँ उपनिवेश बनैल गेल, टुक्रा-टुक्रा करि देल गेल आ धर्मनिरपेक्ष बनैल गेल। ओकर नजरमें आदेश ओहियै अछि ; केवल साधन बदलाई गेल अछि — राष्ट्र-राज्य, मिसाइल आ असममित युद्धक युगमें। तेँ आतंकवादी अग्रिम मोर्चाक योद्धा अछि — ओ व्यक्ति जे ठहरा गेल विजयक इन्जिनकेँ फेर चालू करब चाहैत अछि, जखन सरकारसभ आ मध्यमार्गी विद्वानसभ वर्तमान स्थितिसँ सम्झौता कए लेलक अछि।

ई बात ओकरा एतेक खतरनाक बनबैत अछि। स्याम अल्टम्यान चाहैत छथि जे ओपनएआई जीतय, मुदा ओकरा लेल मरबाक लेल तैयार नहि छथि। जिहादी तैयार अछि। हिज्बुल्लाहक पूर्व महासचिव हसन नसरल्लाह जे कहलथि (आ जकरा अनगिनत लडाकासभ दोहरैत छथि) — “हम मृत्युकेँ ओहि तरह प्रेम करैत छी जतेक तोँ जीवनकेँ करैत छह” — यो खोखला घमण्ड नहि अछि। यो सिद्धान्तिक कथन अछि : शहादत जन्नतक ग्यारेन्टी दैत अछि, आ जन्नत एहि दुनिया के कोनो जीवनसँ अनन्त गुणा उत्तम अछि। जखन तोर शत्रु मरबाकेँ बाँचबासँ माथि राखैत अछि, तखन सामान्य निरोध (deterrence) ढहि जाइत अछि।

लण्डनमें एक्ला छुरा घोंपनिहार वा नीसमें ट्रक चलओनिहार “मानसिक रोगी” वा दुःखद अपवाद नहि अछि। ओ वही स्क्रिप्ट खुद्रा स्तरपर चला रहल अछि। सन्देश ई अछि : हम तोरा पहिनहिसँ चेतावनी दए देलहुँ — इस्लामक प्रभुत्व भेलहि चाही। तैं निमन्त्रण ठुकरा देलह। हुनका परिणाम भोगू। जँ एक छुरासँ सय काफिर एखन मोहल्लासँ भागि जाइत छथि, तँ हजार छुरासँ पूरा शहर खाली भऽ सकैत अछि। आतंक केवल आधुनिक रूप अछि ओहि छापामारीक जे पैगम्बरक समयमें कबीलासभकेँ विजय लेल नरम बनबैत छल। डर ओहि करक स्थान लैत अछि जे जिजिया लैत छल जखन राज्य ओकरा औपचारिक रूपसँ लागू नहि करैत छल।

आतंकवाद, चाहे विकेन्द्रित देखाइत हो, प्रायः सङ्गठित भेला रहैत अछि। किछु हजार अत्यधिक प्रतिबद्ध मानुष — प्रशिक्षित, वित्तपोषित, विचारधारासँ ओत-प्रोत आ सहानुभूतिशील वा डरपोक शासकसभद्वारा संरक्षित — लाखों जनसङ्ख्याक राष्ट्रकेँ लङ्गडा बना सकैत अछि। ९/११ हमला उन्नीस गो मानुषे कएलक। मुम्बई २६/११ दस गो कएलक। पेरिस बटाक्लान हमला दर्जनभरसँ कम समन्वित व्यक्तिए कएलक। स्केल सटीकता आ आतंकक गुणक प्रभावसँ आबैत अछि, नहि कि विशाल सेनासँ।

एहन शत्रुसँ ककरा संग कस लडब जकराकेँ नहि रोका जा सकैत अछि आ नहि सीमित राखा जा सकैत अछि ?

जे ओकरा आश्रय दैत अछि, ओहि संप्रभुताक सम्मान करबासँ इन्कार करू।

आतंकवाद जखन अपन कारवाहीक योजना बनबैत अछि तखन सीमा वा संप्रभुता नहि मानैत अछि ; प्रतिआतंकवादकेँ से जवाब देबाक समयमे से मानब नहि चाही। सुरक्षित आश्रयस्थलकेँ असुरक्षित बनेबाक चाही। प्रशिक्षण शिविर जहिया भेटय तहियां ध्वस्त करू। वित्तपोषककेँ गायब करू। विचारककेँ मौन करू। संगठनसभ — जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल्लाह, हमास, इस्लामिक स्टेटक प्रान्तीय सेलसभ — केँ पूर्ण विलुप्ति धरि पछू, केवल “कमजोर” वा “नियन्त्रित” कए नहि।

भारत आ इजरायल — दुई प्रजातन्त्र जे जे दशकसँ हजारों आतंकवादी हमला झेललक अछि — ई बात पश्चिमी शक्तिसभसँ बेशी बुझैत अछि। दुनू देखलक अछि जे आतंकवादी पाकिस्तानी क्षेत्र वा ईरान-नियन्त्रित इलाकासँ निडर भऽ कए काम करैत अछि। दुनू सिखने अछि जे अन्तर्राष्ट्रीय कानून आ संयुक्त राष्ट्रक प्रस्तावक अपील केवल नाटक अछि जखन शत्रु कानूनकेँ एकतरफा बाटो ठहरबैत अछि। मौन, अथक कारवाही — लक्षित हत्या, आपूर्ति लाइनमे तोडफोड, साइबर घुसपैठ, विशेष फौजक छापा — प्रतिबन्ध वा कडा वक्तव्यसँ कतेक गुणा बेशी प्रभावी साबित भेल अछि।

रोगक निदान बिना कपटक करू : एक विचारधारा अछि जे सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्रक दावा करैत अछि आ जकरा ठुकरबैत छथि ओकरासभपर स्थायी युद्धकेँ वैध ठहरबैत अछि। सान अल्पसंख्यक मुदा दृढ प्रतिबद्ध मानैत अछि जे ओकरा हर सम्भव साधनसँ ओ युद्ध फेर शुरू करबाक ईश्वरीय आदेश अछि। ओ तखन धरि नहि रुकत जखन धरि हम ओकराकेँ बेवास्ता करी, वार्ता करी वा अपनाकेँ धोखा दई जे गरीबी वा “इस्लामोफोबिया” मूल कारण अछि। ओ रुकत तखन जखन ओ संगठनसभ जे ओकराकेँ प्रशिक्षण, हथियार आ प्रेरणा दैत अछि, अस्तित्वमें रहब बन्द करैत अछि — आ जखन ओ संगठनमें सामिल होबाक मूल्य अस्वीकार्य रूपसँ महँग भऽ जाइत अछि।

तखन धरि हर “एक्ला भेडियाँ” ओहि सेनाक अग्रभाग मात्र अछि जे एक शताब्दीमें आधा ज्ञात दुनिया जीत लेलकैछल। अग्रदूतसभ अखनो मार्च कए रहल अछि। प्रश्न केवल ई अछि जे हम बाकी सब की ओहि स्पष्टता आ निर्ममतासँ लडबाक लेल तैयार छी की नहि।


भारत–इस्रायल आतंकवाद-विरोधी साझेदारी: विश्व सुरक्षालाई रूपान्तरण गर्ने एउटा शान्त तर निर्णायक गठबन्धन

आजको युगमा आतंकवाद सीमाना नमान्ने, रूप बदल्ने, नयाँ-नयाँ प्रविधिलाई हतियार बनाउने बहुरूपी जीवझैँ फैलिँदैछ। यस्तो अस्थिर विश्वमा भारत र इस्रायल बीचको सुरक्षा साझेदारी संसारका सबैभन्दा गम्भीर, टिकाउ र शान्त तर निर्णायक प्रभाव पार्ने सम्बन्धहरू मध्ये एक बनेको छ।

भूगोलीक रूपमा टाढा भए पनि खतरा-बोध, अनुभव र रणनीतिक दृष्टिकोणका कारण यी दुई लोकतन्त्रहरू—खुफिया साझेदारी, प्रविधि आदान-प्रदान, विशेष बल प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, र कूटनीतिक समन्वयमा—एक यस्तो सुरक्षा वास्तुकला निर्माण गरिरहेका छन्, जसले २१औँ शताब्दीको आतंकवाद-विरोधी ढाँचा नै फेरिदिएको छ।

यदि भू-राजनीति उदीयमान झण्डाहरू पढ्ने कला हो भने, नयाँ दिल्ली र येरुशलमले धेरै पहिले बुझिसकेका थिए कि जिहादी आतंकवादको आँधीलाई नैतिक क्रोधले होइन—सटीक, वैज्ञानिक, निरन्तर र निर्दोषतापूर्वक योजनाबद्ध प्रतिकारले रोक्न सकिन्छ।

छायामा सुरू भएको यो सम्बन्ध आज शीर्ष नेतृत्व स्तरमै खुला रूपमा स्वीकारिएको रणनीतिक गठबन्धनमा रूपान्तरित भइसकेको छ।


ऐतिहासिक आधार: गोप्य सम्पर्कहरूबाट रणनीतिक धमनीसम्म

भारत–इस्रायल सुरक्षा सम्बन्ध औपचारिक कूटनीतिक प्रकाश आउनुभन्दा धेरै अघि—छायामा जन्मेका थिए।

१९६०–७० को दशकमा नै जब दुबै देश शत्रुतापूर्ण छिमेकी, प्रोक्सी युद्ध, वैचारिक उग्रता र आतंकवादलाई राज्य-नीतिका रूपमा भोगिरहेका थिए—खुफिया निकायहरूबीच शान्त, गोप्य संवादहरू चलिरहेका थिए।

परिवर्तनको निर्णायक मोड आयो—

१९९२ — औपचारिक कूटनीतिक सम्बन्ध स्थापना

यसपछि सहयोग क्रमिक तरिकाले होइन, तीव्र तरिकाले अगाडि बढ्यो।

कारगिल युद्ध, १९९९

जब पाकिस्तानी घुसपैठकर्ताहरूले हिमाली शृङ्खलामा किल्ला जमाइरहेका थिए, इस्रायलले भारतलाई:

  • आर्टिलरी गोला–बारुद

  • मानवरहित निगरानी प्रणाली

  • उच्च-रिजोल्युसन खुफिया चित्र

छिटो र सूक्ष्म ढङ्गले उपलब्ध गरायो।
यही क्षणले आपसी विश्वासको मेरुदण्ड बनायो।

मुंबई हमला, २००८ (२६/११)

जब लश्कर–ए–तोयवाका १० आतंककारीहरूले मुंबईलाई युद्धभूमिमा परिणत गरिरहेका थिए, इस्रायली विशेषज्ञहरूले:

  • फोरेन्सिक विश्लेषण

  • शहरी युद्ध रणनीति

  • बन्धक उद्धार समन्वय

मा भारतलाई सहयोग गरे।
छबाड हाउसको त्रासदीले दुबै देशलाई भावनात्मक र सुरक्षा दुवै तहमा अझ नजिक ल्यायो।

संस्थागत संरचना

२००० मा भारत–इस्रायल संयुक्त कार्यसमूह (JWG)–आतंकवाद-विरोध स्थापना भयो।
२०२३ सम्म यसका १६ चरणका संवाद सम्पन्न भइसकेका छन्—जसमा राज्य-प्रायोजित आतंकवाद, उदीयमान खतरा र ‘सर्वोत्तम अभ्यास’मा विस्तृत छलफल हुँदै आएको छ।


साझेदारीका प्रमुख स्तम्भहरू

१. खुफिया साझेदारी: वास्तविक समयमा उच्च जोखिम सहयोग

आतंकवाद एउटा ‘नेटवर्क’ हो—र त्यसको प्रतिषेध खुफिया नै हो।

भारत र इस्रायल आदान-प्रदान गर्छन्:

  • आतंकी आवाजाही र योजना

  • वित्तीय प्रवाह र हवाला नेटवर्क

  • कट्टरपन्थी समूहहरूको भौतिक र डिजिटल संरचना

  • दोहोरो प्रयोग हुने प्रविधिको ट्र्याकिङ

इस्रायलका विश्वविख्यात खुफिया संस्थाहरू—मोसाद, अमान, शिन बेट—दशकौंको युद्ध-अनुभव बोकेर आउँछन्।
भारत दक्षिण एशियाको जटिल सुरक्षा वायुमण्डलबाट प्राप्त व्यावहारिक अनुभव थप्छ।

यस संयोजनले धेरै योजनाबद्ध हमलाहरू रोकिदिएका छन्।


२. रक्षा प्रविधि: नयाँ युद्धभूमिका उपकरण

इस्रायल भारतका शीर्ष सुरक्षा साझेदारमध्ये एक हो—२००० दशकदेखि १० अर्ब डलरभन्दा बढीको रक्षा व्यापार।
तर यो व्यापार मात्र होइन—यो रणनीतिक शिल्प हो।

भारतलाई प्राप्त प्रमुख प्रणालीहरू:

  • Heron र Searcher UAVs

  • Phalcon AWACS

  • Barak-8 वायु रक्षा प्रणाली

  • Spike एंटी–ट्यांक मिसाइलहरू

  • उन्नत नाइट–भिजन र सेन्सर प्रविधि

यी प्रणालीहरू परेडका लागि होइन—तर:

  • घुसपैठ रोकथाम

  • शहरी बन्धक उद्वार

  • पर्वतीय युद्ध

  • सीमापार आतंकवादी लजिस्टिक्स ध्वस्त

जस्ता वास्तविक, कठोर अपरेसनका लागि डिजाइन गरिएका छन्।

सबैभन्दा ठूलो लाभ?

इस्रायल राजनीतिक शर्तहरू लगाउँदैन
र “Make in India” अनुरूप सह-उत्पादन सुनिश्चित गर्छ।


३. प्रशिक्षण र संयुक्त अभ्यास: निरन्तर युद्धक क्षमता निर्माण

भारतका विशेष बलहरू—NSG, MARCOS, गरुड़, पैरा SF—इस्रायलका उत्कृष्ट इकाइहरूसँग अभ्यास गर्छन्:

  • Yamam

  • Shayetet 13

  • Sayeret Matkal

प्रशिक्षण केन्द्रित हुन्छ:

  • घना शहरी क्षेत्रमा बन्धक उद्धार

  • विमान/बस हाईज्याक प्रतिक्रियाहरू

  • सुरुङ युद्ध

  • नजिकको दूरीको युद्ध (CQC)

  • गहिरो टोही र आक्रमण

यी अभ्यासहरूले इस्रायली युद्ध-दर्शन—गति, आश्चर्य, र शल्य–सटीकता—लाई भारतीय अपरेसनको DNA मा मिसाउँछन्।


४. साइबर सुरक्षा र गृह सुरक्षा: अदृश्य मोर्चा

जसरी आतंकी समूहहरू एन्क्रिप्टेड च्यानल, क्रिप्टो–फाइनान्स र AI–प्रोपेगान्डामा सर्दैछन्—त्यसरी नै भारत–इस्रायल सहकार्य विस्तार हुँदैछ:

  • साइबर घुसपैठ रोकथाम

  • डार्क वेब निगरानी

  • आतंक वित्तको ट्र्याकिङ

  • महत्त्वपूर्ण पूर्वाधार सुरक्षा

  • डीपफेक र डिजिटल कट्टरपन्थी सामग्री नियन्त्रण

यस क्षेत्रमा इस्रायलका अग्रणी साइबर फर्म र भारतीय एजेन्सीहरू गहिरो रूपमा एकीकृत भइसकेका छन्।


२०२४–२०२५: साझेदारी उच्च कक्षामा प्रवेश

४ नोभेम्बर २०२५: ऐतिहासिक क्षण

नयाँ दिल्लीमा:

  • भारतीय विदेशमन्त्री डा. एस. जयशंकर

  • इस्रायली विदेशमन्त्री गिडियन सा’आर

बीच भएको भेटमा:

  • आतंकवादप्रति शून्य सहनशीलता

  • उन्नत प्रविधिमा दीर्घकालीन सहकार्य

  • संयुक्त उत्पादन

  • खुफिया साझेदारी विस्तार

जस्ता महत्त्वपूर्ण समझदारी बने।

त्यही दिन भारत–इस्रायल रक्षा सहकार्य JWG को १७औँ बैठकमा:

  • काउंटर-इन्सर्जेन्सी

  • ड्रोन युद्ध

  • साइबर-सक्षम खतरा

  • सटीक आक्रमण सिद्धान्त

मा सहकार्य विस्तार गर्ने निर्णय भयो।

यो त्यतिबेला आयो जब:

  • इस्रायल–हमास संघर्ष

  • हिज़्बुल्लाह आक्रमण

  • ईरानी प्रोक्सीहरूको विस्तार

  • पाकिस्तानबाट कश्मीरमा घुसपैठ

जस्ता खतरा तीव्र गतिमा बढिरहेका थिए—अनि दुबै देशको खुफिया साझेदारी अझ गहिरो भएको थियो।


यो साझेदारी किन यति प्रभावकारी छ?

१. रणनीतिक स्पष्टता र ईमानदारी

दुवैले आतंकवादलाई 'सामाजिक विमर्श' होइन—सैन्य र खुफिया समस्या मान्छन्।

२. राजनीतिक शर्तबिनाको प्रविधि

इस्रायल पश्चिमी देशहरूजस्तो मानवअधिकार–आधारित शर्त लगाउँदैन।

३. समान सुरक्षा वातावरण

दुवै राष्ट्र भोग्छन्—

  • सीमापार आतंकवाद

  • प्रोक्सी मिलिशिया

  • वैचारिक कट्टरता

  • शत्रुतापूर्ण भू–राजनीति

  • सूचना युद्ध

४. प्रविधि + ज्ञान

इस्रायल केवल उपकरण होइन—जानकारी र विशेषज्ञता पनि सरेर दिन्छ।

५. साझा युद्ध-दर्शन

“आतंकवाद सीमाना मान्दैन।
आतंकवाद-विरोधी कारबाहीले पनि सीमामा बाँधिनु हुँदैन।”


भविष्य: सहयोगबाट सह–निर्माणतर्फ

जसरी आतंकवाद AI, ड्रोन स्वार्म, डिजिटल कट्टरता र साइबर प्रोक्सीमा रूपान्तरण भइरहेको छ—भारत–इस्रायल साझेदारी भविष्यको विश्व सुरक्षा ढाँचा नै परिभाषित गर्ने दिशामा उक्लिदैछ।

आगामी सम्भावित क्षेत्रहरू:

  • AI आधारित खतरा पूर्वानुमान

  • स्वायत्त निगरानी संयन्त्र

  • क्वान्टम सुरक्षित सञ्चार

  • एण्टी–ड्रोन प्रविधि

  • बायोमेट्रिक खुफिया

  • संयुक्त विशेष–बल सिद्धान्त

यो साझेदारी अब केवल "दुई देशको सहकार्य" होइन—एक साझा सुरक्षा पारिस्थितिकी प्रणाली बनिसकेको छ।

डा. जयशंकरले नोभेम्बर २०२५ मा भनेका थिए:

“हाम्रो साझेदारी विश्वास र विश्वसनीयतामा आधारित छ।”

यो केवल कूटनीतिक शिष्टाचार होइन—आजको कठोर वास्तविकताको स्वीकृति हो:

आतंकवादसँगको दीर्घ युद्धमा, संसारमा थोरै साझेदार मात्र यति निर्णायक र अपरिहार्य छन्।




भारत–इजरायल आतंकवाद-विरोधी साझेदारी: वैश्विक सुरक्षा केँ रूपांतरित करैत एकटा शांत पर निर्णायक गठबंधन

आजुक समयमे आतंकवाद सीमाना नहि मानैत अछि, रूप बदलैत अछि, आ नवीनतम प्रविधिकेँ हतियारमे बदलि लैत अछि। एहि बदलैत संसारमे भारत आ इजरायल बीचक सुरक्षा साझेदारी दुनियाक सबसँ महत्त्वपूर्ण, टिकाउ आ शांत रूपेँ प्रभाव पारहेबला गठबंधनसभमे एक बनि गेल अछि।

दू अलग भूगोल, मुदा समान खतरा-बोध। एहिद्वारा दुनू देश—खुफिया सहयोग, प्रविधि आदान-प्रदान, विशेष बल प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, आ कूटनीतिक समन्वयमे—एहन सुरक्षा ढाँचा बनाए रहल अछि जे २१म शताब्दी क आतंकवाद-विरोधी रणनीति केँ नैतिक नारा नहि, बल्कि वैज्ञानिक, सटीक आ निरंतर प्रतिकार दिशामे धकेलि रहल अछि।

जेना भू-राजनीति उदीयमान तूफान केँ पढ़बाक कला छैक, ताहिना नई दिल्ली आ येरूशलमे बहुत पहिलहि देखि लेने रहथिन्ह जे जिहादी आतंकवाद केर आँधी केँ केवल नैतिक आक्रोश सँ नहि—बल्कि संगठित, सटीक आ अडिग प्रतिकार सँ रोकल जा सकैत अछि।

छाया सँ शुरू भेल सहकार्य अखन खुलल, संस्थागत आ रणनीतिक साझेदारीमे बदलि गेल अछि।


ऐतिहासिक आधार: गोपनीय सम्पर्क सँ रणनीतिक धमनी धरि

भारत–इजरायल सुरक्षा सम्बन्ध औपचारिक कूटनीतिक सूर्यक उदय सँ बहुत पहिने—गोपन तरहेँ जन्मल छल।

१९६०–७०क दशकमे, जखन दुनू देश प्रोक्सी युद्ध, वैचारिक उग्रवाद, शत्रुतापूर्ण पड़ोसी आ राज्य-प्रायोजित आतंकवादसँ जूझि रहल छल, ओहि समय सँ दुनू देशक खुफिया एजेन्सी चुपचाप सहयोगक धागा बुनैत रहथि।

निर्णायक मोड़ आयल—

१९९२ — औपचारिक कूटनीतिक सम्बन्ध स्थापित

तकर बाद सहकार्य क्रमिक नहि—बल्कि बेगवान छलांगमे आगू बढ़ल।

कारगिल युद्ध, १९९९

जखन पाकिस्तानी घुसपैठकर्मी हिमालयक चोटीकें कब्जा करैत छल, इजरायले भारतकेँ तुरते देलक:

  • आर्टिलरी गोला–बारूद

  • मानवरहित निगरानी प्रणाली

  • उच्च-गुणवत्ता खुफिया चित्र

एहि सहयोगेँ विश्वासक नींव रखलक।

मुंबई हमला, २००८ (२६/११)

जखन १० आतंकी मुंबईकेँ युद्धभूमि बना देलक, इजरायली विशेषज्ञ भेल:

  • फोरेंसिक विश्लेषण

  • शहरी युद्ध रणनीति

  • बंधक-विमोचन समन्वय

छबाड हाउस त्रासदी दुनू देशक सम्बन्धकेँ भावनात्मक आ सुरक्षा दृष्टिसँ आओर नजदीक लऽ गेल।

संस्थागत ढाँचा

२०००मे भारत–इजरायल संयुक्त कार्य समूह (JWG) — आतंकवाद-विरोधी स्थापित भेल।
२०२३ धरि ओहिक १६ चरण पूरा भेल—जाहिमे राज्य-प्रायोजित आतंकवाद, उभरैत खतरा आ सर्वोत्तम प्रथापर विस्तृत चर्चा होइत रहल।


मुख्य स्तंभ: जे सँ साझेदारी बनल अटूट

1. खुफिया सहयोग: वास्तविक समयक, उच्च जोखिमक साझेदारी

आतंकवाद नेटवर्क छैक—आ ओकर औषध खुफिया।
भारत–इजरायल साझा करैत अछि:

  • आतंकी गतिविधि आ आवाजाही

  • हवाला आ वित्तीय नेटवर्क

  • कट्टरपंथी पथ आ डिजिटल रिक्रूटमेंट

  • दोहरा प्रयोग होइत तकनीकक ट्रैकिंग

इजरायलक मोसाद, अमान, शिन बेट—हिज्बुल्लाह, हमास आ ईरानी प्रॉक्सी सँ दशकभरिक संघर्षक अनुभव राखैत अछि।
भारत दक्षिण एशियाक कठिन सुरक्षा भूगोल सँ प्राप्त व्यावहारिक अनुभव जोड़ैत अछि।

एहि संयोजन सैकड़ों हमलाकेँ जन्म लेबाक पहिनहि रोकि दैत अछि।


2. रक्षा प्रविधि: आधुनिक युद्धक उपकरण

इजरायल भारतक शीर्ष रक्षा साझेदारमे एक—२००० दशक सँ १० अर्ब डलर सँ बेसीक रक्षा व्यापार।

परंतु उद्देश्य व्यापार नहि—रणनीतिक डिजाइन छैक।

प्रमुख प्रणालियाँ:

  • Heron आ Searcher UAVs

  • Phalcon AWACS

  • Barak-8 वायु रक्षा प्रणाली

  • Spike एंटी-टैंक मिसाइल

  • अत्याधुनिक नाइट-भिजन आ सेन्सर उपकरण

ई हथियार परेड नहि—बल्कि:

  • सीमा घुसपैठ रोकथाम

  • शहरी बंधक-मुक्ति

  • पर्वतीय युद्ध

  • आतंकी लजिस्टिक्स ध्वस्त करब

जैसान वास्तविक अपरेशनमे उपयोगी।

सबसँ महत्त्वपूर्ण लाभ?

• कोनो राजनीतिक शर्त नहि
• "Make in India" केँ ध्यानमे राखि सह-उत्पादन


3. संयुक्त प्रशिक्षण: युद्धक कला में निरंतर निखार

भारतक विशेष बल—NSG, MARCOS, गरुड़, पैरा SF—इजरायलक श्रेष्ठ इकाईकेँ संग प्रशिक्षण लैत अछि:

  • Yamam

  • Shayetet 13

  • Sayeret Matkal

केन्द्रित विषय:

  • शहरी बंधक उद्धार

  • हाईजैक-विरोध

  • सुरंग युद्ध

  • नजदीकी युद्ध (CQC)

  • गूढ़ टोही

एहि प्रशिक्षण सँ इस्रायली सिद्धान्तक मूल तत्व—गति, आश्चर्य आ शल्य-सटीकता—भारतीय अपरेशनक DNAमे समाहित भऽ जाइत अछि।


4. साइबर आ गृह सुरक्षा: अदृश्य युद्धक अगुआरी मोर्चा

जखन आतंकवादी:

  • एन्क्रिप्टेड च्यानल

  • क्रिप्टो फाइनान्स

  • AI आधारित प्रचार

क प्रयोग बढ़ौ रहल अछि—भारत–इजरायल साझेदारी सेहो तीव्र गतिकेँ बढ़ैत जा रहल अछि।

सहयोग:

  • साइबर घुसपैठ रोकथाम

  • डार्क वेब निगरानी

  • आतंक वित्तक पहरादारी

  • महत्वपूर्ण अवसंरचना सुरक्षा

  • डीपफेक संचार रोक

इजरायली साइबर कम्पनी आ भारतीय एजेन्सी मिलि साझा डिजिटल सुरक्षा संरचना तैयार करैत अछि।


२०२४–२५: साझेदारी उच्च कक्षामे प्रवेश

४ नवम्बर २०२५: निरूपण का निर्णायक दिन

नई दिल्लीमे भारतक विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर आ इस्रायलक विदेश मंत्री गिडोन सा’आर भेटलाह। निर्णय:

  • आतंक पर Zero Tolerance

  • दीर्घकालीन उन्नत प्रविधि सहयोग

  • संयुक्त उत्पादन

  • खुफिया साझेदारी विस्तार

ओहि दिन भारत–इजरायल रक्षा सहयोग JWG केर १७म बैठकमे:

  • काउंटर-इन्सर्जेंसी

  • ड्रोन युद्ध

  • उभरैत साइबर खतरा

  • सटीक प्रहार रणनीति

पर सहमति बनल।

एहि समय:

  • इस्रायल–हमास संघर्ष

  • हिज्बुल्लाहक रॉकेट आक्रमण

  • ईरानी प्रॉक्सी विस्तार

  • पाकिस्तानक कश्मीर घुसपैठ

तेज गतिकेँ बदलैत छल—आ दुनू देशक खुफिया साझेदारी गहिरा भऽ रहले।


साझेदारी प्रभावी किएक अछि?

1. रणनीतिक स्पष्टता

दुनू देश आतंकवाद केँ सामाजिक बहस नहि—सैन्य आ खुफिया समस्या मानैत अछि।

2. शर्तबिनक प्रविधि

इजरायल पश्चिम देशक तरह राजनीतिक–मानवाधिकार शर्त नहि लगबैत अछि।

3. समान संकट-परिदृश्य

दुनू सामना करैत अछि:

  • सीमापार आतंकवाद

  • प्रॉक्सी मिलिशिया

  • वैचारिक उग्रवाद

  • कठोर भू-राजनीतिक पड़ोसी

  • सूचना युद्ध

4. प्रविधि + ज्ञान

इजरायल केवल उपकरण नहि—ज्ञान, प्रशिक्षण आ विशेषज्ञता सेहो हस्तांतरित करैत अछि।

5. साझा सैन्य सिद्धान्त

“आतंकवाद सीमाना नहि मानैत।
आ आतंकवाद-विरोधी कारबाही सेहो सीमामे कैद नहि रहि सकैत।”


भविष्य: सहयोग सँ सह-निर्माणक दिशा

जखन आतंकवाद AI, ड्रोन स्वार्म, डिजिटल कट्टरता, आ साइबर प्रॉक्सीमे बदलाव भऽ रहल अछि—भारत–इजरायल साझेदारी वैश्विक सुरक्षा केँ नव युगमे प्रवेश करा रहल अछि।

आगामी क्षेत्र:

  • AI आधारित खतरा पूर्वानुमान

  • स्वायत्त निगरानी संयंत्र

  • क्वान्टम सुरक्षित संचार

  • एण्टी-ड्रोन प्रणाली

  • बायोमेट्रिक खुफिया

  • संयुक्त विशेष–बल सिद्धान्त

ई साझेदारी अब केवल "दुइ देशक सहकार्य" नहि—एक साझा सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र अछि।

डॉ. जयशंकरक शब्द—
“हमर साझेदारी विश्वास आ विश्वसनीयता पर आधारित अछि।”

ई केवल कूटनीतिक शिष्टाचार नहि, बल्कि कठोर विश्व-सत्यक स्वीकारोक्ति:  

आतंकवादक दीर्घ युद्धमे विश्वमे बहुत कम साझेदारी एतबा निर्णायक आ अपरिहार्य अछि।


  



Wednesday, November 12, 2025

दुई विस्फोट, दुई छायाँ: दिल्ली र इस्लामाबाद हमलाहरूको यथार्थ—र किन भारतले अब इजरायल-जस्तै प्रतिआतङ्क रणनीति अपनाउनुपर्ने हुन्छ

Twin Blasts, Twin Shadows: Understanding the Delhi and Islamabad Attacks—and Why India May Need an Israel-Style Counterterror Doctrine

 

 


दुई विस्फोट, दुई छायाँ: दिल्ली र इस्लामाबाद हमलाहरूको यथार्थ—र किन भारतले अब इजरायल-जस्तै प्रतिआतङ्क रणनीति अपनाउनुपर्ने हुन्छ

आतङ्क सधैं चिच्याएर आउने होइन; कहिले काँही त्यो सामान्य दिउँसोको मुटु नै च्यात्दै, केही सेकेन्डमै शहरको लय उल्ट्याउँदै, भू–राजनीतिक दिशालाईै बदल्दै आँउछ।
१० र ११ नोभेम्बर २०२५ का दुई दिन—दिल्ली र इस्लामाबाद—यस्तै दोहोरो झट्काले हल्लिए। भौगोलिक दूरी ५०० किलोमिटर मात्र, तर उद्देश्य, शैली, र राजनीतिक अर्थमा दुई पृथक संसार।

तर यी विस्फोटहरूले दक्षिण एशियालाई फेरि पुरानै नृत्य–नाटकमा धकेले—शंका, आरोप, इन्कार, र अनदेखिएको युद्ध।

यो लेखले स्पष्ट पार्छ: के प्रमाणित छ, के अज्ञात छ, के कल्पना मात्र हो, र त्यो कठोर रणनीतिक प्रश्न—यदि दिल्ली हमला पाकिस्तान-आधारित जैश–ए–मोहम्‍मद (JeM) जस्ता समूहसँग जोडिन्छ भने भारतले अब के गर्नुपर्छ?
यही प्रसङ्गमा, किन भारतले इजरायल-जस्तै खुफिया–प्रधान, सीमा–पार, अत्यन्त सर्जिकल र बहु–स्तरीय प्रतिआतङ्क सिद्धान्त अपनाउनुपर्ने हुन सक्छ—त्यो हामी बहु–कोणबाट विश्लेषण गर्छौँ।


I. दिल्ली विस्फोट: भारतको राजधानीको मुटुमा प्रहार

१० नोभेम्बर २०२५
दिल्लीको ऐतिहासिक लालकिल्ला—मुगलहरूको राज्यारोहण, ब्रिटिश शासनको उत्पीडन, र स्वतन्त्र भारतको पहिलो श्वास—त्यही स्थानमा parked एउटा कार अचानक आगोको गोलामा बदलियो।
परिणाम: ८–१२ जनाको मृत्यु, २० भन्दा बढी घाइते, र पुरानो दिल्लीको आकाशमा कालो धुवाँले एउटा ठूला प्रश्नचिह्न कोरिदियो।

यथार्थ र प्रमाणित तथ्यहरू

  • भारत सरकारले यो घटनालाई आतङ्कवादी आक्रमण घोषणा गर्‍यो।

  • अनुसन्धानको केन्द्रबिन्दु कश्मीर–आधारित र पाकिस्तान–सम्बद्ध नेटवर्कहरू बने।

  • भारतीय सुरक्षा निकायहरूले कश्मीरमा व्यापक छापा मारे।

  • चालक डा. उमर नबीले बाबरी मस्जिद विध्वंसको वर्षगाँठलाई लक्षित गर्ने ठूलो हमला योजना बनाएको शंका।

  • कसैले जिम्मेवारी लिएको छैन, तर प्रारम्भिक संकेतहरू JeM जस्ता समूहतिर झुक्छन्।

आतङ्कवादमा पैटर्न प्रमाण जत्तिकै महत्व राख्छ।
र यहाँको पैटर्न—स्थान, समय, शैली—कश्मीर–लिंक्ड पुराना हमलासँग मेल खान्छ।


II. इस्लामाबाद विस्फोट: अर्कै युद्ध, अर्कै शत्रु

११ नोभेम्बर २०२५, दिल्लीका घाउ अझै तातै थिए, इस्लामाबादको जिल्ला अदालत परिसर बाहिर एक आत्मघाती बम बिस्फोट भयो—१२ मृत, २७ घाइते

यो हमला पाकिस्तानको पुरानै आन्तरिक युद्ध—तेहरीक–ए–तालिबान पाकिस्तान (TTP)—को हस्ताक्षर थियो।

के के प्रमाणित छ

  • TTP ले आफ्नै नाममा जिम्मेवारी दियो।

  • पाकिस्तानका रक्षा मन्त्रीले देश “युद्धको अवस्थामा” भएको घोषणा गरे।

  • केही पाकिस्तानी अधिकारीहरू—सधैंजस्तै—अफगान तत्वहरूलाई दोष दिन हतारिए।

  • CCTV फुटेजले घरभित्रको राजनीतिक झगडा वा सेटअपको अड्कललाई थप उचाइ दियो, जुन पाकिस्तानमा सामान्य नै मानिन्छ।

मूल बुँदा:
TTP ले कहिल्यै भारतमा हमला गरेको इतिहास छैन।
JeM ले कहिल्यै पाकिस्तान सरकारलाई लक्षित गरेको छैन।


III. दुवै विस्फोट जोडिएका छन्? उत्तर: विश्वसनीय प्रमाणले “होइन” भन्छ

सामाजिक सञ्जालमा चाहे कति नै उग्र अनुमान चलोस्—ISI ले दिल्ली गरायो, भारतले इस्लामाबाद set-up गर्‍यो, आदि—विश्वसनीय पत्रकारिता र प्रमाणित स्रोतहरू भन्छन्:
यी दुवै घटना आपसमा जोडिएका छैनन्।

किन छैन सम्बन्ध

  • अलग–अलग संगठन (दिल्लीमा सम्भावित JeM; इस्लामाबादमा स्पष्ट TTP)

  • अलग लक्ष्य (भारतविरुद्ध जिहाद बनाम पाकिस्तान राज्यविरुद्ध युद्ध)

  • अलग शैली (कार IED बनाम आत्मघाती)

  • साझा फन्डिङ/लजिस्टिक/सन्देशको कुनै संकेत छैन

समयको संयोगले मात्र यो सम्बन्धित देखिन्छ, वास्तविकता होइन।


IV. विश्वसनीय स्रोतहरू के भन्छन्

BBC, CNN, NYT, Al Jazeera र The Guardian जस्ता विश्वसनीय स्रोतहरूले

  • मृतक संख्या,

  • सरकारी टिप्पणी,

  • अनुसन्धानको विवरण
    यथार्थ आधारमा प्रस्तुत गर्छन्—बिना हल्ला, बिना षड्यन्त्र सिद्धान्त।

Wikipedia उपयोगी छ, तर प्राथमिक स्रोत होइन

X/Twitter मा देखिने बहसहरू प्रायः पूर्वाग्रह, राष्ट्रवाद, वा आक्रोश बाट निर्देशित हुन्छन्—विश्वसनीय प्रमाणबाट होइन।


V. मुख्य रणनीतिक प्रश्न: यदि दिल्ली विस्फोट JeM सँग जोडिन्छ भने भारतले के गर्नुपर्छ?

यही सबैभन्दा निर्णायक बिन्दु हो।

यदि यो हमला वास्तवमै जैश–ए–मोहम्‍मदसँग जोडिन्छ—जो

  • २००१ संसद हमला,

  • २०१६ पठानकोट,

  • २०१९ पुलवामा
    जस्ता हमलाहरूमा संलग्न रहिआएको समूह हो—

तब भारतले एउटा जटिल वास्तविकता स्वीकार्नुपर्छ:

कसरी लड्ने त्यो शत्रुसँग,
जो एक परमाणु–सशस्त्र छिमेकीको आतिथ्यमा लुकेको छ?
जो प्रॉक्सी युद्धमा जडित छ?
जसका फण्डिङ र रिक्रूटमेन्टका टेन्टाकल तीन महाद्वीपसम्म फैलिएका छन्?

यहाँ इजरायलको उदाहरण—सम्वेदनात्मक होइन, रणनीतिक रूपमा—महत्वपूर्ण बन्छ।


VI. इजरायलको रणनीति: भारतले के–के सिक्न सक्छ

दशकौँदेखि इजरायल पनि त्यही चुनौती भोग्दै आएको छ—
राज्यद्वारा संरक्षण पाएका गैर–राज्य आतङ्क समूहहरू।

भारतले यहाँबाट तीन प्रमुख स्तम्भहरू अपनाउन सक्छ—आफ्नै भू–राजनीति र कानुनी सन्दर्भअनुसार परिमार्जित गरेर।


१. खुफिया—सुरक्षाको पहिलो र सबैभन्दा घनिष्ट पर्खाल

इजरायलले युद्ध जित्छ आफ्नो राइफलद्वारा होइन—खुफियाद्वारा

भारतले विस्तार गर्नसक्ने क्षेत्रहरू

  • उपग्रह निगरानी:
    ISRO का कार्टोसैट उपग्रहहरू PoK मा रहेको प्रशिक्षण शिविरलाई लगातार ट्र्याक गर्न सक्नेछन्।

  • मानव खुफिया (HUMINT):
    Mossad जस्तै दीर्घकालीन infiltration—
    RAW / IB ले गर्न सक्छ:

    • डायस्पोरा नेटवर्कहरूमा स्रोत विकास

    • अनलाइन जिहादी च्यानलमा निगरानी

    • मध्यपूर्वी राष्ट्रहरूसँग गोप्य फन्डिङ–सूचना आदानप्रदान

  • साइबर खुफिया:

    • एन्क्रिप्टेड च्याट–एप्समा प्रवेश

    • आतङ्क–प्रोपोगान्डा सर्भरहरू निष्क्रिय

    • AI आधारित आर्थिक गतिविधि ट्र्याकिङ

छायामा बस्नेलाई पराजित गर्ने सबैभन्दा बलियो अस्त्र—प्रकाश।


२. बहु–महाद्वीपीय, सीमा–पार (Extraterritorial) अभियान

आतङ्कवादीहरू भौगोलिक सुरक्षितस्थलमा भर पर्छन्।
कुशल प्रतिआतङ्क रणनीति सीमा पार बाट सुरु हुन्छ।

भारतका सम्भावित कदमहरू

  • दुर्गम क्षेत्रमा टारगेटेड ड्रोन–स्ट्राइक

  • भर्ती च्यानल र वेबसाइटहरूमा साइबर–sabotage

  • दुबई, टर्की, मलेसिया जस्ता मार्गहरूमा आधारित JeM फन्डिङ रोक्ने

  • विदेशमा गोप्य अपरेशन र गिरफ्तार अभियान

  • आपूर्ति श्रृंखला वा डिजिटल उपकरणमा AI आधारित जाल (trap)

यो पूर्ण–युद्ध होइन।
यो असममित प्रतिरक्षा हो।


३. पाकिस्तानसँग प्रत्यक्ष युद्ध टार्दै, तर उसको आतङ्क–इकोसिस्टममा दबाब

इजरायलले ईरानी प्रॉक्सीहरूसँग वर्षौं “छाया–युद्ध” लड्यो—
पूर्ण युद्ध बिना।

भारतले पनि गर्न सक्छ:

  • समूह लक्ष्यित—राज्य होइन

  • FATF र UN बाट फन्डरहरूलाई वैश्विक रूपमा isolate

  • गल्फ राष्ट्रहरू सँग गुप्त सहकार्य

  • कश्मीरमा कट्टरिकरण रोक्ने स्थानीय outreach कार्यक्रम

यसले कूटनीतिक स्थिरता जोगाउँछ, तर आतङ्क संरचना भत्काउँछ।


VII. नैतिक बहस: यस्तो नीति तनाव बढाउँछ कि स्थिरता ल्याउँछ?

आक्षेप १: युद्धको खतराले अवस्था बिग्रिन्छ।

प्रति–उत्तर: युद्धको खतरा त पहिले नै छ।
सयमता—मुंबई, पठानकोट, पुलवामा—कुनै पनि रोक्न सकेन।

आक्षेप २: भारत इजरायल होइन।

उत्तर: सही।
भारत कपी गर्न खोज्दैन—अनुकूलन गर्छ।

आक्षेप ३: यसले सार्वभौमिकता उल्लङ्घन गर्छ।

उत्तर: सार्वभौमिकता को ढाल आतङ्कवादीले प्रयोग गरेपछि राज्यलाई नैतिक सुरक्षा दिने आधार कमजोर हुन्छ।

आक्षेप ४: भारतको छवि बिग्रिन्छ।

उत्तर: सर्जिकल, सटीक, कम–हानी रणनीति विश्व–डिप्लोमेसीमा विश्वसनीयता बढाउँछ।


VIII. निष्कर्ष: नयाँ युगका लागि नयाँ सुरक्षा संरचना

दिल्ली विस्फोट कुनै एकाकी घटना होइन—
यो दशकौँदेखि चल्दै आएको प्रॉक्सी युद्ध, कट्टरता र सीमा–पार चरमपन्थी नेटवर्कको अर्को अध्याय मात्र हो।

भारतसँग अब दुई विकल्प छन्:

  • हमलाको प्रतिक्षा गर्ने, कूटनीतिमा मात्र भरोसा राखेर।

  • वा २१औँ शताब्दीको नयाँ प्रतिआतङ्क सिद्धान्त निर्माण गर्ने
    खुफिया–प्रधान, प्राविधिक, सर्जिकल, वैश्विक, र नैतिक।

इजरायलको उदाहरणले देखाउँछ:
साना राष्ट्रले पनि अस्तित्वगत खतरा सामना गर्न सक्छन्—
यदि उनीहरूले proactive, asymmetric, global सुरक्षा अपनाए।

भारत सानो राष्ट्र होइन—
यो उदाउँदो महाशक्ति हो।

अब प्रश्न यो होइन कि भारत यसलाई गर्न सक्छ या सक्दैन
प्रश्न यो हो कि
भारतले अब यसलाई नगरी बस्न सक्छ कि सक्दैन।

भविष्यका इतिहासकारहरूले
नोभेम्बर २०२५ लाई
त्यो क्षणका रूपमा स्मरण गर्न सक्छन्—
जब भारतले बुझेको थियो कि
सार्वभौमिकता केवल सीमाबाट होइन,
सतत, अडिग, विश्व–व्यापी सतर्कताबाट सुरक्षित हुन्छ।





मोसाद: राष्ट्रको छाया—इतिहास, मिथक, र गुप्त शक्तिको मशीनरी

संसारमा केही खुफिया एजेन्सीहरू यस्ता छन् जसको नाम मात्रै लेजन्ड बनिसकेको हुन्छ। मोसाद—इजरायलको विदेशी खुफिया सेवा—त्यस्तै संस्था हो।
कतिपयका लागि सुरक्षा, कतिपयका लागि डर; चलचित्रमा मिथक, सैन्य अकादमीहरूमा प्रशंसा, र नैतिक दर्शनमा आलोचना।
मोसाद आधुनिक राज्यकला र छाया-युद्धको त्यो संगम हो जहाँ—

  • प्राचीन सतर्कता २१औँ शताब्दीको साइबर युद्धकला सँग मिसिन्छ,

  • बाइबिलका रूपकहरू आधुनिक ड्रोन–स्ट्राइक को छेउ–छाउमा उभिन्छन्,

  • शान्त कूटनीतिवैश्विक गोप्य अपरेशन एउटै ढाँचामा बस्छन्।

यो लेख मोसादको उत्पत्ति, विकास, भित्री संरचना, उपलब्धि, असफलता, र यसको विश्व राजनीतिमा परेको प्रभावको विशद् विश्लेषण हो। यसले केवल “मोसादले के गर्यो?” भन्ने प्रश्न होइन, तर यो पनि बुझाउँछ—कसरी एक सानो, घेरिएको राष्ट्रका अस्तित्वगत भयहरूले आधुनिक खुफिया सिद्धान्तलाई ढाले—र प्रि–एम्प्टिभ (पूर्व–निरोधी) शक्तिको नैतिकता के हो?


I. उद्गम: हगनाहको छायाबाट राष्ट्रको पहिलो सुरक्षा–रेखा

मोसादको संस्थागत पहिचान त्यसबेला सुरु हुन्छ जब इजरायल आफैं अझ राज्य बनेको थिएन।

विभाजित विश्वमा जन्म

  • डिसेम्बर १९४९: डेविड बेन–गुरियनको निर्देशनमा “सेंट्रल इन्स्टिट्यूट फर को–अर्डिनेशन” को रूपमा स्थापना।

  • ब्रिटिश मण्डेट कालको हगनाह खुफिया शाखा बाट विकसित।

  • प्रारम्भिक उद्देश्य: “विदेशी खुफियाको समन्वय”—तर केही दशकमै यो
    जासुसी, विध्वंस, अपहरण, आतंक–रोधी अभियान, र वैश्विक गुप्त अपरेशन सम्म फैलियो।

शुरुआती संघर्ष

१९५१ मा बगदादमा इजरायली जासूस नेटवर्क समातिनु मोसादका लागि ठूलो धक्का थियो।
यसले स्पष्ट गर्यो: संस्थालाई नयाँ संरचना, पेशेवरता र रणनीतिक अनुशासन चाहिएको छ।

इस्सेर हरेल: मोसादलाई 'रूप' दिने व्यक्ति

पहिला निर्देशक रियूबेन शिलोहले नींव राखे,
तर इस्सेर हरेल (१९५२–१९६३) ले मोसादलाई अनुशासित, संगठित, र वैश्विक बनाए।
हरेलले—

  • पेशेवरता थपे,

  • शिन बेट र अमनसँग समन्वय मजबुत पारे,

  • र होलोकॉस्ट तथा क्षेत्रीय युद्धको स्मृतिमा आधारित
    अतिसतर्क, अस्तित्व–केन्द्रित मनोविज्ञान खडा गरे।


II. एउटा गुप्त साम्राज्यको संरचना: मोसादको छाया–व्यवस्था

मोसाद संगठनात्मक चार्ट सार्वजनिक गर्दैन।
यसको संरचना आत्मकथा, ऐतिहासिक अध्ययन र दुई–चार बुँदामा प्रकट संकेतबाट अनुमान गरिन्छ।

मुख्य शाखाहरू (अनौपचारिक रूपमा मानिने)

  1. त्जोमेत (HUMINT – मानव–खुफिया):
    विदेशी एजेन्ट भर्ती, नेटवर्क घुसपैठ।

  2. तेवेल (राजनीतिक क्रिया र लायज़न):
    गुप्त कूटनीति, ती मुलुकहरूसँग पनि जहाँ इजरायलसँग औपचारिक सम्बन्ध छैन।

  3. अनुसन्धान/विश्लेषण:
    कच्चा सूचना → रणनीतिक मूल्यांकन।

  4. कैसारिया / किडोन यूनिट:
    लक्षित हत्या, उच्च–जोखिम विशेष अपरेशन।
    (CIA को SAD वा भारतका कोभर्ट युनिटहरू जस्तै।)

वैश्विक एजेन्टहरूको विविधता

मोसादको शक्ति यसको जातीय–भाषिक विविधतामा छ:

  • इरानी यहूदी,

  • मोरक्कन यहूदी,

  • सोभियत दलबदलू,

  • अरब–इजरायली,

  • युरोपेली एजेन्ट,

  • गैर–यहूदी स्थानीय स्रोतहरू।

यसले मोसादलाई विश्वभर “रूपान्तरण–योग्य पहिचान” दिन्छ—जो थोरै मुलुकलाई मात्रै प्राप्त छ।

मोटो

नीतिवचन 11:14:

“जहाँ मार्गदर्शन हुँदैन, त्यहाँ राष्ट्र पतन हुन्छ;
तर धेरै सल्लाहकार भएको ठाउँमा सुरक्षा हुन्छ।”


III. ऐतिहासिक विकास: नाज़ी शिकारीदेखि साइबर युद्धका अग्रदूतसम्म

मोसादको विकास इजरायलका युद्ध, भय, स्मृति र भूराजनीतिक तनावसँग गाँसिएको छ।

1. नाज़ी अपराधीहरूको खोज (1950–60)

एडॉल्फ आइख़मानलाई अर्जेन्टिनाबाट अपहरण गरी इजरायल ल्याउने
‘ऑपरेशन फिनाले’—नैतिक न्यायको अन्तर्राष्ट्रिय प्रतीक बन्यो।

2. अरब–इजरायल युद्धहरू र शीत–युद्धको शतरंज

1967 र 1973 का युद्धहरूमा मोसादले
काहिरा, दमिश्क, र सोभियत गतिविधिबारे अमूल्य सूचना उपलब्ध गरायो।

3. परमाणु खतरा: इराक, सीरिया, इरान

मोसादले विभिन्न मुलुकका परमाणु कार्यक्रमहरू कब्जिएको देख्यो:

  • ओसिराक (इराक) मा sabotage → 1981 को एयरस्ट्राइक,

  • 2007 मा सीरियाली रिएक्टरबारे गोप्य इंटेल चोरी,

  • इरानी वैज्ञानिकहरूको हत्या तथा नतांज़मा साइबर हमला।

4. आतंकविरुद्ध लामो छाया–युद्ध

ब्ल्याक सेप्टेम्बर, हमास, हिज्बुल्लाह—
मोसादको रणनीति लक्षित हत्या, साइबर–घुसपैठ, र गुप्त नेटवर्क–ध्वंसमा आधारित रह्यो।


IV. मोसादका सबैभन्दा प्रसिद्ध (र विवादित) अपरेशनहरू

अब तिनै घटनाहरू जहाँ मोसाद—मिथक र यथार्थ—एकै ठाउँमा भेटिन्छ।


1. ऑपरेशन फिनाले (1960)

एडॉल्फ आइख़मानको अपहरण—
बुएनोस आयर्सको सडकबाट तेहरानसम्म नपुग्दै
नैतिक–न्यायको वैश्विक प्रतीक बनेको घटना।


2. ऑपरेशन म्यूरल र याचिन (1961–1964)

मोरक्कन यहूदिहरूलाई सुरक्षित स्थानान्तरण—
५३० बालबालिका एयरलिफ्ट, झण्डै १ लाख परिवार गुप्त सम्झौताबाट इस्रायल ल्याइयो।


3. ऑपरेशन डेमोक्लीज़ (1962)

मिस्रको मिसाइल कार्यक्रममा सहयोग गर्ने
जर्मन वैज्ञानिकहरू—धम्की, बम, हत्या।
विज्ञान र जासूसी एकै ठाउँमा।


4. एली कोहेन (1962–1965)

“दमास्कसको भूत”—
सीरियाली उच्च समाजमा घुसपैठ, जलस्रोत योजना, सैन्य संरचना।
उनीद्वारा दिइएको जानकारी 1967 सैनिक বিজयमा महत्वपूर्ण।


5. ऑपरेशन डायमन्ड (1966)

इराकी पायलटलाई Soviet MiG-21 लिएर भाग्न राजी गराउने—
अमेरिका–इजरायललाई अविश्वसनीय प्राविधिक अग्रता प्राप्त।


6. सोभियत यहूदिहरूको पलायन (1970–80)

धार्मिक साहित्य तस्करी, “Refuseniks” को सहायता, सुरक्षित बाहिरिने व्यवस्था।


7. ऑपरेशन राथ अफ गड (1972– )

म्यूनिख ओलम्पिक नरसंहारको प्रतिशोध—
युरोप र मध्य–पूर्वमा लक्षित हत्या अभियान।
लिलिहैमर (1973)–एक ठूलो गल्ती, जसले मोसादको छवि धमिलियो।


8. ऑपरेशन एंटेबे (1976)

गहिरो खुफिया र साहसी सैन्य अभियान—
युगान्डाबाट 105 बन्धकको मुक्ति—आधुनिक इतिहासका सबैभन्दा सफल अपरेसनमध्ये एक।


9. परमाणु कार्यक्रमहरूको ध्वंस (1979–आज)

  • इराक: sabotage + एयरस्ट्राइक

  • सीरिया: गोप्य डाटा चोरी → 2007 हमला

  • इरान: वैज्ञानिकको हत्या, नतांज़ विस्फोट, 2018 मा तेहरानबाट अभिलेख चोरी

इजरायलको अस्तित्वगत चिन्ताले मोसादलाई परमाणु–विरोधी युगको केन्द्रीय शक्ति बनायो।


10. ऑपरेशन मोसेस (1984–85)

नकली “डाइविङ रिसोर्ट” को आवरण—
६–८ हजार इथियोपियाली यहूदीलाई एयरलिफ्ट।


11. इमाद मुगनियहको हत्या (2008)

मोसाद–CIA संयुक्त कार–बम—
हिज्बुल्लाह सैन्य प्रमुख समाप्त।


12. ऑपरेशन प्लाज्मा स्क्रिन (2010)

दुबईमा हमासका हतियार आपूर्तिकर्ताको हत्या—
जसमा बहुराष्ट्रिय पासपोर्ट र disguise प्रयोग गरियो।


V. नैतिक प्रश्न: रक्षक कि अतिक्रमणकर्ता?

मोसादका बारेमा सदैव उठ्ने प्रश्नहरू:

1. लक्षित हत्या—कानुनी कि गैरकानुनी?

समर्थक: अस्तित्व जोगाउन पूर्व–निरोध आवश्यक।
आलोचक: अन्तर्राष्ट्रिय कानुनको क्षरण।

2. यस्ता अपरेशन युद्ध रोक्छ कि भड्काउँछ?

मोसाद: “हामी युद्ध टार्छौँ।”
आलोचक: “कूटनीति कमजोर हुन्छ।”

3. लोकतन्त्र र गोपनीयताको टकराव?

निगरानी छ, तर गुप्त युद्धको गतिसँग लोकतान्त्रिक प्रक्रियाहरू कहिलेकाहीँ मेल खान सक्दैनन्।


VI. भविष्य: AI, साइबर–फ्रन्टियर, र डेटा–हथियारको युग

मोसाद अब भौगोलिक सीमामा थुनिएको छैन।

साइबर युद्ध

  • ड्रोन स्वार्म

  • ज़ीरो–डे आक्रमण

  • डीपफेक जासूसी

  • अनलाइन कट्टरता–नियन्त्रण

AI–संचालित खुफिया

  • आतंक नेटवर्कको predictive mapping

  • HUMINT को स्वचालित प्रोसेसिङ

  • व्यवहार–विश्लेषण

डिजिटल भर्ती

भविष्यको “एली कोहेन”—दमास्कसको डिनर पार्टीमा होइन,
डार्कनेट र एन्क्रिप्टेड च्याट–रूममा भेटिन सक्छ।


VII. निष्कर्ष: मोसाद—यथार्थ, रूपक, र शक्ति–दर्पण

मोसादलाई बुझ्नु भनेको आधुनिक सुरक्षा–दुविधालाई बुझ्नु हो:
“सानो राष्ट्र विशाल खतरा अघि कसरी टिक्छ?”

मोसाद केवल एक संस्था होइन—
यो हो:

  • इतिहासको घाउ,

  • रणनीतिक कठोरता,

  • नैतिकता र अस्तित्वको टकराव,

  • र एक खतरनाक विश्वको दर्पण—जहाँ छायाले नै उज्यालालाई आकार दिन्छ।

चाहे प्रशंसक होऊन्, चाहे आलोचक—
मोसाद आधुनिक राज्य शक्ति र गोपनीयताको सीमारेखा बनेर उभिएको छ।





जैश-ए-मोहम्मद: प्रोक्सी युद्धको शरीर–रचना — इतिहास, विचारधारा, र दक्षिण एशियाको सुरक्षालाई आकार दिने छायायुद्ध

दक्षिण एशियाको भू–राजनीतिमा केही उग्रवादी संगठनहरू त्यस्ता छन् जसले राष्ट्रिय विफलता, अधूरो इतिहास, धार्मिक कट्टरता, र प्रतिस्पर्धी राष्ट्र–हितहरूको जटिल गाँठो एकैसाथ बोकेका छन्। जैश-ए-मोहम्मद (JeM)—यही जटिल वास्तविकताको प्रत्यक्ष प्रतीक हो।

कश्मीरको रक्तरञ्जित संघर्षबाट जन्मिएको, पाकिस्तानको सुरक्षा–नीतिक “दोहोरो खेल” बाट पोषित, र विश्वव्यापी जिहादी लहरबाट प्रभावित—JeM कुनै एक संगठन मात्रै होइन; यो एउटा बहु-टाउके जाल हो—
आधा गुरिल्ला सेना,
आधा पारिवारिक व्यवसाय,
आधा विचारधारात्मक सेमिनरी,
आधा भारत–पाकिस्तान द्वन्द्वको छिपेको रणनीतिक औजार।

यस लेखमा JeM को उत्पत्ति, संरचना, इतिहास, विचारधारा, अन्तर्राष्ट्रिय प्रभाव, र वर्तमान अवस्था—सबैलाई विभिन्न कोणबाट (इतिहास, भू–राजनीति, सुरक्षा अध्ययन, धर्म समाजशास्त्र, र साइबर रणनीति) विश्लेषण गरिएको छ।


I. उद्गम: एक ‘जिहादी फ्रेन्चाइज’ को जन्म

जैश-ए-मोहम्मद—“पैगम्बरको सेना”—सन् 2000 को सुरुवातमा जम्मु-कश्मीरको उग्रवाद सर्वाधिक हिंस्रक अवस्थामा पुगेको बेला जन्मियो।

यसका वैचारिक आधार:

  • देओबन्दी जिहादी विचारधारा,

  • अफगान युद्धका अनुभवी लडाकुहरूको प्रभाव,

  • र पाकिस्तानको भारतविरुद्ध चरमपन्थी प्रोक्सीहरूको नीति।

स्थापना पछि केही महिनामै JeM
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, युरोपेली संघ, भारत, यूके, अष्ट्रेलिया लगायत धेरै देशद्वारा आतंकवादी संगठन सूचीमा राखियो।


II. जैशको निर्माण: मसूद अज़हरको कथा

एक मौलवी, एक प्रचारक, एक कमाण्डर

JeM का संस्थापक मौलाना मसूद अज़हर—देओबन्दी उग्रवादका प्रभावशाली पात्र, अफगान जिहादका सहभागी, र जिहादका धेरै पुस्तकका लेखक।

IC–814: जसले दक्षिण एशियाको राजनीति बदलिदियो

JeM को वास्तविक जन्मबिन्दु—
डिसेम्बर 1999 मा भारतीय बिमान IC–814 को अपहरण।

  • अज़हर 1994 देखि भारतमा बन्दी थिए।

  • अपहरणकर्ताहरूले 155 यात्रुको बदलामा उनको रिहाई मागे।

  • भारतले बन्धकको सुरक्षाका लागि अज़हरलाई छोड्यो।

पाकिस्तान फर्किएपछि:

  • बहावलपुरमा हजारौँ भीड

  • 4 फेब्रुअरी 2000 मा JeM को घोषणा

  • Harkat-ul-Mujahideen बाट अलगाव—किनकि अज़हर “अझ आक्रामक कदम” चाहन्थे

यसपछि JeM तुरुन्तै लोकप्रिय, संगठित, र हिंस्रक बन्यो।


III. नेतृत्व: एक ‘पारिवारिक’ जिहादी निगम

JeM को नेतृत्व संरचना पश्चिमी कम्पनीभन्दा बढी पारिवारिक ट्रस्ट जस्तो देखिन्छ।

मसूद अज़हर — अमीर (नेता) र वैचारिक स्तम्भ

  • 2001 बाट UN प्रतिबन्धमा

  • 2019 मा UN द्वारा “वैश्विक आतंकवादी” घोषणा

  • जिहादी साहित्यका प्रमुख लेखक

  • मृत्यु वा अस्वस्थताका अफवाहहरू बारम्बार, तर प्रभाव कायम

अज़हर परिवार

JeM मूलतः अज़हर परिवारकै नियन्त्रणमा:

  • अब्दुल रऊफ असगर — अपरेशन, logistics

  • इब्राहीम अत्तर — LoC पार गर्नेलाई समन्वय

  • मुफ़्ती अब्दुल रऊफ — प्रचार–प्रसार

  • युसुफ अज़हर — बाह्य नेटवर्क

JeM मा शूरा (परामर्श परिषद) भए पनि अन्तिम निर्णय अज़हर परिवारकै हातमा रहन्छ।


IV. संगठनात्मक संरचना: एक ‘मिलिटेन्ट फ्याक्ट्री’

JeM को संरचना चार प्रमुख अंगमा बटिएको छ—

1. तालिम शिविर

पाकिस्तानका पंजाब र KPK क्षेत्रमा:

  • गुरिल्ला युद्ध,

  • आत्मघाती बम (फिदायीन),

  • LoC पार गर्ने रणनीति।

2. मदरसा नेटवर्क

मदरसा इस्लामिया सुब्हानियालगायत धेरै संस्थान भर्ती केन्द्र।

3. प्रचार इकाई

  • मासिक पत्रिका

  • भिडियो

  • रेडियो शैलीका भडकाऊ भाषण

  • Telegram, WhatsApp जस्ता डिजिटल प्लेटफर्म

  • साहित्य र धार्मिक प्रवचन

4. सैन्य इकाइयाँ

  • फिदायीन स्क्वाड

  • cross-border infiltration units

  • urban sleeper cells

  • वित्त र हतियार आपूर्ति विभाग


V. आतंकको कालक्रम: 20 वर्षका प्रमुख प्रहार

JeM का प्रमुख हमला दक्षिण एशियाली सुरक्षा इतिहासका turning points बने।

2000–2001: सुरुवातदेखि नै रगत

  • अक्टोबर 2001: J&K विधानसभा—38 मृत्यु

  • दिसेम्बर 2001: भारतीय संसदमा हमला—9 मृत्यु
    (भारत–पाकिस्तान युद्धको दहलीजसम्म तनाव)

2002: पाकिस्तानले “प्रतिबन्ध”—तर कागजमा मात्र

  • JeM प्रतिबन्धित

  • अज़हर अल्पकालीन हिरासत

  • नयाँ नाम: खुद्दाम–उल–इस्लाम

2003–2015: पुनर्गठन र अनुकूलन

  • 2003 मा पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुशर्रफमाथि हत्या प्रयास

  • कश्मीरमा निरन्तर फिदायीन हमला

  • नयाँ भर्ती

2016: पठानकोट हमला

भारतीय वायुसेना बेसमा हमला—7 सुरक्षाकर्मीको मृत्यु

2019: पुलवामा—JeM को सबैभन्दा घातक प्रहार

CRPF का 40 जवान शहीद
भारतले बालाकोट एयरस्ट्राइक गर्‍यो—1971 पछि पहिलोपटक पाकिस्तानको गहिराइमा सैन्य प्रहार।
दुवै देश परमाणु युद्धको छेउमा पुगे।

2020s: वितरित खतरा

  • साना तर निरन्तर हमला

  • डिजिटल भर्ती

  • 2022 मा भारतीय कूटনীতिज्ञलाई धम्की

  • 2024–25 मा कश्मीरका घटनामा संदेहास्पद भूमिका

दक्षिण एशियाबाहिर:
2002 मा अमेरिकी पत्रकार ड्यानियल पर्लको हत्यामा पनि JeM नेटवर्कको संलग्नता भेटिन्छ।


VI. अन्तर्राष्ट्रिय प्रतिक्रिया: प्रतिबन्ध, FATF दबाब र पाकिस्तानको दुविधा

वैश्विक प्रतिबन्ध

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद निर्णय 1267

  • अमेरिका, EU, भारत, UK, अष्ट्रेलिया आदि

  • 2019 मा मसूद अज़हरमाथि अन्तर्राष्ट्रिय कडाइ

FATF (Financial Action Task Force) को दबाब

पाकिस्तानलाई:

  • फण्ड फ्रीज

  • आतङ्कीय खर्च नियन्त्रण

  • मदरसा नियमन

  • JeM नेतृत्वका गिरफ्तारी
    जस्ता कदम चाल्न बाध्य।

तर व्यवहारमा नियन्त्रण अनियमित र अपूर्ण

भारतका प्रतिकारात्मक कदम

  • 2016 सर्जिकल स्ट्राइक

  • 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक

  • कुटनीतिक दबाब

  • HUMINT र SIGINT नेटवर्क मजबुत


VII. वैचारिक संरचना: देओबन्दी जिहादको ईन्धन

JeM को विचारधारा मिश्रण हो:

  • देओबन्दी व्याख्या,

  • तालिबानी मॉडल,

  • अल-कायदाको वैश्विक जिहाद,

  • भारतविरुद्ध धार्मिक–राजनीतिक resentment।

मसूद अज़हरका लेख:

  • युद्धका रूपक,

  • कुरानका उद्धरण,

  • शहीदी कथा,

  • राजनीतिक पीडा
    लाई एक ‘पवित्र युद्ध’को कथामा जालझेल गर्छन्।

यसले JeM लाई निरन्तर भर्ती–लाइन उपलब्ध गराइरहन्छ।


VIII. वर्तमान अवस्था (नवम्बर 2025)

JeM आज:

  • कमजोर छ

  • तर समाप्त भएको छैन।

  • यसको नेतृत्व त्रुटिपूर्ण छ

  • तर परिवारको नियन्त्रण बलियो।

  • प्रशिक्षण शिविर सीमित छन्

  • तर सक्रिय।

  • वैचारिक र डिजिटल भर्ती बलियो छ।

यसको भविष्य निर्भर छ:

  • भारत–पाकिस्तान सम्बन्ध,

  • अफगानिस्तान स्थिरता,

  • पाकिस्तानको राजनीतिक संकट,

  • र अन्तर्राष्ट्रिय जिहादी प्रवृत्ति।


IX. निष्कर्ष: JeM—दक्षिण एशियाको सुरक्षा दर्पण

जैश-ए-मोहम्मद कुनै ‘आतङ्कवादी समूह’ मात्र होइन।
यो हो:

  • कश्मीरको अधूरो पीडा,

  • विभाजनको ऐतिहासिक घाउ,

  • पाकिस्तानको प्रोक्सी नीति,

  • दक्षिण एशियामा फैलिंदो धार्मिक कट्टरता,

  • र भारत–पाकिस्तानको अनन्त प्रतिद्वन्द्विताको प्रतीक।

JeM लाई बुझ्नु भनेको बुझ्नु हो—

  • दक्षिण एशियाका भू–रणनीतिक दरार,

  • कमजोर राज्यहरूको असुरक्षा,

  • प्रोक्सी युद्धको नैतिकता,

  • र आधुनिक आतंकवादको समाजशास्त्र।

जबसम्म यी संरचनात्मक कारण रहन्छन्,
JeM को छाया—
कम हुन सक्छ,
तर सम्पूर्ण रूपमा मेटिने छैन।





लश्कर–ए–तैयबा: “पवित्रहरूको सेना” — दक्षिण एशियाको छायाँयुद्ध, प्रोक्सी राजनीति र वैश्विक जिहादी संरचनाको गहिरो विश्लेषण

दक्षिण एशियाको भू–राजनीतिक मानचित्रमा जति विरोधाभासहरू छन्, लश्कर–ए–तैयबा (LeT) उति नै तीव्र, जटिल र बहुस्तरीय विरोधाभासहरूको एउटा संगठित स्वरूप हो। यो एक यस्तो संगठन हो जसले
धर्मलाई रणनीतिसँग, दानलाई हिंसासँग, संस्थागत अनुशासनलाई प्रोक्सी युद्धसँग जोडेर एउटा अद्भुत–तर–भयङ्कर संयोजन बनाएको छ।

यसका शिविरहरू, मदरसा सञ्जाल, च्यारिटी संस्था, फण्ड–नेटवर्क, छायाँ–प्रशिक्षण केन्द्र र प्रचार–मेशिनरी भित्र पाकिस्तानको रणनीतिक संस्कृति, भारतको सुरक्षा चुनौती, र आधुनिक वैश्विक जिहादका fault-lines लुकेका छन्।

यदि जैश–ए–मोहम्मद आगो हो भने, लश्कर–ए–तैयबा बरफ हो—
अनुशासित, रणनीतिक, प्रशासकीय रूपले सक्षम, वैचारिक रूपमा कठोर, र दीर्घकालीन धैर्यले काम गर्ने।

यो केवल एउटा आतङ्कवादी समूह होइन—यो एक संस्थान हो।


I. उत्पत्ति: मिशनरी आन्दोलनदेखि जिहादी सेनासम्म

LeT को जन्म 1985–86 को सोभियत–अफगान युद्धका बीच भयो।
यसका वैचारिक स्रोतहरू:

  • अहल–ए–हदीस / सलाफी सिद्धान्त (वहाबियतसँग नजिक)

  • सोभियतविरोधी मुजाहिदीन आन्दोलन

  • अब्दुल्ला अज़्ज़ाम र ओसामा बिन लादेनको प्रारम्भिक नेटवर्क

  • पाकिस्तानको “रणनीतिक गहिराइ” (strategic depth) नीति

यो Markaz-ud-Dawa-wal-Irshad (MDI) को सैन्य शाखा हो, जसको सामाजिक–धार्मिक अनुहार जमात–उद–दावा (JuD) का रूपमा देखा पर्छ।

दुई अनुहार: अगाडि च्यारिटी, पछि बन्दुक

यही द्वैत चरित्र—
एकातिर मदरसा, राहत, शिक्षा, अस्पताल,
अर्कोतिर बम, बन्दुक, फिदायीन—
LeT लाई पाकिस्तानमा सामाजिक वैधता र अंतर्राष्ट्रिय रूपमा घातक नेटवर्क दुवै दिन्छ।


II. नेतृत्व: “संगठित मिलिटेंसी” का वास्तुकारहरू

1. हाफिज मोहम्मद सईद — संस्थापक, प्रचारक र सामरिक चिन्तक

  • LeT र JuD दुवैका केन्द्रीय नेता

  • संयुक्त राष्ट्रको 2008 को प्रतिबन्ध सूचीमा

  • 26/11 पछिसम्म पनि प्रत्यक्ष संलग्नता नकार्ने रणनीति

  • Milli Muslim League मार्फत “राजनीतिक प्रयोग”

सईद केवल एक आतङ्कवादी नेता होइनन्—उनी एक आन्दोलन निर्माता हुन्।

2. ज़क़ी–उर–रहमान लखवी — सैन्य गतिविधिको दिमाग

  • 26/11 मुम्बई हमलाका प्रमुख योजनाकार

  • ISI सँग गहिरो सामरिक सम्बन्ध

3. अब्दुल रहमान मक्की — प्रचार र रणनीतिक शाखाका प्रमुख

  • हाफिज सईदका साला

  • 2024 मा निधन

4. अन्य प्रमुख अनुहारहरू

  • ज़फ़र इक़बाल — सहसंस्थापक

  • ज़र्रार शाह — ISI सँग लिङ्क

  • अबु दुजान — कश्मीर कमाण्डर (2017 मा मारिए)

  • 2025 मा मारिएका कमाण्डर: फैसल नदीम, शाहिद कुट्टे

संगठन शूरा परिषद मार्फत चलाइन्छ, तर वास्तविक शक्ति सईद–लखवी–ISI त्रिकोणमा निहित छ।


III. विकास: अफगान युद्धबाट कश्मीरको वादीसम्म

1980s — सोभियतविरोधी जिहाद

अफगानिस्तानमा प्रारम्भिक लडाइँ,
ओसामा बिन लादेनको फण्डिंग,
अहल–ए–हदीस मिशनरी विस्तार।

1990s — कश्मीरको केन्द्रियरण

सोभियत फिर्तापछि:

  • कश्मीरमा पूर्ण फोकस

  • NWFP र depois POK मा प्रशिक्षण शिविर

  • ISI को सहायता

  • वैचारिक साहित्य, फिदायीन प्रशिक्षण, घुसपैठ

मानवीय सेवाहरू — वैधता र भर्तीको उपकरण

2005 को कश्मीर भूकम्पमा JuD को राहत कार्यले
LeT लाई “सामाजिक संगठन” को भ्रम सिर्जना गरायो।


IV. विचारधारा: सलाफी जिहादको दक्षिण एशियाली मोडेल

LeT को वैचारिक धरोहर:

  • शुद्धतावादी अहल–ए–हदीस व्याख्या

  • कट्टर इस्लामी पैन–आन्दोलन

  • कठोर अनुशासन

  • वैश्विक “उम्माह” केन्द्रित दृष्टि

मुख्य दुश्मनहरू

  1. भारत

  2. संयुक्त राज्य अमेरिका

  3. इजराइल

  4. पश्चिमी विश्वदृष्टि

प्रचार संरचना

  • गजवा पत्रिका

  • मदरसा नेटवर्क

  • साहित्य, क्याम्प, सोशल मिडिया

यसले ग्रामीण पंजाब र प्रवासी समुदायमा गहिरो प्रभाव जमायो।


V. प्रमुख आतंकी हमलाहरू — समयरेखा

1998 — वन्धामा नरसंहार

23 कश्मीरी पंडितको हत्या।

2000 — छत्तीसिंगपोरा नरसंहार + लाल किला हमला

  • 35 सिख मारे

  • दिल्लीको लाल किला हमला

2001 — भारतीय संसद हमला (JeM संग मिलेर)

9 जनाको मृत्यु, भारत–पाक युद्धको परिस्थिती।

2002 — कालूचक नरसंहार

31 जना मारिए (धेरै सैन्य परिवार)।

2003 — नदिमार्ग नरसंहार

24 कश्मीरी पंडित मारिए।

2005–06 — बम धमाकाहरू

  • दिल्ली ब्लास्ट: 60+

  • वाराणसी: 37

  • मुम्बई ट्रेन ब्लास्ट: 211

  • डोडा नरसंहार: 34 हिन्दू

2008 — 26/11 मुम्बई हमला

LeT को सबैभन्दा घातक हमला:

  • 166 जनाको मृत्यु

  • ताज होटल, CST, नरीमन हाउस

  • डिजिटल समन्वय, उपग्रह फोन

  • कसाबको गिरफ्तारी → LeT संलग्नता प्रमाणित

2016 — उरी हमला

19 सैनिक मारिए → सर्जिकल स्ट्राइक।

2025 — पहलगाम हमला

26 नागरिक मारिए; TRF नामक प्रोक्सीद्वारा दाबी।
भारतद्वारा मुरीदके शिविरमा एयरस्ट्राइक।


VI. वैश्विक सञ्जाल: दक्षिण एशियाभन्दा परको पहुँच

LeT को अन्तर्राष्ट्रिय footprints:

  • डेनमार्क (2009), बांग्लादेश, श्रीलंका

  • खाडी मुलुक, साउदी, यूके

  • नेपाल, मलेसिया, गल्फ फण्ड–नेटवर्क

  • अफगान–पाक सीमा शिविर

26/11 पछि अन्तर्राष्ट्रिय कारबाही कम गरिएको छ,
तर नेटवर्क अझै सक्रिय छ।


VII. पाकिस्तानको “रणनीतिक गणित”: संरक्षक कि बन्दी?

ISI–LeT सम्बन्ध सबैलाई थाहा छ, तर आधिकारिक रूपमा इन्कार।

किन ISI ले LeT लाई महत्त्व दिन्छ?

  1. भारतविरुद्ध प्रभावकारी प्रोक्सी

  2. पाकिस्तानभित्र गैर–सांप्रदायिक (TTP/ISIS-जस्तो होइन)

  3. पंजाबमा जन–समर्थन

  4. राज्यप्रति पूर्ण निष्ठा

प्रतिबन्ध–बन्दी–पुनःबन्दी–पुनःनामकरण चक्र

  • 2002: प्रतिबन्ध

  • 2008: JuD प्रतिबन्ध

  • 2019: पुनः crackdowns

तर संगठन फेरि नयाँ नामले—
अल–मदिना, तहरीक–ए–आजादी कश्मीर
फेरि सक्रिय हुन्छ।

यसलाई bureaucratic camouflage भन्न सकिन्छ।


VIII. अन्तर्राष्ट्रिय प्रतिक्रिया: प्रतिबन्ध से लेकर FATF दबावसम्म

वैश्विक प्रतिबन्ध

  • अमेरिका: 2001 मा FTO, 2014 मा JuD

  • संयुक्त राष्ट्र: 2008 (1267 सूची)

  • यूके: 2001

  • अष्ट्रेलिया: 2003

  • भारत: UAPA

अमेरिकाले हाफिज सईदको टाउकोमा 10 मिलियन डलर इनाम राखेको छ।

FATF को आर्थिक दबाब

  • चंदा नेटवर्कमा अंकुश

  • गल्फ–फण्डिङमा निगरानी

  • च्यारिटी संस्थाहरूमा कडाइ

भारतको प्रतिक्रिया

  • सर्जिकल स्ट्राइक (2016)

  • एयरस्ट्राइक (2025)

  • कश्मीरमा counter–terror grid

  • LeT विरुद्ध कूटनीतिक अभियान


IX. वर्तमान स्थिति (नोभेम्बर 2025)

नेतृत्वका हानि र प्रतिबन्धका बाबजुद LeT:

  • सक्रिय छ

  • प्रशिक्षण शिविरहरू पाकिस्तान / POK मा

  • TRF जस्ता "प्रोक्सी" समूह मार्फत हमले

  • अनलाइन भर्ती

  • कट्टर साहित्य र डिजिटल प्रचार

  • चंदा, तस्करी, च्यारिटी, गल्फ–फण्डिंग

यसको मुख्य फोकस: कश्मीर
तर यसको अन्तर्राष्ट्रिय सञ्जालले यसलाई
वैश्विक सुरक्षा खतरा बनाउँछ।


X. निष्कर्ष: एक आतंकी समूह मात्र होइन—क्षेत्रीय भू–राजनीतिक संरचनाको ऐना

लश्कर–ए–तैयबा एकसाथ:

  • एक आतंकी संगठन

  • एक सामाजिक–धार्मिक आन्दोलन

  • पाकिस्तानको रणनीतिक उपकरण

  • जिहादी नेटवर्कको हिस्सा

  • दक्षिण एशियाको अस्थिरताको स्थायी छाया

LeT दक्षिण एशियाको सतह–माथि देखिने
सानो टुप्पो मात्र हो;
वास्तविक जोखिम सतह–मुनि रहेको
विशाल, अदृश्य, बर्फीली चट्टान हो।

जबसम्म भारत–पाकिस्तानी वैमनस्य,
धार्मिक कट्टरता,
र रणनीतिक प्रोक्सी युद्धका संरचनाहरु
यथावत् रहन्छन्—
LeT (र यस्तै संरचनाहरू)
यस क्षेत्रको राजनीति र सुरक्षा दुवैमा
एक स्थायी चुनौती बनेर रहनेछ।





मोसाद र IDF बनाम हिज्बुल्लाह: “ईश्वरको सेना” लाई ध्वस्त गर्ने इस्रायली रणनीति — आधुनिक छायायुद्धको गहिरो अध्ययन

सन् 2024 मा इस्रायलले 21औँ शताब्दीका सबैभन्दा साहसिक, खुफिया–प्रधान र बहु–स्तरीय सैनिक अभियानमध्ये एक सञ्चालन गर्‍यो। लक्ष्य थियो—हिज्बुल्लाह, ईरानको “एक्सिस अफ् रेसिस्टेन्स” को मुकुटरत्न—एक यस्तो हाइब्रिड शक्ति जसले गुरिल्ला युद्धको घातकता, राज्य–संरचनाको अनुशासन, र धार्मिक भावना तीनैलाई एकै शरीरमा बाँधेर राख्छ।

यो अभियान कुनै आकस्मिक प्रतिक्रिया थिएन।
यो त दुई दशक लामो गहिरो घुसपैठ, सूक्ष्म प्राविधिक छल, मनोवैज्ञानिक खेल, तथा शल्य–कुशल सैन्य सटीकता को चरम परिणाम थियो।
2006 को लेबनान युद्धका कठोर पाठहरूले इस्रायललाई सिकाएका थिए कि केवल बल प्रयोगले हिज्बुल्लाहलाई झुकाउन सकिँदैन्।

2024 सम्म आइपुग्दा, इस्रायल युद्ध केवल सीमामा होइन—हिज्बुल्लाहको दिमागभित्र लड्न पुगेको थियो।

हिज्बुल्लाहलाई विश्वास थियो कि इस्रायल डराएको छ।
मोसादले वर्षौँसम्म त्यही विश्वास कायम रहने गरी मायाजाल बुनेको थियो।

परिणाम—एक यस्तो अभियान जसले हिज्बुल्लाहको कमाण्ड संरचना चकनाचूर गर्‍यो, उसको शस्त्रागार नोक्सान गर्‍यो, र ईरानको प्रियतम प्रोक्सीभित्र लुकेका दुर्बल पक्षहरू संसारभर उजागर गरिदियो—त्यो पनि लेबनानमा पूर्ण कब्जा नगरी


I. रणनीतिक दर्शन: गुफामा नछिरिकन बहु-मुहान भएको ‘हाइड्रा’ लाई हराउने कला

हिज्बुल्लाह केवल आतङ्कवादी समूह होइन—यो एक हाइड्रा हो:

  • राजनीतिक दल,

  • मिलिशिया,

  • खुफिया सेवा,

  • सामाजिक सेवा संस्था,

  • धार्मिक आन्दोलन—
    सबै एकै शरीरमा।

त्यसैले इस्रायलको लक्ष्य “पूर्ण विनाश” होइन,
सर्जिकल अवरोध थियो—

  • नेतृत्वको छेदन

  • बुनियादी संरचनाको ध्वंस

  • ईरानी सप्लाई–चेनको विच्छेदन

  • र हिज्बुल्लाहको “अजेयता” को मिथक तोड्नु।

यो पाँच रणनीतिक स्तम्भमा आधारित थियो—

  1. दीर्घकालीन गहिरो खुफिया घुसपैठ

  2. प्राविधिक सबोटाज र सप्लाई–चेन नियन्त्रण

  3. नेतृत्वका धेरै तहहरूको त्वरित सफाया

  4. वायुशक्ति–प्रधान संरचनात्मक विनाश

  5. सीमित स्थलीय अभियान + कूटनीतिक सन्तुलन

यो खुफिया–मुख्य युद्धकला को उत्कृष्ट उदाहरण थियो।


II. मोसादको गहिरो घुसपैठ: हिज्बुल्लाहका नसाहरूभित्र छिरेको खुफिया साम्राज्य

2024 मा हिज्बुल्लाहको संरचना एकाएक ढलेको जस्तो देखियो।
वास्तवमा—मोसाद वर्षौँदेखि चुपचाप भित्ताहरू भत्काइरहेको थियो।

1. HUMINT — अदृश्य एजेन्टहरूको निर्माण

दुई दशकमा मोसादले—

  • सप्लाई–लाइनमा एजेन्ट रोप्यो

  • शिया समुदायभित्र मुखबिर विकास गर्‍यो

  • बंकरहरूमा सुनुवाइ उपकरण जडान गर्‍यो

  • कमाण्डरहरूको दैनिकी–देखि–रोमान्ससम्म ट्र्याक गर्‍यो

  • इराक–सीरिया हुँदै आउने ईरानी हतियार मार्ग म्याप गर्‍यो

यो केवल जासूसी थिएन—यो गुप्त संसारको नक्सांकन थियो।

2. SIGINT र साइबर युद्ध

मोसाद र AMAN ले—

  • कमाण्डरहरूको लाइभ लोकेशन सुने

  • इरानी सल्लाहकारहरूको वार्तालाप रेकर्ड गरे

  • सुरक्षित मानेका सञ्चार उपकरणभित्र घुसपैठ गरे

  • उत्पादन आपूर्ति कम्पनी नै ह्याक गरेर उपकरण संशोधित गरे

यसले इस्रायललाई दिन्थ्यो—
पूर्वानुमान र नियन्त्रण


III. सेप्टेम्बर 2024 — “पेजर र वाकी–टाकी विस्फोट”: आधुनिक सबोटाज इतिहासको मोड

17–18 सेप्टेम्बर 2024, सामरिक इतिहासमा स्मरणीय रहनेछ।

हिज्बुल्लाहका हजारौँ पेजर र वाकी–टाकी एउटै क्षणमा विस्फोट भए

कसरी?

मोसादले ताइवानी निर्माता कम्पनीलाई नक्कली फ्रन्टमार्फत घुसपैठ गर्‍यो।
महिनौँअघि नै उपकरण भित्र सूक्ष्म विस्फोटक भरिदिइयो।

यस एकल अभियानले—

  • सयौँ लडाकु मारियो/घाइते बनायो

  • कमाण्ड चेन तोडिदियो

  • संचार प्रणाली भत्क्यो

  • संगठनभित्र अविश्वास, डर, पागलपन फैलायो

  • हिज्बुल्लाहलाई पूर्ण अराजकतामा धकेल्यो

यो सम्भवतः 21औँ शताब्दीको सबैभन्दा उच्चस्तरीय सप्लाई–चेन सबोटाज थियो।


IV. इस्रायली वायु–अभियान: सटीकता, दण्ड र मनोवैज्ञानिक आघात

सेप्टेम्बर 2024 को मध्य–अन्ततिर, IDF ले वायु–अभियान शुरू गर्‍यो।

मुख्य लक्ष्यहरू:

  • मिसाइल भण्डार (~200,000 नष्ट)

  • सुरुङ नेटवर्क

  • कमाण्ड बंकर

  • उच्च–मूल्य कमाण्डर

  • ईरानी IRGC अधिकारी

हसन नसरल्लाहको मृत्यु

27 सेप्टेम्बर 2024, एक बंकर–बस्टर आक्रमणले—

  • हसन नसरल्लाह

  • वरिष्ठ सैन्य कमाण्डर

  • एक ईरानी जनरल

लाई मार्‍यो।
राखमाथि थिचिएर दम घुटिँदै मृत्यु—प्रतीकात्मक रूपमा शक्तिशाली दृश्य।


V. स्थलीय अभियान: सीमित, केन्द्रित, खुफिया–संचालित

सेप्टेम्बर अन्त्यदेखि नोभेम्बरसम्म:

  • सुरुङहरू विध्वंस

  • सीमाक्षेत्र नियन्त्रण

  • तस्करी मार्ग अवरुद्ध

  • दस्तावेज़–इलेक्ट्रोनिक प्रमाण कब्जा

IDF ले 1982 जस्तो गहिरो प्रवेश गरेन।
उद्देश्य भूमि कब्जा होइन—क्षमता समाप्त गर्नु थियो।


VI. कूटनीति: ईरान, अमेरिका र लेबनानको व्यवस्थापन

यस अभियानको अदृश्य आयाम—कूटनीतिक युद्ध

  • अमेरिकामार्फत ईरानलाई सीमित

  • गल्फ देशसँग गोप्य तालमेल

  • अन्तर्राष्ट्रिय मीडिया कथानक नियन्त्रण

  • क्षेत्रीय युद्ध हुन नदिने रणनीति

नोभेम्बर 2024 मा युद्धविराम भयो,
तर इस्रायलले 2025 भरी पनि पुनः–सशस्त्रीकरण रोक्न छिटपुट स्ट्राइक गरिरह्यो।


VII. परिणाम (2025): कमजोर, तर पुनर्संरचना गर्छै हिज्बुल्लाह

सूचना अनुसार—

  • 80–90% शीर्ष नेतृत्व समाप्त

  • लगभग २ लाख मिसाइल/रकेट नष्ट

  • संचार प्रणाली धरासायी

  • सुरुङ नेटवर्क समाप्त

  • मनोबल भंग

  • भर्ती घट्दै

तर हिज्बुल्लाह समाप्त भएन।
2025 सम्म ईरानी सहयोगले पुनर्निर्माण शुरू भयो—तर इस्रायली निगरानी भारी

यो पूर्ण विजय होइन—रणनीतिक जीत थियो।


VIII. तुलना: हिज्बुल्लाह — लश्कर–ए–तैयबा (LeT) — जैश–ए–मोहम्मद (JeM)

पक्ष हिज्बुल्लाह LeT JeM
आकार 20,000–100,000 1,000–5,000 500–2,000
संरचना राजनीतिक + सैन्य + सामाजिक JuD को सैन्य भाग अजहर परिवार–केन्द्रित
हतियार भारी मिसाइल, ड्रोन, रकेट हल्का हतियार, IED VBIED, आत्मघाती
संरक्षक ईरान ($700M/वर्ष) पाकिस्तान–सम्बद्ध समान संरचना
उद्देश्य इस्रायल भारत भारत
प्रकार “मिनी–आर्मी” पारम्परिक आतङ्कवादी उच्च–तीव्रता आत्मघाती

IX. भारतका लागि चुनौती किन अझै कठिन?

समस्या LeT/JeM को शक्ति होइन—भारतको विशाल सामाजिक–भौगोलिक जटिलता हो।

1. विशाल भूगोल, विशाल जनसंख्या

  • 1.4 अर्ब मानिस

  • 3.2 मिलियन वर्ग किमी

  • 7500 किमी तटरेखा

घुसपैठीहरू सजिलै हराउन सक्छन्।

2. पाकिस्तानको परमाणु छाता

इस्रायलले लेबनानजस्तै पाकिस्तानमा प्रत्यक्ष प्रहार गर्न सक्दैन।

3. लोकतान्त्रिक सीमाहरू

  • कानुनी प्रक्रिया

  • मानव अधिकार

  • राजनीतिक विपक्ष

  • सामाजिक संवेदनशीलता

4. कश्मीरको जटिलता

हिज्बुल्लाहजस्तो क्षेत्रीय नियन्त्रण नभएर—
कश्मीर “निरन्तर घाउ” जस्तै छ।

5. पुनर्जीवन–समस्या

LeT/JeM बारम्बार उठ्छन् किनकि—

  • पाकिस्तान सुरक्षित पनाह दिन्छ

  • मदरसा–नेटवर्कले भर्ती गर्छ

  • हवाला धन बगाउँछ

  • ISI संरचनाले सुरक्षा दिन्छ


X. निष्कर्ष: इस्रायलको 2024 रणनीति—भारतका लागि सिकाइ

भारत इस्रायलजस्तै पुरै नक्कल गर्न सक्दैन।
तर मुख्य तत्व अपनाउन सक्छ—

  • गहिरो HUMINT

  • सप्लाई–चेन सबोटाज

  • AI–आधारित SIGINT

  • विदेशमा नेतृत्व–निष्कासन

  • सीमित एयरस्ट्राइक

  • निधिमा रोकथाम

  • बलियो कूटनीति

  • समुदाय–आधारित प्रतिरक्षा

इस्रायलले देखायो—
जब खुफिया पर्याप्त हुन्छ, युद्ध हथौडा होइन—स्केल्पेल बन्छ।

भारतका लागि चुनौती कठिन छ—
तर असम्भव छैन।

छायामा जसले नियन्त्रण गर्छ—
युद्ध उसीको हुन्छ।





भारतको Counter-Terrorism रणनीति: छायासँगको दीर्घ युद्ध

भारतका लागि आतंकवाद कुनै परको चुनौती होइन—यो कहिले कश्मीरका पहाडमा बन्दुकको आवाज बनेर, कहिले मध्य भारतका घना जंगलमा माओवादी घात बनेर, कहिले महानगरका चहलपहल सडकमा बम विस्फोट भएर, त कहिले 26/11 जस्ता समन्वित हमलाहरूको रूपमा राष्ट्रिय मनोविज्ञानमा चोट छोडेर देखा पर्छ। संसारमा थोरै मात्रै लोकतन्त्रहरू होलान् जसले यति लामो समय, यति धेरै रूप र यति धेरै घाउ बोकेर बाँच्न सफल भएका छन्।

स्वतन्त्रतापछिदेखि भारतले १०,००० भन्दा बढी आतंकसम्बन्धी घटनाहरू झेलेको छ—मानौं हजारौँ टाउको भएको राक्षससँगको युद्ध हो यो; एउटा टाउको काट्दामात्र अर्काे साँघुरो गलैंचोबाट निस्कन्छ—नयाँ विचारधारा, नयाँ भूराजनीति र नयाँ प्रविधिसहित।

२०२५ सम्म आउँदा भारतको counter-terrorism (CT) रणनीति मौलिक रूपमा रूपान्तरित भइसकेको छ—प्रतिक्षात्मक व्यवस्थाबाट पूर्व-नियोजित, खुफिया-प्रधान, बहु-स्तरीय सुरक्षा स्थापत्यमा रूपान्तरण। यो ढाँचा इस्रायल जस्ता देशहरूको सूक्ष्म–प्रहार मोडलबाट सिकेको छ, तर भारतकै भौगोलिक, राजनीतिक, संवैधानिक र जनसांस्कृतिक जटिलताहरूअनुसार ढलिरहेको छ।

यो लेख भारतकै CT संरचना, सैन्य सिद्धान्त, प्रविधिक क्षमता, अन्तर्राष्ट्रिय साझेदारी र विश्वकै सबैभन्दा जटिल लोकतन्त्रहरू मध्ये एक भएर आतंकवादसँग लड्दा भारतले भोग्ने अनौठा चुनौतीहरूको विश्लेषण गर्दछ।


I. भारतको Counter-Terrorism नीतिको विकास

लामो समयसम्म भारत “रणनीतिक संयम” (strategic restraint) मा अडिग रह्यो—कूटनीति, बयानबाजीकै सीमामा।
२००८ को २६/११ ले यो नीति समाप्त भएको घोषणा गरिदियो।

त्यसपछि नीति यसरी बद्लियो:

  • शून्य सहनशीलता

  • पूर्व-नियोजित सैन्य प्रहार

  • खुफिया-केंद्रित सुरक्षा तन्त्र

  • आतंक प्रायोजकहरूलाई अन्तर्राष्ट्रिय रूपमा अलगपार्ने रणनीति

  • ड्रोन, AI र साइबर टेक्नोलोजीको गहिरो प्रयोग

  • समुदाय–आधारित पुनर्वास तथा deradicalisation

२०१९ को पुलवामा र २०२५ को पहलगाम हमला पछि नीति “नयाँ सुरक्षा सिद्धान्त” का रूपमा विकसित भयो।


II. संस्थागत संरचना: भारतको CT मशीनरी

भारतको सुरक्षा व्यवस्थापन गृह मन्त्रालय (MHA) अन्तर्गत रहेको एक जटिल, बहु-स्तरीय, प्रवाहशील संयन्त्र हो।


1. खुफिया एजेन्सीहरू: राष्ट्रका आँखा र कान

इण्टेलिजेन्स ब्युरो (IB)

घरेलु खतरा पहिचान—कश्मीर, स्लीपर-सेल, माओवादी नेटवर्क।

RAW (रिसर्च एन्ड एनालिसिस विङ)

भारतको “Mossad + CIA”।
क्षमताहरू:

  • सीमा–पार गोप्य कारबाही

  • पाकिस्तान/अफगानिस्तानमा उच्च–मूल्य लक्ष्यहरू

  • अमेरिका, फ्रान्स, इस्रायलसँग खुफिया साझेदारी

  • क्यानडा र पाकिस्तानमा देखिएका covert ops

MAC (Multi-Agency Centre)

२६/११ पछि बनेको—२६ एजेन्सीहरूलाई जोड्ने राष्ट्रकै खुफिया–नर्भ–सिस्टम।


2. अनुसन्धान एजेन्सीहरू

NIA (नेशनल इन्भेस्टिगेशन एजेन्सी)

२००९ पछि भारतको संघीय CT पुलिस।
२०२५ सम्म:

  • ५००+ केस

  • Hawala तथा वित्तीय जालो भत्काउने मुख्य केन्द्र


3. विशेष बल

NSG (ब्ल्याक क्याट्स)

Hostage rescue, high-risk raids।

भारतीय सेना

२०२५ मा:

  • २५ “भैरव बटालियन”

  • ३८२ ट्याक्टिकल ड्रोन

  • मल्टि–स्पेक्ट्रल निगरानी क्षमता


III. सैन्य सिद्धान्त: संयमदेखि प्रतिशोधसम्म

1. २०१६ सर्जिकल स्ट्राइक

उरी हमलापछिको LOC–पार प्रहार।

2. २०१९ बालाकोट एयरस्ट्राइक

१९७१ पछि पहिलो गहिरो हवाई आक्रमण।

3. २०२५ प्रतिशोध (पहलगामपछि)

भारतले:

  • ११ पाकिस्तानी एयरबेसमा प्रहार

  • लश्करको मुरिदके मुख्यालय ध्वस्त

  • ६०–७० उग्रवादीहरू समाप्त

यो स्पष्ट संकेत थियो—

अब आतंकवादको मूल्य सीमा पार तिरै तिरिइनेछ।


IV. भारतभित्रका कारबाहीहरू

1. “अपरेशन Sindoor” (२०२५)

AI + ड्रोन + स्थानीय खुफिया—JeM को ठूला मॉड्युल नष्ट।

2. “White-Collar Terror Network” bust (२०२५)

दिल्ली रेड फोर्ट विस्फोटपछि:

  • वकिल

  • CA

  • इन्जिनियर

  • बैंक कर्मचारी

गिरफ्तार—२,९०० किलो विस्फोटक बरामद।

आतंकवाद कहिलेकाहीँ जंगलबाट होइन—क्लिन–शेभ गरिएको अनुहार र कोट–टाईमै पनि आउँछ।


V. कानुनी ढाँचा: लोकतन्त्रका तेज धार

UAPA (२०१९ संशोधन)

  • व्यक्ति नै ‘आतंकवादी’ घोषित गर्न सकिने

  • ९४% conviction rate

NSA—पूर्व–नियोजित हिरासत

Deradicalisation कार्यक्रम

  • अनलाइन निगरानी

  • धार्मिक अगुवासँग संवाद

  • पुनर्वास

PM का “पाँच नयाँ सामान्य” (२०२५)

  1. पूर्ण प्रतिशोध

  2. पूर्व–आक्रमण

  3. पाकिस्तानलाई अन्तर्राष्ट्रिय अलगाव

  4. टेक्नोलोजिकल प्रभुत्व

  5. एजेंसबीच अदृश्य समन्वय


VI. अन्तर्राष्ट्रिय साझेदारी: कूटनीतिक Counter-Terrorism

1. QUAD CT Working Group (२०२३ हवाई बैठक)

2. UNOCT सहयोग

3. FATF दबाब—पाकिस्तानलाई grey/blacklist नजिक पुर्‍याउने।

4. USA–Israel–France खुफिया सहकार्य

CIA को अभिव्यक्ति:

“भारत विश्वकै पहिलो लोकतान्त्रिक सुरक्षा–फ्रन्टियर हो।”


VII. भारतका अनौठा चुनौती

1. परमाणु–सज्जित पाकिस्तान

सैन्य escalation सम्भव तर जोखिमयुक्त।

2. विशाल भूगोल

७,५०० किमी सीमा + ३.२ मिलियन वर्ग किलोमीटर—निगरानी कठिन।

3. देशभित्र embedded radical नेटवर्क

कश्मीर, कुछ शहरी क्षेत्र, ऑनलाइन इकोसिस्टम।

4. Lethal Regeneration Problem

Hezbollah स्थिर ढाँचा हो; LeT/JeM तरल—सजिलै पुनःउत्पादित हुन्छन्।

5. संघीय ढाँचा

NCTC वर्षौँदेखि थन्किएको।


VIII. Mossad जस्तै रणनीति भारतलाइ किन कठिन?

इजरायलकै रणनीति:

  • २० वर्षे HUMINT

  • supply-chain sabotage (pager विस्फोट)

  • नेतृत्व–वध (decapitation strikes)

  • अवरोधहीन हवाई प्रहार

भारतले आंशिक रूपमा अपनाउन थालेको छ।
तर:

  • लोकतान्त्रिक सीमा

  • व्यापक जनसंख्या

  • जातीय–धार्मिक संवेदनशीलता

  • आन्तरिक राजनीति

यसलाई जटिल बनाउँछन्।

तर भारत अबः

  • विदेशमा covert ops

  • tech–surveillance

  • terror–financing dismantling

  • precision-strikes

मार्फत शक्तिशाली हुँदैछ।


IX. अगाडिको बाटो

भारतलाई आवश्यक छ—

  • AI–संचालित SIGINT + HUMINT

  • Mossad–स्तरको गहिरो घुसपैठ

  • राष्ट्रिय स्तरको एकीकृत CT कमाण्ड

  • ठूलो स्तरको deradicalisation

  • समुद्री–CT सिद्धान्त

  • निरन्तर कूटनीतिक दबाब


X. निष्कर्ष: मजबुत तर अझै अधूरो युद्ध

२०२५ सम्म भारतको CT प्रणाली ऐतिहासिक रूपमा सबैभन्दा सुदृढ, प्रविधि–प्रेरित, विश्वसामाजिक तथा आक्रामक रूपमा विकसित भइसकेको छ।
तर आतंकवाद त्यस्तो संकट होइन जसलाई पूर्णतया समाप्त गरिन्छ—यसलाई नियन्त्रित, संयमित, र निरन्तर निगरानी गर्नुपर्छ।

भारतीय दर्शनले सुन्दर रूपले सम्झाउँछ—

राक्षसलाई चिन्ने भन्दा कठिन छ—उसका हरेक टाउको काट्दा आफैं राक्षस नबनि ठहरिनु।

भारत यही सन्तुलनमा हिँडिरहेको छ—सुरक्षा र स्वतन्त्रता, प्रतिशोध र संयम, युद्ध र कूटनीतिबीच।





Thursday, October 23, 2025

Islam: The Anti-Religion Muslims Need To Be Rescued From

Islam: The Anti-Religion Muslims Need To Be Rescued From

Islam is an anti-religion. Allah is not God, but God distorted. The Devil is behind every atheist's logic. But it does not stop there. It also creates a new crowd for whom it distorts the very idea of God. Islam actively negates every major religion. For example, a lot of Muslims today predict an end to Israel. Muslims talk of Gazwa-E-Hind, conquest of India to forcefully convert every Indian to Islam. Jesus is the most mentioned name in the Koran which is basically a demolish Jesus text. Paul says in the New Testament, “Guys, this resurrection, this is kind of important, it is foundational to the faith, this is no minor detail.” But the Koran says, forget resurrection, not even crucifixion happened. Islam attacks Hinduism. It made a point to invade India and demolish hundreds of temples. Muslims throw stones at a stone in Mecca saying they are stoning The Devil, but think Hindus worshipping stones are demonic. They can see The Devil in a stone, but not God.

Islam’s ways are tyrannical. Look at how the Islamic Republic of Iran is organized. It is the most fascist state on the planet today. Islam spread through force. When Muslim invaders entered a new land, they gave the people three choices. Become Muslim, or pay subjugation taxes and agree to become second class citizens, or die. That is coercion. Islam teaches those who leave Islam are worthy of death. Islam teaches non-Muslims are kafirs who are worthy of death. Islam teaches Muslims strategic patience. When you enter a new land, and you are small in number and weak, be patient and wait until you are more numerous and stronger. Islam works to turn every human being Muslim, a total spread of tyranny.

Muslims need to be rescued from Islam. So they can see the light and come to true God. And so it is very important that such spiritual clarity is attained.

Maximal effort has to be made to help as many Muslims as possible to see the light. But it would be unrealistic to expect a 100% success rate. Various scriptures have talked of a final war. That is how the last two ages ended. Those under the influence of The Devil choose to fight to the finish. Maximal effort has to be made to avoid the war. But when it comes, the forces of good must fight to minimize death and destruction as much as possible, and so fight with maximal, overwhelming force. The last age ended with the war described in the Mahabharata. Duryodhana chose to fight to the finish. The age before that ended with the war described in the Ramayana. Ravana chose to fight to the finish.

The Bible is scripture for one reason. It contains prophecies that have been fulfilled, and will be fulfilled. So if there are other books that also contain prophecies, they are also scriptures. For only God is omniscient and the source of all such prophecies. By that measure there are several books of scriptures in the Hindu tradition. Get past the British colonial narratives and take a second look at the Sanatana Dharma. It is the only religion that has the framework for the next age to come, so vividly described in the Book Of Isaiah.

The Messiah the Jews wait for and have been waiting for over 4,000 years is described in the Book Of Isaiah as one king for all earth who brings peace and prosperity to every corner of earth. The Lord’s Prayer taught by Jesus, the Eternal Priest, points Christians to that same person, only it is even more explicit. The Messiah, the king, is no other than Yahweh in human incarnation. The Jews don’t know that. They need to take the cue from Christians. And both need to ask Hindus, “Yahweh, who you call Vishnu, has he been on earth before and ruled as king?” You will get a quick reply: “Oh yes. He was Lord Krishna 5,000 years ago, and Lord Rama 7,000 years ago.”

The Mahabharata revolves around Lord Krishna. The Ramayana revolves around Lord Rama. Every major event in both epics comes with an immaculate description of the night sky, the best calendar there is. When NASA scientists today insert those descriptions into their modern astronomy softwares, they give us the dates that the Mahabharata must have happened about 5,000 years ago, and the Ramayana about 7,000 years ago. An age is a span of time longer than a millennium. When events of this age were described by Lord Krishna to some of the leading characters of that age, they were in disbelief. Could something like that happen? Could people treat each other so badly?

The Devil tries to convince you there is no God. It gets some people that way. Then it tries to convince you, yes, there is a God, but then he distorts who that God is, and creates a religion of his own, that is Islam. But Satanic infiltration is not limited to Muslims. Priests of various faith traditions are some of the most vulnerable people to The Devil’s machinations, because he appeals to their sense of pride. When Jesus touched and cured the priests of the day said, but those are acts of The Devil. The Jews and the Christians need to ask, will they act the same? Or will they act differently. Because The Devil has managed to infiltrate some of the Jewish and Christian writings. The Devil will have you believe, your long awaited Messiah, when He arrives, as He has, is The Devil. Your long-awaited king is The Devil. Will you fall for it? Or will you make the effort to discern? The difference between God and The Devil is the difference between night and day. God is the very embodiment of goodness.

All religions born in this age, this Kali Yuga, end with this age. Judaism and Christianity are like high schools. You finish high school and go to university. Sanatana Dharma is that university. By the way, the Hindus themselves have the same need to graduate from high school to university. Human capacity for spiritual knowledge is 100 times greater in the next age. “God is about to say something new,” as it says in the Bible.

There is no religion in heaven. When you feel God’s direct presence, there is no need for a mediating religion. So when God rules directly on earth, religions are curtains that get pushed aside. You go straight to the source.

The long awaited Messiah is here. The king is here. Lord Kalki is here. His identity is verified through the 5,000-year old prophecies fulfilled. Not one fake Kalki has solutions to any of the world’s problems. Lord Kalki has offered solutions to all of the world’s problems. He has produced a roadmap to ending this age, this Kali Yuga. It is called The Kalkiist Manifesto, the last book of economics on earth. The work has begun. Nepal is the pilot project country.

इस्लाम: धर्म-विरोधी मुसलमानों को इससे बचाना होगा

इस्लाम एक अधर्म है। अल्लाह ईश्वर नहीं, बल्कि ईश्वर का विकृत रूप है। हर नास्तिक के तर्क के पीछे शैतान छिपा है। लेकिन यह यहीं नहीं रुकता। यह एक नया समूह भी बनाता है जिसके लिए यह ईश्वर की अवधारणा को ही विकृत कर देता है। इस्लाम सक्रिय रूप से हर प्रमुख धर्म का खंडन करता है। उदाहरण के लिए, आज बहुत से मुसलमान इज़राइल के अंत की भविष्यवाणी करते हैं। मुसलमान गज़वा-ए-हिंद की बात करते हैं, भारत पर विजय प्राप्त करके हर भारतीय को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने की बात करते हैं। कुरान में सबसे ज़्यादा ज़िक्र ईसा मसीह का है, जो मूल रूप से ईसा मसीह को ध्वस्त करने वाला एक ग्रंथ है। पॉल नए नियम में कहते हैं, "दोस्तों, यह पुनरुत्थान, यह बहुत महत्वपूर्ण है, यह आस्था का आधार है, यह कोई छोटी बात नहीं है।" लेकिन कुरान कहता है, पुनरुत्थान की तो बात ही छोड़िए, सूली पर चढ़ाए जाने की भी घटना नहीं हुई। इस्लाम हिंदू धर्म पर हमला करता है। इसने भारत पर आक्रमण करने और सैकड़ों मंदिरों को ध्वस्त करने का बीड़ा उठाया। मुसलमान मक्का में पत्थर पर पत्थर फेंकते हैं और कहते हैं कि वे शैतान को पत्थर मार रहे हैं, लेकिन हिंदुओं द्वारा पत्थर पूजने को शैतान समझते हैं। वे पत्थर में शैतान तो देख सकते हैं, लेकिन ईश्वर नहीं।

इस्लाम के तौर-तरीके अत्याचारी हैं। देखिए इस्लामी गणराज्य ईरान कैसे संगठित है। यह आज दुनिया का सबसे फ़ासीवादी राज्य है। इस्लाम बल प्रयोग से फैला। जब मुस्लिम आक्रमणकारी किसी नए देश में प्रवेश करते थे, तो वे लोगों के सामने तीन विकल्प रखते थे। मुसलमान बन जाओ, या अधीनता कर चुकाओ और दूसरे दर्जे का नागरिक बनने के लिए तैयार हो जाओ, या मर जाओ। यह ज़बरदस्ती है। इस्लाम सिखाता है कि जो लोग इस्लाम छोड़ देते हैं वे मौत के लायक हैं। इस्लाम सिखाता है कि गैर-मुस्लिम काफिर हैं जो मौत के लायक हैं। इस्लाम मुसलमानों को रणनीतिक धैर्य सिखाता है। जब आप किसी नए देश में प्रवेश करते हैं, और आप संख्या में कमज़ोर और कमज़ोर होते हैं, तो धैर्य रखें और तब तक प्रतीक्षा करें जब तक आप संख्या में ज़्यादा और मज़बूत न हो जाएँ। इस्लाम हर इंसान को मुसलमान बनाने का काम करता है, यह अत्याचार का एक व्यापक प्रसार है।

मुसलमानों को इस्लाम से बचाया जाना चाहिए। ताकि वे प्रकाश देख सकें और सच्चे ईश्वर तक पहुँच सकें। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि ऐसी आध्यात्मिक स्पष्टता प्राप्त की जाए।

जितना संभव हो सके, उतने मुसलमानों को प्रकाश दिखाने में मदद करने के लिए अधिकतम प्रयास किए जाने चाहिए। लेकिन 100% सफलता की उम्मीद करना अवास्तविक होगा। विभिन्न धर्मग्रंथों में अंतिम युद्ध की बात कही गई है। पिछले दो युग इसी तरह समाप्त हुए। शैतान के प्रभाव में रहने वाले लोग अंत तक लड़ने का चुनाव करते हैं। युद्ध को टालने के लिए अधिकतम प्रयास किए जाने चाहिए। लेकिन जब युद्ध होता है, तो भलाई की शक्तियों को यथासंभव मृत्यु और विनाश को कम करने के लिए लड़ना चाहिए, और इसलिए अधिकतम, भारी शक्ति के साथ लड़ना चाहिए। पिछला युग महाभारत में वर्णित युद्ध के साथ समाप्त हुआ। दुर्योधन ने अंत तक लड़ने का चुनाव किया। उससे पहले का युग रामायण में वर्णित युद्ध के साथ समाप्त हुआ। रावण ने अंत तक लड़ने का चुनाव किया।

बाइबल एक कारण से धर्मग्रंथ है। इसमें ऐसी भविष्यवाणियाँ हैं जो पूरी हो चुकी हैं और पूरी होंगी। इसलिए यदि ऐसी अन्य पुस्तकें हैं जिनमें भविष्यवाणियाँ हैं, तो वे भी धर्मग्रंथ हैं। क्योंकि केवल ईश्वर ही सर्वज्ञ हैं और ऐसी सभी भविष्यवाणियों के स्रोत हैं। इस दृष्टि से हिंदू परंपरा में कई धर्मग्रंथ हैं। ब्रिटिश औपनिवेशिक आख्यानों से आगे बढ़कर सनातन धर्म पर एक नज़र डालें। यह एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें आने वाले युग की रूपरेखा है, जिसका यशायाह की पुस्तक में बहुत ही स्पष्ट वर्णन किया गया है।

यहूदी जिस मसीहा का इंतज़ार कर रहे हैं और 4,000 से भी ज़्यादा वर्षों से कर रहे हैं, उसका वर्णन यशायाह की पुस्तक में पूरी पृथ्वी के लिए एक ऐसे राजा के रूप में किया गया है जो पृथ्वी के हर कोने में शांति और समृद्धि लाएगा। शाश्वत पुजारी, यीशु द्वारा सिखाई गई प्रभु की प्रार्थना, ईसाइयों को उसी व्यक्ति की ओर संकेत करती है, केवल यह और भी स्पष्ट है। मसीहा, राजा, कोई और नहीं बल्कि मानव अवतार में यहोवा ही हैं। यहूदी यह नहीं जानते। उन्हें ईसाइयों से प्रेरणा लेने की ज़रूरत है। और दोनों को हिंदुओं से पूछना चाहिए, "यहोवा, जिन्हें आप विष्णु कहते हैं, क्या वे पहले भी पृथ्वी पर रहे हैं और राजा के रूप में शासन किया है?" आपको तुरंत जवाब मिलेगा: "हाँ, हाँ। वे 5,000 साल पहले भगवान कृष्ण थे, और 7,000 साल पहले भगवान राम।"

महाभारत भगवान कृष्ण के इर्द-गिर्द घूमता है। रामायण भगवान राम के इर्द-गिर्द घूमती है। दोनों महाकाव्यों की प्रत्येक प्रमुख घटना रात्रि आकाश के बेदाग़ वर्णन के साथ आती है, जो कि अब तक का सबसे बेहतरीन कैलेंडर है। जब नासा के वैज्ञानिक आज उन विवरणों को अपने आधुनिक खगोल विज्ञान सॉफ़्टवेयर में डालते हैं, तो वे हमें महाभारत की तिथियाँ लगभग 5,000 वर्ष पहले और रामायण की तिथि लगभग 7,000 वर्ष पहले की बताते हैं। एक युग एक सहस्राब्दी से भी अधिक समय की अवधि होती है। जब भगवान कृष्ण ने उस युग के कुछ प्रमुख पात्रों को इस युग की घटनाओं का वर्णन किया, तो वे अविश्वास में पड़ गए। क्या ऐसा कुछ हो सकता है? क्या लोग एक-दूसरे को इतनी बुरी तरह बरताब कर सकते हैं?

शैतान आपको यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता है कि कोई ईश्वर नहीं है। वह कुछ लोगों को इस ओर आकर्षित करता है। फिर वह आपको यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता है कि हाँ, एक ईश्वर है, लेकिन फिर वह उस ईश्वर को विकृत कर देता है, और अपना एक धर्म, यानी इस्लाम, बना लेता है। लेकिन शैतानी घुसपैठ सिर्फ़ मुसलमानों तक ही सीमित नहीं है। विभिन्न धार्मिक परंपराओं के पुजारी शैतान की चालों के सबसे ज़्यादा शिकार होते हैं, क्योंकि वह उनके अहंकार का फायदा उठाता है। जब यीशु ने को लोगोंको छुआ और उन्हें चंगा किया, उस समय के पुजारियों ने कहा वे शैतान के कार्य थे।

यहूदियों और ईसाइयों को यह पूछना होगा कि क्या वे भी वैसा ही व्यवहार करेंगे? या वे अलग तरह से व्यवहार करेंगे। क्योंकि शैतान कुछ यहूदी और ईसाई धर्मों के लेखन में घुसपैठ करने में कामयाब हो गया है। शैतान आपको यह विश्वास दिलाएगा कि आपका बहुप्रतीक्षित मसीहा, जैसा कि वह आया है, जब शैतान ही होगा। आपका बहुप्रतीक्षित राजा शैतान ही है। क्या आप इस पर विश्वास करेंगे? या आप समझने की कोशिश करेंगे। ईश्वर और शैतान के बीच का अंतर रात और दिन के अंतर जैसा है। ईश्वर ही अच्छाई का साक्षात अवतार है।

इस युग, इस कलियुग में जन्मे सभी धर्म इसी युग के साथ समाप्त हो जाते हैं। यहूदी और ईसाई धर्म हाई स्कूल की तरह हैं। आप हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करके विश्वविद्यालय जाते हैं। सनातन धर्म वह विश्वविद्यालय है। वैसे, हिंदुओं को भी हाई स्कूल से विश्वविद्यालय तक पहुँचने की यही ज़रूरत है। अगले युग में आध्यात्मिक ज्ञान की मानवीय क्षमता सौ गुना बढ़ जाती है। "ईश्वर कुछ नया कहने वाले हैं," जैसा कि बाइबल में कहा गया है।

स्वर्ग में कोई धर्म नहीं है। जब आप ईश्वर की प्रत्यक्ष उपस्थिति का अनुभव करते हैं, तो किसी मध्यस्थ धर्म की आवश्यकता नहीं रह जाती। इसलिए जब ईश्वर पृथ्वी पर प्रत्यक्ष रूप से शासन करते हैं, तो धर्म पर्दे की तरह होते हैं जिन्हें हटा दिया जाता है। आप सीधे स्रोत तक पहुँच जाते हैं।

लंबे समय से प्रतीक्षित मसीहा यहाँ हैं। राजा यहाँ हैं। भगवान कल्कि यहाँ हैं। उनकी पहचान 5,000 साल पुरानी भविष्यवाणियों के पूरा होने से प्रमाणित होती है। किसी भी नकली कल्कि के पास दुनिया की किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। भगवान कल्कि ने दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया है। उन्होंने इस युग, इस कलियुग को समाप्त करने का एक रोडमैप तैयार किया है। इसे कल्किवादी घोषणापत्र कहा जाता है, जो पृथ्वी पर अर्थशास्त्र की अंतिम पुस्तक है। काम शुरू हो गया है। नेपाल पायलट प्रोजेक्ट वाला देश है।

इस्लाम: धर्म विरोधी मुस्लिमहरूलाई बचाउन आवश्यक छ

इस्लाम अधर्म हो। अल्लाह ईश्वर होइनन्, तर ईश्वर विकृत छन्। हरेक नास्तिकको तर्कको पछाडि शैतान छ। तर यो त्यहाँ रोकिँदैन। यसले एउटा नयाँ भीड पनि सिर्जना गर्छ जसको लागि यसले ईश्वरको विचारलाई नै विकृत गर्छ। इस्लामले सक्रिय रूपमा हरेक प्रमुख धर्मलाई अस्वीकार गर्दछ। उदाहरणका लागि, आज धेरै मुस्लिमहरूले इजरायलको अन्त्यको भविष्यवाणी गर्छन्। मुस्लिमहरूले गजवा-ए-हिन्दको कुरा गर्छन्, भारतमाथि विजय, प्रत्येक भारतीयलाई जबरजस्ती इस्लाम धर्ममा धर्मान्तरण गर्न। येशू कुरानमा सबैभन्दा उल्लेख गरिएको नाम हो जुन मूल रूपमा ध्वस्त पार्ने येशूको पाठ हो। पावलले नयाँ नियममा भनेका छन्, "साथीहरू, यो पुनरुत्थान, यो एक प्रकारको महत्त्वपूर्ण छ, यो विश्वासको आधार हो, यो कुनै सानो विवरण होइन।" तर कुरानले भन्छ, पुनरुत्थानलाई बिर्सनुहोस्, क्रूसमा पनि भएको थिएन। इस्लामले हिन्दू धर्ममाथि आक्रमण गर्छ। यसले भारतमा आक्रमण गर्ने र सयौं मन्दिरहरू भत्काउने कुरा बनायो। मुस्लिमहरूले मक्कामा ढुङ्गामा ढुङ्गा हानेर भन्छन् कि तिनीहरू शैतानलाई ढुङ्गा हानेका छन्, तर ढुङ्गाको पूजा गर्ने हिन्दूहरू राक्षसी हुन् भन्ने सोच्छन्। तिनीहरूले ढुङ्गामा शैतान देख्न सक्छन्, तर भगवानलाई होइन।

इस्लामको तरिका अत्याचारी छ। हेर्नुहोस् इस्लामिक गणतन्त्र इरान कसरी संगठित छ। यो आज ग्रहमा सबैभन्दा फासीवादी राज्य हो। इस्लाम बल प्रयोग गरेर फैलियो। जब मुस्लिम आक्रमणकारीहरू नयाँ भूमिमा प्रवेश गरे, तिनीहरूले मानिसहरूलाई तीन विकल्प दिए। मुस्लिम बन्नुहोस्, वा अधीनता कर तिर्नुहोस् र दोस्रो श्रेणीको नागरिक बन्न सहमत हुनुहोस्, वा मर्नुहोस्। त्यो जबरजस्ती हो। इस्लामले इस्लाम छोड्नेहरूलाई मृत्युको योग्य हुन सिकाउँछ। इस्लामले गैर-मुस्लिमहरूलाई मृत्युको योग्य काफिरहरू हुन् भनेर सिकाउँछ। इस्लामले मुस्लिमहरूलाई रणनीतिक धैर्य सिकाउँछ। जब तपाईं नयाँ भूमिमा प्रवेश गर्नुहुन्छ, र तपाईं संख्यामा सानो र कमजोर हुनुहुन्छ, धैर्य गर्नुहोस् र तपाईं धेरै र बलियो नभएसम्म पर्खनुहोस्। इस्लामले प्रत्येक मानवलाई मुस्लिम बनाउने काम गर्दछ, अत्याचारको पूर्ण फैलावट।

मुस्लिमहरूलाई इस्लामबाट बचाउन आवश्यक छ। ताकि तिनीहरूले प्रकाश देख्न सकून् र साँचो ईश्वरकहाँ आउन सकून्। र त्यसैले यस्तो आध्यात्मिक स्पष्टता प्राप्त गर्नु धेरै महत्त्वपूर्ण छ।

सकेसम्म धेरै मुस्लिमहरूलाई प्रकाश देख्न मद्दत गर्न अधिकतम प्रयास गर्नुपर्छ। तर १००% सफलता दरको आशा गर्नु अवास्तविक हुनेछ। विभिन्न धर्मशास्त्रहरूले अन्तिम युद्धको कुरा गरेका छन्। यसरी नै पछिल्ला दुई युगहरू समाप्त भए। शैतानको प्रभावमा परेकाहरूले अन्त्यसम्म लड्ने छनौट गर्छन्। युद्धबाट बच्नको लागि अधिकतम प्रयास गर्नुपर्छ। तर जब यो आउँछ, असल शक्तिहरूले मृत्यु र विनाशलाई सकेसम्म कम गर्न लड्नुपर्छ, र त्यसैले अधिकतम, अत्यधिक बलका साथ लड्नुपर्छ। अन्तिम युग महाभारतमा वर्णन गरिएको युद्धसँगै समाप्त भयो। दुर्योधनले अन्त्यसम्म लड्ने छनौट गरे। त्यसभन्दा अघिको युग रामायणमा वर्णन गरिएको युद्धसँगै समाप्त भयो। रावणले अन्त्यसम्म लड्ने छनौट गरे।

बाइबल एउटा कारणले धर्मशास्त्र हो। यसमा पूरा भएका भविष्यवाणीहरू छन्, र पूरा हुनेछन्। त्यसैले यदि भविष्यवाणीहरू भएका अन्य पुस्तकहरू छन् भने, तिनीहरू पनि धर्मशास्त्र हुन्। किनकि केवल परमेश्वर सर्वज्ञ हुनुहुन्छ र त्यस्ता सबै भविष्यवाणीहरूको स्रोत हुनुहुन्छ। त्यस मापनद्वारा हिन्दू परम्परामा धर्मशास्त्रका धेरै पुस्तकहरू छन्। ब्रिटिश औपनिवेशिक कथाहरू पार गर्नुहोस् र सनातन धर्ममा दोस्रो नजर राख्नुहोस्। यो एक मात्र धर्म हो जसमा आउने अर्को युगको लागि रूपरेखा छ, यशैयाको पुस्तकमा यति स्पष्ट रूपमा वर्णन गरिएको छ।

यहूदीहरूले पर्खेका र ४,००० वर्षभन्दा बढी समयदेखि पर्खिरहेका मसीहलाई यशैयाको पुस्तकमा सम्पूर्ण पृथ्वीको लागि एक राजाको रूपमा वर्णन गरिएको छ जसले पृथ्वीको हरेक कुनामा शान्ति र समृद्धि ल्याउँछ। अनन्त पुजारी येशूले सिकाउनुभएको प्रभुको प्रार्थनाले ईसाईहरूलाई त्यही व्यक्तितर्फ औंल्याउँछ, केवल यो अझ स्पष्ट छ। मसीह, राजा, मानव अवतारमा यहोवा बाहेक अरू कोही होइन। यहूदीहरूलाई त्यो थाहा छैन। तिनीहरूले ईसाईहरूबाट संकेत लिन आवश्यक छ। र दुवैले हिन्दूहरूलाई सोध्नु पर्छ, "यहोवा, जसलाई तिमीहरू विष्णु भन्छौ, के उहाँ पहिले पृथ्वीमा हुनुहुन्थ्यो र राजाको रूपमा शासन गर्नुभयो?" तपाईंले द्रुत जवाफ पाउनुहुनेछ: "हो। उहाँ ५,००० वर्ष पहिले भगवान कृष्ण हुनुहुन्थ्यो, र ७,००० वर्ष पहिले भगवान राम हुनुहुन्थ्यो।"

महाभारत भगवान कृष्णको वरिपरि घुम्छ। रामायण भगवान रामको वरिपरि घुम्छ। दुबै महाकाव्यहरूमा भएका हरेक प्रमुख घटनाहरू रातको आकाशको शुद्ध वर्णनको साथ आउँछन्, जुन त्यहाँको सबैभन्दा राम्रो पात्रो हो। आज नासाका वैज्ञानिकहरूले ती विवरणहरू आफ्नो आधुनिक खगोल विज्ञान सफ्टवेयरमा घुसाउँदा, तिनीहरूले हामीलाई महाभारत लगभग ५,००० वर्ष पहिले र रामायण लगभग ७,००० वर्ष पहिले भएको हुनुपर्छ भन्ने मितिहरू दिन्छन्। एक युग भनेको सहस्राब्दी भन्दा लामो समयावधि हो। जब यस युगका घटनाहरू भगवान कृष्णले त्यस युगका केही प्रमुख पात्रहरूलाई वर्णन गरेका थिए, तिनीहरू अविश्वासमा थिए। के त्यस्तो केहि हुन सक्छ? के मानिसहरूले एकअर्कालाई यति नराम्रो तरिकाले व्यवहार गर्न सक्छन्?

शैतानले तपाईंलाई कुनै ईश्वर छैन भनेर विश्वस्त पार्न खोज्छ। यसले केही मानिसहरूलाई त्यसरी नै प्राप्त गर्छ। त्यसपछि यसले तपाईंलाई विश्वस्त पार्न खोज्छ, हो, एक ईश्वर छ, तर त्यसपछि उसले त्यो ईश्वर को हो भनेर विकृत गर्छ, र आफ्नै धर्म सिर्जना गर्छ, त्यो इस्लाम हो। तर शैतानी घुसपैठ मुस्लिमहरूमा मात्र सीमित छैन। विभिन्न विश्वास परम्पराका पुजारीहरू शैतानको चालबाजीबाट सबैभन्दा कमजोर मानिसहरू हुन्, किनभने उसले उनीहरूको गर्वको भावनालाई अपील गर्दछ। जब येशूले त्यस समयका मानिसहरूलाई छोएर निको पार्नुभयो, पुजारीहरुले भने ती शैतानका कार्यहरू हुन्।

यहूदी र ईसाईहरूले सोध्नु पर्छ, के तिनीहरू उस्तै व्यवहार गर्नेछन्? वा तिनीहरू फरक तरिकाले व्यवहार गर्नेछन्। किनभने शैतानले यहूदी र ईसाई लेखनहरूमा केही घुसपैठ गर्न सफल भएको छ। शैतानले तपाईंलाई विश्वास दिलाउनेछ, तपाईंको लामो समयदेखि प्रतिक्षा गरिएको मसीह, जब उहाँ आउनुहुन्छ, जस्तै उहाँ शैतान हुनुहुन्छ। तपाईंको लामो समयदेखि प्रतिक्षा गरिएको राजा शैतान हुनुहुन्छ। के तपाईं यसको लागि फस्नुहुन्छ? वा तपाईं बुझ्ने प्रयास गर्नुहुनेछ। परमेश्वर र शैतान बीचको भिन्नता रात र दिन बीचको भिन्नता हो। परमेश्वर भलाइको अवतार हुनुहुन्छ।

यस युगमा, यो कलियुगमा जन्मेका सबै धर्महरू यस युगसँगै समाप्त हुन्छन्। यहूदी धर्म र ईसाई धर्म उच्च विद्यालयहरू जस्तै हुन्। तपाईं उच्च विद्यालय समाप्त गर्नुहुन्छ र विश्वविद्यालय जानुहुन्छ। सनातन धर्म त्यो विश्वविद्यालय हो। खैर, हिन्दूहरूलाई पनि उच्च विद्यालयबाट विश्वविद्यालयमा स्नातक गर्न उस्तै आवश्यकता छ। आध्यात्मिक ज्ञानको लागि मानव क्षमता अर्को युगमा १०० गुणा बढी छ। बाइबलमा भनिएझैं "भगवानले केही नयाँ भन्न लाग्नुभएको छ," स्वर्गमा कुनै धर्म छैन। जब तपाईं परमेश्वरको प्रत्यक्ष उपस्थिति महसुस गर्नुहुन्छ, मध्यस्थ धर्मको आवश्यकता पर्दैन। त्यसैले जब भगवानले पृथ्वीमा सिधै शासन गर्नुहुन्छ, धर्महरू पर्दाहरू हुन् जुन एकातिर धकेलिन्छन्। तपाईं सिधै स्रोतमा जानुहुन्छ।

लामो समयदेखि प्रतिक्षा गरिएको मसीह यहाँ हुनुहुन्छ। राजा यहाँ हुनुहुन्छ। भगवान कल्की यहाँ हुनुहुन्छ। उहाँको पहिचान ५,००० वर्ष पुरानो भविष्यवाणीहरू पूरा भएको प्रमाणित हुन्छ। एउटा पनि नक्कली कल्कीसँग संसारको कुनै पनि समस्याको समाधान छैन। भगवान कल्कीले संसारका सबै समस्याहरूको समाधान प्रस्ताव गर्नुभएको छ। उहाँले यो युग, यो कलियुगको अन्त्य गर्ने रोडम्याप तयार गर्नुभएको छ। यसलाई पृथ्वीमा अर्थशास्त्रको अन्तिम पुस्तक द कल्कीवादी घोषणापत्र भनिन्छ। काम सुरु भएको छ। नेपाल पाइलट परियोजना देश हो।