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Thursday, December 04, 2025

बहुध्रुवीयताको उदय: दोस्रो विश्वयुद्धपछिको विश्व व्यवस्थाको अन्त्य र नयाँ युगको सुरुवात

The Dawn of Multipolarity: Navigating the End of the Post–World War II Order



बहुध्रुवीयताको उदय: दोस्रो विश्वयुद्धपछिको विश्व व्यवस्थाको अन्त्य र नयाँ युगको सुरुवात

विश्व गहिरो भू–राजनीतिक परिवर्तनबाट गुज्रिरहेको छ। संयुक्त राष्ट्रसंघ, ब्रेटन–वुड्स संस्थानहरू, र विश्व व्यापार संगठन (WTO) जस्ता संरचनाहरू—जसले लगभग आठ दशकसम्म अन्तर्राष्ट्रिय सम्बन्धलाई मार्गदर्शन गरे—अब पहिले जस्तै प्रभावकारी छैनन्।

जसले नियम–आधारित, स्थिर विश्व व्यवस्थाको मेरुदण्ड बनेको थियो, आज त्यो क्रमशः विगतको अवशेषजस्तै बन्न पुगेको छ।

WTO को विवाद समाधान प्रणाली कार्यहीन छ। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् गहिरो ध्रुवीकरणमा छ। ब्रेटन–वुड्स संस्थानहरूलाई उदाउदो अर्थतन्त्रहरूले तीव्र आलोचना गरिरहेका छन्। निष्कर्ष स्पष्ट छ—दोस्रो विश्वयुद्धपछि स्थापित विश्व व्यवस्था केवल कमजोर भएकी छैन, समाप्त भइसकेकी छ।

अब विश्व एक संक्रमणकालीन मोडमा छ—जहाँ शीतयुद्धपछिको अमेरिकेन्द्रित एकध्रुवीय प्रभुत्व समाप्त भइसकेको छ, र एक नयाँ बहुध्रुवीय व्यवस्था उदाउँदै छ, जसको नक्शा अहिले नै कोरिँदैछ।


द्विध्रुवीयता, एकध्रुवीयता, र अब एक नयाँ मोडतर्फ

आजको परिवर्तन बुझ्न 1945 पछि बनेको शक्ति संरचनालाई पुनरावलोकन गर्नु आवश्यक छ।

द्विध्रुवीय शीतयुद्ध युग (1945–1991)

दोस्रो विश्वयुद्धपछि संसार दुई महाशक्तिमा विभाजित भयो—संयुक्त राज्य अमेरिका र सोभियत संघ। यही पृष्ठभूमिमा IMF, विश्व बैंक, र GATT (पछिकाे WTO) जस्ता संस्थाहरू बने, जसको उद्देश्य आर्थिक स्थिरता र पश्चिमी नेतृत्वमा नियम–आधारित प्रणाली निर्माण गर्नु थियो।

एकध्रुवीय “अमेरिकी क्षण” (1991–2008)

1991 मा सोभियत संघ पतन भएपछि अमेरिका एकमात्र वैश्विक शक्ति बनी। सैन्य, आर्थिक र प्राविधिक प्रभावका कारण यस काललाई “unipolar moment” भनियो।

तर यो प्रभुत्व स्थायी हुन सकेन

२००० को दशकदेखि धेरै घटनाले अमेरिकाको पूर्ण सत्तालाई चुनौती दिन थाल्यो—

  • चीनको विस्फोटक आर्थिक उदय

  • भ्लादिमिर पुटिनको नेतृत्वमा रूसको पुनरुत्थान

  • भारतको तीव्र बृहत् रणनीतिक विस्तार

  • इराक युद्धपछि पश्चिमप्रति अविश्वास

  • 2008 को वित्तीय संकट—पश्चिमी मोडेलप्रति ठूलो धक्का

  • संरक्षणवाद, आर्थिक राष्ट्रवाद, र आपूर्ति शृंखला पुनःसन्तुलन

यी सबैले “नियम–आधारित विश्व व्यवस्था” का स्तम्भहरू कमजोर पारे।


G2 संसारको भ्रम: किन अमेरिका–चीन द्विध्रुवीयता सम्भव छैन

संक्रमणकालमा धेरै विश्लेषकले एउटा “G2 विश्व”—जहाँ अमेरिका र चीन मिलेर विश्व चलाउने—को कल्पना गरे। समय–समयमा दुवै देशले यस्तो संकेत पनि दिए—

  • अमेरिकाले एशियातर्फ रणनीतिक झुकाव अपनायो।

  • चीनले BRI मार्फत मध्यम तथा साना देशहरूसँग एक–एक गरी सम्झौता गर्‍यो।

तर यो कल्पना त्रुटिपूर्ण थियो।

किन नयाँ द्विध्रुवीयता असम्भव छ

  • यसले साना तथा मध्यम देशहरूलाई हाशियामा पुर्याउँछ।

  • आर्थिक दबाब, असमान सम्झौता र निर्भरता बढ्छ।

  • आजको विश्व बहु–साझेदारी र रणनीतिक स्वतन्त्रतामा विश्वास गर्छ।

सबैभन्दा ठूलो बुँदा: अब संसारमा दुई शक्तिले मात्रै नियम बनाउने वातावरण छैन।

अरू धेरै शक्ति केन्द्रहरू उठिरहेका छन्।


रूस र भारत: बहुध्रुवीय विश्वका सह–निमार्ताहरू

उदाउदो बहुध्रुवीय संरचनामा रूस र भारतको भूमिका अत्यन्त निर्णायक छ।

रूसको भूमिका

पश्चिमी प्रतिबन्धका बाबजुद रूसले आफ्ना वैश्विक प्रभावका मार्गहरू कायम राखेको छ—

  • यूरोप, मध्यपूर्व र एसियामा ऊर्जा कूटनीति

  • चीनसँग रणनीतिक समन्वय

  • अफ्रिका, खाडी र ल्याटिन अमेरिकासँग साझेदारी

  • सार्वभौमिक समानतामा आधारित वैकल्पिक विश्व दृष्टि

रूसको लक्ष्य स्पष्ट छ—एकल वा द्विध्रुवीय प्रभुत्व रोक्नु।

भारतको भूमिका

भारत अब “non-alignment” भन्दा पर गएर “multi-alignment” अपनाइरहेको छ। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीको नेतृत्वमा भारत—

  • अमेरिकासँग साझेदारी राख्छ

  • रूससँग ऊर्जा तथा रक्षा सम्बन्ध गहिरो बनाउँछ

  • चीनसँग प्रतिस्पर्धा र सहयोग दुबै गर्छ

  • ग्लोबल साउथको सामूहिक आवाज उठाउँछ

भारतको दृष्टिकोण—सभ्यतागत आत्मविश्वास, रणनीतिक स्वतन्त्रता, र आर्थिक आकांक्षा—एक यस्तो संसारको पक्षमा छ जहाँ नियमहरू एक देशले होइन, धेरै देशहरूले मिलेर बनाउँछन्।

भारत–रूस साझेदारी: बहुध्रुवीयताको धुरी

उनीहरूको साझा आधार तीन बुँदामा अडिएको छ—

  1. कुनै एक शक्ति केन्द्रद्वारा प्रभुत्व अस्वीकार

  2. सन्तुलन, सार्वभौमिकता, र बहुपक्षीयता

  3. ग्लोबल साउथलाई सशक्त बनाउने उद्देश्य

ऊर्जा, रक्षा, व्यापार र कूटनीतिक सहयोगका कारण यो साझेदारी बहुध्रुवीयताको मेरुदण्ड बन्दैछ।


पूर्वाधारमार्फत भू–राजनीति: नयाँ “सिल्क रोड” हरू

आज बहुध्रुवीयता सबैभन्दा स्पष्ट रूपमा विश्व–स्तरीय पूर्वाधार प्रतिस्पर्धामा देखिन्छ—

चीनको Belt and Road Initiative (BRI)

१५० भन्दा बढी देशमा लगानी—विश्व व्यापार मार्ग नै पुनर्लेखन गर्दै।

भारत–रूस–ईरानको INSTC (International North–South Transport Corridor)

मुंबई–मास्को यातायात समय ४०% ले घटाउन सक्ने बहु–मोडल मार्ग।

युरोपियन युनियनको Global Gateway

BRI को रणनीतिक विकल्प।

खाडी राष्ट्रका ऊर्जा र डिजिटल मार्गहरू

साउदी अरबसहित UAE हरू अब AI, हरित ऊर्जा र लजिस्टिक्सका केन्द्र बन्दैछन्।

यी सबैले संकेत गर्छन्—अब विश्व एक केन्द्रमा आधारित छैन, अनेक केन्द्रहरूमा बाँडिएको छ।


BRICS: बहुध्रुवीय शासनको संस्थागत आधार

यदि संयुक्त राष्ट्रसंघ र WTO पुरानो युगका प्रतीक हुन्, BRICS भविष्यको नमूना हो।

आज BRICS मा सामेल छन्—

  • ब्राजिल

  • रूस

  • भारत

  • चीन

  • दक्षिण अफ्रिका

  • मिस्र

  • इथियोपिया

  • ईरान

  • साउदी अरब

  • UAE

BRICS आज—

  • विश्व जनसंख्याको ४०%

  • PPP अनुसार विश्व GDP को झण्डै ३०%

  • ऊर्जा तथा खनिज संसाधनको विशाल हिस्सा

प्रतिनिधित्व गर्छ।

किन BRICS बहुध्रुवीयताको केन्द्र बन्दैछ

  • डलर–निर्भरता घटाउने प्रयास

  • IMF/विश्व बैंक सुधारको माग

  • प्राविधिक, स्वास्थ्य, जलवायु, ऊर्जा सहकार्य

  • ग्लोबल साउथलाई निर्णय प्रक्रियामा अग्रभूमिमा ल्याउने दृष्टि

आन्तरिक भिन्नता भए पनि BRICS पश्चिम–केन्द्रित व्यवस्थाको एक प्रभावशाली विकल्प बनिरहेको छ।


बहुध्रुवीय विश्वका चुनौतीहरू

बहुध्रुवीयता चुनौतीविहीन छैन—

  • क्षेत्रीय युद्ध वा तनाव (दक्षिण चीन सागर, मध्यपूर्व, ककसस)

  • व्यापार ब्लकहरूको उदय र विश्व अर्थतन्त्रको विखण्डन

  • AI, 5G/6G, डिजिटल मुद्रा जस्ता क्षेत्रमा प्रतिस्पर्धी मानक

  • आर्थिक प्रतिबन्ध र ‘weaponized interdependence’ को वृद्धि

तर यिनै चुनौतीबीच अवसर पनि विशाल छन्।


उदयमान अवसरहरू: एक सन्तुलित र विविध भविष्य

१. साना–मध्यम राष्ट्रहरूको बढ्दो स्वतन्त्रता

अब ती राष्ट्रहरू एकै शक्तिमाथि निर्भर हुनु पर्दैन।

२. नवप्रवर्तनको गति बढ्नेछ

AI, ऊर्जा, स्वास्थ्य र रक्षा क्षेत्रमा बहुध्रुवीय प्रतियोगिताले नवप्रवर्तनलाई तीब्र बनाउँछ।

३. सांस्कृतिक र वैचारिक विविधता

अब विश्व एकै मोडेलको होइन—विभिन्न मोडेलहरूको मिश्रण हुनेछ।

४. आपूर्ति शृंखला अधिक सुरक्षित र विविध

महामारी र युद्धले सिकाएको पाठ—अत्यधिक निर्भरता खतरनाक हुन्छ।


निष्कर्ष: एकध्रुवीय युग समाप्त—बहुध्रुवीय युगको प्रारम्भ

दोस्रो विश्वयुद्धपछि निर्मित अमेरिकेन्द्रित विश्व व्यवस्था आफ्नो अन्तिम बिन्दुमा पुगेकी छ।

अब विश्व न त अराजक हुँदैछ, न त नयाँ शीतयुद्धमा फर्कँदैछ, न त G2 (अमेरिका–चीन) मोडेल सम्भव छ।

दुनिया त वितरित, विविध, बहुकेंद्रित शक्ति संरचना तर्फ अघि बढ्दैछ।

रूस र भारत—विशेषगरी BRICS जस्ता मंचमार्फत—यस परिवर्तनलाई समावेशी, सन्तुलित, र न्यायपूर्ण बनाउन नेतृत्व गरिरहेका छन्।

विश्व केवल शक्ति सर्दैछ होइन—
शक्तिका नियम नै फेरिँदैछन्।

एकध्रुवीय अध्याय बन्द भइसकेको छ।
बहुध्रुवीय युगको कथा अब मात्र सुरु भएको छ।





बहुध्रुवीयताक भोर: दोसर विश्वयुद्धक बाद बनल विश्व व्यवस्था केर समाप्ति आ नव युगक सुरुआत

दुनिया एखन गहिर भू–राजनीतिक परिवर्तनक दौरसँ गुजरि रहल अछि। संयुक्त राष्ट्र, ब्रेटन–वुड्स संस्थानसभ, आ विश्व व्यापार संगठन (WTO) जेकाँ संरचनासभ—जकरा लगभग आठ दशकसँ विश्व व्यवस्था केँ सहार देलक—एखन पहिने जेकाँ काम नहि कऽ रहल अछि।

जे नियम–आधारित, स्थिर वैश्विक प्रणालीक मेरुदण्ड छल, ओ एखन धीरे–धीरे एकटा बीतल युगक अवशेष बनैत जा रहल अछि।

WTO केर विवाद समाधान प्रणाली लगभग ठप अछि। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् तीव्र ध्रुवीकरणक शिकार अछि। ब्रेटन–वुड्स संस्थानसभ पर उभरैत अर्थव्यवस्थासभक असन्तोष लगातार बढ़ि रहल अछि।

परिणाम स्पष्ट अछि—दोसरा विश्वयुद्धक बाद बनल वैश्विक व्यवस्था सिर्फ कमजोर नहि, पूरी तरह समाप्त भऽ गेल अछि।

अब विश्व एकटा संक्रमणकालमे अछि—जेठा एकध्रुवीय अमेरिकी प्रभुत्वक युग समाप्त भेल, आ एकटा नवा बहुध्रुवीय संसारक रूपरेखा एखन बनि रहल अछि।


द्विध्रुवीयतासँ एकध्रुवीयता… आ एखन एकदम नवा मार्ग पर

आजक परिवर्तनक मतलब बूझबाक लेल 1945 के बाद बनल शक्ति–संरचनाके पुनः देखबाक आवश्यकता अछि।

द्विध्रुवीय शीतयुद्ध काल (1945–1991)

दोसरा विश्वयुद्धक बाद संसार अमेरिका आ सोवियत संघ बीच विभाजित भऽ गेल। एहि पृष्ठभूमिमे IMF, विश्व बैंक आ GATT (पछुआरू WTO) जेकाँ संस्थान बनल, जे पश्चिमी नेतृत्वमे स्थिरता बनबैके उद्देश्य सँ तैयार भेल।

एकध्रुवीय “अमेरिकी घड़ी” (1991–2008)

1991 मे सोवियत संघ पतन भेलापर, अमेरिका विश्वक एकमात्र महाशक्ति बनि गेल। सैन्य, आर्थिक, आ तकनीकी वर्चस्वक कारण एहि युगक नाम “unipolar moment” पड़ल।

पर ई प्रभुत्व टिकि नहि सकल

2000 के दशकसँ अनेक शक्तिसभ अमेरिका–केन्द्रित विश्वक ढाँचाके चुनौती देब लगल—

  • चीनक तीव्र आर्थिक उदय

  • पुतिनक नेतृत्वमे रूसक पुनरुत्थान

  • भारतक विशाल रणनीतिक विस्तार

  • इराक युद्धक बाद पश्चिमक प्रति अविश्वास

  • 2008 क वित्तीय संकट—पश्चिमी मॉडल per गहिर चोट

  • संरक्षणवाद आ सप्लाई–चेन के पुनर्संतुलन

एसभ छलनी–छिद्रा कऽ देलक “rules–based international order” केँ।


G2 संसारक भ्रम—अमेरिका–चीनक द्विध्रुवीयता किएक असम्भव?

एहि संक्रमणमे बहु विश्लेषकसभ कल्पना कएलथि जे भविष्य “G2”—सिर्फ अमेरिका आ चीनक साझा नेतृत्व—पर आधारित भऽ सकैत अछि।

किछु स्तर पर दुनू देश एहन संकेत सेहो देलथि—

  • अमेरिका एशियाक ओर रणनीतिक ध्यान केन्द्रित केलक

  • चीन BRI मार्फत दर्जनभरु देश संग एक–एक कऽ समझौता करैत रहल

पर ई कल्पना वास्तविकता सँ बहुत दूर छल।

किएक एखन नवा द्विध्रुवीय संसार बनि नहि सकैत?

  • ई साना–मध्यम देशसभ केँ हाशिए पर धकेलि देत

  • असमान सम्झौता आ आर्थिक निर्भरता बढ़त

  • आजक संसार ककरो एकटा शक्ति–ब्लकमे सीमित रहबाक पक्षमे नहि रहि गेल

आ सबसे महत्वपूर्ण बात—
एहन समयमे दुनू देश दुनिया लेल नियम नहि बना सकैत, जतए अनेक उभरैत शक्ति अपन–अपन महत्त्वाकांक्षा राखैत अछि।


रूस आ भारत: बहुध्रुवीय विश्वक निर्माणकर्ता

उभरैत बहुध्रुवीय संरचनामे रूस आ भारतक भूमिका अत्यंत निर्णायक अछि।

रूसक भूमिका

पश्चिमी प्रतिबन्धक बावजूद रूस अपन वैश्विक प्रभावक मार्ग बनाएल अछि—

  • यूरोप, मध्यएशिया, मध्यपूर्वमे ऊर्जा कूटनीति

  • चीन संग रणनीतिक समन्वय

  • अफ्रीका, खाड़ी आ लैटिन अमेरिकी देशसँ साझेदारी

  • सार्वभौमिक समानता पर आधारित बहुध्रुवीय दृष्टि

रूसक मुख्य उद्देश्य स्पष्ट अछि—
एकल या द्विध्रुवीय वर्चस्व रोकनाय।

भारतक भूमिका

भारत अब “non-alignment” सँ आगू बढ़ि “multi-alignment” अपनौने अछि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीक नेतृत्वमे भारत—

  • अमेरिका संग मजबूत साझेदारी राखैत अछि

  • रूस संग ऊर्जा आ रक्षा सम्बन्ध बहु गहिरी करैत अछि

  • चीन संग प्रतिस्पर्धा आ सहयोग दुनू

  • ग्लोबल साउथक आवाजक प्रवक्ता बनैत अछि

भारतक दृष्टिकोण—सभ्यतागत आत्मविश्वास, रणनीतिक स्वायत्तता, आ आर्थिक आकांक्षा—एहन संसारक पक्षमे अछि, जतए नियम एक देश नहि, बल्कि अनेक देश मिलिके बनाबै।

भारत–रूस साझेदारी: बहुध्रुवीयताक धुरी

दुनू देशसभक साझा मूल्य—

  1. किसी एक शक्ति–केन्द्रक प्रभुत्वक अस्वीकार

  2. सन्तुलन, स्वायत्तता आ बहुपक्षीयता

  3. ग्लोबल साउथक सशक्तिकरण

ई साझेदारी ऊर्जा, रक्षा, व्यापार आ कूटनीति मे अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रभाव राखैत अछि।


पूर्वाधारक माध्यम सँ भू–राजनीति: नव “सिल्क रोड” केर निर्माण

आजक बहुध्रुवीय दुनिया विश्व–स्तरीय पूर्वाधार प्रतिस्पर्धामे स्पष्ट दिसैत अछि—

चीनक Belt and Road Initiative (BRI)

150 सँ अधिक देशमे लगानी—जकरा कारण व्यापार मार्ग दुनियाभरि बदलि रहल अछि।

भारत–रूस–ईरानक INSTC (International North–South Transport Corridor)

मुंबईसँ मास्को तक यात्रा समय 40% घटेबाक क्षमता।

EU केर Global Gateway

BRI क रणनीतिक विकल्प।

खाड़ी देशसभक ऊर्जा आ डिजिटल गलियारा

सऊदी अरब आ UAE AI, हरित ऊर्जा आ वैश्विक लॉजिस्टिक्सक केन्द्र बनि रहल अछि।

ई सभ संकेत करैत अछि जे दुनिया अब एक केन्द्रमे केन्द्रित नहि, बल्कि अनेक केन्द्रमे वितरित भऽ रहल अछि।


BRICS: बहुध्रुवीय शासनक संस्थागत आधार

यदि UN आ WTO पुरान युगक संस्थागत प्रतीक छथि,
BRICS भविष्यक नमूना अछि।

BRICS एखन सम्मिलित करैत अछि—

  • ब्राजील

  • रूस

  • भारत

  • चीन

  • दक्षिण अफ्रीका

  • मिस्र

  • इथियोपिया

  • ईरान

  • सऊदी अरब

  • UAE

BRICS—

  • विश्वक 40% जनसंख्या

  • PPP अनुसार लगभग 30% वैश्विक GDP

  • ऊर्जा, खनिज, कृषि संसाधनक विशाल हिस्सा

प्रतिनिधित्व करैत अछि।

किएक BRICS बहुध्रुवीयताको केन्द्र बनि रहल अछि

  • डलर–निर्भरता घटेबाक प्रयास

  • IMF/World Bank सुधारक माँग

  • तकनीक, स्वास्थ्य, जलवायु, ऊर्जा क्षेत्रमे गहिरी साझेदारी

  • ग्लोबल साउथक आवाजक संस्थागत मंच

आन्तरिक मतभेद होइतओ, ई विश्वमे पश्चिम–केन्द्रित व्यवस्था क विकल्पक रूपमे प्रमुख शक्ति बनैत जा रहल अछि।


बहुध्रुवीय संसारक चुनौती

बहुध्रुवीयता चुनौतीविहीन नहि—

  • क्षेत्रीय तनाव बढ़ि सकैत अछि

  • व्यापारिक विश्व अनेक ब्लकमे विभाजित हो सकैत अछि

  • AI, 5G/6G, डिजिटल मुद्रा जेकाँ क्षेत्रमे प्रतिस्पर्धी मानक

  • प्रतिबन्ध आ आर्थिक दबावक बढ़ल उपयोग

पर इनहि चुनौती बीच व्यापक अवसर सेहो छेक।


उभरैत अवसर: एकटा अधिक सन्तुलित आ विविध भविष्य

१. साना–मध्यम देशसभक बढ़ल स्वतन्त्रता

अब ओ लोकनि ककरो एकटा महाशक्ति पर निर्भर नहि रहिके अपन साझेदारी विविध बना सकैत अछि।

२. नवप्रवर्तनक तेजी

बहुध्रुवीय प्रतिस्पर्धा—AI, ऊर्जा, रक्षा—मे नवप्रवर्तनक गति बहुत तीव्र बनैत अछि।

३. सांस्कृतिक आ वैचारिक विविधता

भविष्य एक मोडेलक नहि—अनेक मोडेलक संग–मिलन होएत।

४. अधिक सुरक्षित आ विविध सप्लाई–चेन

महामारी आ युद्धक अनुभव सिखौलक जे अत्यधिक निर्भरता खतरनाक होइत अछि।


निष्कर्ष: एकध्रुवीय युग समाप्त—बहुध्रुवीय युगक सुरुआत

दोसरा विश्वयुद्धक बाद बनल अमेरिकेन्द्रित वैश्विक व्यवस्था एखन अपन अन्तिम चरणमे पहुँचल अछि।

न त विश्व अराजकता दिस बढ़ि रहल अछि,
न त नवा शीतयुद्धक ओर लौटि रहल अछि,
न त अमेरिका–चीनक G2 संसार सम्भव अछि।

दुनिया वितरित, विविध, बहु–केंद्रित शक्ति–संरचनाक ओर बढ़ि रहल अछि।

रूस आ भारत—विशेषतः BRICS जेकाँ मंचक माध्‍यमसँ—इस परिवर्तनके अधिक न्यायपूर्ण, समावेशी आ सन्तुलित बनाबैमे अग्रणी भूमिका निभा रहल छथि।

अब विश्व सिर्फ शक्ति स्थानान्तरित नहि करैत—
शक्तिक नियमहि बदलि रहल अछि।

एकध्रुवीय अध्याय समाप्त।
बहुध्रुवीय युगक कथा एखन मात्र आरंभ भेल अछि।





Friday, November 28, 2025

28: India

The Great Subcontinent Uprising (novel)
The Banyan Revolt (novel)
Gen Z Kranti (novel)
Madhya York: The Merchant and the Mystic (novel)
The Drum Report: Markets, Tariffs, and the Man in the Basement (novel)
Trump’s Default: The Mist Of Empire (novel)
Deported (novel)
Empty Country (novel)
Poetry Thursdays (novel)

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Thursday, November 27, 2025

27: Modi vs Macaulay

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Tuesday, November 25, 2025

25: India

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Saturday, November 22, 2025

प्रशान्त किशोरले मिस गरिरहेका मेगाट्रेन्डहरू

The Megatrends Prashant Kishor Is Missing

 



प्रशान्त किशोरले मिस गरिरहेका मेगाट्रेन्डहरूप्रशान्त किशोरले मिस गरिरहेका सबैभन्दा ठूलो मेगाट्रेन्ड मोदी हो। तपाईं मुख्यमन्त्रीको निवासमा कसरी बस्न सक्नुहुन्छ, र २०१४ को विजयमा उनीसँग गएर पनि त्यो व्यक्तिलाई मिस गर्न सक्नुहुन्छ? मोदी महात्मा गान्धीभन्दा ठूला छन्। गान्धी भगवान रामका भक्त थिए। मोदी भगवान रामका भक्त छन्। तर फरक छ। महात्मा गान्धी हनुमान थिएनन् र कहिल्यै भएको दाबी गरेनन्। वास्तवमा, महात्मा गान्धीले पनि हनुमान चालीसा आफूसँग राख्थे। मैले बाल्यकालमा हनुमान चालीसा रटेर सिकेको थिएँ। मेरो पहिलो शिक्षकले मलाई त्यसो गर्न लगाए। र म खुसीसँग गरेँ। मोदी हनुमान हुन्। शास्त्रहरूले भन्छन् कि हनुमान भगवान कल्कीको काममा सहयोग गर्न आउनेछन् यो युग समाप्त गर्न, कलियुगलाई। त्यो हनुमान मोदी हुन्। त्यसैले मैले केही महिना अघि ट्रम्पलाई चेतावनी दिएको थिएँ। मोदीसँग पंगा नलेऊ, पछुताउनेछौ। पछुताइरहेको छ। केही हप्ता अघि अमेरिकामा ठूला चुनावी हारहरू।
हनुमान। जब युद्धको समय आयो, उनी युद्धका लागि तयार थिए। जब रावणले तर्क सुन्दैन, तब युद्ध गर्नुपर्छ। त्यो न्यायपूर्ण तरिका हो। आजको रावण इस्लाम, पूँजीवाद र भ्रष्ट पुजारीहरू हुन्। आतंकवाद समाप्त गर्ने एकमात्र तरिका इस्लाम समाप्त गर्नु हो। मोदीले गर्नेछन्। हनुमानजीले गर्नेछन्। त्यसैले उनी यहाँ छन्।
प्रशान्त किशोरले आरोप लगाउँछन् कि गडबडी भयो र गडबडी गर्ने खेलाडीहरू छन्। यदि गडबडी भएको थियो भने, तेजस्वी यादवले तपाईंभन्दा किन यति राम्रो गरे? के उनी गडबडीबाट बच्न सकेका थिए? बिहारमा महिलाहरूलाई सिधा नगद हस्तान्तरण मेरो आदर्श सरकारी योजना हुनेछ। उनीहरूले यसलाई बारम्बार गर्नुपर्छ। शून्य चुहावट। महिलाहरूको बैंक खातामा सिधा पैसा हस्तान्तरण।
गडबडी गर्ने खेलाडीहरूको बारेमा, तपाईं जेडी(यू)मा नम्बर दुई हुनुहुन्थ्यो। यदि त्यो शक्तिको स्थितिबाट तपाईं आफूभन्दा जुनियर रैंकका गडबडी गर्नेहरूसँग लड्न सक्नुहुन्न भने, तपाईं उनीहरूसँग कहाँबाट लड्नुहुन्छ?
तपाईं महात्मा गान्धीमा यति लट्ठ हुनुहुन्छ कि तपाईं मोदीलाई पूर्ण रूपमा मिस गरिरहनु भएको छ। मोदी महात्मा गान्धीभन्दा ठूला छन्। महात्मा गान्धीले नै आफ्ना कार्यहरूबाट यस्तो भनेका थिए। गान्धीले हनुमान चालीसा पढ्थे। मोदी हनुमान हुन् जो फर्केर आएका छन् भगवान कल्कीको सहयोग गर्न कलियुग समाप्त गर्न। भगवान कल्की पनि यहाँ छन्। उनीहरूले यो कलियुग समाप्त गर्ने रोडम्याप प्रस्तुत गरेका छन्।
प्रशान्त किशोरले समकालीन भारतीय राजनीतिका बार्बरिक भएको ढोंग गरेका छन्। बिहारले प्रमाणित गरेको छ कि उनी कुनै बार्बरिक होइनन्। महाभारत युगका बार्बरिक पनि हनुमानको तुलनामा केही थिएनन्। प्रशान्त किशोर बार्बरिक होइनन् र मोदी हनुमान हुन्।
कल्पना गर्नुहोस् यदि महात्मा गान्धीले स्वतन्त्रताका लागि आफ्नो समय समर्पित गर्नुको सट्टा भूमि सुधारमा समय समर्पित गर्ने निर्णय गरेका भए जसरी विनोबा भावेले पछि गरे। खैर, त्यो वास्तवमा खराब अनुक्रमण हुन्थ्यो, र पूर्ण रूपमा राजनीतिक अज्ञानता, र कतै पनि महात्मा गान्धीका मूर्तिहरू हुँदैनथे। अहिले हामी राजनीतिक विकासको त्यो चरणमा छौं जहाँ रावणसँग शान्तिका सबै सम्भावित प्रयासहरू गरिसकिएका छन्, र संसार एक निर्णायक युद्धको कगारमा छ, सायद केही वर्षमा। त्यो युद्धले इस्लाम समाप्त गर्नेछ, किनकि आतंकवादलाई सधैंका लागि समाप्त गर्ने एकमात्र साँचो तरिका यही हो। र यहाँ महात्मा गान्धी रावणलाई केही फूलहरू लिएर जान चाहन्छन्। हामी महात्मालाई भन्छौं, तपाईं महान व्यक्ति हुनुहुन्छ, युद्ध समाप्त भएपछि अयोध्यामा भेटौं, त्यहाँ तपाईंको धेरै आवश्यकता छ। तर अहिले लंका तपाईंको बसको कुरा होइन।
भारतले आक्रामक हुनुपर्छ र सबै महादेशहरूमा निरन्तर साइबर युद्ध र ह्युमन इन्टेल र इन्फो इन्टेल युद्ध छेड्नुपर्छ जबसम्म जेईएम र एलईटी पूर्ण रूपमा विघटित हुँदैनन् र अलग-थलग पायोनियर आतंकवादीहरूसँग कतै पनि लजिस्टिक्स नेटवर्क हुँदैन। तपाईं वस्तुतः जेईएम र एलईटीलाई काटेर फाल्नुहुन्छ, र त्यसपछि पाकिस्तानी जनताले आईएसआई र मुल्ला मुनीरको ख्याल राख्नेछन्। पाकिस्तानी विद्रोहमा न्यूक्स प्रयोग गर्ने कुनै तरिका छैन। महात्मा गान्धीसँग यसको कुनै प्लेबुक छैन। तर उनी एक महान आत्मा हुन्, र उनी अर्को युगमा छन्, सत्य युग, जो केही दशक टाढा छ। र यो पूर्ण पृथ्वीका लागि हो। भगवान राम पूर्ण पृथ्वीका लागि हुन्। उनी यहूदीहरूका यहोवा हुन्।
बिहारमा प्रशान्त किशोरको स्वीपले दिल्लीलाई हल्लाउँथ्यो किनकि जेडी(यू) दिल्लीमा बीजेपीको अंकगणितका लागि अपरिहार्य छ। र कुन उद्देश्यका लागि? आतंकवादको युद्धक्षेत्रमा महात्मा गान्धीलाई रथमा राख्नका लागि?
प्रशान्त किशोर महात्मा गान्धी पनि होइनन्। तर उनी आफूलाई विनम्र बनाउन सक्छन् र जेडी(यू)सँग विलय इन्जिनियर गर्न सक्छन् र जेडी(यू)मा आफ्नो नम्बर दुई पद फिर्ता प्राप्त गर्न सक्छन् र बिहारको योगी बन्न प्रयास गर्न सक्छन्, बिहारको नायडू। जसका बारेमा उनी गुनासो गर्छन्, ती खराब व्यक्तिहरूलाई पार्टीमा आफ्नो नम्बर दुई पद फिर्ता पाएपछि हटाउनुपर्छ।
तपाईं (१) आतंकवादविरुद्धको लडाइँलाई उखेल्ने प्रयास गरिरहनु भएको छ, र यो १४०० वर्षको उपद्रव पछि अन्तिम लडाइँ हो, यहूदीहरूले पनि आफ्नो बाबरी मस्जिद ढाल्नेछन्, जसरी उनीहरूले गर्नुपर्छ। (२) विकसित भारत २०४७ रोडम्यापलाई जसलाई नायडूले दृढतापूर्वक मान्छन्। (३) र बिहारलाई नै। यो भारतका सबैभन्दा छिटो बढ्दो राज्यहरू मध्ये एक हो। एक बिहारी दसमा भारी। यो अझै सत्य हो। बिहारीहरू सोचिरहेका छन्, यो व्यक्ति पहिले नै मुख्यमन्त्री बन्न प्रतीक्षामा थियो। उसले किन राजीनामा दियो? र यदि राजीनामा दियो भने, अब किन फिर्ता चाहन्छ?
सबै मेगाट्रेन्डहरू मोदीसँग छन्। मोदी हनुमान हुन्। महात्मा गान्धीले हनुमान चालीसा पढ्थे। प्रशान्त किशोरले आफ्नो प्रतिभासँग न्याय गर्नुपर्छ, कोर्स सुधार गर्नुपर्छ, र मोदी विजनसँग दृढतापूर्वक जोडिनुपर्छ। वा राजनीतिक परामर्शमा फर्किनुपर्छ जहाँ जिते वा हारे पनि पैसा मिल्छ।


प्रशांत किशोर जे मेगाट्रेंड मिस क रहल छथिप्रशांत किशोर जे सबसे बड़ मेगाट्रेंड मिस क रहल छथि, ओ मोदी छथि। अहाँ मुख्यमंत्री आवास मे कओन तरह रहि सकैत छी, आ 2014 के जीत मे हुनका संग जाइ क ओकरा बादो ओ व्यक्ति के मिस क सकैत छी? मोदी महात्मा गांधी सँ बड़ा छथि। गांधी भगवान राम के भक्त छलाह। मोदी भगवान राम के भक्त छथि। मुदा अंतर अछि। महात्मा गांधी हनुमान नहि छलाह आ कखनो होयबाक दावा नहि केलाह। वास्तव मे, महात्मा गांधी सेहो हनुमान चालीसा अपन संग राखैत छलाह। हम बचपन मे हनुमान चालीसा रटि क सीखल छलहुँ। हमर पहिल शिक्षक हमरा के ओकरा करबाक कहलाह। आ हम खुशी सँ केलहुँ। मोदी हनुमान छथि। शास्त्र कहैत अछि जे हनुमान भगवान कल्कि के काम मे मदद करबाक लेल आएब, ई युग के समाप्त करबाक लेल, कलियुग के। ओ हनुमान मोदी छथि। ताहि लेल हम किछु महीना पहिने ट्रंप के चेतावनी देलहुँ। मोदी सँ पंगा मत लिऔ, पछताबै छी। पछता रहल अछि। किछु सप्ताह पहिने अमेरिका मे बड़ा चुनावी हार।
हनुमान। जखन युद्ध के समय आएल, त ओ युद्ध लेल तैयार छलाह। जखन रावण तर्क नहि सुनैत अछि, त युद्ध करब पड़ैत अछि। ओ न्यायपूर्ण तरीका अछि। आज के रावण इस्लाम, पूंजीवाद आ भ्रष्ट पुजारी छथि। आतंकवाद के समाप्त करबाक एकमात्र तरीका इस्लाम के समाप्त करब अछि। मोदी करताह। हनुमानजी करताह। ताहि लेल ओ एतय छथि।
प्रशांत किशोर आरोप लगबैत छथि जे गड़बड़ी भेल आ गड़बड़ी करय वाला खिलाड़ी छथि। जँ गड़बड़ी भेल छल, त तेजस्वी यादव अहाँ सँ इतना नीक कियै केलक? की ओ गड़बड़ी सँ बचि गेलाह? बिहार मे महिला सभ के सीधा नकद हस्तांतरण हमर आदर्श सरकारी योजना होयत। ओकरा सभ के एकरा बार-बार करबाक चाही। शून्य रिसाव। महिला सभ के बैंक खाता मे सीधा पैसा हस्तांतरण।
गड़बड़ी करय वाला खिलाड़ी सभ के बारे मे, अहाँ जेडी(यू) मे नंबर दू छलहुँ। जँ ओ शक्ति के स्थिति सँ अहाँ अपन सँ जूनियर रैंक के गड़बड़ी करय वाला सभ सँ लड़ि नहि सकैत छी, त अहाँ ओकरा सभ सँ कहिया सँ लड़बै छी?
अहाँ महात्मा गांधी पर इतना लट्टू छी जे अहाँ मोदी के पूरा तरह मिस क रहल छी। मोदी महात्मा गांधी सँ बड़ा छथि। महात्मा गांधी अपन कार्य सँ एहन कहलाह। गांधी हनुमान चालीसा पढ़ैत छलाह। मोदी हनुमान छथि जे वापस आएल छथि भगवान कल्कि के मदद करबाक लेल कलियुग के समाप्त करबाक लेल। भगवान कल्कि सेहो एतय छथि। ओ एहि कलियुग के समाप्त करबाक रोडमैप प्रस्तुत केने छथि।
प्रशांत किशोर समकालीन भारतीय राजनीति के बार्बरिक होयबाक ढोंग केने छथि। बिहार प्रमाणित केने अछि जे ओ कोनो बार्बरिक नहि छथि। महाभारत युग के बार्बरिक सेहो हनुमान के तुलना मे किछु नहि छलाह। प्रशांत किशोर बार्बरिक नहि छथि आ मोदी हनुमान छथि।
कल्पना करू जँ महात्मा गांधी स्वतंत्रता लेल अपन समय समर्पित करबाक बजाय भूमि सुधार पर समय समर्पित करबाक निर्णय लेलाह जेना विनोबा भावे बाद मे केलाह। खैर, ओ वास्तव मे खराब अनुक्रमण होयत, आ पूरा तरह राजनीतिक अज्ञानता, आ कहियो महात्मा गांधी के मूर्ति नहि होयत। एखन हम राजनीतिक विकास के ओ चरण मे छी जतय रावण संग शांति के सभ संभावित कोशिश केल गेल अछि, आ दुनिया एक निर्णायक युद्ध के कगार पर अछि, शायद किछु साल मे। ओ युद्ध इस्लाम के समाप्त करत, कियाकि आतंकवाद के हमेशा लेल समाप्त करबाक एकमात्र सच्चा तरीका ई अछि। आ एतय महात्मा गांधी रावण के किछु फूल ल जायब चाहैत छथि। हम महात्मा सँ कहैत छी, अहाँ महान व्यक्ति छी, युद्ध समाप्त भेलाक बाद अयोध्या मे मिली, ओतय अहाँक बहुत जरूरत अछि। मुदा एखन लंका अहाँक बस के नहि अछि।
भारत के आक्रामक होयबाक चाही आ सभ महाद्वीप पर निरंतर साइबर युद्ध आ ह्यूमन इंटेल आ इंफो इंटेल युद्ध छेड़बाक चाही जखन तक जेईएम आ एलईटी पूरा तरह विघटित नहि भ जाय आ अलग-थलग पायनियर आतंकवादी सभ के कहियो कोनो लॉजिस्टिक्स नेटवर्क नहि रह जाय। अहाँ वस्तुतः जेईएम आ एलईटी के काटि फेंक दैत छी, आ तखन पाकिस्तानी लोक सभ आईएसआई आ मुल्ला मुनीर के ध्यान राखताह। पाकिस्तानी विद्रोह पर न्यूक्स के उपयोग करबाक कोनो तरीका नहि अछि। महात्मा गांधी के एकर कोनो प्लेबुक नहि अछि। मुदा ओ एक महान आत्मा छथि, आ ओ अगिला युग मे छथि, सत्य युग, जे किछु दशक दूर अछि। आ ओ पूरा पृथ्वी लेल अछि। भगवान राम पूरा पृथ्वी लेल छथि। ओ यहूदी सभ के यहोवा छथि।
बिहार मे प्रशांत किशोर के स्वीप दिल्ली के हिला दैत कियाकि जेडी(यू) दिल्ली मे बीजेपी के अंकगणित लेल अपरिहार्य अछि। आ कीन उद्देश्य सँ? आतंकवाद के युद्धक्षेत्र मे महात्मा गांधी के रथ पर बिठायबाक लेल?
प्रशांत किशोर महात्मा गांधी सेहो नहि छथि। मुदा ओ अपन के विनम्र बनाउ सकैत छथि आ जेडी(यू) संग विलय इंजीनियर करि सकैत छथि आ जेडी(यू) मे अपन नंबर दू पद वापस प्राप्त करि सकैत छथि आ बिहार के योगी बनबाक कोशिश करि सकैत छथि, बिहार के नायडू। जे खराब लोक सभ के ओ शिकायत करैत छथि, ओकरा सभ के पार्टी मे अपन नंबर दू पद वापस पाबाक बाद हटा देबाक चाही।
अहाँ (1) आतंकवाद सँ लड़ाई के उखाड़बाक कोशिश क रहल छी, आ ई 1400 साल के उपद्रव बाद अंतिम लड़ाई अछि, यहूदी सभ सेहो अपन बाबरी मस्जिद गिरा दैताह, जेना ओकरा करबाक चाही। (2) विकसित भारत 2047 रोडमैप के जे नायडू मजबूती सँ मानैत छथि। (3) आ बिहार के। ई भारत के सबसे तेज बढ़ैत राज्य सभ मे सँ एक अछि। एक बिहारी दस पर भारी। ई अखनो सत्य अछि। बिहारी सभ सोचि रहल छथि, ई व्यक्ति पहिने सँ मुख्यमन्त्री बनबाक प्रतीक्षा मे छल। ओ कियै इस्तीफा देलक? आ जँ इस्तीफा देलक, त एखन कियै वापस चाहैत अछि?
सभ मेगाट्रेंड मोदी संग छथि। मोदी हनुमान छथि। महात्मा गांधी हनुमान चालीसा पढ़ैत छलाह। प्रशांत किशोर के अपन प्रतिभा संग न्याय करबाक चाही, कोर्स सुधारबाक चाही, आ मोदी विजन संग मजबूती सँ जुड़बाक चाही। वा राजनीतिक परामर्श पर वापस जायब जतय जीत वा हार, पैसा मिलैत अछि।